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मुंबई : बेस्ट के निजी बस संचालकों की हड़ताल तीसरे दिन भी जारी; 1,300 से अधिक बसें नहीं चलीं

बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) उपक्रम के एक प्रवक्ता ने बताया कि परिवहन निकाय की कुल 1,671 निजी बसों में से 1,375 आज सुबह से कोलाबा, वर्ली, मजास, शिवाजी नगर, घाटकोपर, देवनार, मुलुंड, सांताक्रूज, ओशिवारा और मगाथेन समेत 20 डिपो से बाहर नहीं निकलीं।
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फ़ोटो साभार : ET Auto

मुंबई: मुंबई में सार्वजनिक परिवहन निकाय ‘बेस्ट’ द्वारा नियुक्त निजी बसों के संचालकों के वाहन चालकों की हड़ताल शुक्रवार को तीसरे दिन और तेज हो गई, जिसके कारण 1,300 से अधिक बसें नहीं चलीं। इस हड़ताल की वजह से यात्रियों को समस्या का सामना करना पड़ रहा है।

बृहन्मुंबई विद्युत आपूर्ति एवं परिवहन (बेस्ट) उपक्रम के एक प्रवक्ता ने बताया कि परिवहन निकाय की कुल 1,671 निजी बसों में से 1,375 आज सुबह से कोलाबा, वर्ली, मजास, शिवाजी नगर, घाटकोपर, देवनार, मुलुंड, सांताक्रूज, ओशिवारा और मगाथेन समेत 20 डिपो से बाहर नहीं निकलीं।

बेस्ट के एक अधिकारी ने बताया, ''निजी बस संचालकों के वाहन चालकों की वेतन में वृद्धि समेत अन्य मांगों को लेकर चल रही हड़ताल तीसरे दिन और भी तेज हो गई। ज्यादातर वाहन चालक बेस्ट के चार बड़े निजी बस संचालकों मातेश्वरी, एसएमटी, हंसा और टाटा मोटर्स के हैं और उन्होंने बृहस्पतिवार को हड़ताल में हिस्सा लिया। ''

निजी बस संचालक एसएमटी यानी डागा समूह के कर्मचारियों ने बुधवार को वेतन वृद्धि की मांग को लेकर पूर्वी उपनगरों में बेस्ट के घाटकोपर और मुलुंड डिपो में काम बंद कर दिया, जिससे कई मार्गों पर बस सेवाएं प्रभावित हुई थीं।

हड़ताल के पहले दिन, पट्टे पर ली गई 160 बसें नहीं चलीं जबकि दूसरे दिन बुधवार को यह संख्या बढ़कर 1,000 से अधिक हो गई।

अधिकारी ने बताया कि ज्यादा संख्या में कर्मचारियों के हड़ताल में शामिल होने के बाद सुबह से घाटकोपर, मुलुंड, शिवाजी नगर, वर्ली और आठ अन्य डिपो में बेस्ट की ठेके पर चलने वाली बसों का संचालन बाधित हुआ है।

उन्होंने बताया कि बेस्ट के निजी संचालकों को इस मुद्दे को जल्द से जल्द हल करने का निर्देश दिया है और पट्टे के समझौते के नियमों और शर्तों के अनुसार इन कंपनियों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जा रही है।

अधिकारी ने बताया कि प्रदर्शन कर रहे चालकों का दावा है कि पिछले तीन वर्षों में उनके वेतन में पर्याप्त वृद्धि नहीं हुई है जिससे उनके लिए गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि बेस्ट उपक्रम के कर्मचारियों की मासिक कमाई की तुलना में उनका वेतन काफी कम है।

महानगर में सार्वजनिक बस सेवा प्रदान करने वाले ‘बेस्ट’ ने कुछ ठेकेदारों से बस पट्टे पर ली हैं। इसके तहत निजी संचालकों के पास वाहनों का मालिकाना हक होता है और इनके रखरखाव, ईंधन और चालकों के वेतन से जुड़ी जिम्मेदारी भी उन्हीं की है।

‘बेस्ट’ की लगभग 3,100 बसों की मदद से मुंबई, ठाणे, नवी मुंबई और मीरा-भायंदर शहरों में प्रतिदिन 30 लाख से अधिक यात्री सफर कर करते हैं। इन 3,100 बसों में से सार्वजनिक परिवहन निकाय की 1,340 बस हैं।

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