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ज्ञानवापी मामला: जिला जज का ASI सर्वे रिपोर्ट दोनों पक्षों को सौंपने का आदेश 

बनारस के जिला न्यायाधीश ने ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट की सत्यापित प्रतिलिपि दोनों पक्षों को देने का निर्देश दिया है। उधर हाईकोर्ट के जज जस्टिस मनीष कुमार निगम ने वुज़ू-ख़ाना के ASI सर्वे कराने के मामले से ख़ुद को अलग कर लिया है।
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उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट में बनारस के ज्ञानवापी मस्जिद से सील किए गए वुज़ू-ख़ाना का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) से सर्वे कराने के मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस मनीष कुमार निगम ने इस केस से खुद को अलग कर लिया। साथ ही उन्होंने इस केस को दूसरी बेंच में भेजने का सुझाव दिया है। इस बीच बनारस के जिला न्यायाधीश डॉ. एके विश्वेश की अदालत ने बुधवार को ASI सर्वे रिपोर्ट की सत्यापित प्रतिलिपि दोनों पक्षों को देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने के बाबत किसी भी पक्ष से हलफनामा नहीं मांगा है। ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली संस्था अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने के लिए बनारस के डिस्ट्रिक कोर्ट में याचिका दायर की थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट में जस्टिस मनीष कुमार निगम की बेंच में बुधवार को ज्ञानवापी मस्जिद के वुज़ू-ख़ाना के सर्वेक्षण करने के मामले में सुनवाई की। इस मामले में हिन्दू पक्ष की ओर से राखी सिंह ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। उनके अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने ‘न्यूज़क्लिक’ को बताया कि इस मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस मनीष कुमार निगम ने इस केस से खुद को अलग कर लिया और इस मामले को दूसरी बेंच में भेजने का सुझाव दिया। अब हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार गुप्ता तय करेंगे कि इस मामले की सुनवाई अब किस न्यायधीश की बेंच में होगी। फिलहाल हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई के लिए 31 जनवरी की तारीख मुकर्रर की गई है। जस्टिस मनीष कुमार निगम ने इस केस से खुद को अलग क्यों किया, यह अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।

ज्ञानवापी मस्जिद के वुज़ू-खाना के सर्वेक्षण कराने के लिए याची राखी सिंह ने पहले बनारस के डिस्ट्रिक कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। बनारस स्थित डिस्ट्रिक कोर्ट के आदेश के खिलाफ राखी सिंह ने बनारस के वरिष्ठ अधिवक्ता सौरभ तिवारी के माध्यम से हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दाखिल की। इस मामले में बुधवार को जस्टिस मनीष कुमार निगम की पीठ सुनवाई कर रही थी। इस सिविल याचिका में डिस्ट्रिक जज के 21 अक्तूबर 2023 के आदेश को चुनौती दी गई है।

सील है मस्जिद का वुज़ू-ख़ाना

ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का ASI सर्वे पूरा हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वुज़ू-ख़ाना सील किया गया है। इस वजह से वुज़ू-ख़ाना का सर्वे नहीं हो सका है। हिंदू पक्ष की ओर से राखी सिंह ने उसका भी ASI सर्वेक्षण करने की मांग उठाई है। उनका कहना है कि ज्ञानवापी परिसर के धार्मिक चरित्र का पता लगाने के लिए विवादित आकृति को छोड़कर वुज़ू-ख़ाना का साइंटिफिक सर्वेक्षण जरूरी है। राखी सिंह के सिविल वाद को बनारस के डिस्ट्रिक जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश ने खारिज कर दिया था। उन्होंने अपने आदेश में कहा था कि शीर्ष अदालत ने 17 मई 2022 के अपने आदेश के जरिए विवादित क्षेत्र की कड़ी सुरक्षा करने का आदेश दिया है। यह वही स्थान है जहां विवादित आकृति मिली है, जिसे हिन्दू पक्ष शिवलिंग और मुस्लिम पक्ष फव्वारा बता रहा है। डिस्ट्रिक कोर्ट का मानना था कि ASI को इस क्षेत्र का सर्वे करने का निर्देश देना न्यायोचित नहीं है। इस मामले में कोई भी फैसला देने से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। मस्जिद के इस क्षेत्र को 21 जुलाई 2022 के आदेश के तहत ASI सर्वे के दायरे से बाहर रखा गया था।

राखी सिंह के अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने इस सिविल वाद में कहा कि वुज़ू-ख़ाना का सर्वेक्षण जरूरी है। इससे दोनों पक्षों को लाभ होगा और साल 2022 के मुकदमें में निर्णय पर पहुंचने में कोर्ट को मदद मिलेगी। यह भी तर्क दिया गया कि डिस्ट्रिक जज ने अपने 21 अक्तूबर 2022 के आदेश में वुज़ू-ख़ाना के ASI सर्वे का निर्देश देने में विफल रहे। उनके फैसले में तमाम खामिया हैं। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट के एक आदेश के तहत ज्ञानवापी परिसर का सर्वे हो चुका है और उस रिपोर्ट को जिला जज को सौंपा जा चुकी है।

दोनों पक्षों को मिलेगी सर्वे रिपोर्ट

इस बीच बनारस के डिस्ट्रिक जज डा. अजय कृष्ण विश्वेश ने बुधवार को ज्ञानवापी परिसर की ASI सर्वे रिपोर्ट दोनों पक्षों को देने का आदेश दिया है। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद कोर्ट ने ASI सर्वे रिपोर्ट की सर्टिफाइड कॉपी दोनों पक्षों को देने का आदेश दिया है। आदेश की कापी जल्द ही जारी की जाएगी। फैसले के वक्त दोनों पक्ष के अधिवक्ता और ASI के आफिसर डिस्ट्रिक कोर्ट में मौजूद थे। ASI 18 दिसंबर को  कोर्ट में भारी-भरकम स्टडी रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में सौंपी थी। यह रिपोर्ट चार भागों में थी।

वुज़ू-ख़ाना को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का ASI की टीम ने सर्वे किया था। 24 जुलाई 2023 से शुरू होकर करीब सौ दिनों तक चले इस सर्वे के बाद कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने के लिए अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी ने डिस्ट्रिक कोर्ट में याचिका दायर की थी। हालांकि रिपोर्ट की प्रति के लिए हिन्दू और मुस्लिम पक्ष दोनों ने डिस्ट्रिक कोर्ट में अर्जी दी थी। दोनों ही पक्ष सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कापी चाहते हैं। डिस्ट्रिक जज की कोर्ट में ज्ञानवापी की सर्वे रिपोर्ट को सार्वजनिक करने के मामले को लेकर कई दिनों तक हुई सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित कर लिया गया था। हैदराबाद के साथ अमेरिका के वैज्ञानिकों की टीम ने कई दिनों मस्जिद का सर्वे किया था।

इस बीच, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) ने बुधवार को बनारस की सिविल फास्ट ट्रैक कोर्ट में मस्जिद परिसर की सर्वे रिपोर्ट पेश की। यहां भी मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट को अर्जी देते हुए सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं किए जाने के लिए याचिका दायर की है। हालांकि डिस्ट्रिक कोर्ट दोनों पक्षों को सर्वे रिपोर्ट की सत्यापित प्रतिलिपि देने का निर्देश दिया है। हालांकि कोर्ट ने इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने के बाबत किसी भी पक्ष से हलफनामा नहीं मांगा है।

(लेखक बनारस स्थित वरिष्‍ठ पत्रकार हैं।) 

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