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दिल्ली: चोरी के शक में भीड़ ने ले ली एक और जान!

“...जो भी जा रहा था वो बस वीडियो बनाता रहा, जब लोगों ने देखा कि इसकी हालत ख़राब हो गई तब छोड़ दिया, डिस्पेंसरी के सामने डाल गए।”
mob lynching
मोबाइल में मोहम्मद इसार की फोटो दिखाते परिजन

एक बदहवास सा पिता और बेचैन सी चार बहनें। बात करते-करते कांपने लगती बहन जब अपने भाई के बारे में बताने लगती तो ऐसा महसूस हो रहा था कि वो कहीं खो जा रही थी, बदहवासी में वो अपने भाई के उस हाल को बयां कर रही थी जिसे उसने आख़िरी बार देखा था। लोगों की भीड़ के बीच ऐसा लग रहा था कि परिवार के कानों तक कोई सवाल पहुंच ही नहीं पा रहा हो, दुनिया में होकर भी गुम से दिखाई दे रहे पिता और बहनें घर के इकलौते बेटे पर टूटी कयामत को किन अल्फ़ाज़ों में बयां करें उनकी समझ से परे लग रहा था।

एक बहन ने हमसे बात करते हुए कहा कि "बेहोश था मेरा भाई, बुरी हालत कर रखी थी, नाखून उखाड़ दिए थे, पैर-हाथ तोड़ दिए थे, मैं डर गई थी अपने भाई को देखकर" और ये बयां करते-करते उसकी आंखें डबडबा गई और एक बार फिर लगा कि वो कहीं गुम हो गईं।

नंद नगरी में पड़ने वाली सुंदर नगरी के G-4 की एक बेहद तंग गली में अब्दुल वाहिद के घर के बाहर बेहद गहमागहमी का माहौल था। मीडिया वालों की भीड़ के बीच गली से गुज़रने वालों की निगाहें घर के भीतर झांक रही थीं, उन निगाहों में सवालों के साथ ही एक खौफ भी दिखा।

मंगलवार, 26 सितंबर को दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में चोरी के शक में एक लड़के को कथित तौर पर एक खंभे से बांधा गया और उसे इतना पीटा गया कि उसकी मौत हो गई। मरने वाले लड़के का नाम मोहम्मद इसार था और आधार कार्ड के मुताबिक उसकी उम्र 22 साल थी। 

एक कमरे के मकान में रहता है परिवार 

हम इसार के घर पहुंचे, एक इतना तंग कमरा जो किसी पहेली सा लग रहा था कि इस एक कमरे में चार बहन, एक भाई और पिता को मिलाकर कुल छह लोगों का परिवार कैसे रह रहा होगा? कमरे के एक कोने में बनी स्लैब ही किचन था, जिस पर लुढ़के चाय के कप और कुछ बर्तन साफ बता रहे थे कि बीते कुछ दिनों से शायद ही कुछ बना है। किचन की स्लैब के नीचे कुछ डिब्बों में पानी भरकर रखा गया था जो पानी की किल्लत की कहानी बयां कर रही थी। दिन के वक़्त भी कमरे में एक बल्ब टिमटिमा रहा था और गर्मी से बचने के लिए कमरे में दो छोटे-छोटे तेज़ चलने वाले पंखे लगे थे, लेकिन उन पंखों से हवा कम शोर ज़्यादा हो रहा था। कमरे में सीलन की गंध कमरे में धूप के ना आने की तस्दीक कर रही थी। उस कमरे में जो सामान था वो हैरानी पैदा कर रहा था कि छह लोगों के परिवार के लिए बस इतना-सा ही ज़रूरत का सामान कैसे हो सकता है? रह-रह कर ज़ेहन में सवाल उठ रहा था कि इस बेहद ग़रीब परिवार का नाम क्या किसी सरकारी योजना के खाते में दर्ज होगा? देश की राजधानी में एक ग़रीब परिवार जैसे-तैसे ज़िंदगी काट रहा था लेकिन मंगलवार का दिन उन पर कयामत की तरह टूटा। 

कथित वायरल वीडियो 

सोशल मीडिया पर एक कथित वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ लोग एक लड़के (इसार) को पीटते हुए दिखाई देते हैं। लड़के को खंभे से बांधा गया था और रह-रह कर उसे पीटा जा रहा था, इस दौरान वो न मारने की गुज़ारिश करता भी दिखाई दे रहा है। हालांकि न्यूज़क्लिक इस विडिओ की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।

क्या हुआ था मंगलवार को ? 

मुरादाबाद के क़रीब धामपुर के रहने वाले अब्दुल वाहिद क़रीब 30 साल पहले दिल्ली आए थे, फलों का ठेला लगाकर वो किसी तरह अपने परिवार को पाल रहे थे, लेकिन पत्नी की मौत के बाद उन्होंने अकेले ही अपने छोटे-छोटे बच्चों को पाला। ज़िंदगी किसी तरह से चल रही थी लेकिन मंगलवार, 26 सितंबर को उनके जवान बेटे को कथित तौर पर चोरी के आरोप में पीट-पीट कर मार डाला गया। वाहिद दावा करते हुए बताते हैं कि "रात को वो छत पर सोया था, उस रात पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो उठकर चला गया, वहां उसने प्रसाद देखा और प्रसाद उठाकर खा लिया, गणेश जी के पंडाल से।" 

अब्दुल वाहिद बताते हैं कि उनके घर से क़रीब 200 मीटर की दूरी पर एक छोटा-सा गणेश जी का पंडाल बनाया गया था, आरोप है कि इसार ने वहां से प्रसाद में रखे फल और कुछ पैसे उठा लिए जिसे लोगों ने देख लिया और उसे चोर समझ कर बिजली के खंभे से बांध कर पीटा। घटना मंगलवार सुबह 4 बजे से 6 बजे के बीच की बताई जा रही है।

गणेश जी का पंडाल और वो खंभा जिससे बांध कर पीटने का आरोप है 

"पानी पीने के लिए नहीं दिया"

अब्दुल वाहिद कहते हैं कि "किसी ने उसे छुड़ाया नहीं, जो आता रहा वो मारता रहा" वाहिद की सबसे बड़ी बेटी इमराना रोते हुए बताने लगीं "उसे मारते रहे, रात से (सुबह के चार बजे) सुबह हो गई, उसने पानी मांगा पर कोई रहम नहीं किया। वो वीडियो में कह रहा है मुझे पानी पिला दो, मुझे बाद में मार लेना लेकिन पानी नहीं पिलाया सिर पर पानी डाल-डाल कर मार रहे थे।"

"मैंने अपने लड़के को घर के बाहर शाम को साढ़े छह बजे देखा"

इसार के पिता और बड़ी बहन रोते हुए, बदहवासी में बताते हैं कि "जो भी जा रहा था वो बस वीडियो बनाता रहा, जब लोगों ने देखा कि इसकी हालत ख़राब हो गई तब छोड़ दिया, डिस्पेंसरी के सामने डाल गए, मैंने अपने लड़के को घर के बाहर शाम साढ़े छह बजे देखा।" वे हमें बताते हैं कि पुलिस ने उन्हें चार लड़कों के बारे में बताया है जिन्हें पकड़ा गया है। वहीं मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या) और 34 (आपराधिक इरादा) के तहत नंद नगरी पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कर ली है। द क्विंट पर छपी ख़बर के मुताबिक एक नाबालिग समेत सात लोगों को पकड़ा गया है। 

"पड़ोस में रहने वाला आमिर रिक्शे पर छोड़कर गया"

मृतक इसार की बहन इमराना से जब हमने पूछा कि उन्हें घटना के बारे में कब पता चला तो वे बताती हैं कि "हम सब सो रहे थे जब उठे तो गली मोहल्ले वालों ने बताया और फोन में हमें दिखाया, पड़ोस में रहने वाला आमिर रिक्शा पर इसार को छोड़कर गया। उसकी हालत बहुत सीरियस थी, बहुत बुरी तरह से पीटा गया था। ऐसा लग रहा था कि उसके नाखून भी खींचे गए थे, तलवों की भी बहुत बुरी हालत थी।"

इमराना से छोटी बहन उज़्मा बताती हैं कि "उसे बहुत चोट लगी थीं, वो पूरा सफेद हो रखा था, उंगलियों पर सब जगह चोट लगी थी, देखा नहीं जा रहा था, घबराहट-सी हो रही थी।"

जब हमने परिवार से पूछा कि उसे हॉस्पिटल क्यों नहीं ले जाया गया? तो उनके पिता ने जवाब दिया "हमने आकर देखा तो इसार ने दम तोड़ दिया था, जब साढ़े छह बजे (शाम को) आए तो वो हमें सांस लेता नहीं मिला।" 

"उसे तो मौत से पहले मार दिया"

एक पिता और चार बहनों की ज़िंदगी एक रात में बदल गई। रुआंसे वाहिद कहते हैं कि "बिना मौत उसे मारा, जाने उसकी मौत कब लिखी थी, लेकिन उसे तो मौत से पहले मार दिया। सुबह से लेकर रात तक लोग आ रहे हैं, बार-बार बात उठ रही है तो दुख ज़्यादा से ज़्यादा बढ़ता चला जा रहा है।" 

"मानसिक रूप से कमज़ोर नहीं था, वो बहुत सीधा था"

बताया जा रहा था कि मोहम्मद इसार मानसिक रूप से कमज़ोर (Mentally Challenged) था जिसकी वजह से जब उसे चोरी के आरोप में पकड़ा गया तो वो ठीक से जवाब नहीं दे पाया और उसे पीटा गया। इसार के पिता वाहिद से जब हमने इस बारे में पूछा तो उनका कहना था, "नहीं, नहीं ऐसा नहीं है वो ऐसा नहीं था, हां वो बहुत सीधा था, बेलदारी करता था, लोगों के छोटे-मोटे काम कर दिया करता था, कोई सामान मंगाता तो बदले में उसे दस-पांच रुपये दे देता था।"

"जाने कैसे मारा कि उसके सारे नाखून निकले हुए थे"

हमने अब्दुल वाहिद के आस-पड़ोस के लोगों से भी बात की। लोगों ने बताया कि मंगलवार को शाम साढ़े चार बजे के करीब जब इसार को लाया गया तो गली में सिर्फ महिलाएं थीं, ज़्यादातर मर्द काम पर गए हुए थे। किसी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें, सभी इसार की ऐसी हालत देखकर घबरा गए थे, जब तक इसार के पिता अब्दुल वाहिद तक ख़बर पहुंची और वो साढ़े छह बजे (शाम के) तक घर पहुंचे, तब तक इसार की हालात बहुत ख़राब हो चुकी थी। पड़ोस की एक महिला ने बताया कि "हमने उसे कुछ खाना खिलाने की कोशिश की, लेकिन वो हिल ही नहीं रहा था, देखा तो उसके हाथ-पैर ठंडे पड़ गए थे, जाने उसे कैसे मारा कि उसके नाखून निकले हुए थे।"

"लोगों ने तमाशा देखा किसी ने पुलिस को फोन नहीं किया"

