Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

फ़ैक्ट चेकः योगी आदित्यनाथ ने जर्जर स्कूल की तस्वीर ग़लत दावे के साथ साझा की

सवाल उठता है कि क्या जिस जर्जर स्कूल की तस्वीर को साझा किया गया है, वो सचमुच वर्ष 2017 से पहले की यानी सपा शासनकाल की है? आइये! पड़ताल करते हैं-
Yogi

योगी आदित्यनाथ ने 3 फरवरी 2022 को उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्कूलों की स्थिति के बारे में एक ट्वीट किया। ट्वीट में तस्वीरों के जरिये फर्क दिखाया गया है कि 2017 से पहले स्कूलों की हालत कितनी जर्जर थी और 2017 के बाद प्राथमिक स्कूलों की काया बदल गई है। अब सवाल उठता है कि क्या जिस जर्जर स्कूल की तस्वीर को साझा किया गया है, वो सचमुच वर्ष 2017 से पहले की यानी सपा शासनकाल की है? आइये! पड़ताल करते हैं।

जांच-पड़ताल

जब जर्जर स्कूल की फोटो के बारे में खोजबीन की गई तो हमें अमर उजाला की एक रिपोर्ट मिली। रिपोर्ट का शीर्षक था “जर्जर स्कूलों में पढ़ने को मजबूर हैं नौनिहाल”। अमर उजाला की इस रिपोर्ट के साथ वो फोटो छपा है जो योगी आदित्यनाथ की ट्वीट में इस्तेमाल किया गया है। अमर उजाला ने फोटो को कैप्शन दिया है “नगर स्थित प्राथमिक विद्यालय का जर्जर भवन”। रिपोर्ट मिर्ज़ापुर के स्कूलों के बारे में है और 6 अप्रैल 2018 को प्रकाशित हुई थी। यानी स्पष्ट है कि फोटो 2017 से पहले का नहीं बल्कि बाद का है। ये जर्जर स्कूल की फोटो सपा शासनकाल की नहीं बल्कि योगी सरकार के शासनकाल की ही है।

image

अमर उजाला की रिपोर्ट में बकायदा मिर्ज़ापुर ज़िले में जर्जर स्कूली भवनों की सूच प्रकाशित की गई है। रिपोर्ट में बेसिक शिक्षा विभाग के ज़िला समन्वयक अजय श्रीवास्तव के हवाले से लिखा गया है कि ज़िला के 207 स्कूलों के भवन जर्जर अवस्था में हैं।

योगी आदित्यनाथ द्वारा साझ किये गये ट्वीट में इस्तेमाल की गई दूसरी चमकदार स्कूल की तस्वीर लखनऊ, नरही प्राथमिक पाठशाला की है। ये तस्वीर 1 मार्च 2021 को एक वेब पोर्टल न्यूज़रूम पोस्ट पर प्रकाशित की गई थी। तस्वीर उस समय की बताई गई है जब योगी आदित्यनाथ स्कूल के नििक्षण के लिए अचानक स्कूल में पहुंच गये थे। वेबसाइट पर इस मौके की अन्य तस्वीरें भी मौजूद हैं।

निष्कर्ष

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जर्जर स्कूल की जो तस्वीर साझा की है, वो 2017 से पहले की नहीं बल्कि 2017 के बाद की है। इसलिये योगी आदित्यनाथ द्वारा किया गया दावा और ट्वीट भ्रामक है।

(लेखक स्वतंत्र पत्रकार एवं ट्रेनर हैं। आप सरकारी योजनाओं से संबंधित दावों और वायरल संदेशों की पड़ताल भी करते हैं। )

इसे भी पढ़े : फ़ैक्ट चेक : संबित ने जर्जर स्कूलों को सपा सरकार का बताया, स्कूल योगी सरकार के निकले

फ़ैक्ट चेकः योगी का दावा ग़लत, नहीं हुई किसानों की आय दोगुनी

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest