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बजट 2023-24 : कामकाजी लोगों के लिए एक बड़ा झटका

मनरेगा आवंटन पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपये से घटाकर 60,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
MGNREGA
फ़ोटो साभार: PTI

केंद्रीय बजट 2023-24 ने कामकाजी लोगों की आशाओं पर पानी फेर दिया है। मनरेगा आवंटन (ग्रामीण रोज़गार गारंटी योजना) में उल्लेखनीय रूप से बढ़ती मांग के बावजूद इसे पिछले वर्ष के संशोधित अनुमान 89,400 करोड़ रुपए से घटाकर इस वर्ष 60,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अगर यह माना जाए कि समान संख्या में लोग काम चाहते हैं तो यह 100 दिनों के कानूनी रूप से निर्धारित रोज़गार के लिए आवश्यक एक-चौथाई से भी कम है।
 
वास्तव में, कृषि विभाग और किसान कल्याण को देखते हुए सेंट्रल सेक्टर की योजनाओं के लिए आवंटन पिछले वर्ष के बजट अनुमान 105,710 करोड़ रुपये से घट कर 98,980 करोड़ रुपये हो गया है, यह गिरावट मुद्रास्फीति के असर को देखते हुए अधिक होगी। यहां तक कि सेंट्रल सेक्टर के आवंटन में पंचायती राज मंत्रालय में पिछले वर्ष का कुल आवंटन 163 करोड़ रुपये से घटकर इस बार 76 करोड़ रुपये रह गया है।  

सबसे अधिक चौंकाने वाली बात यह है कि एक तरफ तो नि:शुल्क अनाज का प्रचार-प्रसार किया जाता है तो वहीं दूसरी तरफ भोजन और पोषण के आवंटन को घटा दिया जाता है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम(NFSA) के अंतर्गत भारतीय खाद्य निगम के लिए खाद्य सब्सिडी पिछले वर्ष संशोधित अनुमान में 2,14,696 करोड़ रुपये थी। अब इस वर्ष यह बजट अनुमान में 13,7207 करोड़ रुपये है।

NFSA के अंतर्गत खाद्य सब्सिडी विकेंद्रीयकरण खरीद के लिए पिछले वर्ष संशोधित अनुमान राशि 72,282 करोड़ रुपये थी जबकि अब यह 5,9793 करोड़ रुपये हो गई है। इसी प्रकार पिछले वर्ष पीएम पोषण के लिए आवंटन के लिए संशोधित अनुमान 12,800 करोड़ रुपये था जो इस वर्ष 11,600 करोड़ रुपये है।

पिछले वर्ष श्रम और रोज़गार मंत्रालय में केंद्रीय क्षेत्र की योजनाओं के लिए आवंटन 16,084 करोड़ रुपये था वहीँ इस वर्ष यह केवल 1,2434 करोड़ रुपये है।
 
श्रम कल्याण योजना के लिए पिछले वर्ष बजट 120 करोड़ रुपये था जो इस वर्ष घटकर 75 करोड़ रुपये हो गया है।

पीएम कर्मयोगी मानधन योजना में पिछले वर्ष बजट अनुमान 50 करोड़ रुपये था जो इस वर्ष घटकर मात्र 3 करोड़ रह गया है। इसी प्रकार, आत्मनिर्भर भारत रोज़गार योजना जिसके बारे में कल्पना की गई थी कि सरकार की इस योजना को उच्च प्राथमिकता दी जाएगी, के लिए आवंटन पिछले साल के बजट अनुमान 6,400 करोड़ रुपये से घटकर इस वर्ष 2,272 करोड़ रुपये हो गया है। राष्ट्रीय बालश्रम प्रोजेक्ट का आवंटन 30 करोड़ रुपये से घटाकर 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय के अंतर्गत सेंट्रल सेक्टर स्कीम का पिछले वर्ष का बजट अनुमान 3,074 करोड़ रुपये था जो घट कर 2,336 करोड़ रुपये हो गया है।

विशेष रूप से, मंत्रालय के तहत शिक्षा का बजट आवंटन पिछले वर्ष के बजट अनुमान 2,515 करोड़ रुपये से घटकर 1,689 करोड़ रुपये हो गया है। वहीं कौशल विकास और आजीविका का बजट आवंटन पिछले वर्ष के बजट अनुमान 491 करोड़ रुपये से घट कर 64 करोड़ रुपये हो गया है।

इसी प्रकार अल्पसंख्यकों के लिए विशेष कार्यक्रमों के लिए आवंटन 53 करोड़ से घटकर 26 करोड़ रुपये हो गया है। मुख्य योजनाओं के मामले में, अल्पसंख्यको के विकास के लिए अंब्रेला प्रोग्राम का बजट पिछले वर्ष के बजट अनुमान 1,810 करोड़ रुपये से घटाकर 610 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग के तहत सेंट्रल सेक्टर स्कीमों का बजट पिछले वर्ष के 740 करोड़ रुपये से घटाकर 680 करोड़ रुपये कर दिया गया है।

मुख्य योजनाओं पर वापस आते हुए, महिलाओं के संरक्षण और अधिकारिता मिशन के बजट को 2021-22 में 500 करोड़ रुपये के वास्तविक व्यय से घटाकर इस वर्ष 20 करोड़ रुपये कर दिया गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में भी ये इतना ही था।

पीएम आवास योजना के मामले में पिछले और इस साल के बजट अनुमानों को देखते हुए आवंटन को 48,000 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 79,750 करोड़ रुपये किया जाना बड़ी बात है। लेकिन इस वर्ष के लिए आवंटन और 2021-22 में वास्तविक व्यय के बीच तुलना करें तो इसमें गिरावट दिखाई देती है।

स्पष्ट है कि ये बजट लाखों कामकाजी लोगों और कमज़ोर वर्गों के लिए बेहद निराश करने वाला है जिन्होंने हाल के वर्षों में बहुत कुछ झेला है। उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिहाज़ से इससे कहीं बेहतर बजट की उम्मीद थी।

(लेखक, कैंपेन टू सेव अर्थ नाउ के संयोजक हैं। उनकी हाल की पुस्तकों में 'प्लैनेट इन पेरिल' और 'ए डे इन 2071' शामिल हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल ख़बर को पढने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

Union Budget 2023-24: A Huge Setback for Working People

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