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दलित छात्र मौत मामला : राजधानी दिल्ली सहित देश भर में विरोध प्रदर्शन

स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले इलाज के दौरान राजस्थान के दलित छात्र इंद्र मेघवाल की मौत हो गई थी। मौत से पहले 20 जुलाई को मासूम छात्र मेघवाल को स्कूल के शिक्षक छैल सिंह ने कथित तौर पर मटके को छूने को लेकर बुरी तरह पीटा था जिससे छात्र बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया था।
दलित छात्र मौत मामला : राजधानी दिल्ली सहित देश भर में विरोध प्रदर्शन

राजस्थान में जालोर जिले के सुराणा गांव के तीसरी क्लास में पढ़ने वाले दलित छात्र इंद्र मेघवाल की मौत के मामले ने तूल पकड़ लिया है। मासूम की मौत को लेकर देशभर में नाराजगी है। जगह-जगह पर रैलियां निकाली जा रही है और दोषी शिक्षक को फांसी देने की मांग की जा रही है।

ज्ञात हो कि इस साल स्वतंत्रता दिवस से दो दिन पहले इलाज के दौरान दलित छात्र मेघवाल की मौत हो गई थी। मौत से पहले 20 जुलाई को मासूम छात्र मेघवाल को स्कूल के शिक्षक छैल सिंह ने मटके को छूने को लेकर बुरी तरह पीटा था जिससे छात्र बुरी तरह ज़ख़्मी हो गया था। रिपोर्ट के अनुसार इस पिटाई से बच्चे की कान की नस फट गई थी। इसके बाद उसको इलाज के लिए उदयपुर भेजा गया और वहां से अहमदाबाद रेफर कर दिया गया था जहां वहीं शनिवार को शाम चार बजे इलाज के दौरान बच्चे की मौत हो गई।

इस घटना को लेकर लोगों का विरोध बढ़ता जा रहा है। इसके ख़िलाफ़ मंगलवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर कई जनसंगठनों ने मिलकर धरना-प्रदर्शन किया। छात्र संगठन एसएफआई की दिल्ली इकाई ने कहा, यह मानुवादी जातिवादी सोच का घृणित उदाहरण है। दलित बच्चे द्वारा प्यास बुझाने के लिए हेडमास्टर के मटके से पानी पीने पर ऐसा जातिवादी हमला आज भी होगा, एकलव्य का अंगूठा काटने की पुरानी भारतीय सभ्यता का अंधकार युग फिर से लाने का प्रयास नहीं तो और क्या है?

संगठन ने आगे कहा कि वह ऐसे हमलों की कड़ी निंदा करता है और राजस्थान सरकार से मांग करता है कि छात्र इंद्र मेघवाल के परिवार को इंसाफ दिलवाया जाए।

जनसंगठनों के नेताओं ने कहा कि आज़ादी के 75 वें साल के तथाकथित अमृत-महोत्सव की पूर्व संध्या पर ये मामले सामने आए हैं। आगे कहा कि इस विद्यालय को निजी विद्यालय बताया जा रहा है। ध्यान रहे कि उसी राजस्थान में पिछले कुछ सालों में हजारों की संख्या में सरकारी स्कूलों को बंद किया गया है। दलितों, महिलाओं, पिछड़ों और गरीबों को मजबूर किया जा रहा है कि वे निजी स्कूलों में मंहगी फीस दें एवं सामंती जातिवादी ताकतों की हिंसा का भी शिकार हों।

इस जनसभा में राजस्थान सरकार द्वारा किए गए मात्र 5 लाख के मुआबजे की घोषणा को दिवालियापन करार दिया गया। इसमें मांग की गई कि इंद्र मेघवाल के परिवार को कम से कम 50 लाख की सहायता राशि दी जाए। साथी ही आरोपी शिक्षक की गिरफ़्तारी मात्र से नहीं बल्कि गंभीर धाराओं में चार्जसीट दाखिल करने एवं सजा सुनिश्चित करने के लिए राजस्थान सरकार कार्यवाही करे।

उधर जोधपुर में सोमवार को शाम के समय में बहुजन समाज के लोगों ने कलेक्ट्रेट से अंबेडकर सर्किल तक रैली निकाल प्रदर्शन किया और मांग की कि आरोपी शिक्षक को फांसी की सजा दी जाए। इसके साथ ही उन्होंने मांग की कि इस निजी स्कूल की संपत्ति को ज़ब्त किया जाए और मृतक छात्र के परिजनों को पचास लाख रुपए की आर्थिक सहायता के अलावा एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए। उन्होंने अपनी मांग को लेकर मुख्यमंत्री के नाम के एक ज्ञापन सौंपा।

आक्रोशित लोगों ने कहा कि देश को स्वतंत्र हुए 75 साल हो गए इसके बावजूद आज भी हमें छुआछूत का सामना करना पड़ रहा है। पानी की मटकी को हाथ लगा देने से इंद्र कुमार के साथ की गई मारपीट सामंतवादी मानसिकता को दर्शाता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही मांगों का समाधान नहीं किया गया तो पूरे प्रदेश में आंदोलन शुरू किया जाएगा।

बता दें कि जयपुर में भीम आर्मी के चार सदस्य मंगलवार को पानी की एक टंकी पर चढ़ गए। पुल‍िस के अनुसार, ये चारों जालौर के दल‍ित छात्र की मौत मामले में पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।

उधर छात्र इंद्र मेघवाल को न्याय दिलाने को लेकर क्लेक्टर ऑफिस भीलवाड़ा के समक्ष प्रदर्शन किया गया।

राजस्थान के जालौर जिला में नौ साल के इन्द्र मेघवाल की मौत को लेकर प्रेमकुमार ने ट्वीट करते हुए लिखा, हत्या करने वाले आरोपी पर जल्द से जल्द कड़ी कानून कार्यवाही की जाए और इन्द्र मेघवाल को न्याय दिया जाए इस मांग को लेकर 15 अगस्त 2022 को भारतीय विद्यार्थी मोर्चा ने भिलवाड़ा में बंद कर के विरोध प्रदर्शन किया ।

छात्र इंद्र की मौत के बाद भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। वही दूसरी तरफ पानी के मटके को छूने पर इतना पीटा गया कि जान ही चली गयी। आजादी के 75 साल बाद भी 9 साल के दलित बच्चे को जालोर मे जातिवाद का शिकार होना पड़ा। हमे पानी के मटके को छूने की भी आजादी नही! फिर क्यों आजादी का झूठा ढिंढोरा पीट रहे है?

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