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भूटान का आर्थिक संकट कितना गंभीर है?

बढ़ते व्यापार घाटे और बढ़ती आयात लागत ने भूटान के आर्थिक क्षेत्र पर प्रभाव डाला है। छोटा-सा ये हिमालयी देश आवश्यक वस्तुओं की क़ीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक तंत्र स्थापित कर रहा है।
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भूटान अपने जलविद्युत और पर्यटन क्षेत्रों पर केंद्रित है जो देश के बाहर से राजस्व उत्पन्न करता है।

दक्षिण एशियाई देश भूटान जो कभी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर सकल राष्ट्रीय प्रसन्नता को बढ़ावा देने के अपने दर्शन के लिए जाना जाता है वह अब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है।

8,00,000 से कुछ कम लोगों की आबादी वाला ये राष्ट्र वैश्विक आर्थिक मंदी और राष्ट्रव्यापी कोविड प्रतिबंध के चलते चीन और भारत के बीच इस देश में आपूर्ति श्रृंखला बुरी तरह प्रभावित हुई है।

भूटान के छोटे और मध्यम व्यवसाय अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

मूल्य वृद्धि और खाद्य सुरक्षा चिंताएं जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियन स्टडीज की प्रोफेसर संगीता थपलियाल ने डीडब्ल्यू को बताया, "इस देश की स्थिति की तुलना अभी श्रीलंका से नहीं की जा सकती है।"

भोजन, ईंधन और दवा का भुगतान करने के लिए पैसे खत्म होने के बाद श्रीलंका की कर्ज से लदी अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो गई जो महीनों तक विरोध प्रदर्शनों का कारण बना।

हालांकि, थपलियाल ने कहा कि भूटान उन लोगों के लिए इसी तरह की आर्थिक समस्याओं का सामना कर रहा है जो वर्तमान में अधिकांश राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध ने विशेष रूप से पेट्रोलियम की बढ़ती कीमतों की स्थिति को और खराब कर दिया है।"

उन्होंने आगे कहा, "अन्य देशों की तरह, भूटान की अर्थव्यवस्था में भी मुद्रास्फीति, आर्थिक झटके और नौकरियों का नुकसान हुआ है।"

विशेषज्ञों के अनुसार, मज़बूत डॉलर और गिरते भारतीय रुपये जिससे भूटान की नगुलट्रम मुद्रा आंकी जाती है वह भी उच्च आयात लागत की ओर ले जा रही है। यह उस देश के लिए आदर्श से बहुत दूर है जो विदेशों के उत्पादों पर बहुत अधिक निर्भर है।

भूटान चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने डीडब्ल्यू को बताया, "भारत द्वारा गेहूं के निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंधों से स्थानीय कीमतों में और बढ़ोतरी की चिंता बढ़ गई है।" उन्होंने कहा, "खाद्य आपूर्ति को लेकर चिंता है।"

भूटान अपने जलविद्युत और पर्यटन क्षेत्रों पर केंद्रित है जो देश के बाहर से राजस्व पैदा करते हैं।

इस बीच सकल घरेलू उत्पाद के मामले में भूटान के विनिर्माण क्षेत्र का शेयर एक दशक से अधिक समय से स्थिर है जबकि औद्योगिक क्षेत्र मुख्य रूप से निर्माण, खनन और बिजली द्वारा संचालित था।

वित्त मंत्री नामगे शेरिंग ने कहा है कि भूटान एक 'अज्ञात गंतव्य' की ओर बढ़ रहा है।

इस तरह की रूपरेखा आर्थिक संरचना को क्षेत्रीय और बाहरी झटकों के प्रति संवेदनशील बनाती रही है, क्योंकि जीडीपी, निर्यात और सरकारी राजस्व ज़्यादातर सिर्फ़ दो क्षेत्रों से पैदा होते हैं।

हाल ही में हुई एक बैठक में भूटान के वित्त मंत्री ल्योंपो नामगे शेरिंग ने कहा कि सरकार आयात पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में नहीं है लेकिन विदेशी भंडार की रक्षा में मदद करने के लिए अपनी पूरी कोशिश करेगा।

शेरिंग ने कहा, "मैं यह नहीं कह सकता कि आर्थिक संकट का कोई ख़तरा नहीं है। मैं यह नहीं कह सकता कि हम संकट में नहीं हैं। साथ ही, मैं यह नहीं कह सकता कि हम सहज हैं।" उन्होंने कहा कि ये हिमालयी राष्ट्र "अज्ञात गंतव्य" की ओर बढ़ रहा है।

शेरिंग द्वारा हाल ही में पेश किए गए वार्षिक बजट में भूटान का अब तक का सबसे अधिक राजकोषीय घाटा 22.882 बिलियन नुग्त्रुम ( 283 मिलियन यूरो) अर्थात देश के सकल घरेलू उत्पाद का 11.25% दिखाया गया है।

कम हो रहा है विदेशी भंडार?

भूटान के रॉयल मॉनेटरी अथॉरिटी द्वारा जुलाई में जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि विदेशी मुद्रा भंडार दिसंबर के अंत में घटकर 970 मिलियन डॉलर (955 मिलियन यूरो) हो गया। यह अप्रैल 2021 में 1.46 बिलियन डॉलर था। जबकि कुल विदेशी ऋण कोरोनवायरस महामारी से पहले 2.7 बिलियन डॉलर से बढ़कर 3.2 बिलियन डॉलर हो गया।

देश के पास 14 महीने के लिए आवश्यक वस्तुओं के आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त विदेशी भंडार है। भूटान का संविधान देश को 12 महीने के आयात को पूरा करने के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार बनाए रखने का अधिकार देता है।

राजधानी थिंपू से भूटान के राष्ट्रीय अखबार कूएनसेल के सीईओ उग्येन पेनजर ने डिडब्ल्यू को बताया, "हम आयात पर निर्भरता वाले देश हैं। हमें अन्य क्षेत्रों की ओर ध्यान देना शुरू करना होगा और नीतियों को सुधारना होगा जो अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए राजस्व ला सकते हैं। कृषि के लिए नई तकनीक में निवेश करना एक शुरुआत हो सकती है।"

उन्होंने आगे कहा, "हम डरे नहीं हैं, लेकिन व्यापार घाटा बढ़ रहा है।"

अभी के लिए भूटान को अपने विदेशी मुद्रा भंडार को कम होने से रोकने के लिए व्यापार घाटे के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।

हिमालय का पानी भूटान के जलविद्युत क्षेत्र के लिए वरदान साबित हुआ है।

भूटान के पर्यटन उद्योग को पुनर्जीवित करना

एसोसिएशन ऑफ भूटानी इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष पेमा तेनज़िन वित्तीय संकट को लेकर चिंतित थे।

तेनज़िन ने डीडब्ल्यू को बताया, "पर्यटन क्षेत्र प्रभावित हुआ है और खालीपन ने ढांचागत परियोजनाओं में ठहराव ला दिया है क्योंकि महामारी ने आजीविका को प्रभावित किया है। लेकिन हम वापस हासिल करेंगे।"

पर्यटन जो 50,000 से अधिक लोगों को रोज़गार देता है और भूटान के राजस्व में सबसे अधिक योगदान देने वालों में से एक है उसे किसी भी अन्य क्षेत्र से सबसे ज्यादा झटका लगा।

पिछले वर्ष की तुलना में 2019-2020 में पर्यटन से राजस्व में 41% की गिरावट आई है।

2020 में केवल 28,000 पर्यटक भूटान आए जिससे 19 मिलियन डॉलर (18.67 मिलियन यूरो) का राजस्व प्राप्त हुआ। यह 2019 के 3,15,599 पर्यटकों के आंकड़े से काफी कम था जिससे सरकारी आंकड़ों के अनुसार 225 मिलियन डॉलर कमाई की गई थी।

महामारी शुरू होने के बाद पिछले दो साल से अधिक समय गुजरने के बाद पहली बार सितंबर से यह पर्वतीय राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों के लिए फिर से खुल जाएगा।

हालांकि, रेट को बढ़ा दिया गया है और प्रति रात प्रति पर्यटक 200 डॉलर (196 यूरो) का सस्टेनेबल डेवलपमेंट शुल्क लिया जाएगा। यह 65 डॉलर से बढ़ोतरी की गई है जो तीन दशकों से लिया जा रहा था।

जलविद्युत की तेज़ी

भूटान का आर्थिक विकास उसके जलविद्युत क्षेत्र के विकास से जुड़ा है। यह देश भारत को पैदा हुए ऊर्जा का लगभग 70% निर्यात करता है।

भारत भूटान का सबसे बड़ा निर्यात बाजार भी है साथ ही सबसे महत्वपूर्ण व्यापार भागीदार भी है जो भूटान के व्यापार का 50% हिस्सेदार है और देश के शीर्ष विदेशी निवेशकों में से एक है। जबकि भूटान भारत की नेबरहुड फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीतियों के लिए महत्वपूर्ण रहा है जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र में व्यापार और ऊर्जा संबंधों को बढ़ावा देना है।

ऐसी आशंकाएं हैं कि लंबे समय तक चलने वाले आर्थिक संकट से भारत और भूटान के बीच संबंधों में खटास आ सकती है। यह एक ऐसी स्थिति है जिसका लाभ चीन उठाने की स्थिति में हो सकता है।

चीन के साथ तटस्थ व्यवहार करते हुए भूटान ने अब तक भारत के साथ एक अनूठा संबंध बनाए रखा है।

थपलियाल ने कहा, 'इस स्थिति में भारत के लिए यह जरूरी है कि वह भूटान की मदद करे, जिसके साथ उसके खास संबंध हैं।'

उन्होंने कहा, "एक आर्थिक रूप से मजबूत भारत जो भूटान को उसकी आर्थिक चुनौतियों का सामना करने में मदद करने में सक्षम है, लंबे समय में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत और स्थिर बनाए रखेगा।"

(कीथ वाकर द्वारा इसे संपादित किया गया।)

साभार :  DW

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