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MP: लाडली बहना योजना से लाभार्थी महिलाओं की संख्या 'कम' करने पर विपक्ष हमलावर!

विपक्ष का आरोप है कि मध्य प्रदेश में पौने दो लाख से अधिक महिलाओं को योजना से बाहर कर दिया गया है।
ladli yojana MP

मध्य प्रदेश के नव-निर्वाचित मुख्यमंत्री ने देश भर के अखबारों में फ्रंट पेज का विज्ञापन देकर लाडली बहनों के बैंक खातों में 1250 रूपये डालने की घोषणा की, मगर शाम होते होते विपक्ष ने इस विज्ञापनी चमक को फीका करते हुए आरोप लगाया कि पौने दो लाख से अधिक महिलाओं को इस योजना से बाहर कर दिया गया है।

विधानसभा चुनाव में बीजेपी की बड़ी जीत में अहम भूमिका निभाने वाली लाडली बहना योजना में लाभार्थियों की संख्या 'घटने' पर बीजेपी और विपक्ष के बीच ज़ुबानी जंग तेज़ हो गई है। आपको बता दें इस योजना को मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू किया था। इस योजना के तहत सरकार उन परिवारों की महिलाओं को हर महीने 1250 रूपये देती है जिनकी सालाना आय 2.5 लाख रूपये तक है।

बुधवार, 10 जनवरी 2023 को 1 करोड़ 29 लाख लाडली बहनों के खातों में 1,576.61 करोड़ रुपये ट्रांसफर करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कांग्रेस पर योजना को लेकर दुष्प्रचार करने का आरोप लगाया। जबकि कांग्रेस सहित तमाम विपक्ष ने कहा कि योजना में छंटनी की जा रही है।

कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष केके मिश्रा ने आरोप लगाया कि "सितंबर में जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे तब लाडली बहनों की संख्या 1.31 करोड़ थी। अब नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव बने हैं तो यह संख्या घठ कर 1.29 करोड़ कर दी गई। यानी सरकार बनते ही छंटनी शुरू हो गई।"

वहीं माकपा (मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी) के राज्य सचिव जसविंदर सिंह ने बयान जारी किया, "सरकार ने ही कहा है कि सही मायनों में विधानसभा चुनावों के बाद ही योजना में कटौती शुरू कर दी गई थी। तब भी 1 करोड़ 30 लाख 84 हज़ार 756 महिलाओं के खाते में ही यह राशि आई थी। इस तरह दिसंबर में ही 1 लाख 58 हज़ार 409 लाभार्थी महिलाओं को लाडली बहना मानने से इनकार कर दिया गया था। ज़ाहिर है कि भाजपा की नई नवेली सरकार किश्तों में इस योजना को बंद करने जा रही है।"

विपक्ष के इन सभी आरोपों को बीजेपी ने इसे झूठा करार दिया। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने मीडिया के सामने 'तथ्य' रखते हुए कहा कि "सितंबर 2023 तक योजना में शामिल महिलाओं की संख्या 1.31 करोड़ से अधिक रही। जनवरी 2024 में एक लाख, 56 हज़ार से अधिक बहनों की आयु 60 वर्ष से अधिक हो चुकी है और वे योजना से बाहर हो गईं।"

सत्ताधारी पार्टी ने दावा किया कि "सितंबर 2023 से जनवरी 2024 के बीच लाडली बहनों की संख्या का अंतर एक लाख 75 हज़ार 347 है। इसमें 18 हज़ार 136 बहनों ने स्वेच्छा से योजना का परित्याग किया और 154 का निधन हो गया। 804 महिलाओं का खाता समग्र आइडी या आधार से लिंक न होने और 1 लाख 56 हज़ार 253 की आयु एक जनवरी 2024 को 60 वर्ष होने के कारण नाम हट गया।"

सरकार के इस बचाव पर माकपा सचिव जसविंदर सिंह ने कहा है कि "इस संबंध में सरकार और भाजपा की सफाई भी बहुत हास्यास्पद है। तर्क दिया जा रहा है कि मृत्यु और योजना का स्वेच्छा से त्याग और पात्र महिलाओं के 60 की उम्र को पार कर जाने से यह संख्या घटी है। जबकि सच्चाई यह है कि सिर्फ154 लाभार्थी बहनों की मृत्यु हुई है।"

माकपा नेता ने आगे कहा कि "सरकार का दावा है कि 18 हज़ार 136 महिलाओं ने स्वेच्छा से इस लाभ को त्याग दिया है। प्रश्न यह है कि यदि दो माह बाद ही इन्हें इस योजना को त्यागना था तो फिर कई दिनों तक लाइन में लग कर करीब हज़ार रूपये के दस्तावेज तैयार कर वे इस योजना में शामिल ही क्यों हुई थी? इससे स्पष्ट है कि इन्हें धोखे से योजना से बाहर किया गया है।"

सिंह ने कहा कि "तीसरा तर्क भी हास्यास्पद है। सरकार का कहना है कि 60 की उम्र पार करने के कारण 1 लाख 56 हज़ार 253 महिलाएं 60 वर्ष की आयु को पार कर जाने से योजना से बाहर हुई हैं। सरकार के इस दावे को यदि मान भी लिया जाए तो इसका दूसरा पहलू भी सामने आना चाहिए। इस योजना का लाभ 21 वर्ष से 60 वर्ष की महिलाओं को मिलने की पात्रता है। यदि डेढ़ लाख महिलाएं 60 वर्ष की आयु को पार कर गई हैं तो उससे कई लाख ज़्यादा 21 वर्ष की हो कर इस योजना की पात्र बन गई होंगी। उन्हें इस योजना में शामिल न करना भी इस योजना को बंद करने का ही संकेत है।"

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि "चुनावी लाभ के लिए शुरू की गई योजना को चुनाव के बाद ख़त्म करने की साज़िश करना ग़रीब महिलाओं के साथ धोखाधड़ी है।" माकपा ने योजना का लाभ प्रत्येक पात्र महिला को देने और वायदे के अनुसार राशि को बढ़ाकर 3 हज़ार रूपये करने की मांग की है।

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