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ग्राउंड रिपोर्टः यूपी के सोनभद्र में स्कूली बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने से फिर सवालों के घेरे में योगी सरकार!

प्रशासनिक जांच में स्कूली बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की पुष्टि हुई। बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की घटना के बाद गुरेठ कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक रुद्र प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है।
UP school

उत्तर प्रदेश के सबसे पिछड़े जनपद सोनभद्र के घोरावल प्रखंड के गुरेठ गांव में स्थित स्कूल में बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने का मामला उजागर होने के बाद योगी सरकार-2.O एक बार फिर सवालों के घेर में है। मिड डे मील (एमडीएम) योजना के तहत स्कूली बच्चों को नमक-रोटी खिलाए जाने से डबल इंजन की सरकार की नीति और नीयत की कलई खुल गई है। साल 2019 में सोनभद्र से सटे मिर्जापुर जिले के सिऊर गांव में स्कूली बच्चों को नमक-रोटी परोसी गई थी, तब प्रशासन ने अपना गला बचाने के लिए आंचलिक पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ संगीन धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करा दी थी।

ताजा मामला गुरेठ कंपोजिट विद्यालय का है, जहां 22 अगस्त को मिड डे मील में नमक-रोटी परोसी गई। अगले दिन 23 अगस्त को इसी गांव के दो युवकों ने स्कूली बच्चों से बातचीत का वीडियो बनाया और उसे सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। प्रशासनिक जांच में स्कूली बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की पुष्टि हुई। साथ ही बेईमानी और भ्रष्टाचार के कई ऐसे पहलू उभरकर समाने आए, जिससे सिर्फ प्रशासन ही नहीं योगी सरकार पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की घटना के बाद गुरेठ कंपोजित विद्यालय के प्रधानाध्यापक रुद्र प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही विद्यालय के तीन अन्य सहायक अध्यापकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। बच्चों को पोषणयुक्त आहार वितरित न कराए जाने पर ग्राम प्रधान रंजना श्रीवास्तव पर भी कार्रवाई की तलवार लटकी हुई है।

किसने किया वीडियो वायरल?

घोरावल नगर पंचायत से करीब नौ किमी दूर है गुरेठ गांव। इस गांव की आबादी करीब 1862 है। यहां अधिसंख्य आबादी आदिवासी, वैश्य, हरिजन, पटेल और मौर्य की हैं। गुरेठ के लोग खेती-किसानी और मजदूरी करते हैं। बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार ने कंपोजिट विद्यालय खोल रखा है। प्राथमिक विद्यालय और जूनियर हाईस्कूल को मिलाकर यहां कुल 249 बच्चे पंजीकृत हैं। विद्यालय के अभिलेखों में प्राइमरी में 125 बच्चे और जूनियर वर्ग में 124 बच्चे पढ़ते हैं। आरोप है कि 22 अगस्त 2022 को यहीं बच्चों को एमडीएम में नमक-रोटी दिया गया।

23 अगस्त 2022 को गुरेठ गांव के 35 वर्षीय युवक अरविंद कुमार वैसवार मोबाइल फोन लेकर स्कूल के अंदर चले गए और वीडियो बनाने लगे। इनके साथ थे 29 वर्षीय युवक सुनील। दोनों युवक खेती-किसानी करते हैं। दोनों युवकों ने कंपोजिट विद्यालय परिसर के अंदर बारी-बारी से सभी कमरों में वीडियो बनाया। वीडियो बनाते समय गांव के नीरज, सुनील भारती, राम सनेही, महेश कोल, बृजेश कुमार सिंह समेत कई लोग लोग मौके पर मौजूद थे। दोनों युवकों ने बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की स्वीकारोक्ति वाला वीडियो 23 अगस्त की शाम सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया।

