Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

''महिलाओं को अपने अधिकार ज़िंदा रखने के लिए लड़ना होगा''

''देश के जो हालात हैं वो प्रगतिशील महिलाओं के लिए ख़तरनाक हैं। महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर क़ानून बनाने तक में हिस्सा लिया था। वो हमेशा आगे रहीं लेकिन अब हालात देखिए कैसे बना दिए गए हैं।''
women protest

राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर कार्यक्रम का आयोजन किया गया (चूंकि 8 मार्च को होली थी इसलिए इस कार्यक्रम का आयोजन आज किया गया)। इस कार्यक्रम में National Federation of Indian Women (NFIW) से जुड़ी एक सीनियर कार्यकर्ता ने कहा, ''देश के जो हालात हैं वो प्रगतिशील महिलाओं के लिए खतरनाक हैं। महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर क़ानून बनाने तक में हिस्सा लिया था। वो हमेशा आगे रहीं लेकिन अब हालात देखिए कैसे बना दिए गए हैं''।

वो आगे कहती हैं, ''ये सिर्फ़ नारियों के अधिकार की लड़ाई नहीं है। ये हमारे ज़िंदा रहने की लड़ाई है, जो भी हक मिले हैं, वो मिट्टी में चले जाएंगे। अगर प्रज्ञा ठाकुर जैसे लोग संसद में भर जाएंगे, ऐसे लोग संसद में होंगे तो नारी अधिकार की रक्षा की बात नहीं रह जाएगी, तब तो देश के बारे में ही सोचना होगा''

''8 मार्च इसलिए ज़रूरी नहीं है कि हम हक की लड़ाई की बात करें, बल्कि देश की रक्षा करना, संविधान की रक्षा करना, हमारे मूल्यों की रक्षा करना भी ज़रूरी हो गया है। लोगों की मानसिकता बदल गई है, देश के माहौल की वजह से मुसलमान औरतों के दिलों में जो डर बढ़ा है उसे ख़त्म करने के लिए आंदोलन करने की ज़रूरत है। 'अल्पसंख्यकों की रक्षा करो' यही हमारा नारा होना चाहिए''।

वो देश में मुसलमान समेत दूसरे अल्पसंख्यकों पर लगातार हो रहे हमलों को लेकर चिंता ज़ाहिर करती हैं और साथ ही देश में बदली मानसिकता को भी ख़तरनाक बताती हैं।

''समानता के लिए एकजुटता''

जंतर-मंतर पर बुलाए गए कार्यक्रम के बारे में AIDWA दिल्ली से जुड़ी मैमुना मुल्ला ने कहा कि, ''ये कार्यक्रम (अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस) वैसे तो 8 मार्च को होता है, लेकिन होली की वजह से ये कार्यक्रम आज 10 मार्च को हो रहा है। ये कार्यक्रम जब हम दिल्ली में मनाते हैं तो इसमें दिल्ली के अनेक महिला संगठन और NGO व मज़दूर संगठन भी शामिल होते हैं और सब मिलकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाते हैं।''

इस कार्यक्रम में All India Democratic Women's Association (AIDWA) समेत संघर्षशील महिला केंद्र(CSW), प्रगतिशील महिला संगठन (PMS), नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वीमेन (NFIW) पुरोगामी महिला संगठन, आज़ाद फाउंडेशन, मज़दूर एकता कमेटी, जागोरी समेत और भी कई छोटे-बड़े संगठन और NGO शामिल हुए।

मैमुना बताती हैं कि इस कार्यक्रम का थीम है ''समानता के लिए एकजुट संघर्ष'', इसके लिए हमारी बहुत सी मांगें हैं लेकिन उनमें से जो कुछ ख़ास हैं जो निम्नलिखित हैं :

  • महिलाओं पर जिस तरह से हिंसा हो रही है, जिसमें यौन हिंसा भी शामिल है, उस पर रोक लगाई जाए।
  • एक ज़माने से हम मांग कर रहे हैं कि 33 प्रतिशत आरक्षण (संसद और विधानसभा में) दिया जाए, उसे सुना जाए।
  • इस बार राशन के बजट में कटौती की गई है उसे वापस लिया जाए।
  • नफ़रत का बाज़ार गर्म है। इस नफ़रत के बाज़ार पर अंकुश लगे। नफ़रत की बात करने वालों पर रोक नहीं लग रही और जो अपने हक की बात कर रहे हैं उन्हें अंधाधुंध जेलों में ठूंसा जा रहा है तो ये बंद होना चाहिए।

इन संगठनों की तरफ़ से अधिकारों से जुड़े गीत गाए गए, संदेशों से भरे नुक्कड़ नाटक किए और दूरदराज के इलाकों में महिलाओं के साथ हो रही नाइंसाफी के ख़िलाफ़ नारे लगाए। यहां चारों तरफ संगठनों की तरफ से जो नारे और संदेशों से भरे पोस्टर लगाए गए थे।

नारों से गूंजा जंतर-मंतर

  • आधा आसमां है मेरा, आधी ज़मीं भी मेरी हो - AIDWA
  • धर्म निरपेक्षता की रक्षा करो, बहुसंख्यक तुष्टिकरण को शिकस्त दो- NFIW Delhi State
  • धर्म और राजनीति का मेल, बंद करो यह ख़तरनाक खेल- NFIW Delhi State
  • तू बोलेगी मुंह खोलेगी, तभी तो जमाना बदलेगा (ख़ामोशी तोड़ो, वक़्त आ गया है!)- संघर्षशील महिला केंद्र
  • Unite Against Violence Against Women - CSW
  • Justice, Equality, Freedom From Violence! WE WANT IT ALL! - CSW
  • आंगनवाड़ी और आशा कर्मियों को न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करो! - पुरोगामी महिला संगठन
  • महिलाओं पर बढ़ती हिंसा का डटकर विरोध करें ! - पुरोगामी महिला संगठन
  • हिंदुत्व की ताकतें महिला अधिकारों पर चोट करती हैं- प्रगतिशील महिला संगठन (PMS)
  • क़ातिल-बलात्कारी ऐश करें, और पीड़ित हों परेशान, क्या यही है नारी शक्ति और अमृतकाल? - AIDWA

''न्याय पाने के अधिकार से वंचित करने की कोशिश''

इस कार्यक्रम में महिला जनवादी समिति की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुभाषिनी अली ने हाल ही में आए हाथरस मामले के फैसले को लेकर कहा, ''आज हमारे बुनियादी अधिकार, न्याय पाने के अधिकार से भी हमको वंचित किया जा रहा है। हाथरस का मामला काफी चर्चित मामला था। एक वाल्मीकि महिला के साथ चार ऊंची जाति के लोगों ने बलात्कार किया, उसका गला दबा दिया गया, वो मर गई, उसकी लाश को पुलिस-प्रशासन ने आधी रात को जलाने का काम किया, उसके मां-बाप तक को वहां खड़ा नहीं होने दिया, इसकी काफी चर्चा हुई लेकिन 2 तारीख़ को जज साहब ने फैसला सुना दिया।"

उन्होंने आगे कहा, "हमारे देश का क़ानून है। अगर मरने से पहले कोई महिला बयान देती है तो वो पत्थर पर लकीर समझी जाएगी, इस लड़की ने मरने से पहले बयान दिया था कि, 'चार लोगों ने बलात्कार किया और मेरा गला भी दबाया।' लेकिन जज साहब ने कहा कि इस लड़की के साथ बलात्कार नहीं हुआ, तीन लोगों को छोड़ दिया और चौथे के लिए कहा कि इसने हत्या नहीं की। इसने ऐसा कुछ कर दिया कि वे मर गई और उसे जेल में रखा है। मैं आपसे यही कहना चाहती हूं कि 15 अगस्त को प्रधानमंत्री लाल किले से कहते हैं कि 'औरतों का सम्मान करना होगा'। और सम्मान कैसे होता है कि उसी दिन गुजरात की सरकार बिलकिस बानो का बलात्कार करने वालों और उसके परिवार की हत्या करने वाले 11 सज़ायाफ्ता लोगों को छोड़ देती है।''

