Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

ASER रिपोर्ट: शिक्षा की हालत बदतर, बच्चों को नहीं आता ‘भाग’ और ‘घटाव’!

ASER यानी एनुअल स्टेटस ऑफ़ एजुकेशन रिपोर्ट-2023 के आने के बाद एक बार फिर शिक्षा व्यवस्था पर कई प्रश्न चिन्ह लग गए हैं।
student
प्रतीकात्मक तस्वीर। साभार : The Hindu

कोरोना के कारण शिक्षा पर क्या असर पड़ा ये किसी से छुपा नहीं है, ऑनलाइन क्लासेज़ की वजह से बच्चों की शारीरिक क्षमता पर असर पड़ने लगा, जिस पर कई सवाल भी खड़े किए गए। लेकिन जब स्कूल खुले तो अभिभावकों और छात्रों का उत्साह देखने लायक था। हालांकि ग्रामीण भारत के स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ पाने तक की व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में बच्चों के मानसिक, शारीरिक क्षमता पर कितना असर पड़ा, या पढ़ने और समझने की क्षमता में कितना बदलाव हुआ, इन सबको लेकर पूरे चार साल के बाद ASER यानी एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट सामने आई है जो अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षा व्यवस्था के माथे पर भी शिकन देती नज़र आ रही हैं।

साल 2011 की जनगणना देखें तो भारत में 780 ज़िले और 6 लाख 40 हज़ार 867 गांव हैं जिसमें एएसईआर ने 616 ग्रामीण ज़िलों के 19,060 गांवों का सर्वे किया है, इसमें 3 से 16 वर्ष तक की आयु वाले 6.9 लाख बच्चों को शामिल किया गया है ताकि उनकी स्कूली शिक्षा की स्थिति दर्ज की जा सके और उनकी बुनियादी पढ़ाई और समझ का आंकलन किया जा सके।

कोरोना के बाद बढ़े नामांकन

राष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा की स्थिति को देखकर पता चलता है कि महामारी के दौरान स्कूल बंद हो जाने के बावजूद 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों का नामांकन दर पिछले 15 सालों में 95 प्रतिशत ज़्यादा रहा है। यानी 6 से 14 वर्ष की उम्र वालों का जो नामांकन साल 2018 में 95.2 प्रतिशत दर्ज किया गया था, वो अब बढ़कर 98.4 प्रतिशत हो गया है।

3-16 आयु वर्ग के वो बच्चे जिनका नामांकन वर्तमान में दर्ज नहीं है, इनका अनुपात भी सबसे निचले स्तर यानी 1.6 प्रतिशत हो गया है, जो साल 2018 में 2.8 प्रतिशत था।

सरकारी स्कूलों में नामांकन

बात अगर सरकारी स्कूलों की करें तो 2018 के मुक़ाबले 2022 में तेज़ी से नामांकन हुए हैं, यानी जो नामांकन प्रतिशत 2018 में 65.6 था वो 2022 में बढ़कर 72.9 प्रतिशत हो गया है। हालांकि इससे पहले साल 2006 से 2014 तक सरकारी विद्यालयों में नामांकन की दर बेहद कम थी। ASER की रिपोर्ट साल 2014 के मुताबिक़ ये आंकड़ा तब 64.9 प्रतिशत था जो अगले चार सालों तक वैसा ही बना रहा।

कक्षा तीन की हालत चिंताजनक

कोरोना के कारण लंबे वक़्त तक स्कूल बंद था, जिसके बाद बच्चों की बुनियादी सारक्षता, समझ और आंकलन करने की क्षमता में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। ये सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के स्कूलों पर लागू होता है।

इसे ऐसे समझिए... कक्षा तीन के बच्चों का प्रतिशत 2018 में 27.3 फ़ीसदी से गिरकर 2022 में 20.5 फ़ीसदी हो गया, जो कक्षा दो के स्तर पर पढ़ सकते हैं।

वहीं, 2018 के स्तर से 10 फ़ीसदी से ज़्यादा की गिरावट दिखाने वाले राज्यों में केरल 2018 में 52.1 फ़ीसदी से 2022 में 38.7 फ़ीसदी तक, हिमाचल प्रदेश में 47.7 फ़ीसदी से 28.4 फ़ीसदी तक और हरियाणा में 46.4 फ़ीसदी से 31.5 फ़ीसदी तक हो गया है।

कक्षा 5 की हालत भी ठीक नहीं

कहानी इससे भी ज़्यादा दयनीय है, क्योंकि मामला कक्षा पांच का भी ठीक नहीं है, और यहां भी आंकड़ें सरकारी और प्राइवेट स्कूल दोनों की हालत बयां करते हैं।

कक्षा पांच में नामांकित बच्चों का अनुपात जो कि कम से कम कक्षा दो के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, वो 2018 के 50.5 फ़ीसदी से गिरकर 2022 में 42.8 फ़ीसदी हो गया।

हालांकि कुछ राज्य ऐसे भी हैं जिन्हें ठीकठाक कहा जा सकता है, इनमें बिहार, ओडिशा, मणिपुर और झारखंड के अलावा कुछ और राज्य शामिल हैं। वहीं, 15 प्रतिशत अंकों या उससे ज़्यादा की कमी वाले राज्यों में आंध्र प्रदेश, गुजरात और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं। जबकि उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, कर्नाटक और महाराष्ट्र में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट देखी जा सकती है।

आठवीं कक्षा के क्या हालात है?

रिपोर्ट कहती है कि कक्षा आठवीं के छात्रों में बुनियादी पढ़ने की क्षमता में कमी तो दिखाई दे रही है, लेकिन ये कहा जा सकता है कि तीन और पांच कक्षा में देखे गए रुझानों की तुलना में थोड़ा कम हैं। राष्ट्रीय स्तर पर, सरकारी या निजी स्कूलों में कक्षा आठ में नामांकित 69.6 प्रतिशत बच्चे 2022 में कम से कम बुनियादी पाठ पढ़ सकते हैं, जो 2018 में 72.8 प्रतिशत था।

'घटाव' नहीं आता !

गणित की भाषा में कहें तो कक्षा 3 के वो छात्र जो कम से कम ‘घटाव’ जानते हैं, उनके प्रतिशत में भी गिरावट आई है। यानी ऐसे बच्चों की जो संख्या साल 2018 में 28.2 प्रतिशत थी वो 2022 में 25.9 प्रतिशत हो गई है। हालांकि जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश में इनके आंकड़ों ने थोड़ी राहत ज़रूर दी है। इन तीनों राज्यों में आंकड़े लगभग स्थिर हैं। जबकि हरियाणा, मिज़ोरम और तमिलनाडु में क़रीब 10 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है।

तमिलनाडु में 2018 में ये प्रतिशत 25.9 था जो 2022 में 11.2 हो गया, मिज़ोरम में 2018 में इसकी संख्या 58.9 थी जो 2022 में घटकर 42 प्रतिशत हो गई, जबकि हरियाणा में भी 10 फ़ीसदी गिरकर 41.8 प्रतिशत हो गई जो 2018 में 53.9 थी।

'भाग' के सवाल से भी दिक़्क़त

ASER की रिपोर्ट कक्षा 8 के बारे में कहती है कि, बुनियादी गणित के मामले में प्रदर्शन थोड़ा अलग है। राष्ट्रीय स्तर पर भाग का सवाल हल कर पाने वाले बच्चों का अनुपात थोड़ा बेहतर हुआ है। ये 2018 में 44.1 प्रतिशत था, जबकि 2022 में 44.7 प्रतिशत हो गया है। रिपोर्ट कहती है कि ये जो बहुत थोड़ी सी बढ़ोत्तरी है ये लड़कियों और सरकारी स्कूल के बच्चों की ज़्यादा सीखने की इच्छा के कारण हुआ है। जबकि ‘भाग’ बनाने के सवालों में लड़कों और निजी स्कूलों की क्षमता में गिरावट हुई है।

प्राइवेट ट्यूशन का बोलबाला

ग्रामीण भारत में कक्षा 1 से 8 तक बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाने के मामले में भी बढ़ोत्तरी हुई है। सरकारी हो या ग़ैर सरकारी... दोनों ही स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को प्राइवेट ट्यूशन पढ़ाया जा रहा है। फीस देकर ट्यूशन पढ़ने वालों का अनुपात साल 2018 में 26.4 प्रतिशत से बढ़कर 2022 में 30.5 प्रतिशत हो गया है। उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में तो 8 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।

स्कूलों में सुविधाएं

लड़कियों के शौचालय का जो अनुपात 2018 में 66.4 प्रतिशत था, वो 2022 में 68.4 प्रतिशत हुई है, हालांकि ज़रूरी प्रसाधनों के हिसाब से इसे बहुत बड़ी वृद्धि नहीं कहा जा सकता। पेयजल वाले स्कूलों में भी वृद्धि देखने को मिली है, ये साल 2018 में 74.8 प्रतिशत थे जो 2022 में बढ़कर 76 प्रतिशत हो गए।

हालांकि गुजरात जैसे राज्य में पेयजल वाले स्कूलों की संख्या में गिरावट आई है, यहां ये संख्या 88 प्रतिशत से घटकर 71.8 प्रतिशत हो गई है, और कर्नाटक में भी 76.8 प्रतिशत से घटकर 67.8 प्रतिशत हो गई है।

आपको बता दें कि पूरे चार साल के बाद ASER ने ये आंकड़े पेश किए हैं, और साथ में ये भी कहा है कि राष्ट्रीय औसत आंकड़े राज्यों में भिन्नताओं को छुपा देते हैं।

ASER की पूरी रिपोर्ट नीचे देखें 

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest