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हिमाचल: मज़दूर-विरोधी फ़ैसले वापस लेने की मांग निर्माण मज़दूर फेडरेशन ने की

मज़दूर संगठन सीटू और हिमाचल प्रदेश निर्माण मज़दूर फेडरेशन का प्रतिनिधिमंडल हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड के सचिव श्री दिले राम धीमान से मुलाक़ात कर मांग पत्र सौंपा।
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फ़ोटो साभार: Rozana Himachal

मज़दूर संगठन सीटू और हिमाचल प्रदेश निर्माण मज़दूर फेडरेशन का प्रतिनिधिमंडल हिमाचल प्रदेश कामगार कल्याण बोर्ड के सचिव श्री दिले राम धीमान से शिमला में मिले और उन्हें मांग पत्र सौंपा।

इस प्रतिनिधिमंडल में सीटू राष्ट्रीय सचिव डॉक्टर कश्मीर सिंह ठाकुर, राज्य अध्यक्ष विजेंद्र मैहरा, उपाध्यक्ष रवींद्र कुमार, महासचिव प्रेम गौतम, मनरेगा और निर्माण फेडरेशन के राज्य अध्यक्ष जोगिंद्र कुमार व महासचिव भूपेंद्र सिंह शामिल हुए।

मज़दूर यूनियन के पदाधिकारियों ने बोर्ड के सचिव को बताया कि उन्होंने जो पत्र 12 दिसंबर को जारी किया है उसके चलते ज़िला स्तर पर मज़दूरों का पंजीकरण, नवीनीकरण और सहायता प्राप्त करने के लिए जमा होने वाले प्रपत्रों का काम रुक गया है। इसके अलावा बोर्ड कार्यालय से पिछले छह महीने से मज़दूरों को जारी होने वाली राशि भी स्वीकृत नहीं हो रही है।

यूनियन पदाधिकारियों ने बोर्ड के सचिव को इस पत्र को तुरंत वापस लेने की मांग की है और लंबित सभी प्रकार के लाभ जारी करने की मांग की है। यूनियन ने चेतावनी भी दी है कि यदि बोर्ड ऐसा नहीं करता है तो वे 15 मार्च को प्रदेश भर में खंड स्तर पर इसके विरोध में प्रदर्शन करेंगे।

आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड ने पंजीकृत मनरेगा मजदूरों को मिलने वाले लाभ स्वीकृत करने पर अघोषित तौर पर रोक लगा दी है जिसका सीटू से संबंधित मनरेगा व निर्माण मज़दूर फेडरेशन ने कड़ा विरोध किया है। देशभर में मनरेगा मजदूरों को निर्माण मजदूरों के कल्याण बोर्ड का सदस्य माना जाता है और उन्हें इसके माध्यम से सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा का लाभ मिलता है। लेकिन हिमाचल सरकार ने पहले मनरेगा मजदूरों के लिए श्रम बोर्ड का सदस्य बनने के नियम सख्त किए और अब उन्हें पूरी तरह बाहर करने का फैसला किया है।

उन्होंने बताया कि बोर्ड के सचिव ने इस बारे जल्दी ही फ़ैसला लेने की बात स्वीकार की और इस बारे में वे श्रम मंत्री और बोर्ड के चेयरमैन तथा मुख्यमंत्री से अगले एक दो दिन में चर्चा करके उचित निर्णय लेंगे।

यूनियन ने मांग की है कि पंचायतों व नगर निकायों में विभिन्न मद्दों के तहत जो निर्माण कार्य किया जाता है उसे बोर्ड से पंजीकृत होने के लिए मान्य किया जाए और रोज़गार प्रपत्र जारी करने तथा उसे प्रतिहस्ताक्षरित करने का अधिकार पूर्व की भांति पंजीकृत मज़दूर यूनियनों को भी जारी रखा जाए जिसे 8 फ़रवरी 2023 की अधिसूचना के तहत समाप्त कर दिया गया है।

यूनियन ने मांग की है कि बोर्ड संबंधी निर्णय लेने बारे बनाई गई एक्सपर्ट कमेटी में मज़दूर यूनियनों को भी शामिल किया जाए। इसके अलावा निर्माण कार्य में सेस काटने के बाद ही संबंधित मज़दूर को बोर्ड का सदस्य बनने की शर्त निरस्त की जाए क्योंकि पंजीकरण के लिए भवन एवं अन्य सन्निर्माण क़ानून 1996 में ऐसी कोई अनिवार्य शर्त नहीं है।

निर्माण फेडरेशन के राज्य अध्यक्ष जोगिंद्र कुमार ने कहा कि गांवों और शहरों में जो भवन निर्माण कार्य होता है उसमें कहीं पर भी सरकार ने सेस नहीं लगाया है इसलिए बोर्ड ने मज़दूरों के पंजीकरण और नवीनीकरण के लिए ये शर्त गैरकानूनी तरीके से थोप दी है और इसके कारण कोई भी निर्माण मज़दूर बोर्ड का सदस्य नहीं बन सकता है। इसलिए यूनियन ने इसे तुरंत निरस्त करने की मांग की है और इस कारण पिछले छह महीने से रुके कार्य को तुरंत बहाल करने की मांग की है। यूनियन ने पिछले दो साल के लंबित लाभ जल्दी मज़दूरों को जारी करने की भी मांग की है और कोविड काल के लिए घोषित छह-छह हज़ार रुपये की सहायता राशि सभी मज़दूरों को देने की भी मांग की है।

इसके अलावा बोर्ड के कार्यों के सुचारू और समय पर पूरा करने के लिए सभी जिलों में श्रम कल्याण अधिकारी नियुक्त करने की भी मांग की है। इसके अलावा पिछले छह महीने से जिलों में प्रपत्र जमा न होने के लिए सभी श्रम अधिकारियों को प्रपत्र लेने के लिए तुरंत पत्र जारी करने की भी मांग की गई और रोज़गार प्रपत्र को संशोधित करके जिलों को भेजने की भी मांग की गई। यह भी मांग की गई कि जल्दी ही बोर्ड की मीटिंग बुलाई जाए जिसमें इन सब मुद्दों पर चर्चा हो सके और लिए जा रहे एक तरफ़ा मज़दूर विरोधी निर्णयों को बदला जा सके।

महासचिव भूपेंद्र सिंह ने कहा कि मजदूरों का पंजीकरण ऑफ़लाइन और ऑनलाईन दोनों पद्धतियों से किया जाए। इसके अलावा सीटू ने ये भी फ़ैसला लिया है कि वे मार्च के प्रथम सप्ताह में इन सब मांगों से मुख्यमंत्री को अवगत करवाएं और बोर्ड ने जो मज़दूर विरोधी फ़ैसले लिए हैं उन्हें बदलने के बारे उनसे भी मांग की जाएगी।

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