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नरसंहार का पैटर्न और नीति : आईसीजे ने इज़राइल के ख़िलाफ़ दक्षिण अफ़्रीका की याचिका पर सुनवाई शुरू की

अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने इज़राइल पर ग़ज़ा में नरसंहार का आरोप लगाने वाली दक्षिण अफ़्रीका की याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। दक्षिण अफ़्रीका इज़राइल की सैन्य आक्रामकता को रोकने के लिए तत्काल क़दम उठाने की मांग कर रहा है, जिसमें अब तक 23,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं।
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आईसीजे में मौजूद दक्षिण अफ़्रीकी प्रतिनिधिमंडल के सदस्य। फोटो: आईसीजे

11 जनवरी को, दक्षिण अफ़्रीका ने अपने ऐतिहासिक केस में इज़राइल पर गज़ा पट्टी में नरसंहार करने का आरोप लगाते हुए अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) के सामने अपनी दलीलें पेश कीं। गुरुवार सुबह जैसे ही कार्यवाही शुरू हुई, हेग में अदालत के बाहर सैकड़ों लोग जमा हो गए और "नरसंहार बंद करो, नरसंहार बंद करो" और "हम सभी फ़िलिस्तीनी हैं" के नारे गूंजने लगे।

दक्षिण अफ़्रीका की ओर से छह वकीलों वाली एक टीम ने दलीलें दीं- जिसमें आदिला हासिम, टेम्बेका न्गकुकैतोबी, मैक्स डू प्लेइस, वॉन लोव, ब्लिन नी घ्रलाघ और जॉन डुगार्ड शामिल थे।

आईसीजे में न्यायाधीशों का 15 सदस्यीय पैनल है, जिनमें से प्रत्येक न्यायधीश अलग-अलग देशों से हैं और इन्हे संयुक्त राष्ट्र महासभा और सुरक्षा परिषद नौ साल के कार्यकाल के लिए चुनती है। इस केस में इज़राइल और दक्षिण अफ़्रीका ने पैनल में बैठने के लिए अपने-अपने एक तदर्थ न्यायाधीश को नामित किया है।

दक्षिण अफ़्रीका ने तर्क दिया है कि "रंगभेद, निष्कासन, जातीय सफाई, विलय, कब्ज़ा, भेदभाव और फ़िलिस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार से इनकार करने की पृष्ठभूमि के मद्देनज़र - इज़राइल, विशेष रूप से 7 अक्टूबर, 2023 से, नरसंहार को रोकने में पूरी तरह से विफल रहा है और नरसंहार के लिए प्रत्यक्ष और सार्वजनिक नुकसान पर काबू पाने में विफल रहा है।

याचिका में तर्क दिया गया है कि यह नरसंहार के अपराध की रोकथाम और सजा पर 1948 कन्वेंशन के तहत इज़राइल के दायित्वों का उल्लंघन है।

गुरुवार को आईसीजे को संबोधित करते हुए, नीदरलैंड में दक्षिण अफ़्रीका के राजदूत, वुसिमुज़ी मदोन्सेला ने कहा कि प्रिटोरिया निज़ाम ने "1948 से ही इजरायल के उपनिवेशीकरण के ज़रिए फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ चलाए जा रहे नक़बा को मान्यता दी थी", और तब से  फ़िलिस्तीनियों के विरुद्ध "इजरायली नरसंहार और उनके अवैध कृत्यों को जैसे इजाज़त मिल गई और गुनाहों एक बड़ी ज़ंजीर बनती जा रही है।

यही बात न्याय मंत्री रोनाल्ड लामोला ने दोहराई, जिन्होंने कहा कि फ़िलिस्तीनी लोगों ने "पिछले 76 वर्षों से, 6 अक्टूबर 2023 को और 7 अक्टूबर 2023 से हर दिन व्यवस्थित उत्पीड़न और हिंसा को झेला है।"

फ़िलिस्तीनी लोगों को "अत्याधिक, गंभीर और अपूरणीय क्षति" से बचाने के लिए, और यह देखते हुए कि इज़राइल ने "अपने सैन्य अभियान को जारी रखा हुआ है, तेज कर दिया है और आगे बढ़ाने की धमकी दे रहा है", के मद्देनज़र दक्षिण अफ़्रीका ने आईसीजे से तत्काल  उपाय करने का अनुरोध किया है जिसमें इज़राइल को गज़ा पट्टी में अपने सैन्य अभियान को तुरंत बंद करने और नरसंहार कन्वेंशन के तहत नरसंहार के रूप में परिभाषित किसी भी और सभी कृत्यों को करने से रोकने और मामले में उठाए गए आरोपों से संबंधित सबूतों के संरक्षण को सुनिश्चित करने का आदेश देना शामिल है।

इन प्रोविज़नल उपायों पर सुनवाई फिलहाल हेग में चल रही है और 12 जनवरी को समाप्त होगी।

यह नरसंहार है

दक्षिण अफ़्रीका ने अपने आवेदन में तर्क दिया है कि इज़राइल द्वारा किए गए कृत्य नरसंहारक हैं क्योंकि उनका उद्देश्य फ़िलिस्तीनी राष्ट्रीय, नस्लीय और जातीय समूह के एक बड़े हिस्से का विनाश करना है।

इन कृत्यों में, जैसा कि याचिका में बताया गया है और गुरुवार को अदालत के सामने प्रस्तुत किया गया है, इसमें "गज़ा में फ़िलिस्तीनियों को मारना, उन्हें गंभीर शारीरिक और मानसिक नुकसान पहुंचाना, और उनके शारीरिक विनाश और जीवन के विनाश की स्थितियां पैदा करना शामिल है।"

अदालत के सामने बोलते हुए, दक्षिण अफ़्रीका के वरिष्ठ वकील अदिला हासिम ने कहा कि इज़राइल की हरकतें उनके "आचरण का एक व्यवस्थित पैटर्न दिखाती हैं जिससे नरसंहार का अनुमान लगाया जा सकता है"।

हासिम ने कब्जे वाले फ़िलिस्तीनी इलाके के एक घटक क्षेत्र के रूप में गज़ा की स्थिति को दोहराया, और इस बात पर प्रकाश डाला कि इजरायल ने गज़ा के क्षेत्रीय जल, भूमि क्रॉसिंग, बिजली और यहां तक कि कुछ प्रमुख सरकारी कार्यों पर भी नियंत्रण किया हुआ है।

हासिम ने कहा कि, फ़िलिस्तीनी लोग "आधुनिक युद्ध के इतिहास में सबसे भारी पारंपरिक बमबारी का सामना कर रहे हैं। 11 जनवरी तक गज़ा में 23,400 से अधिक लोग मारे जा चुके थे।

“यह हत्या फ़िलिस्तीनी जीवन के विनाश से कम नहीं है। यह जानबूझकर किया गया कृत्य है, इसमें किसी को भी नहीं बख्शा गया है यहां तक नवजात शिशुओं पर भी रहम नहीं किया गया।” 

उन्होंने अपने संबोधन में यह भी कहा कि गज़ा में फ़िलिस्तीनियों को भी "इजरायल की घेराबंदी, फ़िलिस्तीनी कस्बों के विनाश, फ़िलिस्तीनियों को अपर्याप्त सहायता की अनुमति के परिणामस्वरूप भुखमरी, प्यास और बीमारी से मृत्यु का तत्काल खतरा है, जनसंख्या को सीमित साहयता भी नहीं पहुँच पा रही है क्योंकि बम गिरने के दौरान इस सीमित सहायता को वितरित करना भी असंभव हो जाता है।”

हासिम ने कहा कि, "इस तरह का आचरण जीवन के लिए जरूरी चीज़ों की पहुँच को कठिन बना देता है।" उन्होंने बाद में कहा, "इज़राइल ने जानबूझकर गज़ा में ऐसी हालात थोपे हैं जो ज़िंदा रहना दूभर बनाएगा और इसके भौतिक विनाश को हक़ीक़त बना देगा।" 

हासिम ने कहा कि इज़राइल ने इसे चार तरीकों से किया है, जबरन फिलिस्तीनियों को विस्थापित करना और बताया गया कि इज़राइल ने नागरिकों को गज़ा के उत्तर से दक्षिण की ओर जाने का पहला निकासी आदेश जारी किया जो खुद में एक नरसंहार था, यह देखते हुए कि कई फ़िस्तीनियों के लिए यह विनाश के पैमाना और विस्थापन अनिवार्य रूप से स्थायी होगा।

हासिम ने कहा कि, "नरसंहार की कभी भी पहले से घोषणा नहीं की जाती है, लेकिन इस अदालत के पास पिछले 13 सप्ताह के सबूतों का लाभ है जो निर्विवाद रूप से आचरण और संबंधित इरादे का एक पैटर्न दिखाता है जो नरसंहार कृत्यों के दावे को उचित ठहराता है।" 

नरसंहार को आधिकारिक इरादा बताया गया

दक्षिण अफ़्रीका के मुक़दमें के केंद्र में "विशिष्ट अपेक्षित इरादा" बताया गया है जो 7 अक्टूबर के बाद से गज़ा में इजरायल की कार्रवाई को फ़िलिस्तीनी लोगों के खिलाफ किए गए अन्य अपराधों से अलग करता है - विशेष रूप से, व्यापक फ़िलिस्तीनी राष्ट्रीय के हिस्से के रूप में गज़ा में फिलिस्तीनियों को नष्ट करने का इरादा, नस्लीय और जातीय समूह को नष्ट करना है।

दक्षिण अफ़्रीका के साथी वरिष्ठ वकील टेम्बेका न्गकुकैतोबी ने कहा कि, "यह नरसंहार का इरादा "जिस तरह से इज़राइल के सैन्य हमले को अंजाम दिया जा रहा है उससे स्पष्ट है"। "यह अपने चरित्र और रूप में व्यवस्थित है"... गज़ा में फ़िलिस्तीनी आबादी का एक प्रतिशत व्यवस्थित रूप से नष्ट कर दिया गया है, और 7 अक्टूबर से चार में से एक व्यक्ति घायल हुआ है।

“इज़राइल के राजनीतिक नेताओं, सैन्य कमांडरों और आधिकारिक पदों पर बैठे व्यक्तियों ने व्यवस्थित रूप से और स्पष्ट शब्दों में अपने नरसंहार के इरादे की घोषणा की है। इन बयानों को गज़ा में जमीन पर सैनिकों द्वारा अमल में लाया जा रहा है क्योंकि वे फ़िलिस्तीनी और गज़ा के भौतिक बुनियादी ढांचे को नष्ट करने में लगे हुए हैं। 

न्गकुकैतोबी ने बाद में 7 दिसंबर 2023 को इजरायली सैनिकों के नाचने और नारे लगाने के वीडियो का संदर्भ दिया, "हम अपने आदर्श वाक्य को जानते हैं: इसमें कोई शामिल नहीं है" और "वे एक आज्ञा का पालन कर रहे हैं, कि, अमालेक के बीज को मिटा दो" – प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के एक बयान का संदर्भ कि "याद रखें कि अमालेक ने आपके साथ क्या किया है"। न्गकुकैतोबी ने कहा कि इजरायली सैनिकों ने फ़िलीस्तीनियों के खिलाफ अत्याचार करते हुए खुद को "स्नफ़ वीडियो" के रूप में फिल्माया था।

