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यूपी-बिहार बॉर्डर पर खलनायक बनी शराब, चंदौली में महिलाओं ने छेड़ा आंदोलन

आंदोलनकारी महिलाओं को इस बात से नाराज़गी है कि शराब का ठेका हटाने के लिए मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराने के बाद भी स्थिति जस की तस है।
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उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले में शराब के ठेके बंद कराने के लिए महिलाओं ने बड़ी मुहिम शुरू की है। खलनायक बनी शराब के खिलाफ वनभीषमपुर और ढोड़नपुर गांव की महिलाएं आंदोलन कर रही हैं। सड़क पर उतरकर आंदोलन चला रही महिलाओं के मुताबिक वनभीषमपुर स्थित देसी शराब का ठेके से बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी हो रही है। शाम ढलते ही वनभीषमपुर गांव में शराबियों का जमघट लगना शुरू हो जाता है और रास्ते से औरतों का आना-जाना मुश्किल हो जाता है।

यूपी-बिहार के बार्डर पर स्थित देसी शराब के ठेके को लेकर इलाके की महिलाएं कई दिनों से आंदोलन चला रही हैं। ग्रामीण अंचलों की महिलाओं ने कुछ रोज पहले ही वनभीषमपुर बस्ती के ठेके पर पहुंचकर प्रदर्शन करते हुए ठेके को बंद करा दिया था। साथ ही रास्ते पर चक्काजाम भी किया, जिससे करीब दो घंटे तक आवागमन बाधित रहा। चक्काजाम की सूचना पर पहुंची कोतवाली पुलिस ने महिलाओं को समझा बुझाकर शांत कराया।

आंदोलनकारी महिलाओं को इस बात से नाराजगी है कि शराब का ठेका हटाने के लिए मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी शिकायत दर्ज कराने के बाद भी स्थिति जस की तस है। आंदोलनकारी महिलाओं को समझाने पहुंचे चकिया के उपजिलाधिकारी ज्वाला प्रसाद को लीलावती, सुजीता, फूला, राधिका, मीरा, विमला, मुंगा, सरोजा, नीरा, रीता, सुनिता, हिलाती और संध्या ने दो-टूक शब्दों में जवाब दिया और कहा, "ठेके हटने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। वनभीषमपुर गांव बिहार की सीमा से सटा हैं। जंगली इलाका होने के कारण यहां से बड़े पैमाने पर शराब की तस्करी होती है। शराब के ठेके के चलते आसपास के कई गांवों की औरतों का सुकून छिन गया है। युवकों में शराब की लत बढ़ रही है। शराब की तस्करी इसी ठेके से होती है। शराब के ठेकेदार के सिर पर आबकारी विभाग और इलाकाई पुलिस का हाथ है। कई दिनों से लगातार आंदोलन जारी रहने के बावजूद प्रशासन ठेके को बंद कराने के लिए सख्त कदम नहीं उठा रहा है। शराब  ठेका नहीं हटा तो आंदोलन तेज किया जाएगा।"

चंदौली के उप जिलाधिकारी ज्वाला प्रसाद और डिप्टी एसपी रघुराज ने आंदोलनकारी महिलाओं को भरोसा दिया है कि उनकी समस्याएं जल्द ही हल की जाएंगी। इस सिलसिले में वह उच्चाधिकारियों को अवगत कराएंगे और समस्या को हल करेंगे। दोनों अधिकारियों ने ग्रामीणों से बातचीत की। इस दौरान दोनों अफसरों को महिलाओं के विरोध का सामना करना पड़ा।

क्षेत्र पंचायत सदस्य राजकुमार के अलावा राम अशीष, पिन्टू, पारस, अवधेश, जयहिंद, हीरालाल, टुनटुन, सुरेन्द्र ने न्यूज़क्लिक से कहा, "देसी शराब का ठेका युवाओं को बर्बाद कर रहा है। यूपी की योगी सरकार  नौजवानों को शिक्षा और रोजगार नहीं दे रही, लेकिन शराबी जरूर बना रही है। ठेका खुलने के बाद वनभीषमपुर गांव शराब तस्करों के लिए स्वर्ग हो गया है। शराब की दुकान  को बंद करने के लिए यहां महिलाएं कई दिनों से आंदोलनरत हैं। वनभीषमपुर गांव में शराब के ठेके के करीब प्राइमरी स्कूल भी है। शराब के ठेके के चलते औरतों की जिंदगी नरक बन गई है। अफसर ध्यान नहीं देंगे तो धरना और चक्काजाम आंदोलन तेज किया जाएगा।"

आंदोलन स्थल पर पहुंचे आईपीएफ नेता अजय राय ने कहा "यूपी सरकार जब तक सहयोग नहीं देगी, तब तक बिहार में शराबबंदी संभव नहीं है। वनभीषमपुर से ठेके से हर रोज शराब तस्करी करके बिहार पहुंचाई जा रही है। नशामुक्ति के मसले पर यूपी-बिहार में कोई काम नहीं किया जा रहा है। शराब के खिलाफ अभियान चलाना होगा और साथ ही इस बात पर भी ध्यान देना होगा कि आखिर युवा क्यों नशे की गिरफ्त में आ रहे हैं। उनके खेलकूद, रोजगार और राज्य में ही बेहतर पढ़ाई के इंतजाम करने होंगे। यह सब एक दिन में नहीं होगा। मगर निरंतर प्रयास जारी रखना होगा।"

"जिस तरह पंचायतों में शिक्षा समिति होती है, वैसे ही स्थायी तौर पर नशा-विरोधी समिति का गठन भी सभी पंचायतों में हो सकता है, जिसमें मुख्य स्थान महिलाओं को दिया जाना चाहिए। इस तरह के कानून बनाने चाहिए कि यदि 50 प्रतिशत से ऊपर गांववासी किसी गांव में शराब का ठेका न लगाने के लिए स्वीकृति प्रदान कर दें, तो उसे स्वीकार कर लिया जाएगा। इस तरह पर्याप्त हस्ताक्षर एकत्र कर गांववासी शराब के ठेकों से मुक्त हो सकेंगे। महिलाओं द्वारा भी शांतिपूर्ण विरोध दर्ज करवाने का एक अपेक्षाकृत आसान रास्ता उपलब्ध हो जाएगा।"

जनवादी नेता अजय राय ने यह भी कहा, "भारत में सड़क दुर्घटनाओं, लीवर की बीमारी व कैंसर जैसी बीमारियों के पीछे भी शराब है। जिससे हर साल लाखों मौतें होती हैं। इसके अलावा ज़हरीली शराब भी हर साल बड़ी संख्या में ज़िंदगियां निगल जाती है। महिलाओं पर हिंसा व यौन-हिंसा की अधिकांश वारदातों में भी शराब की प्रत्यक्ष-परोक्ष भूमिका  होती है। ऐसे में, शराब-विरोधी अभियान को मजबूती से बढ़ाना जरूरी है।"

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