NewsClick

NewsClick
  • English
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • हमारे लेख
  • हमारे वीडियो
search
menu
image/svg+xml
  • सारे लेख
  • न्यूज़क्लिक लेख
  • सारे वीडियो
  • न्यूज़क्लिक वीडियो
  • राजनीति
  • अर्थव्यवस्था
  • विज्ञान
  • संस्कृति
  • भारत
  • अंतरराष्ट्रीय
  • अफ्रीका
  • लैटिन अमेरिका
  • फिलिस्तीन
  • नेपाल
  • पाकिस्तान
  • श्री लंका
  • अमेरिका
  • एशिया के बाकी
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें
सब्सक्राइब करें
हमारा अनुसरण करो Facebook - Newsclick Twitter - Newsclick RSS - Newsclick
close menu
आंदोलन
मज़दूर-किसान
भारत
राजनीति
किसान आंदोलन: किसानों का राजभवन मार्च, कई राज्यों में पुलिस से झड़प, दिल्ली के लिए भी कूच
देश के कई राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तरखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, तमिलनाडु, असम, बिहार आदि में किसान संगठनों ने किया प्रदर्शन। इसमें कई राज्यों में प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई। कई राज्यों से किसान दिल्ली के लिए भी रवाना हुए हैं।
न्यूज़क्लिक रिपोर्ट
23 Jan 2021
किसान आंदोलन

देशभर के किसान पिछले दो महीने से नए विवादित कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने आज 23 जनवरी को राज्यों के राजभवन के घेराव का आह्वान किया। इसी के तहत देश के कई राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तरखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, तमिलनाडु, असम, बिहार आदि में प्रदर्शन हुए। इसमें कई राज्यों में प्रदर्शनकारियों की पुलिस से झड़प भी हुई। इसी दौरान 26 तारीख़ को दिल्ली में ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए भी कई राज्यों से जत्थे दिल्ली के रवाना हुए हैं। इस दिन ज़िला मुख्यालयों और राज्यों की राजधानियों में भी किसान परेड करेंगे।

तमिलनाडु: किसान और मज़दूरों ने तीनों कानूनों के रद्द होने तक लड़ने का लिया संकल्प

चेन्नई में राजभवन घेराव के लिए बड़ी संख्या में किसान और मज़दूर एकत्रित हुए। सभी ने मिलकर बीजेपी की केंद्र सरकार के मज़दूर-किसान विरोधी रवैये के खिलाफ मिलकर लड़ने की सौगंध खाई। ऑल इंडिया किसान संघर्ष कॉर्डिनेशन कमेटी (AIKSCC) और ट्रेड यूनियनों के नेताओं ने किसानों की चिंताओं को दूर करने में केंद्र और राज्य सरकारों के असंवेदनशील रवैये की निंदा की। इस विरोध प्रदर्शन के बाद हजारों किसानों और श्रमिकों को हिरासत में लिया गया।

किसान विरोधी कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर AIKSCC 26 जनवरी को सभी जिलों में ट्रैक्टर रैली निकलने का भी आह्वान किया गया।

सेंटर ऑफ इंडियन ट्रेड यूनियंस (सीटू) के राज्य अध्यक्ष एक सौंदराजन (A Soundararajan) ने कहा, "दिल्ली की सीमाओं और देश भर में किसानों का ऐतिहासिक विरोध जारी है। भाजपा सरकार तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के बजाय, आंदोलन को तोड़ने का सहारा ले रही है। यहां तक कि उन्हें अलगाववादी और आतंकवादी भी कह रही है।"

नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की किसान विरोधी नीतियों पर बात करते हुए, साउंडराजन ने कहा, " ये सरकार गायों की रक्षा के लिए काम करती है परन्तु वो श्रमिकों की नौकरियों की रक्षा करने में पूरी तरह असमर्थ है। किसानों और श्रमिकों की एकता यह सुनिश्चित करेगी कि ये सरकार किसान मज़दूरों की मांग माने। ”

अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने पुलिस बल का उपयोग कर के किसानों के विरोध को दबाने की कोशिश जारी है। वो गणतंत्र दिवस की ट्रैक्टर रैली में भाग लेने के भयानक परिणाम के ट्रैक्टर मालिकों को पुलिस कथित तौर पर धमकी दे रही है।

अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की राज्य इकाई के महासचिव पी० शनमुगम (P Shanmugam) ने विरोध को संबोधित करते हुए कहा, "एआईकेएससीसी ने खेती कानूनों को वापस लेने तक विरोध प्रदर्शन जारी रखने का फैसला किया है। यहां अन्नाद्रमुक किसानों के विरोध को दबा रही है। कोई अन्य सरकार यह नहीं कर रही है। हमने शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर रैली आयोजित करने का फैसला किया है। "

गुवाहाटी: पुलिस ने राजभवन मार्च की अनुमति नहीं दी

देशभर में चल रहे किसान आंदोलन और तीन कृषि बिलों के खिलाफ एकजुटता दिखते हुए असम के गुवाहाटी में विभिन्न संगठनों द्वारा 'राजभवन मार्च' आयोजित किया गया। आज यह मार्च इसलिए किया गया था क्योंकि 23 जनवरी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्मदिवस था।

असम की राज्य की राजधानी गुवाहाटी में हजारों लोग इकट्ठा हुए, लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आगे मार्च करने से मना कर दिया। पुलिस के साथ भारी संघर्ष के बाद प्रदर्शनकारियों ने एक प्रदर्शन का आयोजन किया जहां विभिन्न संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं और कार्यकर्ताओं ने मोदी सरकार के खिलाफ रोष व्यक्त किया और दृढ़ता से खेती के बिल को निरस्त करने की मांग की।

आज, पीएम नरेंद्र मोदी भी असम पहुंचे हैं और उन्होंने एक लाख लाभार्थियों को भूमि पट्टिका (भूमि पट्टे का मालिकाना हक) वितरित किया है। लेकिन पीएम की यात्रा शिवसागर जिले से शुरू हुई जो गुवाहाटी से लगभग 400 किलोमीटर दूर है। पुलिस ने पीएम के दौरे का बहाना बता कर राजभवन तक मार्च को अस्वीकार कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने फिर भी एसीपी (सहायक पुलिस आयुक्त), गुवाहाटी के माध्यम से असम के राज्यपाल को एक ज्ञापन सौंपा।

छत्तीसगढ़: राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप, गणतंत्र परेड के लिए दिल्ली रवाना हुए सैकड़ों किसान

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा के देशव्यापी आह्वान पर आज छत्तीसगढ़ किसान सभा और आदिवासी एकता महासभा सहित छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन से जुड़े कई घटक संगठनों द्वारा पूरे प्रदेश में कई जगह राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपे गए। केन्द्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में गणतंत्र दिवस के अवसर पर होने वाले ट्रैक्टर मार्च में शामिल होने के लिए हजारों की तादाद में किसान, ज्ञापन पत्र सौंप, दिल्ली के लिए रवाना हो गए. यह किसान परेड में छत्तीसगढ़ का प्रतिनिधित्व करेंगे।

बिहार: कई जिलों में किसानों का प्रदर्शन

बिहार में भी किसान सभा और मज़दूर संगठन ने कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किया। बिहार के दरभंगा में बिहार किसान सभा के नेता ललन चौधरी ने कहा कि ये सरकार किसान और खेती को खत्म करने वाले कानून लाई है। हम इसकी वापसी तक संघर्ष करेंगे।

इसके अलावा विपक्ष ने भी कृषि कानूनों के खिलाफ राज्य भर में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। शुक्रवार को विपक्ष तीन कृषि कानून को वापस लेने और एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की मांग को ले कर महात्मा गांधी के बलिदान दिवस, 30 जनवरी को राज्य स्तरीय मानव श्रृंखला के आयोजन को ऐतिहासिक बनाने की घोषणा की गई।

सी.पी.एम. के राज्यसचिव अवधेश सिंह ने कहा किसान आंदोलन के पक्ष में महागठबंधन के आह्वान पर मानव श्रृंखला ऐतिहासिक होगी। राजधानी से लेकर सुदूर गावों तक लाखों किसान शामिल होंगे। उन्होंने इसमें श्रमिक, छात्र, युवा, महिला, कर्मचारी, शिक्षक, लेखक, सांस्कृतिक कर्मी संगठनों से भी एकजुटता में शामिल होने का भी आह्वान किया।

उत्तर प्रदेश: पुलिस प्रशासन के सख़्त इंतज़ाम के बाद भी सैकड़ों ट्रैक्टर लेकर किसान राजधानी पहुंचे

उत्तर प्रदेश पुलिस पर लगातार आरोप लग रहे हैं कि वो किसान आंदोलन में शामिल हो रहे किसानों को डरा धमका रही हैं। शनिवार के राजभवन मार्च से पहले ही पुलिस ने राज्यभर में किसान नेताओं लखनऊ न आने को कहा था। इसके लिए पूरे राज्य में भारी पुलिस बल का इंतज़ाम था, यहां तक कई नेताओं को उनके घर में ही नज़रबंद किया गया है। अखिल भारतीय किसान सभा फरूखाबाद के संयोजक सुनील कटारिया को भी चार दिनों के लिए उनके निवास स्थान पर भी बंद कर दिया गया।

