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दिल्ली : गिग वर्कर्स का विरोध प्रदर्शन, कहा 'हम मिलकर अपने हक में देशव्यापी क़ानून बनवाएंगे'

इस संयुक्त मंच के माध्यम से एक बड़ा और देशव्यापी सांझा आंदोलन करेंगे। इसी कड़ी मे आज ये आंदोलन हुआ और आज हम केन्द्रीय श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव को एक ज्ञापन सौंप रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार हमारे हक में एक देशव्यापी क़ानून लेकर आएगी।"
gig workers

कल 27 जुलाई को गिग और प्लेटफ़ॉर्म वर्कर्स ने संसद भवन के पास जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में अलग गिग वर्कर यूनियन के लोग शामिल हुए। अब तक, देश के 15 मिलियन गिग और प्लेटफ़ॉर्म कर्मचारी अलग-अलग विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। बीते दिनों बड़े पैमाने पर स्थानीय और राज्य स्तर पर अमानवीय कार्य की परिस्थिति बदलाव और सामाजिक एंव आर्थिक सुरक्षा की मांग को लेकर आंदोलन हुए। अब, देश भर के गिग वर्कर्स और उनकी प्रतिनिधि यूनियनों ने एकजुट संघर्ष करने के लिए एक संयुक्त मंच बनाया है, जिसे उन्होंने National Coordination Committee on Gig Workers का नाम दिया है। इसी मंच के तहत गुरुवार को दिल्ली मे एक सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया। जिसमें देश भर के गिग वर्कर और उनके प्रतिनिधि यूनियन एकजुट हुए और राष्ट्रीय स्तर पर संगठित होने के लिए एक साथ आने का संकल्प लिया।

इस प्रदर्शन में अमेज़न, स्विगी, जोमैटो, अर्बन कंपनी, ओला, उबर, ब्लिंकिट सहित कई अन्य ऑनलाइन प्लटेफॉर्म के वर्कर्स शामिल हुए थे।   इन कर्मचारियों ने बताया कि वो अमानवीय स्थति मे काम करते हैं और उनके कोई अधिकार नहीं है। अमेज़न के वेयर हाउस में पैकाइजिंग का काम करने वाली नेहा ने कहा कि हमें एक घंटे मे 280 पैकेट पैक करना होते हैं। उन्होंने हमें एक वीडियो दिखाया जिसमें वो किसी रोबोट की तरह काम करती दिख रही हैं। वो एक मिनट मे लगभग पाँच पैकेट पैक करती हैं।

ये सिर्फ एक नेहा की नहीं बल्कि पूरे वेयर हाउस में काम करने वाले हजारों कर्मचारियों की स्थति है। नेहा ने आगे कहा कि उन्हें इस काम के लिए महीने में केवल 1088 रुपए वेतन मिलता है। इसके साथ ही वहाँ काम करने की स्थति बेहद खराब है। नेहा ने कहा यहाँ कर्मचारी का अंतहीन शोषण होता है लेकिन उसके लिए कोई जन सुरक्षा की सुविधा नहीं है जबकि कानून में कहा गया है कि जिन महिलाओं के छोटे बच्चे हैं उनके लिए क्रेच की व्यवस्था हो लेकिन ऐसा कुछ नहीं है। दूसरा टारगेट पूरा नहीं होने पर कंपनी आइडी ब्लॉक कर देती है।

आपको बता दें कि गिग अर्थव्यवस्था मे आइडी ब्लॉक करना एक तरीके से कर्मचारी को बेदखल करने जैसा होता है। क्योंकि ये कर्मचारी आइडी लॉगिन करके ही काम करते हैं और अगर इसे ब्लॉक कर दिया जाता है तो ये काम नहीं कर पाएंगे।

बीते दिनों हमने देखा था कि अर्बन कंपनी के कर्मचारियों ने देशभर मे इस आइडी ब्लॉक सिस्टम के खिलाफ आंदोलन किया था। ये समस्या हर गिग प्लेटफॉर्म के साथ है। अभी कुछ महीने पहले जब ऑनलाइन डिलीवरी कंपनी ब्लिंकिट के कर्मचारी पैसे बढ़ाने के लिए आंदोलन कर रहे थे तो कंपनी चुप चाप आंदोलनकारी कर्मचारियों के आइडी ब्लॉक कर रही थी। इसका सीधा मतलब है कि वो इन्हें काम से हटा रही थी।

हालांकि ये कंपनियां इन्हें कर्मचारी नहीं मानती है वो इन्हें अपना पार्टनर कहती हैं। इसको लेकर भी लंबे समय से आंदोलन चल रहे हैं कि इन्हें पार्टनर नहीं बल्कि कर्मचरी का दर्जा दिया जाए। मेहनतकश एसोसिएशन के नेता निर्मल अग्नि ने कहा, "कंपनी अगर कर्मचारी को पार्टनर समझती है तो उन्हें अपने मुनाफे में से हिस्सा क्यों नहीं देती है? ये पार्टनर के नाम पर कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित कर उन्हें आधुनिक गुलाम बनाने की व्यवस्था है। इसके खिलाफ हम सभी मिलकर लड़ेंगे।"

देश में अभी भी इनके लिए कोई ठोस कायदा कानून नहीं है। हालांकि लंबे संघर्ष के बाद राजस्थान पहला राज्य है जहां सरकार इनके सामाजिक सुरक्षा के लिए एक कानून लेकर आई है। हालांकि उसमें भी इनकी आर्थिक सुरक्षा को लेकर कोई बात नहीं लेकिन इसके बाद भी गिग वर्कर यूनियन इसका स्वागत कर रही क्योंकि देश ही नहीं दुनिया का ये पहला कानून है जो गिग वर्कर को कामगार का दर्जा देता है।

राजस्थान ऐप आधारित श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष धर्मेन्द्र वैष्णव ने कहा, "ये कानून हमारे लंबे और सांझे संघर्ष से मिला है। हालांकि इसमें अभी कई सुधार होने चाहिए लेकिन इसके बाद भी हम सरकार का धन्यवाद देते हैं कि उसने कम से कम हमारी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित की है।"

हमला पंचायत के नेता चंदन कुमार ने कहा, "हम इस कानून का स्वागत जरूर करते है; लेकिन अभी भी हमारी मांग है की गिग वर्कर को पार्टनर नहीं बल्कि एक फैक्ट्री मजदूरों के सारे अधिकार मिले। इसके साथ सभी गिग प्लटेफॉर्म पर सभी श्रम कानून लागू हों।"

महाराष्ट्र में पहली बार कंपनी, मजदूर और श्रम विभाग के बीच त्रिपक्षी वार्ता शुरू हुई है। इस वार्ता का हिस्सा रहे राष्ट्रीय मजदूर संघ के नेता सुनील शिंदे ने कहा, "एक दौर की वार्ता हुई है और दूसरी वार्ता अगस्त में होनी है। उम्मीद है इससे कामगारों के पक्ष मे कुछ सकरात्मक निकल सकेगा।"

आपको बता दें यूनियन अर्बन कंपनी के खिलाफ श्रम विभाग में गई थी जिसके बाद ये वार्ता शुरू हुई है।

अमेजन इंडिया वर्कर्स कमेटी की अध्यक्ष मंजु गोयल ने कहा, "हम आजतक अलग अलग संघर्ष कर रहे थे। लेकिन इस संयुक्त मंच के माध्यम से एक बड़ा और देशव्यापी सांझा आंदोलन करेंगे। इसी कड़ी मे आज ये आंदोलन हुआ और आज हम केन्द्रीय श्रम मंत्री भूपेन्द्र यादव को एक ज्ञापन सौंप रहे हैं। उम्मीद करते हैं कि केंद्र सरकार हमारे हक में एक देशव्यापी क़ानून लेकर आएगी।"

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