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मुज़फ़्फ़रनगर वीडियो: पत्रकार ज़ुबैर पर FIR और आरोपी टीचर पर सिर्फ़ NCR!

मुज़फ़्फ़रनगर वायरल वीडियो मामले में ख़ुद पर हुई FIR पर मोहम्मद ज़ुबैर का कहना है कि न्यूज़ चैनल्स समेत राजनीति से जुड़े कई लोगों ने यह वीडियो पोस्ट किया था लेकिन मुक़दमा केवल मुझ पर दर्ज हुआ...मुझे निशाना बनाया गया।
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उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में एक टीचर द्वारा मुस्लिम छात्र की बाक़ी छात्रों से पिटाई करवाने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। सामाजिक संगठनों और क़ानून के जानकार अब आरोपी टीचर को तुरंत जेल भेजने की मांग कर रहे हैं।

क़रीब एक दर्जन से अधिक सामाजिक संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रदेश की राज्यपाल को और एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र भेज कर समाज में 'नफ़रत के माहौल को बढ़ावा' देने वाली टीचर को तुरंत गिरफ़्तार कर जेल भेजने के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया है। इसके अलावा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) की नेता सुभाषनी अली ने भी टीचर की गिरफ़्तारी की मांग की है।

वहीं इस मामले में अब फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक और पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर पर मुक़दमा दर्ज होने का मामला सामने आया है। 

आरोपी टीचर पर एनसीआर और पत्रकार पर एफआईआर!

इस मामले में मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस ने नेहा पब्लिक स्कूल की आरोपी टीचर तृप्ता त्यागी के ख़िलाफ़ थाना मंसूरपुर में एक एनसीआर दर्ज की है। पुलिस द्वारा धारा 323 (जानबूझ कर स्वेच्छा से किसी को चोट पहुंचाना) और धारा 504 (दुर्व्यवहार, असभ्यता, अशिष्टता या बदतमीजी) के अंतर्गत मुक़दमा लिखा है। जबकि मुज़फ़्फ़रनगर के इस मामले में पीड़ित छात्र की पहचान उजागर करने के आरोप में ऑल्ट न्यूज़ के पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर पर एफआईआर दर्ज की है। 

मोहम्मद ज़ुबैर पर मुज़फ़्फ़रनगर के खुब्बापुर के रहने वाले विष्णुदत्त ने 'जुवेनाइल जस्टिस एक्ट' के अंतर्गत मुक़दमा दर्ज करवाया है। 

उल्लेखनीय है कि एनसीआर में अदालत के आदेश के बाद ही पुलिस मामले की जांच कर सकती है और गिरफ़्तारी कर सकती है जबकि एफआईआर के बाद पुलिस स्वयं जांच शुरू कर सकती है।

क्या है मामला?

उल्लेखनीय है कि शुक्रवार को मुज़फ़्फ़रनगर के थाना मंसूरपुर क्षेत्र के गांव खुब्बापुर के स्कूल में 'केजी' के एक 7 साल के छात्र की पिटाई का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। वीडियो में स्कूल की टीचर एक मुस्लिम छात्र को उसके ही सहपाठियों से पिटाई करा रही थी। 

इस 39 सेकेंड के वायरल वीडियो में पिटाई के समय टीचर द्वारा एक टिप्पणी में मुसलमानों के लिए कुछ कहा जाता है, मुस्लिम समाज पर की गई टिप्पणी पर अब विवाद खड़ा हो गया है। 

क्या कहते हैं क़ानून के जानकार?

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र लिखकर आरोपी टीचर पर कार्रवाई की मांग करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद हैदर ने न्यूज़क्लिक से बात की और कहा कि "टीचर पर मुज़फ़्फ़रनगर पुलिस की अब तक की कार्रवाई मात्र औपचारिकता है।"

संज्ञेय अपराध में केवल एनसीआर?

अधिवक्ता मोहम्मद हैदर कहते हैं कि "टीचर द्वारा संज्ञेय अपराध किया गया है और पुलिस ने केवल एनसीआर दर्ज की है जबकि इस मामले में एफआईआर होनी चाहिए थी।"

उन्होंने इस मामले में आगे कहा कि "इसमें एक अवयस्क बालक के अधिकार निहित हैं एवं जो आपराधिक कृत्य का वीडियो ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम एवं सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर उपलब्ध है, के परिशीलन मात्र से यह स्पष्ट होता है कि इसी कथित विद्यालय की शिक्षिका/प्राचार्या तृप्ता त्यागी के द्वारा अपने ही विद्यालय के छात्रों को उकसाकर एक किशोर छात्र के साथ मारपीट कराई गई।"

अधिवक्ता के मुताबिक़ मुक़दमे में लगाई जाएं ये धाराएं

वरिष्ठ अधिवक्ता मोहम्मद हैदर के अनुसार "निश्चित रूप से यह कृत्य किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75, 83 (2) से आच्छादित है। उपरोक्त धाराओं के अतिरिक्त अन्यवस्तुषु भारतीय दंड संहिता की धारा 114 (व्यक्ति को कोई अपराध करने के लिए उकसाना), 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा, आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देना और सद्भाव बिगाड़ना), 295ए (जहां कोई व्यक्ति शब्द, लेखन, प्रतीक, या छवि प्रतिनिधित्व द्वारा किसी भी समूह की भावनाओं या धार्मिक विश्वासों को जानबूझकर चोट या ठेस पहुंचाता है), 298 (अगर कोई शख्स किसी व्यक्ति की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के इरादे से कोई आपत्तिजनक शब्द उच्चारित करेगा या कोई ऐसी ऐसी आवाज़ करेगा या उसे कोई ऐसा आपत्तिजनक इशारा करेगा, या कोई ऐसी वस्तु उसके सामने रखेगा), 323 (जानबूझ कर किसी को स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 504 (दुर्व्यवहार, असभ्यता, अशिष्टता या बदतमीजी) एवं 506 (आपराधिक धमकी) की धाराओं में उक्त तृप्ता त्यागी के ख़िलाफ़ मुकदमा लिखा जाना चाहिए था।"

वह आगे  कहते हैं, "परंतु हुआ इसके ठीक विपरीत। इस संवेदनशील प्रकरण में संबंधित प्रभारी निरीक्षक के द्वारा स्वतः संज्ञान लेकर अथवा उक्त बालक के परिजनों से हल्की तहरीर लेकर उक्त एनसीआर दर्ज की गई है। जबकि उक्त एनसीआर की धाराओं में इन धाराओं को तरमीम कर उसकी विवेचना कराया जाना न्यायहित में अत्यंत आवश्यक है।"

पुलिस ने स्वयं मुस्लिम छात्र को पीड़ित स्वीकार किया 

मोहम्मद ज़ुबैर पर हुए मुक़दमे के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि उनको ज्ञात हुआ है कि संबंधित थाने मंसूरपुर के द्वारा एक पत्रकार के द्वारा उक्त बच्चे का विवरण उल्लिखित कर दिए जाने के फलस्वरूप किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण ) अधिनियम 2015 की धारा 74 के उल्लंघन के लिए थाना मंसूरपुर, जनपद मुजफ्फरनगर में 28 अगस्त को एक केस दर्ज किया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट में बालक को पीड़ित यानी 'विक्टिम' पीड़ित बताया गया है जो कि वास्तविकता भी है।"

उनका कहना है कि "ऐसी दशा में जब स्वयं क्षेत्रीय पुलिस उस बालक को 'विक्टिम' मानती है तो प्रकरण में उक्त सभी दोषियों के ख़िलाफ़ किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 की धारा 75 एवं 83 (2) के अंतर्गत मुकदमा पंजीकृत कर कठोरतम वैधानिक कार्रवाई किया जाना एक वैधानिक बाध्यता है जिसका अनुपालन सुनिश्चित किया जाना बेहद ज़रूरी है।" अधिवक्ता मोहम्मद हैदर ने इस मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पत्र भी लिखा है।

मुझे निशाना बनाया : ज़ुबैर

पत्रकार मोहम्मद ज़ुबैर ने न्यूज़क्लिक से फ़ोन पर कहा कहा, "न्यूज़ चैनल्स समेत राजनीति से जुड़े कई लोगों ने भी यह वीडियो पोस्ट किया लेकिन मुक़दमा केवल मुझ पर हुआ है।" मोहम्मद ज़ुबैर कहते हैं कि "जबकि मैंने तुरंत वीडियो डिलीट कर दिया था और वीडियो डिलीट करके स्क्रीनशॉट लगा दिया था, जिसमें बच्चे की फोटो नहीं दिख रही थी। इसके बावजूद 'सिंगल आउट' करना ये दिखाता है कि मुझे निशाना बनाया जा रहा है।"

"नफ़रती विचारधारा ने यहां तक पहुंचाया" 

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की पोलिट ब्यूरो सदस्य और पूर्व सांसद सुभाषनी अली ने आरोपी टीचर के ख़िलाफ़ सख्त कानूनी कार्रवाई की मांग की है। सोशल मीडिया एक्स (ट्विटर) पर सुभाषनी अली ने लिखा "नफ़रत भरी विचारधारा ने नफ़रत को यहां तक पहुंचा दिया है कि अब शिक्षक भी बच्चों के मन में नफ़रत भर रहे हैं।"

पूर्व सांसद ने प्रशासन से आरोपी शिक्षिका और उसके सहकर्मी के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप कड़ी कार्रवाई करने की मांग की तथा समाज में 'फैल रहे नफ़रत' के वातावरण के ख़िलाफ आम जनमानस से खड़े होने की अपील की है।

राज्यपाल को पत्र 

इसके अलावा विभिन्न सामजिक संगठनों ने एक साथ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को एक पत्र लिखकर आरोपी टीचर की गिरफ़्तारी की मांग की है। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की वरिष्ठ सदस्य मधु गर्ग ने बताया कि "प्रदेश के प्रगतिशील व जनवादी जनसंगठनों व महिला संगठनों के प्रतिनिधियों ने मुज़फ़्फ़रनगर की ह्रदय विदारक घटना को लेकर राज्यपाल को एक पत्र भेजा है।

ये संगठन कहते हैं कि "इस घटना ने हम सबको विचलित कर दिया है। आज नफ़रत की राजनीति ने हमारे समाज को ज़हरीला बना दिया है। एक बच्चे को उसके धर्म का नाम लेकर अपमानित किया गया। यह घटना हमारे संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर कुठाराघात है जिसका हम सब पुरज़ोर विरोध करते हैं।"

मधु गर्ग ने बताया कि पत्र में लिखा है कि "अगर मासूम दिलों में भी मज़हब के नाम पर नफ़रत भर दी जाएगी तो हम कल्पना कर सकते हैं कि हिंदुस्तान का भविष्य कितना अंधकारमय होगा।" 

सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि "अविलंब शिक्षिका तृप्ता त्यागी की गिरफ़्तारी की जाए और स्कूल के ख़िलाफ भी क़ानून के अनुसार कार्रवाई की जाए।

मधु गर्ग ने बताया कि इस पत्र पर स्वयं उनके अलावा आशा मिश्रा, प्रो. रूपरेखा वर्मा, प्रो. रमेश दीक्षित, नलिन रंजन, प्रो. नदीम हसनैन सिद्धार्थ तिवारी और प्रवीन सिंह समेत कई सामजिक कार्यकर्ताओं के हस्ताक्षर हैं।

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