वायरल वीडियो में दोनों युवकों के सवालों के जवाब में विद्यालय की छात्र-छात्राएं एक स्वर से बता रही हैं कि दोपहरिया भोजन में उन्हें सिर्फ नमक-रोटी पोरोसा गया था। वीडियो बनाने वाले बच्चों से यह भी कह रहे हैं कि बच्चो जोर से बोलिए कि कल भोजन में क्या-क्या मिला था। तब बच्चे जोर से बोलते हैं- नमक-रोटी। बच्चे एक स्वर से यह बता रहे हैं कि 22 अगस्त को एमडीएम में सिर्फ रोटी और नमक परोसा गया था। वीडियो बनाने वाले शख्स अलग-अलग कुछ और कक्षाओं में जाकर छात्र-छात्राओं से यही सवाल पूछते हैं तो सभी कक्षाओं में बच्चों का जवाब वही होता है कि दोपहरिया भोजन में सिर्फ नमक-रोटी परोसी गई थी।

एक अन्य वीडियो विद्यालय के रसोई घर का भी वायरल किया गया है। वीडियो बनाने वाला शख्स वहां मौजूद सामान को दिखाते हुए बता रहा है कि आज स्कूली बच्चों को मिड डे मील में नमक-भात (चावल) मिलेगा। विद्यालय के किचेन में मौजूद महिलाएं वीडियो बनाने वाले युवक के सवालों पर खामोश नजर आती हैं।

मिड डे मील में नमक-रोटी परोसे जाने का विवाद खड़ा हुआ तो ‘न्यूज़क्लिक’ ने समूचे प्रकरण की पड़ताल की। पड़ताल करने पर पता चला कि मिड डे मिल का राशन गुरेठ की प्रधान रंजना देवी नहीं, बल्कि कंपोजिट विद्यालय के शिक्षक ही उठा रहे थे। भोजन बनाने की जिम्मेदारी भी इन्हें शिक्षकों के पास थी। यहां तपेसरा देवी समेत चार महिलाएं भोजन बनाने के लिए नियुक्त की गई हैं। दोपहरिया भोजन बनाने के लिए विद्यालय की रसोई में गैस के चार सिलेंडर हैं। मिड डे मील के लिए राशन गांव की कोटेदार चमरी देवी के यहां से आता है।

22 अगस्त को कंपोजिट विद्यालय की रसोई गैस खत्म होने पर शिक्षकों ने दो सिलेंडर प्रधान रंजना देवी के पास भेजे थे और उन्हें भरवाने के लिए उनसे आग्रह किया था। एक अन्य सिलेंडर से खाना बनाया जा रहा था। आमतौर पर सभी प्राइमरी स्कूलों में दोपहरिया भोजन की सब्जी पहले बनती है और रोटी बाद में। गुरेठ के कंपोजिट विद्यालय में रोटी पहले बनाई गई और सब्जी बनाने की जरूरत ही नहीं समझी गई। विवाद खड़ा होने के बाद गुरेठ गांव गुटबंदी बढ़ गई हैं। एक गुट प्रधान के पक्ष में है तो दूसरा उनका विरोध कर रहा है। नमक-रोटी परोसे जाने की घटना के तूल पकड़ने के बाद दोनों पक्ष एक दूसरे खिलाफ परस्पर विरोधी आरोप लगा रहे हैं।

क्या कहते हैं टीचर?

गुरेठ कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक हैं रुद्र प्रसाद। इनके अलावा यहां कुंवर सिंह, भाई रमेश कुमार और दीपचंद सहायक अध्यापक के रूप में तैनात हैं। शिक्षक और चारो रसोइयों के सुर गुरेठ की प्रधान रंजना देवी के खिलाफ निकल रहे हैं।

निलंबित प्रधानाध्यापक रुद्र प्रसाद अपने बचाव में कई तरह के तर्क दे रहे हैं। वह कहते हैं, "जिस सिलेंडर पर से खाना बनाया जा रहा था उसमें थोड़ी सी गैस बची थी। 22 अगस्त को मुश्किल से कुछ ही रोटियां बन पाईं। रसोई सब्जी की आपूर्ति करने कि जिम्मेदारी ग्राम प्रधान की थी। लाचारी में स्कूली बच्चों को नमक-रोटी खाना पड़ा। स्कूली बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने की जानकारी ग्रामीणों को हुई तो लोग नाराज हो गए।"

