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लखीमपुर खीरी: दलित बहनों के पोस्टमॉर्टम में हत्या से पहले रेप की पुष्टि

बुधवार को दो बहनों का शव पेड़ से लटका मिला था, अब तक छह गिरफ्तार
 Lakhimpur Kheri
Image Courtesy: newindianexpress.com

न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, बुधवार को लखीमपुर खीरी गांव में मृत पाई गई दो दलित बहनों के शवों की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट उनके परिवार के संदेह की पुष्टि करती है कि उनकी हत्या से पहले उनका यौन उत्पीड़न किया गया था। रिपोर्ट "बलात्कार और पीड़ितों के गला घोंटने की पुष्टि करती है।" स्क्रॉल रिपोर्ट करता है कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के अनुसार, बहनों की मृत्यु "एंटीमॉर्टम गला घोंटने के परिणामस्वरूप श्वासावरोध के कारण हुई।"
 
बुधवार को दोनों बहनों का शव पेड़ से लटका मिला था। लड़कियां 15 और 17 साल की नाबालिग थीं। उनके माता-पिता ने आरोप लगाया था कि हत्या से पहले उनका अपहरण किया गया था और उनके साथ बलात्कार किया गया था। इंडियन एक्सप्रेस ने उनकी मां के हवाले से कहा था, 'मैं घर के अंदर किसी काम से गई थी। लौटने पर मैंने देखा कि तीन युवक मेरी बेटियों को जबरन मोटरसाइकिल पर ले जा रहे हैं। मैं मोटरसाइकिल के पीछे भागी लेकिन उन्हें पकड़ने में नाकाम रही। एक स्थानीय ग्रामीण को उनके घर से करीब आधा किलोमीटर दूर स्थित तमोलीन पुरवा गांव में गन्ने के खेत में पेड़ से लटके शव मिले।
 
शव मिलने के बाद ग्रामीणों ने बुधवार शाम निघासन इलाके में धरना भी दिया था। इस मामले ने हाथरस का मामला जहां एक दलित किशोरी के साथ एक खेत में बलात्कार किया गया था, और 2014 बदायूं मामला जहां दो दलित लड़कियों के शव एक पेड़ से लटके मिले थे, दोनों घटनाओं की यादें ताजा कर दीं।
 
अब तक छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस अधीक्षक संजीव सुमन ने गुरुवार शाम एक संवाददाता सम्मेलन में उनके नामों का खुलासा किया, ये हैं- छोटू, जुनैद, सोहेल, हाफिजुल, करीमुद्दीन और आरिफ। इंडिया टुडे के अनुसार, आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 452 (हमले के लिए घर में अतिक्रमण), 376 (बलात्कार) और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पोक्सो) की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक शुक्रवार को छह में से पांच को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। जुनैद, जिसने भागने की कोशिश की थी, उसे पुलिस द्वारा पैर में गोली मारकर पकड़ा गया था, को बाद में अदालत में पेश किया जाएगा।
 
NDTV ने बताया कि पुलिस के अनुसार, छोटू सीधे अपराध में शामिल नहीं था, बल्कि उसका पड़ोसी था और उसने लड़कियों को हमलावरों से मिलवाया था। लेकिन पुलिस ने परिवार के अपहरण के दावों का खंडन किया है और कहा है कि लड़कियां स्वेच्छा से सोहेल और जुनैद के साथ गईं, जिन्होंने फिर गन्ने के खेत में उनका यौन उत्पीड़न किया। प्रकाशन ने एसपी के हवाले से कहा, “लड़कियों के साथ खेतों में बलात्कार किया गया। जब लड़कियों ने उसने शादी के लिए जोर दिया तो युवकों ने उनके दुपट्टों से उनका गला घोंट दिया।” हाफिजुल ने कथित तौर पर लड़कियों का गला घोंटने और उन्हें मारने में मदद की। “फिर उन्होंने करीमुद्दीन और आरिफ को अपराध पर पर्दा डालने में मदद के लिए बुलाया। उन्होंने शव को आत्महत्या का रूप देने के लिए पेड़ से लटका दिया।
 
न्यूज 18 की रिपोर्ट है कि लड़कियों के शवों को गुरुवार देर शाम उनके घर के पास एक खेत में दफना दिया गया क्योंकि समुदाय नाबालिगों का अंतिम संस्कार नहीं करता है। परिवार के सदस्यों ने शुरू में 1 करोड़ रुपये के मुआवजे, लड़कियों के भाई के लिए सरकारी नौकरी और आरोपियों के लिए मौत की सजा की मांग करते हुए उनका अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया था। सरकार द्वारा परिवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई का आश्वासन दिया गया है।

साभार : सबरंग 

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