Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

हीट वेव: यूपी से बिहार तक लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और बढ़ते मौत के आंकड़े

लगातार बढ़ती गर्मी ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया है, अस्पतालों में मरीज़ों की संख्या बढ़ती जा रही है और मौत के आंकड़े भी। इसी बीच लचर स्वास्थ्य व्यवस्था और भ्रमित करने वाले बयान भी ख़ूब देखने को मिल रहे हैं।
ballia
फ़ोटो : PTI

उत्तर प्रदेश से लेकर बिहार तक भीषण गर्मी के कारण लोगों की ज़िंदगी पर बन आई है, बची-खुची कसर दोनों राज्यों की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था ने कर दी। कहने का अर्थ ये है कि जगह-जगह भाषणों में बेहतर स्वास्थ्य, तमाम मेडिकल कॉलेज और आधुनिक मशीनरी का बखान करने वाले नेताओं की कलई तब खुल जाती है, जब कोई मुसीबत आती है। यही तब हुआ था जब देश में कोरोना महामारी का संकट आया था और यही अब हो रहा है, जब उत्तर प्रदेश के ज़्यादातर ज़िलों की लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाएं हीट वेव के कारण अपनी हालत पर रो रहे हैं।

केवल उत्तर प्रदेश के बलिया में 57 लोगों की मौत हो चुकी है, और ये आंकड़े चौंकाने वाले इसलिए हैं, क्योंकि ये मौतें महज़ पिछले तीन दिनों में हुई है। जबकि अस्पताल प्रबंधक ये मानने को तैयार नहीं है, कि ये मौतें हीट वेव के कारण हो रही हैं, जबकि इन मौतों का कारण कभी कॉलरा बताया जा रहा है, तो कभी डायरिया, या ये कहकर जस्टिफाई किया जा रहा है कि ये मौतें दूषित पानी पीने के कारण हो रही है। एक बार मान भी लिया जाए कि इन मौतों का कारण हीट वेव नहीं है, जो भी कारण हो, लेकिन सवाल ये है कि इनका इलाज क्यों नहीं हो पा रहा है। आपको यहां बताना बहुत ज़रूरी है कि सरकार की ओर से महज़ बयानबाज़ी की जा रही है, जबकि कोई मंत्री या नेता अभी तक अस्पतालों में मरीज़ों की सुध लेने के लिए नहीं पहुंचा है।

यहीं पर कुछ और आंकड़े रख देना ज़रूरी है कि जैसे देवरिया ज़िले में हीट वेव के कारण पिछले कुछ दिनों में 53 मौते हो चुकी हैं, जबकि कई ग्राउंड रिपोर्ट्स इस आंकड़े को 121 बता रही हैं। इसके अलावा ख़ुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के क्षेत्र गोरखपुर में पिछले चार दिन बहुत विभत्स रहे हैं। यहां हीट वेव के मामले अभी तक 150 से ज़्यादा दर्ज किए जा चुके हैं जबकि पिछले 12 घंटों में 9 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं कुशीनगर में तीन मौतें हो चुकी हैं। अचरज की बात है लेकिन जिन ज़िलों से ये आंकड़े सामने आ रहे हैं वो सभी गोरखपुर के आसपास ही हैं, जिसे मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ का गढ़ कहा जाता है।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के लिए पिछले वर्षों में हीट वेव का ये दौर सबसे बुरा गुज़र रहा है। इस साल लगभग 3500 मामले आ चुके हैं, जिनमें से करीब 68 मौत हो चुकी है और ये आंकड़े लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। दरअसल ये डेटा स्वास्थ्य सेवा निदेशालय की ओर से जारी किया गया है। स्वास्थ्य सेवा निदेशालय के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले साल की तुलना में मामलों की संख्या दोगुनी हो गई है। यहां समझने वाली बात ये है कि आंकड़े दोगुने होने के बावजूद भी स्वास्थ्य विभाग मामले कम ही बता रहा है, जबकि इस बात का जवाब नहीं दे रहा है कि अकेले बलिया में गर्मी से 121 मौतें कैसे हुईं। क्योंकि उनके जुड़ते ही आकड़ें सरकार को और अस्पताल प्रबंधक को कटघरे में खड़े कर देगा।

ख़ैर.. बलिया या अन्य अस्पताल में हीट वेव से हुई मौतों को कुछ साबित करने की कोशिश हो रही है। इसे ठीक से समझने के लिए न्यूज़क्लिक ने नोएडा के ज़िला संयुक्त अस्पताल के जनरल फिज़ीशियन डॉ प्रदीप सहगल से बात की। उन्होंने बताया कि लोगों के मरने का कारण भले ही डायरिया, उल्टी, दस्त, गंदा पानी या कॉलरा आदि बताया जा रहा है, लेकिन इनका कारण हीट वेव ही है, फिर इसे नाम कुछ भी दे दिया जाए। डॉ सहगल ने बताया कि किसी के भी शरीर में ज़्यादा गर्मी लग जाने के कारण उसका टेम्प्रेचर 104 से ऊपर हो जाता है, इसके कारण स्किन ड्राई हो जाती है, पसीना आना बंद हो जाता है, क्योंकि खून पतला हो जाता है। यही कारण है कि मरीज़ को उल्टी दस्त जैसी लक्षण हो जाते हैं, यहां तक ब्रेन हेम्बरेज होने के चांस भी बढ़ जाते हैं।

डॉ प्रदीप सहगल से हमने पूछा कि इस वक्त सबसे ज्यादा प्रभावित कौन होता है? इस पर उनका जवाब था कि जो लोग ज़्यादातर धूप में काम करते हैं, जैसे मज़दूर वर्ग, या रिक्शा चलाने वाले, या जो सड़कों पर काम करते हैं। उनके साथ ये दिक्कते ज़्यादा होती हैं। वो वक्त पर पानी नहीं पी पीते है, उन्हें आराम करने के लिए ज़्यादा समय नहीं मिलते जिसके कारण उनकी बॉडी बहुत ज़्यादा हीट हो जाती है।

यानी ये कहना ग़लत नहीं होगा कि इन मौतों का कारण हीट वेव ही है, लेकिन लोगों को भ्रमित करने के लिए अलग-अलग बीमारियों का नाम बताया जा रहा है और इसकी वजह से हमेशा की तरह लेबर क्लास और गरीब व्यक्ति प्रभावित हो रहा है।

मौत के कारणों को छुपाने में यूपी के ट्रांसपोर्ट मिनिस्टर और बलिया से विधायक दयाशंकर सिंह भी पीछे नहीं है, उनकी ये बाइट सुन लीजिए...

यानी मंत्री साहब भी मानने को तैयार नहीं हैं कि मौत का कारण हीट वेव ही है। बलिया में लापरवाही और सच छुपाने का सच इस बात से सामने आता है कि जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक यानी सीएमएस डॉ दिवाकर सिंह को मौत की वजह के बारे में टिप्पणी करने के बाद हटा दिया गया और आजमगढ़ भेज दिया गया। दरअसल उन्होंने बीते शुक्रवार को कहा था कि गर्मी की वजह से अस्पताल में 20 से अधिक मरीजों की मौत हो गई। डॉ एसके यादव को उनकी जगह नया सीएमएस बनाया गया है, सीएमओ जयंत कुमार ने बताया कि रिकॉर्ड के मुताबिक, 54 मौतों में से 40% मरीजों को बुखार था, जबकि 60% अन्य बीमारियों से पीड़ित थे। अभी तक जिले में लू से सिर्फ दो लोगों की मौत हुई है। अस्पताल पर दबाव बढ़ रहा है, यहां हर रोज 125-135 मरीज भर्ती हो रहे हैं।

असल कारणों से पीछा छुड़ा रहे नेता और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की सच्चाई आप इस वीडियो में देखिए...

ये वीडियो बलिया ज़िला अस्पताल का है जहां मरने के बाद उसे परिवारजन कपड़े में लपेटकर ई-रिक्शा के ज़रिए ले जाते दिखाई पड़ रहे हैं, यानी न एंबुलेंस है और न ही कोई स्वास्थ्यकर्मी। ऐसा ही नज़ारा अस्पताल के अंदर का भी है, जहां मरीजों को खुद तीमारदार देख रहे हैं, डॉक्टरों का और अस्पताल के स्टाफ का कुछ अता-पता नहीं है। यानी ये कहना ग़लत नहीं होगा कि लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को ये कह कर कंट्रोल किया जा रहा है कि मरने वालों में ज्यादातर बुज़ुर्ग हैं, जो गर्मी को पूरी तरह से झेल नहीं पाए।

वहीं बात अगर बिहार की करेंगे तो भीषण गर्मी के कारण कई लोगों की मौत की खबरें हैं। बिहार में बीते 24 घंटे में 44 लोगों की मौत की रिपोर्ट है। बताया जा रहा है कि पटना में 35 लोगों की मौत हुई है और अन्य जिलों में नौ लोगों की मौत भीषण गर्मी के कारण हुई है। ये आंकड़े 19 जून से पहले के हैं।

एक न्यूज़ वेबसाइट डीडब्ल्यू के मुताबिक एक शोध कहता है कि तापमान में 2.7 डिग्री की बढ़ोत्तरी का असर 60 करोड़ से ज्यादा भारतीयों पर पड़ेगा। अगर इसे 1.5 डिग्री तक सीमित कर लिया जाता है तो इसमें छह गुना की कमी आ सकती है। तब नौ करोड़ भारतीय बढ़ती गर्मी और लू का प्रकोप झेलने को मजबूर होंगे। मौजूदा समय की बात करें तो जिन ज़िलों में हीट वेव का असर भयानक है, वहां का तापमान 40 के पार बना हुआ है।

फिलहाल किसी भी राज्य के लिए प्राकृतिक तौर पर ये समस्याएं तभी खत्म हो पाएंगी, जब गर्मी से राहत मिलेगी। हालांकि जिस तरह से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं के नाम पर लोगों को भ्रमित किया जा रहा है, अव्यवस्थाओं के कारण लोगों की मौत हो रही है, इसका भी ठीक-ठीक जवाब सरकार को देना चाहिए।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest