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झारखंड: विशेष सत्र में जातीय जनगणना का प्रस्ताव ला सकती है सोरेन सरकार

झारखंड में राजनीतिक उठापटक के बीच विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र सोमवार को बुलाया गया है। इस सत्र में हेमंत सोरेन सरकार सदन का विश्वास हासिल करने के साथ साथ कई अहम फैसलों पर भी मुहर लगा सकती है।
झारखंड: विशेष सत्र में जातीय जनगणना का प्रस्ताव ला सकती है सोरेन सरकार

झारखंड में राजनीतिक उठापटक जारी है। इसके मद्देनज़र विधानसभा का एक दिन का विशेष सत्र सोमवार को बुलाया गया है। इस सत्र में हेमंत सोरेन सरकार सदन का विश्वास हासिल करने के साथ साथ कई अहम फैसलों पर भी मुहर लगा सकती है। चर्चा है कि झारखंड में भी बिहार की तरह जातिगत जनगणना कराई जा सकती है। इसके प्रस्ताव पर विधानसभा में चर्चा होने की संभावना है। साथ ही 1932 के आधार पर स्थानीयता लागू करने से लेकर ओबीसी-एससी-एसटी आरक्षण में बढ़ोतरी करने का प्रस्ताव लाया जा सकता है। सरकार इसकी तैयारी में लगी हुई है।

इस बीच, चर्चा है कि रायपुर में डेरा डाले यूपीए के विधायक विशेष सत्र में शिरकत करने के लिए रविवार शाम या सोमवार सत्र के दिन ही सीधे रांची पहुंचेंगे। हिंदुस्तान की रिपोर्ट के अनुसार संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने बताया कि विशेष सत्र में कई प्रस्ताव आ सकते हैं। कांग्रेस के विधायकों ने जातिगत जनगणना की मांग की है। इसका प्रस्ताव लाया जा सकता है और चर्चा हो सकती है। इसी तरह स्थानीयता निर्धारित करने से लेकर ओबीसी आरक्षण कोटा बढ़ाने की मांग की गई है। इसपर भी इस सत्र में प्रस्ताव लाया जा सकता है।

ज्ञात हो कि कुछ महीने पहले बिहार में लंबे समय से चले आ रहे जातिगत जनगणना के मुद्दे पर कैबिनेट की मुहर लग गई थी। राज्य के मुख्य सचिव अमीर सुबहानी ने कहा था कि बिहार सरकार अपने संसाधन से जनगणना कराएगी।

बता दें कि नीतीश कुमार ने साफ तौर पर कहा था कि बिहार में सभी धर्मों की जातियों और उपजातियों की गणना कराई जाएगी जिससे मुसलमानों में भी उपजाति निकल कर आएगी।

ध्यान रहे कि बिहार में जातीय जनगणना कराने की मांग पिछले तीन वर्षों से हो रही थी। नीतीश कुमार अक्सर ये कहते रहे हैं कि आम जनगणना के साथ जातियों की भी गणना कराई जाए।> पिछले साल अगस्त में मुख्यमंत्री नीतश कुमार से बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने मुलाक़ात की थी। इसके बाद सभी पार्टियों के नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की और जातीय जनगणना कराने की मांग की।

इसके बाद सितंबर में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने हलफ़नामा दायर कर साफ कर दिया था कि 2021 में जातिगत जनगणना नहीं कराई जाएगी। केंद्र ने कहा था कि ओबीसी जातियो की गिनती करना लंबा और कठिन काम है।

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