इसके साथ ही सुभाषिनी अली ने हरियाणा में यौन शोषण के आरोपी हरियाणा के मंत्री और बीजेपी नेता संदीप सिंह का भी मुद्दा उठाते हुए कहा कि, ''अगर हरियाणा का एक मंत्री किसी महिला कोच के साथ यौन उत्पीड़न करता है और वे बहादुर महिला उसके ख़िलाफ़ केस लिखवाती है तो हरियाणा के मुख्यमंत्री कहते हैं कि नहीं हटाएंगे, लेकिन हम तो खट्टर को ही हटाएंगे हम छोड़ने वाले नहीं हैं, हम लड़ेंगे।''

वे आगे कहती हैं, ''ये सरकार औरतों के लिए कुछ नहीं करने वाली, औरतों से उनके अधिकार छीन रही है और जो बाबा साहब आंबेडकर ने हमें संविधान में अधिकार दिए हैं। उस संविधान को भी ख़त्म कर के ये सरकार मनुस्मृति के आधार पर क़ानून बनाने जा रही है। मैं आपको बता दूं कि मनुस्मृति में ये नहीं लिखा है कि ऊंची जाति की औरत का अधिकार रहेगा और नीची जाति का नहीं रहेगा। उसमें लिखा है किसी भी औरत को अधिकार नहीं मिलेगा इसलिए सभी महिलाएं समझ लें ये सरकार हमको कहां ले जा रही है, और इसके ख़िलाफ़ इकट्ठा हों जात-पात को छोड़ो धर्म के बीच के विभाजन को छोड़ो, इकट्ठा होकर अपने अधिकार को ज़िंदा रखने के लिए लड़ना होगा।''

''महिलाओं ने अधिकार लड़कर जीते हैं''

CSW से जुड़ी एक कार्यकर्ता ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि, ''साथियों इस 8 मार्च को, ये समाज, ये मार्केट और ये नेता जो हमें बताने की कोशिश करते हैं कि आपके लिए 8 मार्च स्पेशल ऑफर, फील गुड डे, फील गुड वीक है, तो महिलाओं के आंदोलनों को आप लिपस्टिक के रिवॉल्यूशन के नाम से बताना छोड़ दीजिए क्योंकि ये वो 8 मार्च है यहां पर सदियों से महिलाओं ने कोई भी अधिकार इस सत्ता की, इस सरकार की दरियादिली से कोई अधिकार नहीं जीता है। सारे अधिकार हमने लड़कर जीते हैं, संगठित तौर पर लड़कर जीते हैं, मर कर जीते हैं, खट कर जीते हैं। हमारा आंदोलन उस सो-कॉल्ड फेमिनिज्म के खिलाफ़ भी है, उन नारीवादियों के ख़िलाफ़ भी है जिन्होंने नारीवाद को महज़ कुछ लोगों के विशेषाधिकार बनाए रखे जाने के लिए एक औज़ार बना दिया है।''

कार्यक्रम के आख़िर में सावित्रीबाई फूले, नांगेली, गोदावरी परुलेकर और क्लारा जेटकिन के उन तमाम तारीख़ी संघर्ष को भी याद किया जिनकी बदौलत आज दुनियाभर की औरतों के लिए 8 मार्च का दिन ये याद दिलाता है कि महिलाओं को आगे बढ़ने के लिए अपनी लड़ाई ख़ुद ही लड़नी पड़ी थी।

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest