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सीरिया: 10 कारण जिनकी वजह से बशर अल-असद के सीरिया पतन हुआ

विजय प्रसाद सीरिया के नए घटनाक्रम और पश्चिम एशिया इलाके पर इसके महत्व पर विचार व्यक्त कर रहे हैं।
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मोहम्मद अल-जुलानी (पूर्व अलकायदा नेता) के नेतृत्व में सीरियाई आतंकवादी समूह दमिश्क पर क़ब्ज़ा कर रहे हैं। फोटो: द न्यू अरब

रविवार, 8 दिसंबर को सीरियाई सरकार और आतंकवादी समूह हयात तहरीर अल-शाम (HTS) और उसके सहयोगी गुटों के बीच एक सप्ताह से अधिक समय तक चली भीषण लड़ाई के बाद, जिसने देश के प्रमुख शहरों पर नियंत्रण हासिल कर लिया और जिसके परिणामस्वरूप सीरियाई राष्ट्रपति बशर अल-असद सीरिया से भाग गए हैं। इस खबर की घोषणा रूसी विदेश मंत्रालय ने की, जिसमें यह भी बताया गया कि अपने इस्तीफे के साथ, अल-असद ने अपने प्रधानमंत्री को विपक्षी ताकतों को सत्ता के शांतिपूर्ण हस्तांतरण की देखरेख के लिए राज्य के प्रभारी बने रहने का निर्देश दिया है।

यह घटनाक्रम गज़ा में इजरायल के नरसंहार के 14 महीने बाद और हिजबुल्लाह के साथ युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही सप्ताह बाद हुआ है। नीचे विजय प्रसाद द्वारा अधिग्रहण और इसे समझने के लिए महत्वपूर्ण तत्वों पर चर्चा की गई है।

1. सीरियाई राज्य 2011 में शुरू हुए युद्ध और उसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा देश पर लगाए गए प्रतिबंधों से तबाह हो गया था। सीरियाई अरब सेना (आधिकारिक राज्य की सेना) प्रमुख लड़ाई के बाद कभी भी पूरी तरह से उबर नहीं पाई और हमा, होम्स और अलेप्पो के मुख्य शहरों को वापस लेने में असमर्थ रही थी।

2. सीरियाई सैन्य ठिकानों पर इजरायली बमबारी ने सीरियाई सशस्त्र बलों की रसद और आयुध क्षमताओं को कमजोर कर दिया था। ये हमले सीरियाई सशस्त्र बलों पर लगातार हो रहे थे और काफी भयावह थे।

3. लेबनान पर इजरायली आक्रमण और हिजबुल्लाह नेता सैय्यद हसन नसरल्लाह की हत्या ने लेबनान के दक्षिण में भी हिजबुल्लाह की ऑपरेशन की क्षमता को कमजोर कर दिया था, जिसके कारण हाल ही में इजरायल के साथ ‘युद्धविराम’ समझौता करना पड़ा। इससे यह पता चला कि हिजबुल्लाह सीरिया में फिर से प्रवेश करने की स्थिति में नहीं था, ताकि हमा से दमिश्क रोड (हाईवे एम5) पर किसी भी सशस्त्र घुसपैठ के खिलाफ सीरियाई सरकार का बचाव किया जा सके।

4. सीरिया में ईरानी आपूर्ति डिपो और सैन्य यूटिलिटी पर हमलों के साथ-साथ ईरान पर इजरायल के हमलों ने सीरियाई सरकार की रक्षा के लिए ईरानी सेना के किसी भी विस्तार को रोक दिया था। हिजबुल्लाह के कमजोर होने से क्षेत्र में ईरान की भूमिका भी कमजोर हुई है।

5. यूक्रेन में लगभग तीन वर्षों से चल रहे युद्ध ने निश्चित रूप से सीरिया को दमिश्क की सुरक्षा के लिए या लताकिया में रूसी नौसैनिक अड्डे के लिए आगे रूसी सहायता मांगने की क्षमता से वंचित कर दिया है।

6. इसलिए, सीरिया की सरकार के पास अब मजबूत विद्रोहियों के खिलाफ सहायता के लिए ईरानी और रूसी सैन्य सहयोगी नहीं थे।

7. 2017 में अल-कायदा के संगठनों से गठित हयात तहरीर अल-शाम ने तुर्की से लेकर उइगरों तक के विभिन्न सैन्य बलों को एक साथ ला दिया था - जिसमें बड़ी संख्या में अन्य अल-कायदा प्रभावित लड़ाके भी शामिल थे - और पिछले एक दशक में इदलिब में इसने अपनी सेना का निर्माण किया था। एचटीएस को तुर्की से सहायता और समर्थन मिला है, लेकिन गुप्त रूप से इज़रायल से भी मिला है (यह जानकारी मुझे तुर्की में एक उच्च पदस्थ खुफिया अधिकारी से मिली है)।

8. एचटीएस के नेतृत्व वाली नई सरकार सीरिया में कई सामाजिक अल्पसंख्यकों के बारे में क्या करेगी? एचटीएस के नेतृत्व वाली नई सरकार गोलान हाइट्स और इज़रायल के बारे में क्या करेगी? क्यूनेत्रा में इज़रायली सैन्य घुसपैठ को एचटीएस की नई सरकार किस तरह से देखेगी, यह अभी देखना बाकी है?

9. यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। देश में आईएसआईएस (ISIS) के साथ-साथ उत्तर में कुर्द समूहों के नेतृत्व में और भी अशांति होगी; पहले से ही तुर्की समर्थित समूह मनबीज में कुर्द आयपीजी (पीपुल्स डिफेंस यूनिट्स) और पीकेएक (कुर्दिस्तान वर्कर्स पार्टी) बलों के खिलाफ लड़ाई में हैं; अमेरिकी सेना पहले से ही पूर्वी सीरिया में है, जहां उनका कहना है कि वे आईएसआईएस के खिलाफ एक बफर के रूप में रहेंगे (और इसलिए तेल पर नियंत्रण बनाए रखेंगे); इज़रायल ने यह भी घोषणा की है कि उसने गोलान बफर ज़ोन पर कब्ज़ा कर लिया है। तुर्की और अमेरिका की सरकारों के बीच इस बात को लेकर तनाव रहेगा कि नई एचटीएस के नेतृत्व वाली सरकार को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।

10. मुझे बहुत उम्मीद है कि अबू मोहम्मद अल-जोलानी द्वारा दिए गए इस बयान, कि प्रतिशोध नई संस्कृति का हिस्सा नहीं होना चाहिए, सच होगा। असली डर अल्पसंख्यक आबादी के साथ किए जाने वाले व्यवहार को लेकर है। अभी तक इस बारे में कोई जानकारी नहीं है कि इराक में मिलिशिया समूह सीरिया में प्रवेश करेंगे या नहीं। यह बहुत हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि दमिश्क में सैय्यदा ज़ैनब दरगाह जैसी जगहों पर क्या होता है।

सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच

मूल रूप से अंग्रेज़ी में प्रकाशित लेख को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें :

10 Points on the Fall of Bashar al-Assad’s Syria

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