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झारखण्ड सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए राज्य में मौजूद सेना से मांगी मदद 

झारखण्ड के मुख्यमंत्री ने कहा है कि सभी सैनिक अस्पताल और वहां कार्यरत डाक्टर, कर्मचारी कोरोना से लड़ने के लिए चिकित्सा कार्य में मदद दे।
झारखण्ड सरकार ने कोरोना से लड़ने के लिए राज्य में मौजूद सेना से मांगी मदद 

झारखण्ड प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य में कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण से निज़ात पाने के लिए झारखण्ड स्थित सेना से सहयोग मांगा है। 21 अप्रैल की शाम अपने सभी महत्वपूर्ण अधिकारीयों और राज्य के सैन्य अधिकारिओं के साथ उच्च स्तरीय बैठक की। जिसमें उन्होंने कहा कि फिलहाल राज्य में जो संकटपूर्ण हालात पैदा हो गए हैं, उसमें सेना से अपील है कि वो राज्य सरकार को सहयोग करे। 

झारखण्ड के सभी सैनिक अस्पतालों और वहां कार्यरत डाक्टर, कर्मचारी आपात चिकित्सा कार्य में मानवीय मदद दे।उपस्थित सैन्य अधिकारीयों ने भी सकारात्मक जवाब देते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय इस पर गंभीरता से विचार कर रहा है।मुख्यमंत्री ने उन्हें यह भी आश्वस्त किया कि इन सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं होने दी जायेगी।     
                                                          
देश के कई राज्यों की भांति झारखण्ड प्रदेश भी बेतहाशा बढ़ते कोरोना संक्रमण के संकटों से बुरी तरह जूझ रहा है। राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी ताज़ा जानकारियों में यह भी आशंका जतायी गयी है कि राज्य में संक्रमितों के मिलने की यही रफ़्तार रही तो अगले एक महीने में 3.5 लाख से भी अधिक लोग संक्रमित हो जा सकते हैं। 

साथ ही यह भी अनुमान लगाया है कि झारखण्ड में कोरोना का डबलिंग रेट 31.60 दिनों का हो गया है। जिससे 1,72,315 संक्रमित मिल चुके हैं और अगले 31 दिनों में यह संख्या 3,44,630 हो जा सकती है। आईडीएसपी ने यह भी आशंका जतायी है कि यदि संक्रमण पर ज़ल्द रोक नहीं लगायी गयी तो स्थिति और भी खतरनाक हो जायेगी।

दूसरी ओर 22 से 29 अप्रैल तक पुरे प्रदेश में लागू किये गए विशेष ‘ स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह ‘ के तहत कई कड़े निर्देश आज से लागू कर दिए गयें हैं।

मिडिया से जारी सन्देश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि दुनिया भर में कोरोना के भयावह रूप का अब भारत को भी सामना करना पड़ रहा है।संक्रमण की दूसरी लहर झारखण्ड में भी असर दीखा रही है। जिससे झारखण्ड में भी कई लोगों की जान चले जाने से दुखी और मर्माहत हूँ। राज्य सरकार आपकी हर मुश्किल समाधान के लिए दिन रात लगी हुई है।बड़ी संख्या में हमारे डाक्टर-कर्मचारी, सफाईकर्मी और पुलिस–प्रशासन के कर्मी व अधिकारी इसकी चपेट में आ रहें है। जिनमें से कईयों का निधन भी हो गया है। ऐसे में सभी ज़रूरी व आवश्यक सेवाओं को छोड़ मैंने राज्य भर में लाकडाउन के तहत ‘ स्वस्थ सुरक्षा सप्ताह ‘ की घोषणा की है।

आपकी सुरक्षा और बेतहाशा बढ़ते महामारी संक्रमण के चेन को तोड़ने के लिए ही ऐसा सख्त निर्णय लेना पड़ा है।यदि कोई दिक्कत होती है, मैं क्षमा चाहता हूँ।   

राज्य के सभी वामपंथी दलों ने सरकार से राज्य में लॉकडाउन की बजाय अन्य वैकल्पिक उपाय करने की मांग करते हुए कहा कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण पर रोक लगाने व संक्रमितों की समुचित इलाज व्यवस्था की गारंटी के साथ - साथ सभी गरीबों व मजदूर वर्ग के लोगों की भुखमरी जैसे संकटों के समाधान के समुचित उपाय किये जाने को प्राथमिकता बनाया जाय।

माले विधायक विनोद सिंह ने मिडिया को दिए बयान में कहा है कि कोरोना इलाज को लेकर पूरा मामला रांची के अस्पतालों पर केन्द्रित किया जा रहा है। वहीँ राज्य में कहीं भी किसी को कोरोना हो जा रहा है तो वह भी रांची ही आना चाहता है। ऐसे में राजधानी जिसकी खुद भी अपनी एक सिमित क्षमता है , यहाँ बढ़ते दबाव को कम करने की भी फौरी ज़रूरत है। 

इसलिए ज़ल्द से ज़ल्द राज्य के सभी विधान सभा अथवा अनुमंडल स्तर पर विशेष कोविड इलाज केंद्र बनाने होंगे। जहाँ ऑक्सिजन–डॉक्टर की उपलब्धता के साथ - साथ अन्य सभी ज़रूरी व्यवस्था सुनिश्चित किये जाएँ। 

ग्रामीण इलाकों में अभी भी स्थिति नियंत्रण से बाहर नहीं हुई है। अभी संक्रमण के बेकाबू होने की एक बड़ी वजह है जाँच का समय पर नहीं होना, इसलिए सरकार को इस पर ज़ल्द से ज़ल्द ध्यान देना होगा। लॉकडाउन कोई स्थायी समाधान नहीं है। इससे लोग और भी अधिक भयग्रस्त हो जाते हैं।

17 अप्रैल को हुई सर्वदलीय बैठक में प्रदेश के विपक्ष भाजपा प्रतिनिधि ने भी सरकार को पूरा सहयोग देने की बात कही थी . लेकिन दूसरे ही दिन से से उसके नेताओं द्वारा राज्य में सरकार और सिस्टम फेल हो जाने जैसे बयान आने लगे।।

जवाब में सरकार के मुख्य घटक दल झामुमो प्रवक्ता ने भी पलट वार करते हुए बयान जारी कर कहा कि देश में विकराल हो रहे कोरोना महामारी के संक्रमण के लिए वर्तमान केंद्र की सरकार पूरी तरह से जिम्मेवार है। जिसने अपने हर गलत फैसले पर प्रायश्चित करने का जिम्मा अब राज्यों पर छोड़ दिया है।

देश का हर शहर श्मशान बनने लगा है, तब जाकर उसे होश आया है। यहाँ प्रदेश भाजपा नेता सर्वदलीय बैठक में तो सरकार के सहयोग की अच्छी बातें कह गए लेकिन अब दिल्ली से ऐसा कौन सा मैसेज आ गया है कि वे सरकार पलटने की बातें कहने लगे हैं। केंद्र की सरकार जो कुछ अभी कर रही है , 6 माह पहले ही यदि विपक्ष की सलाह मानकर कर दी होती तो ऐसी भयावह स्थिति नहीं बनती।                      

राज्य सरकार के घटक दल कांग्रेस ने भी प्रदेश भाजापा से अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग करते हुए कहा है कि उनके प्रमुख नेता बाबूलाल जी दो दिन पहले तक झारखण्ड में सम्पूर्ण लॉकडाउन की मांग कर रहे थे, जबकि उन्हीं की पार्टी के प्रधान मंत्री लॉकडाउन को अंतिम विकल्प बता रहें हैं। भाजपा के सांसदों- विधायकों पर यह भी आरोप लगाया है कि ये सभी एकस्वर से रामनवमी जुलुस निकालने पर अड़े हुए थे लेकिन जब आम लोगों , दुकानदारों और व्यवसायियों ने इसका कड़ा विरोध किया तो चुप्पी साध ली।

बताया जा रहा है कि इस बार प्रदेश में शुरू हुए लॉकडाउन की पूर्व संध्या पर कहीं भी किसी किस्म की कोई अफरा तफरी देखने को नहीं मिली है।विशेषकर राजधानीवासी काफी संयमित दिखे। प्रमुख बाज़ारों में भी दुकानदारों ने पहले से ही सेल्फ लॉकडाउन की घोषणा कर रखी है।

‘लहू बोलेगा‘ के जरिये लोगों को स्वस्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रहे एआईपीएफ झारखण्ड के नदीम खां ने बताया कि इस बार स्थिति काफी संगीन है, लेकिन विडंबना है कि आम लोग और सारे चिकित्साकर्मी जहाँ कोरोना से लड़ रहें हैं केंद्र के रहनुमा चुनाव लड़ने में मस्त हैं।

एक बात और भी बतायी कि रांची का चर्चित मुस्लिम बाहुल्य हिंद्पीढ़ी मोहल्ले के बाशिंदे इस बात से थोड़ा सुकून में हैं कि इस बार यह इलाका कोरोना संक्रमण का हॉट जोन नहीं बन सका है।

वरना पिछली बार हुए संक्रमण के समय तो भाजपा के लोगों ने तबलीगी जमात के सदस्यों को निशाना बना कर सारा ठीकरा मुसलामानों पर ही फोड़ा और कोरोना के नाम पर सांप्रदायिक सियासत की थी।

खबर यह भी है कि देश के कई शहरों में आसन्न ऑक्सिजन संकट दूर करने के लिए झारखण्ड स्थित बोकारो स्टील प्लांट से ऑक्सिजन के बड़े बड़े टैंकर रेल मार्ग से भेजे जा रहें हैं

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