बताया गया कि "पहले विद्यालय के शिक्षक मिलकर दोपहरिया भोजन का इंतजाम करते थे। बच्चों को समय से पौष्टिक आहर मिलता था। 08 अगस्त 2022 को गुरेठ की की प्रधान रंजना देवी के पति प्रभु नारायण श्रीवास्तव आए और भोजन बनवाने की जिम्मेदारी खुद ओढ़ ली। मेन्यू के हिसाब से 22 अगस्त (सोमवार) को स्कूली बच्चों को रोटी-सब्जी, रोटी-दाल या रोटी-सब्जी मिश्रित दाल दी जानी थी। उस दिन रसोई में न सब्जी थी और न ही खाना बनाने के लिए पर्याप्त गैस। सभी सिलेंडर खाली पड़े थे। इसकी सूचना सुबह ही ग्राम प्रधान रंजना श्रीवास्तव को दे दी गई थी, लेकिन उन्होंने गैस सिलिंडर समय से नहीं भिजवाया। दोपहर बाद करीब पौने दो बजे विद्यालय में सिलिंडर पहुंचा। गैस और सब्जी का प्रबंध न होने का कारण बच्चों को दोपहर में नमक-रोटी परोसना पड़ा। कुछ रोज पहले यही स्कूली बच्चों को कच्चा केला बांटा गया था, जिसे उन्होंने खाया गया, बल्कि सब्जी बनाने के लिए अपने घर ले गए थे।"

झूठ बोल रहे टीचरः प्रधानपति

गुरेठ की प्रधान रंजना देवी के पति प्रभु नारायण श्रीवास्तव पर लगाए जा रहे आरोपों के बाबत न्यूज़क्लिक ने उनसे विस्तार से बात की। जिसमें तथ्य यह उभकर सामने आया कि मिड डे मील में स्कूली बच्चों को नमक रोटी परोसे जाने का मामला भ्रष्टाचार और बेईमानी का है। प्रधानपति प्रभु नारायण ने अपने पक्ष में सफाई पेश की और दावा किया कि विद्यालय के टीचर सरकारी धन की लूट मचाए हुए थे। उन्होंने साफ-साफ कहा, "हमने कभी एमडीएम का भोजन नहीं बनवाया। कोटेदार चमरी देवी के यहां से राशन लाने और सब्जी आदि का प्रबंध करने की जिम्मेदारी शिक्षकों की थी। किसी तरह की दिक्कत होने पर हम उनकी मदद जरूर कर दिया करते थे। बच्चों को लगातार घटिया भोजन दिया जा रहा था। स्कूली बच्चों के अभिभावकों की शिकायतें बढ़ गईं तो हमने स्कूल में जाकर शिक्षकों से पूछताछ की और कड़े शब्दों में कहा कि गड़बड़ी पाए जाने पर हम सख्त एक्शन लेंगे। एमडीएम (मिड डे मील) का राशन गुरेठ विद्यालय के शिक्षक ही उठाते हैं। राशन के जितने भी चेक कटे हैं वो अध्यापकों के नाम से हैं। प्रशासन चाहे तो इसकी जांच-पड़ताल करा सकता है।"

प्रधान के पति प्रभु नारायण श्रीवास्तव यह भी कहते हैं, "हमारे ऊपर लगाए जा रहे आरोप झूठे और बेबुनियाद हैं। यह बात भी झूठी है कि मिड डे मील का भोजन हम बनवा रहे थे। प्रधानी के चुनाव के समय से ही हमारी तबीयत खराब चल रही है। हम तो चल-फिर भी नहीं पा रहे थे। कुछ महीने पहले हालत में सुधार हुआ तो हमने अपने पत्नी के साथ व्यवस्था दुरुस्त करने की कोशिश की। यह कदम भी तब उठाया जब बच्चों के अभिभावकों ने हमसे शिकायत की। यहां तक कहा कि गुरेठ में टीचर समय से स्कूल नहीं आते। पढ़ाई का स्तर बेहद घटिया है। आठवीं के बच्चों को 16 तक का पहाड़ा तक नहीं आता। तब हमने टीचरों को आड़े हाथ लिया। हमने सख्ती बरतनी शुरू की तो मनमानी पर उतारू टीचरों ने हमें बिना बताए ही बच्चों को नमक-रोटी खिलानी शुरू कर दी। शिक्षकों ने ही साजिशन दो युवकों को बुलाकर वीडियो बनवाया और उसे वायरल करा दिया। वीडियो बनाने और उसे वायरल करने वाले अरविंद कुमार के परिवार का कोई बच्चा स्कूल में नहीं पढ़ता है। उनके साथी सुनील का बेटा विद्यालय में पढ़ता है। दोनों ने शिक्षकों के साथ मिलकर हमें बदनाम करने के लिए साजिश रची। हमारे साथ प्रशासन ही नहीं, योगी सरकार को भी बदनाम कर दिया।"

प्रधान के पति प्रभु यह भी कहते हैं, "गुरेठ के कंपोजिट विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को रटवाया गया था कि वे जोर-जोर से बताएं कि दोपहरिया भोजन में उन्हें नमक-रोटी परोसा गया। हमसे किसी ने शिकायत नहीं की। हमसे कोई दिक्कत थी तो खंड शिक्षा अधिकारी को बताते। डीएम-सीडीओ सभी जिले में तैनात हैं। इनके पास हमारी कोई शिकायत नहीं। अलबत्ता साजिशन वीडियो बनवाया गया और उसे वायरल करा दिया गया। गौर करने की बात है कि अगर एमडीएम का भोजन हम बनवाते तो राशन उठाने का चेक हमारे अथवा हमारी पत्नी के नाम से बना होता। तबीयत खराब होने की वजह से हमने सारी व्यवस्था विद्यालय के शिक्षकों को सौंप रखी थी और वे गोलमाल करने के आदी हो चुके थे। कोटेदार चमरी देवी के पूछा जा सकता है कि एमडीएम का राशन कौन उठाता है? राशन का भुगतान कौन करता है? हमारी पत्नी जनप्रतिनिध हैं। एमडीएम के बारे में उनका पूछताछ करना क्या कोई गुनाह है? "

"22 अगस्त को गैस की दो टंकियां खाली थीं। टीचरों ने हमसे आग्रह किया तो हमने भरवा दिया। सामान नहीं था तो खाना नहीं खिलाते। कितनी अचरज की बात है कि 245 बच्चों को खिलाने के लिए रोटी बनाने के लिए गैस थी, लेकिन सब्जी बनाने के समय गैस खत्म हो गई थी। अगले दिन 23 अगस्त को रसोई गैस की कमी थी, फिर भी स्कूली बच्चों को नमक-चावल क्यों खिलाया गया? नमक-रोटी परोसकर हमें और सरकार को क्यों बदनाम किया गया? हमारे ऊपर दोष मढ़ना था तो पहले ऊपर शिकायत करते। गांव वालों को वीडियो नहीं बनवाते। आखिर स्कूल में बाहरी आदमी भला क्यों घुसेगा? खासतौर पर वह शख्स जिसका बेटा स्कूल में पढ़ता ही नहीं है। हमारे खिलाफ बड़ी साजिश रची गई। हम कलेक्टर को भी जवाब देंगे और शासन को भी। जांच इस बात की भी होनी चाहिए कि गुरेठ कंपोजिट स्कूल में बच्चों को पढ़ाया क्या जा रहा है? जिन चार शिक्षकों की यहां तैनाती की गई है उन्होंने बच्चों को अब तक क्या पढ़ाया है और उनके पढ़ाई की गुणवत्ता कैसी है? कितने शर्म की बात है कि गुरेठ मे पढ़ाने वाले टीचर सरकार से मोटी सैलरी पा रहे है और अपने बच्चों को नमक-रोटी खिला रहे हैं।"

जांच में क्या निकला?