एक पड़ोसी शेर मोहम्मद अब्बासी बताते हैं कि "वारदात की जगह जब हम गए तो वहीं के कुछ लोगों ने हमें बताया कि गणेश जी की चौकी बना रखी थी। वहां मूर्ति के आगे एक थाली रखी थी उसमें फल रखे हुए थे वहां से उसने फल उठा लिया। जो वहां से गुज़र रहा था वही मार रहा था, ये बोलकर कि इसने चोरी की है। लोग बस तमाशा देखते रहे किसी ने पुलिस को फोन नहीं किया, वो पानी मांग रहा थो तो पानी पिलाने की बजाए उसके सिर पर पानी डालते रहे। अगर उसने चोरी भी की थी तो पुलिस के हवाले कर देते ऐसे जानवरों की तरह मारा उसे, वहां जो औरतें खड़ी थी लगता है उनकी आंखों का पानी मर चुका था, बचा नहीं सकते थे तो कम से कम पुलिस को ही कॉल कर देते।"

लगातार आ रहे मीडिया के लोग वारदात की जगह पर भी पहुंच रहे हैं। इस बीच किसी ने उस जगह तक पहुंचने के लिए इसार के परिवार से मदद मांगी तो इसार की छोटी बहन नियाब साथ चली गई और वापस लौटने पर उसने दावा किया कि उसे मारने की धमकी दी गई।"

हम भी उस जगह गए जहां वारदात हुई थी, चारों तरफ शादी के सामान की दुकानें थीं, यहां कुछ लोग घर के बाहर बैठे हुए थे, एक छोटा-सा गणेश जी का पूजा पंडाल था। आरोप है कि इसी जगह से इसार ने प्रसाद का फल उठा लिया था जिसके बाद उसे खंभे से बांध कर पीटा गया और उसका कथित वीडियो गया और वो वायरल हो गया।

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"यहां पुलिस को कॉल करने का व्यवहार नहीं है"

जिस जगह पर पंडाल लगा था वहां एक महिला बताती हैं कि "यहां पुलिस को कॉल करने का व्यवहार नहीं है। पंडाल लगाने में हमारा कोई लेना-देना, कोई योगदान नहीं है न हम उधर जाते हैं। हम सुबह से अपने काम पर निकल जाते हैं।" 

हमने कुछ और लोगों से भी बात करने की कोशिश की लेकिन सभी ने यही जवाब दिया कि "हम उस दिन यहां नहीं थे।"

इस बीच जमीयत उलेमा-ए-हिंद सूबा दिल्ली के मोहम्मद आरिफ कासमी, एक डेलिगेशन के साथ इसार के परिवार से मिलने पहुंचे और उन्होंने कहा कि "मुझे जैसे ही पता चला मैं यहां पहुंचा, ये जो भी मदद हमसे कहें, चाहे कानूनी हो या माली, हम इनकी मदद करेंगे।"

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NPRD ने की घटना की निंदा 

डिसेबल्ड लोगों के अधिकारों की बात उठाने वाले नेशनल प्लेटफॉर्म फॉर द राइट्स ऑफ द डिसेबल्ड (NPRD) ने भी एक प्रेस रिलीज़ जारी कर घटना की कड़ी निंदा की है। इस राष्ट्रीय मंच की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि "आए दिन दिव्यांग लोगों के साथ दुर्व्यवहार, शारीरिक हमले और हत्या की घटनाएं सामने आ रही हैं। डिसेबल्ड लोगों को उनकी धार्मिक पहचान के आधार पर निशाना बनाए जाने के साथ ही, इसने बहुत ख़तरनाक आयाम हासिल कर लिया है।" NPRD के मुताबिक "इस साल दिव्यांग व्यक्तियों की यह तीसरी हत्या है। 25 फरवरी को बिहार के समस्तीपुर में मोहम्मद फैयाज को, 27 जून को बिहार के ही सारण जिले में 55 वर्षीय डिसेबल ज़हीरुद्दीन को कथित गोरक्षकों की भीड़ ने पीट-पीट कर मार डाला था।"

इन सबके बीच हैरानी की बात ये है कि अब तक इस परिवार से मिलने कोई स्थानीय नेता तक नहीं पहुंचा। पूरा परिवार बस अब एक ही बात कह रहा है कि "हमें इंसाफ चाहिए"।

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