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गुजरात में नार्कोटिक व निषेध क़ानून के तहत सबसे ज़्यादा मामले दर्ज हुएः एनसीआरबी रिपोर्ट

देश भर में साल 2021 में निषेध क़ानून और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटैंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत दर्ज 10.93 लाख मामलों में से 2.84 लाख मामले बीजेपी शासित गुजरात में दर्ज किए गए। इसके बाद तमिलनाडु में 2.15 लाख मामले दर्ज किए गए।
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Image courtesy : The Indian Express

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में सामने आया है कि साल 2021 में देश भर में गुजरात में शराबबंदी और नशीली दवाओं से संबंधित क़ानूनों के तहत सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए।

वर्ष 2021 में निषेध क़ानून और नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटैंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत देश में दर्ज किए गए 10.93 लाख मामलों में से 2.84 लाख मामले गुजरात में दर्ज किए गए। गुजरात के बाद तमिलनाडु में 2.15 लाख मामले दर्ज किए गए। इस क़ानून के तहत साल 2020 में गुजरात में 2.42 लाख मामले दर्ज किए गए थे जबकि तमिलनाडु में 1.68 लाख मामले दर्ज किए गए थे।

पिछले वर्ष की ही तरह पहले भी गुजरात और तमिलनाडु दोनों राज्यों में सबसे अधिक मामले निषेध अधिनियम (प्रोहिबिशन एक्ट) से जुड़े थे। गुजरात में कुल 2.84 लाख मामलों में से 2.83 लाख मामले निषेध अधिनियम के तहत दर्ज हुए, वहीं तमिलनाडु में 2.08 लाख मामले दर्ज किए गए। एनसीआरबी की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2021 में निषेध अधिनियम के तहत दर्ज मामलों की कुल संख्या 6.78 लाख थी।

पिछले साल की बात करें तो गुजरात में निषेध अधिनियम के तहत मामलों में करीब 17 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। साल 2020 में राज्य में इसी तरह के 2.43 लाख मामले दर्ज किए गए जो कि देश भर में सबसे ज़्यादा थे। वहीं गुजरात के बाद तमिलनाडु में इस अधिनियम के तहत 1.74 लाख मामले सामने आए थे।

बता दें कि गुजरात में निषेध क़ानून के तहत बिना लाइसेंस के शराब बेचना या एक जगह से दूसरी जगह ले जाना अपराध है। तमिलनाडु में साल 2003 में तमिलनाडु निषेध अधिनियम, 1937 संशोधन के बाद दुकानों और बार में भारतीय निर्मित विदेशी शराब की खुदरा बिक्री का एकमात्र लाइसेंस तमिलनाडु राज्य विपणन निगम लिमिटेड (टीएएसएमएसी) को दिया गया। इस संशोधन के बाद तमिलनाडु लिक्वर रिटेल वेंडिंग (इन शॉप एंड बार्स) नियम, 2003 इसी साल नवंबर महीन में लागू हुआ।

बिहार, मणिपुर और नागालैंड जैसे राज्यों में इसी तरह के निषेध क़ानून लागू हैं। जहां बिहार में निषेध अधिनियम के तहत 69,124 मामले दर्ज किए गए वहीं नागालैंड में 124 मामले दर्ज किए गए जबकि मणिपुर में इस अधिनियम के तहत ऐसा कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है।

बता दें कि हाल ही में अहमदाबाद में ज़हरीली शराब पीने से क़रीब 42 लोगों की मौत का मामला सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक़ राज्य में जनवरी 2021 से लेकर जुलाई 2022 तक निषेध क़ानून के तहत 2,52,071 लोगों को गिरफ़्तार किया गया।

ज्ञात हो कि लिक्वर एंड नार्कोटिक ड्रग से जुड़े अपराध के मामले में साल 2021 में संघ शासित प्रदेशों में 8554 मामले दर्ज किए गए। देश की राजधानी दिल्ली में सबसे ज़्यादा 5003 मामले दर्ज किए गए। दिल्ली के बाद जम्मू-कश्मीर इस मामले दूसरे स्थान पर है जहां 2399 मामले सामने आए। सबसे कम मामले दादरा एवं नागर हवेली और दमन दीव के साथ साथ लक्ष्यद्वीप में दर्ज किए गए। यहां इस श्रेणी में अपराध के 6 मामले दर्ज किए गए।

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