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कोविड-19: आईएमए ने केंद्र द्वारा आयुष उपचार को बढ़ावा देने पर उठाए सवाल

आईएमए जानना चाहती है कि आयुष प्रोटोकॉल के तहत केंद्र सरकार के कितने मंत्रियों का इलाज हुआ,  और ऐसे कौन से कारण थे जिनकी वजह से आयुष मंत्रालय को कोविड का इलाज करने या उसकी रोकथाम का काम सौंपने से रोका गया था।
कोविड-19

इस महीने की शुरुआत में, आयुष मंत्रालय की ओर से केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ॰ हर्षवर्धन ने आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी-आधारित नैदानिक प्रबंधन प्रोटोकॉल के लिए कोविड-19 का इलाज करने के दिशा-निर्देश जारी किए थे।

जारी दिशानिर्देशों पर भारतीय मेडिकल एसोसिएशन (IMA) जोकि देश में लगभग 3.5 लाख डॉक्टरों की सर्वोच्च संस्था है ने कोविड-19 रोगियों के लिए वैकल्पिक दवाओं और योग को बढ़ावा देने के मंत्रालय के कदम पर सवाल उठाए है। एसोसिएशन ने मंत्री को चुनौती देते हुए पांच सवालों के जवाब मांगे हैं जिसमें यह भी शामिल है कि आयुष प्रोटोकॉल के तहत उनके कितने मंत्री सहयोगियों का अब तक इलाज किया गया है।

केंद्र सरकार ने कोविड-19 को रोकने के लिए अश्वगंधा, गुडुची, पिप्पली, आयुष 64 गोलियों और योग के उपयोग से हल्के लक्षणों का इलाज करने और कोविड की स्वयं की देखभाल करने की वकालत की थी। हर्षवर्धन ने 6 अक्टूबर को ट्वीट किया था कि " इस प्रोटोकॉल" को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद के साथ समन्वय तैयार किया गया है।

मंत्रालय ने कहा था कि इन दवाओं के अलावा, सामान्य और आहार संबंधी उपायों का भी पालन किया जाना चाहिए, जिसमें हल्दी वाला दूध पीना, काढ़ा पीना, नाक के मार्ग से औषधीय तेल लगाना और अजवाईन के साथ और नीलगिरी का तेल से भाप लेना शामिल है। ।

एक प्रेस विज्ञप्ति में, आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष, राजन शर्मा और महासचिव, आर.वी. असोकन ने मंत्री से पांच सवाल पूछे और उन पर उनकी प्रतिक्रिया मांगी है। एसोसिएशन यह जानना चाहती है कि आयुष प्रोटोकॉल के तहत केंद्र सरकार के कितने मंत्रियों का इलाज किया गया था, और आयुष मंत्रालय को कोविड की देखभाल और नियंत्रण में लाने का काम सौंपने से किस वजह ने रोका था। आईएमए ने मांग की है कि स्वास्थ्य मंत्री को इस पर "सफाई देनी चाहिए"।

बयान में कहा गया है: “केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ॰ हर्षवर्धन ने कोविड-19 संक्रमण की रोकथाम के प्रोटोकॉल और गैर-लक्षण वाले और कम लक्षण वाले मामलों को आयुष और योग आधारित इलाज़ के संबंध में एक दस्तावेज़ जारी किया है। उन्होंने अपनी पेशकश के समर्थन में बड़े  संस्थानों के नामों का सहारा लिया है। वे स्वीकार करते हैं कि ये प्रयोगसिद्ध साक्ष्य पर आधारित हैं जिसका अर्थ है कि साक्ष्य एकात्मक है और व्यक्तिगत अनुभवों पर आधारित है। उन्होंने खुद कहा कि आयुष ने इतिहास के रूप में वर्तमान के बजाय आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा की नींव बनाने में योगदान दिया है।

आईएमए द्वारा पूछे गए पांच सवाल इस प्रकार हैं:

"1. क्या कोविड-19 पर किए गए अध्ययनों के आधार पर किए गए दावों के संबंध में संतोषजनक सबूत हैं? यदि ऐसा है तो क्या सबूत कमजोर या मध्य श्रेणी के है या मज़बूत हैं? ये सबूत सार्वजनिक डोमेन में होने चाहिए और साथ वैज्ञानिक जांच के लिए उपलब्ध होने चाहिए। 

2. क्या कोविड-19 का गंभीर रूप हाइपरिम्यून या प्रतिरक्षा की कमी है, स्थिति क्या है?

3. क्या इन दावों के समर्थक और उनका मंत्रालय कोविड की रोकथाम और इलाज़ में एक स्वतंत्र भावी डबल ब्लाइंड नियंत्रण अध्ययन के लिए खुद को वालिनटियर के रूप में अधीन करने के लिए तैयार है?

4. उनके कितने मंत्री साथियों या सहयोगियों ने अब तक इन प्रोटोकॉल के तहत इलाज करवाने की सूचना दी है?

5. कौनसे कारण हैं जो आयुष मंत्रालय को कोविड के इलाज़ और उस पर नियंत्रण पाने के काम को सौंपने से रोक रहे है? "

आईएमए द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब में, आयुष क्षेत्रों में काम करने वाले वैज्ञानिक- आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी- ने अपनी दवा प्रणालियों को "अवैज्ञानिक" करार देने के लिए आईएमए पर हमला किया है। लगभग 300 आयुष वैज्ञानिक- जो सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन आयुर्वेदिक साइंसेज (CCRAS) में काम करते हैं और सीसीआरएएस साइंटिस्ट्स वेलफ़ेयर एसोसिएशन (CSWA) का हिस्सा हैं- ने बदले में आईएमए से पांच सवाल पूछे हैं, जिनमें एलोपैथिक डॉक्टरों की कोविड-19 इलाज़ प्रोटोकॉल में मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) के इस्तेमाल पर "चुप्पी" शामिल है। 

आयुष मंत्रालय महामारी की शुरुआत से ही आयुर्वेद को बढ़ावा दे रहा है, वह भी यह दावा करते हुए कि वैकल्पिक दवाएं नॉवेल कोरोनावायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार लाने में मदद कर सकती हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अप्रैल में राष्ट्र को अपने संबोधन में मंत्रालय द्वारा दी गई सलाह को बढ़ावा दिया था। इस हफ्ते की शुरुआत में आई एक रपट में पाया गया कि कई निजी अस्पतालों ने आईसीयू में आयुष डॉक्टरों का इस्तेमाल किया था। खबरों के अनुसार, लोकप्रिय जॉब साइट्स पर कुछ सबसे प्रसिद्ध अस्पतालों ने विज्ञापनों जारी किए हैं जिनमें वे आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक डॉक्टरों को रेजीडेंट चिकित्सा अधिकारियों, आपातकालीन या आकस्मिक चिकित्सा अधिकारियों के रूप में काम करने की पेशकश करते हैं, और यहां तक कि रात में आईसीयू का प्रबंधन करने की भी पेशकश की गई है।

इससे पहले, आईएमए ने सरकार के उदासीन रवैये की निंदा की थी, क्योंकि कोविड-19 के कारण मारे गए डॉक्टरों की अनदेखी की गई थी। आईएमए के अनुसार, अब तक नोवेल कोरोना वायरस से 515 डॉक्टर अपनी जान गंवा चुके हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें

COVID-19: IMA Questions Promotion of AYUSH Treatment by Centre

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