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बात बोलेगी: मोदी इज़ द बॉस! तभी तो महिला पहलवान सड़कों पर और जल रहा मणिपुर

इसमें किसी को शक था क्या, मुझे तो नहीं लगता। बस, दिक्कत यह है कि कॉरपोरेट मीडिया-टीवी चैनल्स को इस पर अपना प्राइम टाइम शो करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज का इंतज़ार करना पड़ा।
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यह बात तो हम बहुत दिन से भारत में भी कह रहे थे, कह रहे हैं, मोदी इज़ द बॉस (Modi is the boss) ! इसमें किसी को शक था क्या, मुझे तो नहीं लगता। बस, दिक्कत यह है कि कॉरपोरेट मीडिया-टीवी चैनल्स को इस पर अपना प्राइम टाइम शो करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथोनी अल्बानीज का इंतजार करना पड़ा।

सिडनी में इंडियन डायस्पोरा के भव्य-दिव्य आयोजन में जब ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्तुति में यह कहा, तो टीवी एंकरों का दिल गार्डन-गार्डन हो गया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के आईटी सेल के प्रमुख को भी पछाड़ते हुए बैटिंग शुरू कर दी। दंगल से लेकर नेशन वॉन्ट्स टू नौ (Nation wants to know) में इसकी तुरही बजने लगी।

हम इसी स्तुतिगान को भारतीय संदर्भ में देख रहे हैं---

मोदी इज़ द बॉसः तभी तो देश को ओलंपिक सहित तमाम मेडल जिताने वालीं महिला पहलवान एक महीने से अधिक समय से सड़कों पर दिन रात एक कर रही हैं। इन महिला पहलवानों के भी मेडल जीतने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके साथ ठीक इसी तरह से फोटो खिंचवाए थे, जैसे अभी के तमाम फोटो शूट हो रहे हैं। लेकिन चूंकि मोदी जी बॉस हैं, लिहाजा उन्होंने अभी तक अपने सांसद बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, जिनके ख़िलाफ यौन शोषण का आरोप इन खिलाड़ियों ने लगाया।

एक महीना पूरा होने पर इन खिलाड़ियों के साथ नागरिकों का हुजूम इंडिया गेट पहुंचा, नारा लगाते हुए—देश की बेटियों को न्याय दो, बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करो—लेकिन मोदी सरकार और उनके तमाम मंत्रियों ने अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी। इसकी बड़ी वजह—मोदी इज़ बॉस और बॉस को पसंद नहीं कि न्याय हो देश की बेटियों के साथ। वरना देश का संविधान-देश का कानून इस मामले में बिल्कुल साफ है—यौन शोषण के आरोप और उस पर भी नाबालिग खिलाड़ी के साथ यौन शोषण का आरोपी—तुरंत ही सलाखों के पीछे होता है। लेकिन यहां तो नजारा ही कुछ और है। भारतीय जनता पार्टी का सांसद, भारतीय कुश्ती महासंघ का सर्वेसर्वा बृजभूषण शरण सिंह राम की नगरी में अपना शक्ति प्रदर्शन कर रहा है। तमाम मीडिया को इंटरव्यू देकर, आदेश दे रहा है कि वह नार्को टेस्ट के लिए तैयार है बशर्ते विनेश फोगाट व बजरंग पुनिया भी नार्को टेस्ट कराएं। वाकई ऐसे शॉट्स तो बॉलीवुड-टालीवुड सिनेमा में भी देखने को नहीं मिलते—जहां यौन हिंसा का आरोपी—अपनी शर्तें सिस्टम के सामने रखे, बेलगाम सांड की तरह घूमता फिरे और मीडिया को ज्ञान देता फिरे। सच है—लोकतंत्र में यह नजारा—मोदी है तो मुमकिन है कि तस्दीक करता है।

आप सोचिए, यह सब देश की राजधानी में हो रहा है। उसी राजधानी में जहां देश की संसद है, देश की सबसे बड़ी अदालत—सुप्रीम कोर्ट है, लेकिन न्याय की गुहार की कहीं कोई सुनवाई नहीं है।

