Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

क़रीब 2 करोड़ लोगों ने साल 2022 में  रसोई गैस का एक भी सिलेंडर नहीं लिया

बढ़ी हुई कीमतों का अंदाजा इससे लगाइए कि साल 2014 में घरेलू गैस के एक सिलेंडर का दाम 410 रुपया था, अब यह बढ़कर 1000 रुपये से भी ज्यादा हो गया है।  इसका असर देखिए।
LPG

चार-पांच लोगों का परिवार अगर ढंग से खाना पकाए और खाए तो हर महीने एक से ज्यादा सिलेंडर इस्तेमाल हो जाता है। कम से कम भी लगाएं तो महीने का एक और साल के 12 सिलेंडर बैठते हैं।  इस हिसाब से देखा जाए तो अगर कोई परिवार 12 से कम सिलेंडर की खपत कर रहा है तो इसका मतलब है कि कुछ न कुछ कारण जरूर है जिसकी वजह से कम सिलेंडर की खपत हो रही है। भारत जैसे गरीब मुल्क में सबसे बड़ा कारण रसोई गैस की बढ़ी हुई कीमत ही हो सकती हैं, जिसकी वजह से लोग रसोई गैस का इस्तेमाल करने से कतराते हैं।

बढ़ी हुई कीमतों का अंदाजा इससे लगाइए कि साल 2014 में घरेलू गैस के एक सिलेंडर का दाम 410 रुपया था, अब यह बढ़कर 1000 रुपये से भी ज्यादा हो गया है।  इसका असर देखिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उज्ज्वला योजना के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा था कि "जब एक गरीब घर की औरत चूल्हा जलाकर अपने घर का खाना बनाती है तो 400 सिगरेट के बराबर धुआं अपने अंदर खींच लेती है। मैंने अपने बचपन में यह सब देखा है। कभी-कभी तो ऐसा होता था कि मां खाना बनाती थी और धुएं से उसका चेहरा नहीं दिखता था।”

इस उज्ज्वला योजना का हाल देखिए समाज के हाशिये के वर्ग तक रसोई गैस सिलेंडर पहुंचाने के लिए सरकार ने उज्ज्वला योजना की शुरुआत की थी। इस योजना के तहत शुरुआत में ढेर सारी सहूलियत के साथ 18 साल से ज्यादा उम्र की वंचित वर्ग की महिलाओं को साल भर में 12 सिलेंडर के लिए हर गैस सिलेंडर  ₹200 सब्सिडी पर दिया जाता है।

इस योजना के तहत अब तक 9 करोड़ कनेक्शन दिए जा चुके हैं। सरकार द्वारा संसद में सौंपे गए जवाब के मुताबिक इसमें से महज 4 करोड़ 95 लाख उपभोक्ताओं ने साल 2022 में 3 या 3 से ज्यादा रसोई गैस सिलेंडर का इस्तेमाल किया। यानी तकरीबन आधे उपभोक्ताओं ने 3 या 3 से कम गैस सिलेंडर का इस्तेमाल किया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि भारत में गरीबी कितनी हैं? रसोई गैस की कीमत बढ़ने पर गरीब वर्ग पर कितनी खतरनाक मार पड़ती है।

सरकार ने राज्यसभा में लिखित जवाब दिया है कि देश भर में रसोई गैस के तकरीबन 30 करोड़ 90 लाख उपभोक्ता हैं। तकरीबन 2 करोड़ उपभोक्ताओं ने वित्त वर्ष 2022 में एक भी सिलिंडर नहीं खरीदा।

पेट्रोलियम और नैचुरल गैस मंत्रालय के राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने सरकार की तरफ से राज्य सभा में रसोई गैस को लेकर यह लिखित जानकारी सौंपी।

इस लिखित जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश में ऐसे सबसे ज्यादा उपभोक्ता ( तकरीबन 29 लाख) हैं जिन्होंने साल 2022 में एक भी गैस सिलिंडर नहीं लिया। इसके बाद पश्मिमी बंगाल और महाराष्ट्र का नंबर आता है जहां पर तकरीबन 17 लाख और 16 लाख उपभोक्ताओं ने एक भी सिलिंडर नहीं लिया।

इसमें कोई दो राय नहीं कि कम सिलेंडर इस्तेमाल करने के पीछे ढेर सारे कारण हो सकते हैं। लेकिन निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि जिस तरह से सिलेंडर की कीमतें बढ़ी हैं, वह कम सिलेंडर इस्तेमाल के पीछे सबसे बड़ा कारण है।

बढ़ी हुई कीमतों को लेकर जब भी सरकार से सवाल पूछा जाता है तो सरकार के समर्थक सब्सिडी का तर्क लेकर आते हैं। कहते हैं कि सरकार सब्सिडी तो दे रही है। सब्सिडी का हाल यह है कि सरकार ने जून 2020 में ही  एलान कर दिया था कि वह उज्ज्वला योजना के अलावा और किसी को सब्सिडी नहीं देगी।  परिणाम यह हुआ है कि 2020-21 में केंद्र सरकार ने LPG सब्सिडी के रूप में 11,896 करोड़ रुपए खर्च किए थे, वहीं 2021-22 में यह खर्च घटकर महज 242 करोड़ रुपए रह गया है।

रसोई गैस की कीमतों को लेकर यह सारा खेल उस देश में हो रहा है जहां प्रति व्यक्ति महीने का 25 हजार से कम कमाने वाले तकरीबन 90 फीसदी लोग रहते हैं।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest