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दिल्ली: बढ़ते मौत के आंकड़े के बीच अंतिम संस्कार के लिए किया जा रहा है कुत्तों के श्मशान का इस्तेमाल

राष्ट्रीय राजधानी में अप्रैल में अब तक 4,826 कोविड-19 रोगियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 2,500 से अधिक लोगों की मौत बीते सात दिन में हुई हैं। फरवरी में 57 जबकि मार्च में 117 रोगियों की मौत हुई थी।
दिल्ली: बढ़ते मौत के आंकड़े के बीच अंतिम संस्कार के लिए किया जा रहा है कुत्तों के श्मशान का इस्तेमाल

दिल्ली में पिछले दिनों कोरोना से मौतों का आकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है, जिस वजह से श्मशानों में लोगों को अंतिम संस्कार के लिए 16 से 20 घंटो का इंतज़ार करना पड़ रहा है। इन समस्याओं को थोड़ा काम करने के लिए द्वारका सेक्टर-29 में बन रहे राज्य के पहले कुत्तों के श्मशान घाट का इस्तेमाल लोगों के अंतिम संस्कार के लिए करने का निर्णय लिया गया है। दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एक अधिकारी ने कहा कि श्मशान घाटों में शवों की आमद 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है। इसलिए यहां एक अस्थाई शवदाहगृह बनाया गया है।  

दिल्ली में कोरोना महामारी से मची तबाही का मंजर श्मशान घाटों पर लगातार देखने को मिल रहा है। स्थिति यह है कि लोगों को अपने प्रियजनों के शवों का दाह संस्कार करने के लिए 20-20 घंटे तक का इंतजार करना पड़ रहा है।

यहां के एक श्मशान स्थल पर मंगलवार को 50 चिताएं जलीं। वहां कई शव पड़े हुए थे और कई अन्य वहां खड़े वाहनों में रखे हुए थे। कोरोना संक्रमण के कारण जान गंवाने वाले लोगों के परिजन अंत्येष्टि के लिए अपनी बारी के लिए प्रतीक्षारत थे।

ये दिल दहला देने वाला दुखद दृश्य नयी दिल्ली के श्मशान स्थलों के हैं।

‘मैसी फ्यूनरल’ की मालकिन विनीता मैसी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘‘मैंने अपने जीवन में कभी ऐसे खराब हालात नहीं देखे। लोग अपने प्रियजनों का शव लेकर भटक रहे हैं। दिल्ली के लगभग सभी श्मशान स्थल शवों से भर चुके हैं।’’

राष्ट्रीय राजधानी में अप्रैल में अब तक 4,826  कोविड-19 रोगियों की मौत हो चुकी है। इनमें से 2,500 से अधिक लोगों की मौत बीते सात दिन में हुई हैं। फरवरी में 57 जबकि मार्च में 117 रोगियों की मौत हुई थी।

अपने प्रियजन या रिश्तेदारों के अचानक से गुजर जाने के गम में डूबे लोगों को यह दुख भी सता रहा है कि वे अपनों को आखिरी विदाई भी नहीं दे पा रहे हैं।

लोग अपने निजी वाहनों या फिर एंबुलेंस से शवों को लेकर श्मशान पहुंच रहे हैं और फिर उन्हें एक के बाद दूसरे और फिर कई अन्य श्मशानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। उन्हें अपने पिता, माता, बेटे या बेटी का दाह संस्कार के लिए बहुत ही संघर्ष करना पड़ रहा है।

दिल्ली के अशोक नगर इलाके में रहने वाले अमन अरोड़ा के पिता एम एल अरोड़ा की सोमवार दोपहर दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई।

अमन कहते हैं, ‘‘पिता की तबीयत खराब होने के बाद हम उन्हें लेकर कई निजी अस्पतालों में गए, लेकिन स्वास्थकर्मियों ने उन्हें छुआ तक नहीं। वे कोरोना की जांच नेगेटिव होने का प्रमाणपत्र मांगते रहे। इस तरह से उनकी मौत हो गई।’’

उनका कहना है कि पश्चिमी दिल्ली के सुभाष नगर श्मशान घाट के कर्मचारियों ने सोमवार दोपहर को उन्हें बताया कि उनके पिता का अंतिम संस्कार मंगलवार सुबह ही हो पाएगा।

श्मशान में लकड़ी की कमी को लेकर महापौर ने लिखी चिठ्ठी

कोरोना से मौत के मामलों में हो रही तेज वृद्धि के कारण निगम द्वारा संचालित श्मशानों में चिता की लकड़ियों की कमी के बीच उत्तरी दिल्ली के महापौर जय प्रकाश ने बुधवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से अनुरोध किया कि वह वन विभाग को इन श्मशानों में लकड़ियों की सुगम आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दें। साथ ही उन्होंने शवों को लाने के लिए करीब 100 शव वाहन की समय रहते व्यवस्था हो इसके लिए दिल्ली सरकार तुरंत प्रभावी कदम उठाने का आग्रह भी किया।

प्रकाश ने केजरीवाल को चिट्ठी में लिखा, “आपसे अनुरोध है कि वन विभाग को बिना किसी रुकावट के इन श्मशानों में लकड़ी की आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दें।”

कोविड-19 महामारी के दूसरे दौर में न केवल अस्पतालों जबकि श्मशानों में भी कतारें लगी हुई हैं। शवों की संख्या इतनी ज्यादा है कि श्मशानों को उनके अंतिम संस्कार के लिए अतिरिक्त चबूतरे बनाने पड़ रहे हैं।

प्रकाश ने पत्र में लिखा, 'कृपा करके वन विभाग को उचित निर्देश दें ताकि श्मशान निर्बाध तरीके से अपना काम जारी रख सकें और शोकाकुल परिवारों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हो।'

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ)

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