ऐसा भी नहीं कि ये महिलाएं अकेले ही लड़ रही हैं। जैसे उत्तर प्रदेश की बहादुर लड़की ने भाजपा विधायक कुलदीप सेंगर द्वारा यौन शोषण का आरोप लगाया था और पूरे परिवार का ही नाश कर दिया गया था। यहां ये महिला पहलवान नामचीन हैं और उनके संग किसान आ गये हैं, खाप पंचायतें आ गई हैं, सिविल सोसायटी, नौजवानों का बड़ा हिस्सा आ गया है—तब मोदी सरकार यौन आरोपी को इस तरह से बचा रही है। लेकिन सब कुछ रूटीन में चल रहा है।

ठीक इसी समय, विश्वगुरू होने का डंका पूरे जोर से बज ही रहा है। जी-7 की बैठक को जिस तरह से भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के टीम ने भुनाया, वह तो वाकई कमाल ही है। अगर किसी सामान्य पाठक या दर्शक को आप यह बताने की कोशिश करें कि जी-7 देशों में भारत है ही नहीं, वहां तो मोदी जी उनमें नौ देशों के साथ बतौर आमंत्रित मेहमान की हैसियत से गये थे, ताकि इस बिजनेस सम्मेलन का विस्तार हो सके, तो शायद ही कोई आपकी बात माने। उस पर भी अगर आप ये बताएं कि इन आमंत्रित नौ देशों में ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, कोरिया, भारत के साथ-साथ कोमरॉस, कूक आईलैंड्स, इंडोनेशिया और वियतनाम शामिल थे---तब तो लोग आपका ही मजाक उड़ाने लगेंगे। ये होती है प्रचार की ताकत, पीआर (पब्लिक रिलेशन) की जुगत।

ऐसे में भला कैसे देश की बेटियों को न्याय का सवाल सबसे बड़ा सवाल बने। जवाब है, मोदी इज़ बॉस!

मोदी जी की छवि और महिलाओं के प्रति उनके दिल में कितना सम्मान है—इसे लेकर जो मीडिया में प्रचार प्रसार के लिए टूल किट प्रसारित किया गया, वह भी जबर्दस्त है। किस तरह से विदेश की धरती (पापुआ न्यू गिनी) पर मोदी जी के पैर जब एक महिला ने छुए तो उसके जवाब में कैसे मोदी जी ने झुक-झुक तक नमन किया—ये वीडियो खूब चलाया गया। बस जो क्लिप काट दी, उसमें बगल में खड़ी कम उम्र की लड़की दिखाई देती है जो नतमस्तक नहीं होती। उनके सिर पर हाथ रखकर उसे पैरों में झुकाते हुए मोदी जी दिखाई देते हैं।

इस वीडियो पर कार्यक्रम चलाना एनडीटीवी की सीनियर पत्रकार सराह जैकब के लिए इतना भारी पड़ा कि उन्होंने अडानी के मालिकाना वाले एनडीटीवी से इस्तीफा दे दिया। इसे लेकर सोशल मीडिया पर चर्चा है। हालांकि पत्रकार ने अपने इस्तीफे में इसका जिक्र नहीं किया है

अब भी किसी को शक—मोदी इज़ बॉस

देश में मणिपुर में डबल इंजन की सरकार है—भाजपा की सरकार है। मणिपुर जल रहा है, चर्च सुलगाए जा रहे हैं, लेकिन इसे लेकर पूरी तरह से खामोशी बता रही है कि मोदी इज़ बॉस। क्योंकि ठीक इसी समय कश्मीर में जी-20 की बैठक को लेकर मीडिया में खबरें अटी पड़ी हैं।

वाकई लोकतंत्र में ये जो तमाम तस्वीरें हैं—वह चीख-चीख कर कह रही हैं कि सारा संकट कहां से आ रहा है और मीडिया (कॉरपोरेट) जो अवधारणा बनाने वाली कंपनी में तब्दील हो गई है, उसका बॉस कौन है।

(लेखिका वरिष्ठ पत्रकार हैं।)

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