"इज़राइल का इस खास नरसंहार का इरादा इस विश्वास में निहित है कि वास्तव में दुश्मन सिर्फ हमास या वास्तव में हमास की सैन्य शाखा नहीं है, बल्कि गज़ा में फिलिस्तीनी जीवन के ताने-बाने में अंतर्निहित है।" 

दक्षिण अफ़्रीका की याचिका में इज़राइल के राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व, नेसेट के सदस्यों द्वारा दिए गए बयानों और भाषणों के रूप में इस नरसंहार के इरादे के दस्तावेज़ीकरण के सात पृष्ठ उपलब्ध कराए गए हैं, जिन्होंने बार-बार गज़ा को "मिटाने, समतल करने, और कुचलने" का आह्वान किया है”, और यहां तक कि पत्रकारों और टिप्पणीकारों ने भी बताया कि गज़ा को “बूचड़खाने” में बदलने का आह्वान किया है। न्गकुकैतोबी ने इनमें से कई बयानों का संदर्भ दिया और "व्यवस्थित अमानवीयकरण की भाषा" पर रोशनी डाली। 

“ये बयान इज़राइल के मामले में तटस्थता और तर्कसंगतकरण और पुनर्व्याख्या के लिए खुले नहीं हैं। ये बयान राष्ट्र की कमान संभालने वाले व्यक्तियों द्वारा दिए गए थे, उन्होंने देश की नीति का अनुसरण किया था। यह सरल है- यदि बयानों का इरादा नहीं था तो वे दिए ही नहीं गए होते।'' 

"ऐसे नरसंहार उकसावे की निंदा करने, रोकने और दंडित करने में इज़राइल की जानबूझकर विफलता अपने आप में नरसंहार कन्वेंशन का गंभीर उल्लंघन है।" 

अब गज़ावासियों की रक्षा करें

गज़ा में नरसंहार के कृत्यों और आयोग को सूचित करने के इरादे को स्पष्ट रूप से रेखांकित करने के बाद, दक्षिण अफ़्रीका ने नरसंहार कन्वेंशन के तहत "एर्गा ओमनेस" अधिकारों और दायित्वों पर जोर दिया। प्रोफेसर जॉन डुगार्ड ने अपने संबोधन में न्यायालय के प्रथम दृष्टया क्षेत्राधिकार को रेखांकित करते हुए आईसीजे को बताया कि, "इस कन्वेन्शन में शामिल देश  न केवल नरसंहार कृत्यों से दूर रहने बल्कि उन्हें रोकने के लिए भी बाध्य हैं।"

उन्होंने कहा कि मामला दर्ज करने से पहले, दक्षिण अफ़्रीका ने इजरायली दूतावास को एक राजनयिक नोट भेजा था जिसमें कहा गया था कि इजरायल की कार्रवाई नरसंहार के बराबर है। हालाँकि इज़राइल की प्रतिक्रिया "उठाए गए मुद्दों को संबोधित करने में विफल रही" और "किसी विवाद के अस्तित्व की न तो पुष्टि की गई और न ही इनकार किया गया"।

“अब गज़ा में जो कुछ भी हो रहा है, उसे दो पक्षों के बीच एक साधारण संघर्ष के रूप में सही ढंग से प्रस्तुत नहीं किया गया है। टीम के एक साथी वकील मैक्स डू प्लेइस ने कहा, "इसके बजाय इसमें कब्जे वाली शक्ति, इज़राइल द्वारा किए गए विनाशकारी कृत्य शामिल हैं, जिसने फ़िलिस्तीनी लोगों को आधी सदी से भी अधिक समय तक आत्मनिर्णय के उनके अधिकारों के दमनकारी और लंबे समय तक उल्लंघन का शिकार बनाया है।"  

उन्होंने कहा, "दक्षिण अफ़्रीका का दायित्व गज़ा में फ़िलिस्तीनियों की रक्षा करने की जरूरत  और नरसंहार कृत्यों के अधीन न होने के उनके पूर्ण अधिकारों से प्रेरित है।" 

कानूनी टीम का हिस्सा रहे एक आयरिश वकील ब्लिने नी घ्रालेघ ने गज़ा में गंभीर मानवीय संकट और आसन्न अकाल, "सार्वजनिक स्वास्थ्य आपदा" सहित "आगे नरसंहार कृत्यों और आगे आने वाली अपूरणीय क्षति के जोखिम" का वर्णन किया। तथ्य यह है कि "प्रत्येक दिन औसतन 247 फ़िलिस्तीनी मारे जा रहे हैं मारे जाने का ख़तरा मौजूद है"।

"पूरे बहु-पीढ़ी वाले परिवारों को नष्ट कर दिया जाएगा और फिर भी अधिक फ़िलिस्तीनी बच्चे डब्ल्यूसीएनएसएफ बन जाएंगे: डब्ल्यूसीएनएसएफ, घायल बच्चे, कोई जीवित परिवार नहीं, इजरायल के नरसंहार हमले से पैदा हुआ भयानक स्थिति का नया संक्षिप्त नाम है।" 

“फ़िलिस्तीनी लोगों के नरसंहार की भयावहता को गज़ा से हमारे मोबाइल फोन, कंप्यूटर और टेलीविजन स्क्रीन पर लाइव स्ट्रीम किए जाने के बावजूद, इतिहास में यह पहला नरसंहार है जहां इसके पीड़ित वास्तविक समय में विनाश को प्रसारित कर रहे हैं, जो अब तक की व्यर्थ आशा है कि दुनिया कुछ कर सकती है…गज़ा नैतिक विफलता से कम नहीं है।” 

फ़िलिस्तीनी लोगों की ओर से दक्षिण अफ़्रीका द्वारा मांगे गए अनंतिम उपायों को रेखांकित करते हुए, वॉन लोव ने दोहराया कि इन तत्काल उपायों को जारी करने के लिए, आईसीजे को "यह निर्धारित करने की ज़रूरत नहीं है कि इज़राइल ने इसके विपरीत कार्य किया है या नहीं।" बल्कि यह नरसंहार कन्वेंशन के तहत आपका दायित्व है।”

बल्कि, "चिंता अब केवल इस सवाल की है कि अदालत के अंतिम निर्णय तक कौन से अनंतिम उपायों की आवश्यकता है"।

लोव ने इज़राइल के आत्मरक्षा के अधिकार पर भी स्पष्टीकरण दिया - एक ऐसा अधिकार जिसे आईसीजे  ने अपनी 2004 की सलाहकार राय में कहा था कि इज़राइल उस इलाके में इसका इस्तेमाल नहीं कर सकता जिस पर उसने कब्ज़ा कर रखा है - और जिसे इज़राइल और उसके सहयोगियों ने 7 अक्टूबर से कब्जा करना जारी रखा हुआ है।

“इजरायल गज़ा में जो कर रहा है, वह अपने नियंत्रण वाले इलाके में कर रहा है। इसकी हरकतें इसके कब्जे को लागू कर रही हैं। [यूएन] चार्टर के अनुच्छेद 51 के तहत आत्मरक्षा पर कानून का कोई अनुप्रयोग नहीं है। मुख्य बात बहुत सरल है। बात यह है कि कोई भी हमला या उकसावे कितना भी अपमानजनक या भयानक क्यों न हो, नरसंहार कभी भी स्वीकार्य प्रतिक्रिया नहीं है। 

लोव ने आगे कहा, "बात केवल यह नहीं है कि इज़राइल 'अनुपातहीन' तरीके से कार्य कर रहा है: मुद्दा यह है कि नरसंहार पर प्रतिबंध कानून का एक पूर्ण, स्थायी नियम है। कोई भी हरकत कभी भी नरसंहार को उचित नहीं ठहरा सकती है।”

लोव ने कहा कि, “यह अदालत के लिए चुप बैठने का पल नहीं है। यह जरूरी है कि वह अपने अधिकार का दावा करे और स्वयं नरसंहार कन्वेंशन के तहत दायित्वों के अनुपालन का आदेश दे। 

अपनी समापन टिप्पणी में, राजदूत मदोनसेला ने अनुरोध किया कि "स्पष्ट और विशिष्ट अनंतिम उपायों का संकेत नहीं देने और हस्तक्षेप करने के लिए कदम नहीं उठाने के परिणाम ख़तरनाक होंगे, जब कि इज़राइल हमारी आंखों के सामने अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों की उपेक्षा कर रहा है, हमें डर है, वास्तव में इसके परिणाम बहुत गंभीर होंगे: गज़ा में फ़िलिस्तीनी जिन पर नरसंहार का जोखिम है, दक्षिण अफ़्रीका के अधिकारों के मामले में, और इस न्यायालय की प्रतिष्ठा के लिए आगे के नरसंहार कृत्यों के वास्तविक जोखिम बने हुए हैं, आईसीजे को कन्वेन्शन के तहत वे सब अधिकार हैं जो अपनी शक्तियों का प्रयोग कर इसे रोक सकती है।”

दुनिया की प्रतिक्रिया 

इस बीच, कार्यवाही के जवाब में, हमास के प्रवक्ता सामी अबू ज़ुहरी ने कहा, “फ़िलिस्तीनी लोग हेग में अदालती सत्र का बड़ी चिंता और रुचि के साथ पालन कर रहे हैं। हम अदालत से, सभी दबावों को धता बताते हुए, इजरायली कब्जे को अपराध घोषित करने और गज़ा पर आक्रामकता को रोकने का निर्णय लेने का आग्रह करते हैं।

गुरुवार को सुनवाई के बाद, प्रोग्रेसिव इंटरनेशनल ने आईसीजे के बाहर एक सार्वजनिक ब्रीफिंग  की, जिसमें अनुभवी समाजवादी ब्रिटेन के राजनेता जेरेमी कॉर्बिन और बेल्जियम की वर्कर्स पार्टी के नेता पीटर मर्टेंस शामिल थे, जिन्होंने कहा कि कार्यवाही "केवल फ़िलिस्तीनियों के बारे में नहीं है" बल्कि यह पूरी मानवता का मामला है।”

बार्सिलोना के पूर्व मेयर एडा कोलाउ, जिनके तहत स्पेनिश शहर ने इज़राइल के साथ संबंध तोड़ दिए थे, ने भी सभा को संबोधित किया: "आज हम यहां मानवाधिकारों की रक्षा के लिए हैं। हम इस पहल के लिए दक्षिण अफ़्रीका को धन्यवाद देते हैं और तत्काल और स्थायी युद्धविराम की मांग करते हैं।"

इज़राइल की प्रतिक्रिया

इजराइल शुक्रवार को आईसीजे के सामने अपनी मौखिक दलीलें पेश करेगा। 

जैसे ही बड़ी संख्या में देशों ने दक्षिण अफ़्रीका के मुक़दमे में अपना समर्थन व्यक्त किया है, बुधवार 10 जनवरी को, इजरायली सरकार ने नेतन्याहू का अंग्रेजी में बोलते हुए एक वीडियो साझा किया, जो आईसीजे मामले में उनके खिलाफ कुछ आरोपों को संबोधित कर रहा था।

उन्होंने कहा: “मैं कुछ बातें बिल्कुल स्पष्ट करना चाहता हूं: इजरायल का गज़ा पर स्थायी रूप से कब्जा करने या उसकी नागरिक आबादी को विस्थापित करने का कोई इरादा नहीं है। इज़राइल फ़िलिस्तीनी आबादी से नहीं, बल्कि हमास के आतंकवादियों से लड़ रहा है और हम अंतरराष्ट्रीय कानून के पूर्ण अनुपालन में ऐसा कर रहे हैं।

सौजन्य: पीपल्स डिस्पैच 

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