हालांकि उनकी तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि किसान सभा द्वारा आयोजित कार्यक्रम तब तक जारी रहेगा जब तक कि केंद्र सरकार अपने तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती है।

देवरिया के भारतीय किसान यूनियन के कार्यकर्ता देवरिया पुलिस को चकमा दे कर शहर से निकल गए। बाद में जानकारी होने पर कार्यकर्ताओं को पुलिस ने फैजाबाद में रौनाही टोल प्लाजा के समीप से शनिवार की भोर में तीन बजे गिरफ्तार कर लिया गया।

आज शनिवार को किसान जब लखनऊ में राजभवन घेरने के लिए निकले तो पुलिस ने बनी के पास बल्ली लगाकर उन्हें रोक दिया।

बता दें कि प्रशासन ने अवध और पूर्वांचल के जिलों के भाकियू कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए जिले भर में कई जगह बैरीकेडिंग की है। इसके बावजूद शुक्रवार रात तक करीब 300 ट्रैक्टर सुल्तानपुर रोड़ पर कासिमपुर बिरहुवा गांव पहुंच गए थे।

तीनों कृषि कानूनों की वापसी समेत विभिन्न मांगों को लेकर राजभवन घेरने लखनऊ पहुंचे किसानों के 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने किसान नेता हरनाम सिंह के नेतृत्व में शनिवार को राजभवन में प्रदेश के राज्यपाल से मुलाकात की और उन्हें ज्ञापन सौंपा।

एमपी: कांग्रेस का राजभवन मार्च, पुलिस ने किया बल प्रयोग

संयुक्त मोर्चे के देशभर में राजभवन घेराव के समर्थन में मध्य प्रदेश (एमपी) कांग्रेस पार्टी ने शनिवार को राजभवन की ओर कूच किया। मोर्चे का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ कर रहे थे। उनका मार्च और किसान बड़ी संख्या में जवाहर चौक पहुंचे रोशनपुरा आते-आते प्रदर्शनकारी को पुलिस ने रोक लिया। जिसके बाद प्रदर्शनकारियो बैरिकेड तोड़ दिए और आगे बढ़े। इस प्रदर्शन में महिलाएं भी शामिल थे। जिसके बाद वहां मौजूद पुलिसभीड़ तितर-बितर करने के लिए बल प्रयोग किया और आंसू गैस के गोले छोड़े।

इसी तरह त्रिपुरा में भी किसान सभा और सी.पी.एम. के लोगों ने राजभवन मार्च किया।

महाराष्ट्र: हज़ारों गाड़ियों का जत्था नासिक से मुंबई के लिए निकला

शनिवार को बड़ी संख्या में किसान नासिक से मुंबई के लिए निकले जहाँ वो 25 जनवरी को आज़ाद मैदान में बड़ी रैली करने वाले हैं। महाराष्ट्र किसान सभा के सचिव अजीत नवले के मुताबिक 20 हज़ार गाड़ियों का काफिला मुंबई आ रहा है ,वो 26 जनवरी को हज़ारों की संख्या में राजभवन तक मार्च करेंगे।

इसी तरह उत्तराखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में भी किसानों ने प्रदर्शन किया। दिल्ली बार्डर पर किसान आंदोलन की अगुवाई कर रही संयुक्त किसान संघर्ष समिति ने 23 जनवरी को राजभवन घेराव के अलावा 26 जनवरी को राजधानी दिल्ली व जिलों में ट्रैक्टर परेड का आह्वान किया है। जब कि हरियाणा पंजाब में भी बड़ी संख्या में किसान 26 जनवरी के किसान परेड की तैयारी कर रहे हैं।

पंजाब: किसान आंदोलन के समर्थन में तीन दिनों तक दुकानें बंद रखेंगे आढ़तिये

पंजाब के आढ़तिये दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर परेड के समर्थन में 25 जनवरी से तीन दिनों के लिये अपनी दुकानें बंद रखेंगे। पंजाब के आढ़तिया संघ के अध्यक्ष विजय कालरा ने कहा, 'हमने फैसला किया है कि ट्रैक्टर रैली के समर्थन में 25, 26 और 27 जनवरी को कोई कामकाज नहीं होगा।'

कालरा ने कहा, 'इन तीन दिन के दौरान हम टिकरी और सिंघू बॉर्डरों पर किसानों के प्रदर्शन में शामिल होंगे।'

केन्द्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहीं किसान यूनियनों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में ट्रैक्टर परेड निकालने की योजना बनाई है। 

Uttar pradesh
UTTARAKHAND
Madhya Pradesh
Chhattisgarh
Tripura
tamil nadu
Assam
Bihar
farmers protest
Farm bills 2020
DILLI CHALO
Farmers union
AIKSCC
AIKS

Trending

100 दिनः अब राजनीतिक मार करेंगे किसान
अक्षर-अश्विन की फिरकी में फंसी इंग्लैंड टीम, भारत श्रृंखला जीतकर विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप फाइनल में
तापसी पन्नू, कश्यप ने छापेमारी के बाद पहली बार अपनी बात रखी, ‘दोबारा’ की शूटिंग फिर से शुरू की
लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: सड़क से कोर्ट तक संघर्ष करती महिलाएं सत्ता को क्या संदेश दे रही हैं?
#HinduITcell​ ट्रैकिंग ब्रिगेड बेनक़ाब?

Related Stories

kisan protest
न्यूज़क्लिक डेस्क
इतवार की कविता: “काश कभी वो वक़्त ना आए/ जब ये दहक़ां लौट के जाएँ/ गाँव की हदबंदी कर लें…”
07 March 2021
बिहार के बजट में आंकड़ों की बाजीगरी : सिक्की
अनीश अंकुर
बिहार के बजट में आंकड़ों की बाजीगरी : सिक्की
07 March 2021
जिस तरह से केंद्र के बजट पर चर्चा होती है, उस तरह से राज्यों के बजट पर चर्चा नहीं होती है। राज्य में भी बिहार का तो और बुरा हाल रहता है। लेकिन इस ब
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
सोनिया यादव
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: सड़क से कोर्ट तक संघर्ष करती महिलाएं सत्ता को क्या संदेश दे रही हैं?
07 March 2021
यूं तो आप हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च के अवसर पर महिलाओं को स्पेशल फील करवाने वाली कई खबरें और सरकारी बयानों को पढ़ते होंगे, लेकिन आज

Pagination

  • Next page ››

बाकी खबरें

  • kisan protest
    न्यूज़क्लिक डेस्क
    इतवार की कविता: “काश कभी वो वक़्त ना आए/ जब ये दहक़ां लौट के जाएँ/ गाँव की हदबंदी कर लें…”
    07 Mar 2021
    दिल्ली की सरहद पर किसान आंदोलन अपने सौ दिन पूरे कर चुका है। इन सौ दिनों में किसानों ने क्या कुछ नहीं झेला। ‘इतवार की कविता’ में पढ़ते और सुनते हैं इन्हीं सब हालात को बयान करती शायर और वैज्ञानिक गौहर…
  • तिरछी नज़र : सरकार की कोशिश है कि ग़रीब ईश्वर के नज़दीक रहें
    डॉ. द्रोण कुमार शर्मा
    तिरछी नज़र : सरकार की कोशिश है कि ग़रीब ईश्वर के नज़दीक रहें
    07 Mar 2021
    ये पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस के बढ़ते दाम, ये खाने पीने की चीजों के बढ़ते दाम, बढ़ता हुआ रेल भाड़ा, ये सब देश की जनता को आध्यात्मिक ऊंचाई पर पहुंचाने का, ईश्वर के नज़दीक ले जाने का सरकारी प्रयास है।
  • लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
    असद रिज़वी
    लखनऊ में महिला दिवस पर कोई रैली या सार्वजनिक सभा करने की इजाज़त नहीं!
    07 Mar 2021
    कोविड-19 के नाम पर राजधानी में 5 अप्रैल तक धारा-144 लागू है। महिला संगठनों का कहना है कि ऐसा पहली बार होगा कि महिला दिवस का आयोजन केवल सभागारों की चारदीवारी तक सीमित रह जायेगा।
  • बिहार के बजट में आंकड़ों की बाजीगरी : सिक्की
    अनीश अंकुर
    बिहार के बजट में आंकड़ों की बाजीगरी : सिक्की
    07 Mar 2021
    बिहार बजट सरप्लस बजट होता है, जबकि जहाँ भी विकास हुआ है वो डेफिसिट बजट होता है। जो बिहार विकास के मानकों पर इतना पीछे है, उसमें सरप्लस बजट आना अजीब लगता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
    सोनिया यादव
    अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस: सड़क से कोर्ट तक संघर्ष करती महिलाएं सत्ता को क्या संदेश दे रही हैं?
    07 Mar 2021
    एक ओर शाहीन बाग़ से लेकर किसान आंदोलन तक नारे लगाती औरतों ने सत्ता की नींद उड़ा दी है, तो वहीं दूसरी ओर प्रिया रमानी की जीत ने सत्ता में बैठे ताक़तवर लोगों के खिलाफ महिलाओं को खुलकर बोलने का हौसला…
  • Load More
सब्सक्राइब करें
हमसे जुडे
हमारे बारे में
हमसे संपर्क करें