गुरेठ कंपोजिट विद्यालय के बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने का मामला 24 अगस्त को चर्चा में आया तो सोनभद्र के डीएम चंद्र विजय सिंह ने बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) हरिवंश कुमार के जरिये समूचे मामले की जांच पड़ताल कराई। बीएसए के निर्देश पर खंड शिक्षा अधिकारी अशोक कुमार सिंह ने समूचे मामले की जांच की तो दोनों पक्षों को दोषी पाया। बाद में सोनभद्र के बीएसए हरिवंश कुमार ने गुरेठ कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक गुरु प्रसाद को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। साथ ही तीनों सहायक अध्यापकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि क्यों न उनकी एक-एक वेतनवृद्धि रोक दी जाए?

बीएसए हरिवंश कुमार कहते हैं, "विद्यालय के प्रधानाध्यापक गुरु प्रसाद को पता था कि एक दिन पहले भी सिर्फ रोटी ही बन पाई थी तो अगले दिन मानक के मुताबिक भोजन क्यों नहीं बनवाया गया? जांच-पड़ताल से पता चला है कि प्रधान और प्रधानाध्यापक की आपसी खींचतान व मतभेद के चलते बच्चों को पहले दिन नमक-रोटी परोसा गया। जांच से पता चला है कि गुरेठ कंपोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक रूद्र प्रसाद ही प्रथम दृष्टया दोषी हैं। उन्हें निलंबित कर दिया गया है। ग्राम प्रधान रंजना श्रीवास्तव को भी इस मामले में दोषी पाया गया है और उनके खिलाफ सख्त एक्शन लेने के लिए डीपीआरओ को चिट्ठी भेजी गई है। कंपोजिट विद्यालय में तैनात तीन अन्य अध्यापकों में कुंवर सिंह, भाई रमेश कुमार और दीपचंद को कारण बताओ नोटिस जारी की गई है। नोटिस का माकूल जवाब न देने पर इनकी एक-एक वेतनवृद्धि रोकी जाएगी।"

सोनभद्र के डीपीआरओ विशाल सिंह कहते हैं, "स्कूली बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने से सरकार और प्रशासन की साख पर बट्टा लगा है। बच्चों को दोपरिया भोजन देने में कोताही बरते जाने का मामला बेहद गंभीर है। गुरेठ की ग्राम प्रधान रंजन श्रीवास्तव के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। यह तथ्य भी जुटाया जाएगा कि गुरेठ गांव में विकास कार्य रंजना खुद करती हैं अथवा उनके पति ही सारा कामकाज देखते हैं? निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अलावा कोई अन्य व्यक्ति निर्णय नहीं ले सकता है। प्रधानपति अथवा प्रतिनिधि को किसी तरह का कोई अधिकार नहीं होता है। गुरेठ के स्कूली बच्चों को दोपरिया भोजन में अगर नमक-रोटी परोसी गई है वही दोषी माना जाएगा जिसके जिम्मे आधिकारिक तौर पर भोजन बनवाने और बच्चों को खिलाने की जिम्मेदारी थी। स्कूली बच्चों को मेन्यु के अनुसार ही भोजन परोसने के कड़े निर्देश है। बच्चों को नमक-रोटी परोसा जाना शासकीय नियमों की अवहेलना है।"

