Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

मणिपुर हिंसा के विरोध में बनारस में कैंडल मार्च, पीएम के रवैये पर जताया आक्रोश

''लोकतंत्र में हिंसा और ख़ासकर औरतों पर यौन हिंसा, बर्बरता यह बहुत परेशान करने वाला है, जिसे समाज बर्दाश्त नहीं करेगा।''
banaras

मणिपुर में महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाने और गैंगरेप की घटना के विरोध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आक्रोशित लोगों ने कैंडल मार्च निकाला और सरकार द्वारा सख्‍त कार्रवाई न करने पर नाराजगी जाहिर की। “मणिपुर हम शर्मिंदा हैं” के शीर्षक से दखल संगठन और एनएसयूआई की ओर से राजघाट और बीएचयू में निकाले गए कैंडल मार्च में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए, जिनमें महिलाओं की तादाद ज्यादा थी। आंदोलनकारियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ढुलमुल रवैये पर गुस्से का इजहार किया।

सर्वसेवा संघ परिसर से राजघाट तक निकाले गए कैंडल मार्च में शामिल महिलाओं और पुरुषों ने हिंसा, उत्पीड़न, उपद्रव व अराजकता के खिलाफ नाराजगी का इजहार किया। राजघाट पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने कहा कि मणिपुर से एक खतरनाक वीडियो सामने आया है, जिसको देखकर औरतें सो नहीं पा रही हैं। यह घटना ढाई महीने पहले की है और इस मामले में रिपोर्ट अब दर्ज की गई है। आरोपितों को गिरफ्तार करने में मणिपुर की पुलिस गंभीरता नहीं दिखा रही है। मणिपुर में 4 मई से हिंसा और यौन हिंसा हो रही है पर केंद्र सरकार चुप्‍पी मारे बैठी रही। इस वीडियो के आने पर भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औपचारिक बयान दिया किसी पर सख्‍त कार्रवाई नहीं की।

प्रदर्शनकारियों ने सभा में मांग की कि मणिपुर में हिंसा और अराजकता का जो तांडव चल रहा है उसे तुरंत खत्म किया जाए। वहां कुकी समुदाय की जिन दो आदिवासी महिलाओं की सड़क पर नग्न परेड कराई गई और उनके साथ गैंगरेप किया गया उसके लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तत्काल सख्त कार्रवाई की जाए। वक्ताओं ने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले को संज्ञान में लिया है और कहा है कि मणिपुर में जिन दो महिलाओं को नग्न कर घुमाने का जो वीडियो सामने आया है वह सचमुच परेशान करने वाला है। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने केंद्र और मणिपुर सरकार से कार्रवाई करने को कहा है। सीजेआई का कहना है कि इस तरह की हिंसा बिल्कुल अस्वीकार्य है। सांप्रदायिक झगड़े में महिलाओं को एक उपकरण के रूप में उपयोग करना दुर्भाग्यपूर्ण है। इसका जो वीडियो सामने आया है उससे हम बेहद परेशान हैं। अगर सरकार कार्रवाई नहीं करेगी तो हम करेंगे।

वक्ताओं ने कहा कि अब समय आ गया है कि सरकार सख्त कदम उठाए और कार्रवाई करे। लोकतंत्र में हिंसा और खासकर औरतों पर यौन हिंसा, बर्बरता यह बहुत परेशान करने वाला है, जिसे समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। चिंता की बात यह है कि केंद्र और मणिपुर सरकार ने अपराधियों को सजा दिलाने के लिए अभी तक कोई सख्‍त कदम नहीं उठाया है। वीडियो में दिखने वाला सीन सिहरन पैदा करने वाला है। मणिपुर में संविधान का खुलेआम उल्लंघन हो रहा है। महिलाओं को हिंसा के साधन के रूप में उपयोग करना बर्बर और अमानवीय कृत्य है।

सभा में राजघाट परिसर में सर्व सेवा संघ को बुलडोजर से ढहाने की भाजपा सरकार की साज़िश के खिलाफ और मणिपुर की भयावह घटना का प्रतिरोध किया गया। साथ ही अराजकता व हिंसा के लिए केंद्र और मणिपुर सरकार को जिम्मेदार ठहराया गया। वक्ताओं ने कहा कि गांधी हत्या के लिए दोषी विचारधारा के लोग इस समय सत्ता में है। इनकी वैचारिकी महिला विरोधी है। ये वंचितों को, पीड़ितों को, दलित महिला अल्पसंख्यको को दबाने की सोच रखते हैं। इनका मुखर प्रतिवाद जरूरी है। हिंसा, दुख और घृणा के दिन बदलने ही होंगे। नया भारत नया समाज बनाने के लिए संघर्ष को अब निर्णायक बनाना होगा।

दखल संगठन के नेतृत्व में आयोजित कैंडल मार्च का संचालन दीक्षा ने किया। कार्यक्रम में नीति, रणधीर, वंदना, एकता, नीतू, जगृति राही, अदिति, अफसाना, फातिमा, पूजा, रुखसाना, इन्दु, धनंजय, रवि, अनुज, राजीव यादव, जिंतेंद्र, नीरज, विवेक, डॉ. आरिफ, अमित, हरिश्चंद्र बिंद, जीवन राठौर, रामधीरज, उज्ज्वल, विनोद, आदि प्रमुख लोग मौजूद थे।

दूसरी ओर मणिपुर की घटना के विरोध में एनएसयूआई ने बीएचयू के एमएमवी चौराहे से लंका गेट तक कैंडल मार्च निकाला और लंका चौराहे पर सभा कर अपना प्रतिरोध दर्ज किया। सभा को संबोधित करते हुए आंदोलनकारियों ने कहा कि ढाई महीनों से मणिपुर हिंसाग्रस्त है और हर रोज वहां हत्या व रेप जैसी बर्बर घटनाएं हो रही हैं। खबरों को दबाने के लिए इंटरनेट को प्रतिबंधित कर दिया है, लेकिन स्थिति को सामान्य बनाने की कोशिश में सरकार नाकाम रही है। औरतों के साथ अमानवीय और बर्बर घटना के सामने आने के बाद भी प्रधानमंत्री का ढुलमुल रवैया उनकी मंशा पर सवालिया निशान लगा रहा है। वक्ताओं ने सवाल किया कि  क्या हिंसाग्रस्त मणिपुर हमारे देश का हिस्सा नहीं है? राष्ट्रपति से मणिपुर की सरकार को बर्खास्त करने की मांग की गई और वहां पिछले महीनों हुई हिंसा में आदिवासी महिलाओं के साथ हुई बर्बरता की जांच के लिए उच्च स्तरीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी गठित करने की मांग की।

सभा को अक्षय यादव, प्रज्ञा, सुमन, अर्पित आदि ने संबोधित किया। संचालन राजीव नयन और धन्यवाद ज्ञापन जितेंद्र ने दिया। इस मौके पर जंगबहादुर, शंभु, संजीत, कुंदन, राहुल, अमित, अभिषेक, जयप्रकाश, अतुल, मिषा, प्रियदर्शन, समरेंद्र समेत बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स मौजूद थे।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest