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कोविड-19: क़स्बा वैक्सीन घोटाले के ख़िलाफ़ वाम मोर्चा का पश्चिम बंगाल भर में विरोध प्रदर्शन

कथित घोटाले में फर्जी कोविड-19 टीके और टीकाकरण शिविर शामिल थे, जो राज्य के क़स्बा और सोनारपुर क्षेत्र में आयोजित किये गये थे।
कोविड-19: क़स्बा वैक्सीन घोटाले के ख़िलाफ़ वाम मोर्चा का पश्चिम बंगाल भर में विरोध प्रदर्शन

कोलकाता: संजुक्त मोर्चा, एसएफआई, डीवाईएफआई और ऐडवा ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल में पुलिस थानों के बाहर क़स्बा वैक्सीन घोटाले के खिलाफ प्रदर्शन किया, जिसे कथित तौर पर टीएमसी नेताओं की मिलीभगत के साथ संपन्न किया गया था।

एक प्रेस विज्ञप्ति में, पश्चिम बंगाल वाम मोर्चे के अध्यक्ष बिमान बासु ने कहा कि संगठन ने मांग की है कि इस घोटाले की जांच को अदालत की निगरानी में चलाया जाए, क्योंकि इसमें कई प्रभावशाली नाम  बाहर आ रहे हैं। कठित घोटाले में फर्जी कोविड-19 वैक्सीन और टीकाकरण शिविर शामिल थे और जिन्हें राज्य के क़स्बा और सोनारपुर क्षेत्र में आयोजित किया गया था।

देबंजन देब नामक एक शख्स ने कथित तौर पर टीएमसी नेताओं के साथ मिलकर खुद को एक आईएएस अधिकारी के तौर पर पेश किया और मुफ्त टीकाकरण शिविर आयोजित किये, जहाँ पर कोविशील्ड के नाम पर लोगों को फर्जी कोविड-19 टीके लगाये गए। 1,000 से भी अधिक की संख्या में भोले-भाले नागरिकों को इस अपराध का भुक्तभोगी बनने के लिए मजबूर होना पड़ा है। यहाँ तक कि टीएमसी की महिला सांसद मिमी चक्रवर्ती तक को नकली टीका लगाया गया था, जिसके रासायनिक संयोजन के बारे में अभी भी कोई मालूमात हासिल नहीं हो सकी है।

स्थानीय टीएमसी नेतृत्व ने इन शिविरों के सूत्रधार के तौर पर काम किया है। क़स्बा पुलिस थाने से करीब 300 मीटर की दूरी पर इस ख़ास आयोजन को अंजाम दिया गया था। मामले के अपराधी के खिलाफ पहले से ही धोखाधड़ी का मामला दर्ज होने के बावजूद, पुलिस ने समय पर कार्यवाही करने से इंकार कर दिया था। देबंजन देब को कोलकाता नगर निगम के मुख्य प्रशासक फिरहाद हकीम एवं निगम से जुड़े अन्य टीएमसी नेताओं के साथ कई तस्वीरों में देखा गया था। 

सोमवार को भी विरोध प्रदर्शन हुए थे जब प्रदर्शनकारियों ने निगम कार्यालय के सामने बने पुलिस बैरिकेड्स तोड़ दिए, जिस पर प्रशासन ने हस्तक्षेप किया और महिलाओं सहित कई प्रदर्शनकारियों के साथ कथित तौर पर मारपीट की। प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया गया लेकिन दो से तीन घंटों के बाद छोड़ दिया गया था।

सीपीआई(एम) राज्य सचिवालय सदस्य समिक लाहिड़ी, कोलकाता जिला सचिव कल्लोल मजूमदार, संजुक्त मोर्चा के एकमात्र विधायक नौशाद सिद्दीकी ने भी सोमवार के विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। राज्य स्वास्थ्य निदेशालय के समक्ष भी विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें पुलिस पर आरोप है कि उसने निहत्थे तख्तियां लिए प्रदर्शनकारियों के साथ मारपीट की। प्रदर्शनकारी नारेबाजी कर रहे थे और हाथापाई के बाद पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

सीपीआई(एम) राज्य सचिव सूर्य कान्त मिश्रा ने पुलिस द्वारा की गई ज्यादती की निंदा की है।

बुधवार को भी विरोध प्रदर्शन जारी रहने की उम्मीद है। एक प्रेस विज्ञप्ति में मिश्रा ने कहा है कि टीएमसी ने पुलिस की मिलीभगत से महामारी के दौरान जालसाजी जैसे “जघन्य” अपराध को अंजाम दिया है और विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए क्रूर बल का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है। बुधवार को भी राज्य भर में यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से भी अपील की है कि वे स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ़ इंडिया, डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ़ इंडिया और आल इंडिया डेमोक्रेटिक विमेंस एसोसिएशन के आह्वान में शामिल हों। उन्होंने कहा कि क़स्बा में आयोजित किये गये फर्जी शिविर से साबित होता है कि कैसे आम लोगों को कोरोना महामारी के दौरान “जालसाजी” कर मूर्ख बनाया जा रहा है। 

उन्होंने कहा कि सरकार किसी भी असंतोष को दबाने के लिए अपने बाहुबल का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि जब सीएम इससे पहले सीबीआई से सामना हुआ, तब उस दौरान महामारी के लिए बनाये गए नियमों के तहत टीएमसी को सजा नहीं दी गई।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि टीएमसी सरकार ने हमेशा ही “घपलों और घपलेबाजों को” बचाने की कोशिश की है, जैसा कि चिट फण्ड घोटाले के दौरान उसने किया था और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राज्य में इस प्रकार के अनेकों घोटाले हो चुके हैं।

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें।

COVID-19: Left Front Protests Against Kasba Vaccine Scam Across West Bengal

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