मिर्ज़ापुर जैसा ही है यह कांड

सोनभद्र से पहले पड़ोसी जिला मिर्जापुर के जमालपुर प्रखंड के सिऊर प्राथमिक विद्यालय में स्कूली बच्चों को नमक रोटी परोसी गई थी, जिसकी गूंज देश-दुनिया में पहुंची थी। दोनों मामलों में एक और समानता यह है कि स्कूली बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की दोनों ही घटनाएं महीने की 22 अगस्त को हुईं। मिर्जापुर के सिऊर में में 22 अगस्त को मिड डे मील में नमक-रोटी परोसी गई तो तत्कालीन डीएम अनुराग पटेल ने पहले तो जिम्मेदारी ओढ़ी थी, लेकिन बाद में वो मुकर गए। कुछ रोज बाद मिर्जापुर में प्रेस कांफ्रेस बुलाकर उन्होंने आंचलित पत्रकार पवन जायसवाल पर यह कहते हुए ठीकरा फोड़ दिया कि प्रिंट मीडिया के पत्रकार ने वीडियो क्यों बनाया? इस मामले में योगी सरकार की खूब किरकिरी हुई।

पत्रकार पवन पर एफआईआर दर्ज होने पर प्रेस काउंसिल ने उस मामले को स्वतः संज्ञान लिया था और इलाहाबाद में मामले की सुनवाई करते हुए मिर्जापुर के पुलिस व प्रशासनिक अफसरों को कड़ी फटकार लगाई थी। मिड डे मील मामले को सुर्खियों में लाने वाले पत्रकार पवन जायसवाल की इसी साल कैंसर से मौत हो चुकी है।

सोनभद्र में एमडीएम में बेईमानी और भ्रष्टाचार नई घटना नहीं है। तीन साल पहले चोपन इलाके के सलईबनवा स्थित प्राथमिक विद्यालय में 81 बच्चे स्कूल पहुंचे थे, जिनके लिए एक लीटर दूध का पैकेट और एक बाल्टी पानी को बड़े भगोने में उबाला गया। बाद में बाद बच्चों को एक-एक गिलास पानी मिला दूध पीने के लिए बांट दिया गया था। उस समय भी इस अनियमितता का वीडियो भी सामने आया था। तत्कालीन खंड शिक्षा अधिकारी मुकेश राय ने जांच में पाया था कि सरकारी धन का गोलमाल करने के लिए बच्चों को दूध मिला पानी परोसा गया था। हर स्कूली बच्चे के लिए शासन से 150-200 एमएल दूध वितरित करने के लिए धन मुहैया कराया जाता है।

गुरेठ कंपोजिट विद्यालय में स्कूली बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने की घटना की पुनरावृत्ति होने के बाद योगी सरकार फिर सवालों के घेरे में है। दरअसल, सोनभद्र के घोरावल पिछड़ापन ही इस इलाके की बदनसीबी है। पेशे से अधिवक्ता एवं पत्रकार राम प्रसाद यादव कहते हैं, "गौर करने की बात है कि गुरेठ कंपोजिट विद्यालय में प्रधानाध्यापक और प्रधान के बीच विवाद क्यों खड़ा हुआ, जिसके चलते पहले स्कूली बच्चों को दोपरिया भोजन में नमक-रोटी परोसा गया। फिर योजनाबद्ध ढंग से उसका वीडियो बनवाकर वायरल कराया गया। आमतौर पर एमडीएम को लेकर विवाद सभी सामने आता है जब प्रधान व प्रधानाध्यापक के बीच गोलमाल का गुणा-गणित गड़बड़ होने लगता है। हेराफेरी में एक पक्ष प्रधान का होता है तो दूसरा प्रधानाध्यापक व स्कूल के टीचरों का। सोनभद्र के स्कूलों में दोपरिया भोजन की जांच कराई जाए तो हर जगह फर्जी बच्चे मिलेंगे और सरकारी अभिलेखों में एमडीएम फर्जी यूनिटें दर्ज पाई जाएंगी।"

