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एमपीः पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग तेज़, शिक्षकों ने दिया धरना

शिक्षकों का कहना है कि वे लंबे समय से पुरानी पेंशन लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर सरकार से लगातार मांग करते रहे हैं लेकिन सरकार ने हमारी मांगों पर कोई तवज्जो ही नहीं दिया।
Protest
फ़ोटो साभार : ट्विटर

पुरानी पेंशन बहाली को लेकर देशभर में मांग तेज़ है। हालांकि केंद्र सरकार की तरफ से मौजूदा नेशनल पेंशन स्कीम वापस न लेने की बात सामने आने के बाद राजस्थान, झारखंड सहित कुछ राज्यों ने पुरानी पेंशन लागू करने को लेकर घोषणा कर दी है लेकिन देश के ज़्यादातर राज्यों ने इसकी घोषणा नहीं की है। इसको लेकर देशभर में समय-समय पर मांग उठती रही है और धरना प्रदर्शन होते रहे हैं। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश में भी पुरानी पेंशन बहाल करने को लेकर मांग एक बार फिर तेज़ हो गई है।

इसी मांग के मद्देनज़र आजाद अध्यापक शिक्षक संघ की तरफ से रविवार को राज्य भर में प्रदर्शन किया गया और रैलियां निकाली गई। शिक्षकों का कहना है कि वे लंबे समय से पुरानी पेंशन लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर सरकार से लगातार मांग करते रहे हैं लेकिन सरकार ने हमारी मांगों पर कोई तवज्जो ही नहीं दिया। इन्हीं मांगों को लेकर हमलोग धरना प्रदर्शन करने को मजबूर हैं। उन्होंने कहा कि हमलोग अपनी मांग को सरकार के सामने रखने के लिए आज़ाद अध्यापक शिक्षक संघ के बैनर तले 13 सितंबर को राजधानी भोपाल में कार तिरंगा रैली का आयोजन किया जाएगा।

बता दें कि पुरानी पेंशन लागू करने सहित अन्य मांगों को लेकर आजाद अध्यापक शिक्षक संघ मध्यप्रदेश की मंदसौर ज़िला इकाई द्वारा रविवार को शहर के गांधी चौराहे पर धरना प्रदर्शन किया व आक्रोश रैली निकाली गई। इस दौरान सभी शिक्षक शहर के गांधी चौराहे पर इकट्टा हुए और अपनी मांगों को पुरज़ोर तरीक़े से उठाया।

वहीं राज्य के छतरपुर में आजाद शिक्षक संघ के नेतृत्व में शिक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार कलेक्टर को सौंपे गए ज्ञापन में शिक्षकों ने अपनी मांग को दोहराते हुए कहा कि संपर्क शिक्षकों को अनुकंपा नियुक्ति दी जाए और पुरानी पेंशन बहाली की जाए। साथ ही शिक्षक संवर्ग पदस्थ शिक्षकों को समय अनुसार क्रमोन्नति और पदोन्नति प्रदान की जाए और केंद्र के समान कर्मचारियों को मिलने वाला महंगाई शिक्षक संवर्ग को दिया जाए।

उधर देश के दूसरे राज्यों में भी पुरानी पेंशन लागू करने की मांग लगातार हो रही है। बीजेपी शासित उत्तराखंड में भी इसकी बहाली को लेकर कर्मचारियों की बैठकों का दौर जारी है। इस कड़ी में रविवार को एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय पुरानी पेंशन बहाली मंच के ज़िला अधिवेशन में पुरानी पेंशन बहाली को लेकर देहरादून में जल्द ही बड़ी रैली आयोजित करने का भी निर्णय लिया गया।

ज्ञात हो कि कुछ ही दिन पहले झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट में लिख कि, जो कहते हैं, वो करते हैं। राज्य के मेहनतकश लाखों राज्य कर्मियों और उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित हुआ है। पुरानी पेंशन लागू हुई।

ज्ञात हो कि झारखंड कैबिनेट ने इस साल एक सितंबर से राज्य में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने पर सहमति दे दी है। एक सितंबर से राज्य सरकार के कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलेगा। इसी तारीख़ से कर्मचारियों के वेतन में की जाने वाली कटौती बंद हो जाएगी।

वहीं झारखंड से पहले अशोक गहलोत के नेतृत्व में राजस्थान की कांग्रेस सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल करने की घोषणा की थी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस साल विधानसभा बजट सत्र में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा की थी और मार्च 2022 से वेतन से एनपीएस कटौती रद्द करने का ऐलान किया था।

क्या है पुरानी पेंशन स्कीम

इस स्कीम के तहत रिटायरमेंट के बाद कर्मचारियों को उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। वहीं इस स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारी के वेतन से कोई पैसा नहीं कटता है। साथ ही भुगतान सरकार के कोष से होता है। वहीं इस स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रक़म मिलती है। साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारी की मृत्यु के पश्चात उनके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है। पुरानी पेंशन स्कीम में जनरल प्रोविडेंट फंड यानी जीपीएफ का प्रावधान है। साथ ही इसमें छह महीने बाद मिलने वाले डीए का भी प्रावधान है।

क्या है नई पेंशन स्कीम

नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डीए का 10 फ़ीसद हिस्सा कटता है। यह शेयर बाज़ार पर आधारित है। इसलिए इसे पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जाता है। इस स्कीम में छह महीने बाद मिलने वाले डीए का प्रावधान नहीं है। साथ ही सेवानिवृत्ति के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं होती। शेयर बाज़ार पर आधारित होने के चलते टैक्स का भी प्रावधान है। साथ ही इस स्कीम में सेवानिवृत्ति पर पेंशन पाने के लिए एनपीएस फंड का 40% निवेश करना होता है।

साल 2004 में बंद हुई पुरानी पेंशन स्कीम

प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने रक्षा विभाग को छोड़कर 1अप्रैल 2004 से पुरानी पेंशन योजना की जगह नई पेंशन योजना को लागू करने की घोषणा की थी। इस तारीख़ से या इस तारीख़ के बाद सरकारी नौकरी ज्वाइन करने वाले कर्मचारियों को अपने वेतन से नई पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए योगदान देना ज़रुरी कर दिया गया।

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