बेईमानों के लिए स्वर्ग है घोरावल

सोनभद्र जिले का घोरावल, वही इलाका है जहां 17 जुलाई 2019 को एक गुमनाम गांव उभ्भा में एक सोसाइटी की जमीन पर कब्जे को लेकर हुए विवाद में दबंगों ने 11 आदिवासियों को गोलियों से उड़ा दिया था। तब गोलियों की गूंज पूरे देश में सुनाई दी थी। आरोप है कि करीब 1100 बीघा विवादित जमीन में से करीब 120 बीघा जमीन की रजिस्ट्री मूर्तिया के तत्कालीन ग्राम प्रधान यज्ञदत्त सिंह भूर्तिया ने साल 2017 में अपने परिजनों के नाम करा ली थी।

यहां बेईमानी और घोटाला सिर्फ सिर्फ विद्यालयों में ही नहीं होता, सरकारी दफ्तरों में बिना रिश्वत के कोई काम होता ही नहीं है।

इसी साल सोनभद्र में विकास कार्यों का मुआयना पहुंचे यूपी के अपर मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने ग्रामीण आवास योजना बड़े पैमाने पर खामियां पकड़ी और भ्रष्टाचार भी उजागर किया। निरीक्षण के दौरान सुकृत ग्राम पंचायत की बुजुर्ग महिला ग्राम प्रधान हीरावती देवी ने ग्राम विकास अधिकारी दीपक सिंह द्वारा कमीशन मांगे जाने की शिकायत की तो अपर मुख्य सचिव ने मौके पर ही ग्राम विकास अधिकारी के साथ ही एडीओ पंचायत राम शिरोमणि पाल को निलंबित करने का फरमान सुना दिया।

सोनभद्र ऐसा जिला है जिसे 4 मार्च 1989 को मिर्जापुर जिले से अलग किया गया था। 6,788 वर्ग किमी क्षेत्रफल के साथ यह उत्तर प्रदेश का दूसरा सबसे बड़ा जिला है। जिले की सीमा पश्चिम में मध्य प्रदेश, दक्षिण में छत्तीसगढ़, पूर्व में झारखंड, बिहार और उत्तर में मिर्जापुर जिले से जुड़ी हैं। रार्बट्सगंज जिले का प्रमुख नगर तथा जिला मुख्यालय है। साल 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक सोनभद्र की आबादी 14,63,519 है। जनसंख्या घनत्व उत्तर प्रदेश में सबसे कम 198 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। यह जिला विंध्य पहाड़ियों से कैमूर पहाड़ियों तक होते हुए सोन नदी तक फैला हुआ है। यह अपने प्राकृतिक संसाधनों एवं उपजाऊ भूमि के कारण विख्यात हैं।

घोरावल के आंचलिक पत्रकार अभिषेक मोनू कहते हैं, "देश के पहले पीएम जवाहर लाल नेहरू ने सोनभद्र के लोगों के लोगों इस जिले को "भारत का स्विटजरलैंड" बनाने का सपना दिखाया था, लेकिन वह सपना सिर्फ सपना बनकर रह गया। सोनभद्र में सिर्फ एमडीएम ही नहीं, हर सरकारी काम में घपला-घोटाला है। महिला प्रधानों का काम उनके पति ही देखा करते हैं। औरतें तो सिर्फ रबर स्टांप बनकर रह गई हैं। यूपी में मिड-डे-मील योजना के तहत स्कूली बच्चों को पोषणयुक्त भोजन देने के लिए सरकार टैक्स के रूप में भारी-भरकम सेस वसूल करती है। इसके बावजूद पिछड़े जनपदों में स्कूली बच्चों को मानक के मुताबिक भोजन नहीं मिल पा रहा है। यह स्थिति तब है जब मिर्जापुर में स्कूली बच्चों को नमक-रोटी परोसे जाने का मामला दुनिया भर में सुर्खियां बन चुका है।"

नोट: सभी तस्वीरें शिक्षा विभाग के अफ़सरों द्वारा जांंच करते समय के हैं।

(लेखक विजय विनीत वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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