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9 अगस्त को “मोदी गद्दी छोड़ो, कॉरपोरेट भारत छोड़ो” और 15 अगस्त को ‘किसान मज़दूर आज़ादी संग्राम दिवस’

जंतर-मंतर पर चल रही ‘किसान संसद’ में शुक्रवार को मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया जिस पर सोमवार को भी बहस होगी।
9 अगस्त को “मोदी गद्दी छोड़ो, कॉरपोरेट भारत छोड़ो” और 15 अगस्त को ‘किसान मज़दूर आज़ादी संग्राम दिवस’

भारतीय संसद के समानांतर, अनुशासित और संगठित तरीके से चल रही किसान संसद के कल, शुक्रवार को 12वें दिन मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया। उसके बाद दो दिन यानी सोमवार तक के लिए उसे स्थगित कर दिया गया।

जंतर-मंतर पर किसान संसद में शुक्रवार की कार्यवाही में हमेशा की तरह 200 किसान सांसद शामिल हुए। अविश्वास प्रस्ताव इस तथ्य पर आधारित था कि मोदी सरकार द्वारा कई किसान विरोधी नीतियों के अलावा, देश भर में लाखों किसानों के शांतिपूर्ण विरोध के 8 महीने से अधिक समय के हो जाने के बावजूद किसानों की मांगों को पूरा नहीं किया जा रहा है।

अविश्वास प्रस्ताव में कहा गया है कि मोदी सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का झांसा दिया था और इस दिशा में कुछ भी ठोस नहीं किया था। प्रस्ताव में यह भी उल्लेख किया गया है कि भाजपा और प्रधानमंत्री अपने एमएसपी से संबंधित वादों से बार-बार मुकरा है, जिसमें सभी किसानों के लिए C2 + 50% एमएसपी को वास्तविकता बनाना शामिल है। सरकार ने बहुप्रचारित प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी किसानों को धोखा दिया, जहां सरकारी खर्च बढ़ा, किसानों का कवरेज कम हुआ और निगमों ने मुनाफाखोरी की। आयात-निर्यात के मोर्चे पर, भारत के निर्यात में गिरावट आई है जबकि आयात में वृद्धि हुई है, जिससे दोनों के बीच अंतर कम हुआ है। जब प्राकृतिक आपदाओं के दौरान किसानों को सरकारी सहायता की बात आती है, तो यह एक बड़ी विफलता रही है। अविश्वास प्रस्ताव में मोदी सरकार पर कॉरपोरेट समर्थक, किसान विरोधी कानून लाने और किसानों की उनकी निरसन की मांग को स्वीकार नहीं करने और सभी किसानों के लिए सभी कृषि उपजों के लिए लाभकारी एमएसपी की गारंटी के लिए एक कानून लाने पर जोर दिया गया।

संयुक्त मोर्चा के बयान में कहा गया कि अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के दौरान आम नागरिकों के साथ-साथ किसानों के गंभीर चिंता के कई मुद्दे भी उठाए गए – इसमें देश के सभी आम नागरिकों को प्रभावित करने वाले ईंधन की कीमतों में असहनीय और अनुचित वृद्धि, और कोविड महामारी में एक उदासीन और अप्रस्तुत स्वास्थ्य व्यवस्था का पतन, नागरिकों और चुने गए नेताओं की सरकार द्वारा बेवजह जासूसी कर हमारे लोकतंत्र को खतरे में डालना, देश में लोकतंत्र के रक्षकों पर देशद्रोह और अन्य पुरातन, असहनीय आरोप के नाम पर मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन, बड़ी पूंजी की रक्षा के लिए देश पर मजदूर विरोधी कानून थोपना, के अलावा सरकार द्वारा अपनाए गए कई किसान विरोधी नीतियां शामिल थीं।

किसान सांसदों ने बहस में भाग लेते हुए अपनी आजीविका, और लोकतांत्रिक मूल्यों और बुनियादी मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित कई मुद्दों को उठाया। यह विचार-विमर्श सोमवार, 9 अगस्त 2021 को जारी रहेगा।

मोर्चे के मुताबिक 9 अगस्त किसान संसद में एक विशेष दिन होगा – उस दिन महिला किसान संसद का आयोजन होगा। यह भारत छोड़ो दिवस भी है, और किसान आंदोलन का मुख्य नारा “मोदी गद्दी छोड़ो, कॉरपोरेट भारत छोड़ो” है। महिला किसान संसद भारत में महिला किसानों के मुद्दों पर भी विचार करेगी। 9 अगस्त को अंतर्राष्ट्रीय मूलवासी दिवस भी है। आदिवासी किसान भारत में किसानों का एक महत्वपूर्ण समूह हैं, और किसान आंदोलन की एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग अन्य वस्तुओं के अलावा वन उपज के लिए भी गारंटीकृत एमएसपी सुरक्षित करना चाहती है। भारत में आदिवासी भी भूमि और जंगलों सहित विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों पर उनके अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।

शुक्रवार को विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के सांसदों ने संसद से साथ आकर किसान संसद का दौरा किया। उन्होंने किसान संसद में विशेष रूप से व्यवस्थित ’विजिटर गैलरी’ में किसान संसद की कार्यवाही को देखा और सुना।

संयुक्त मोर्चा के सदस्य योगेंद्र यादव ने कहा कि सांसदों को सब सुनते हैं, लेकिन आज सांसदों ने हमें सुना, ये लोकतंत्र में एक सुंदर मर्यादा की शुरुआत है।

इन सांसदों ने अपने प्रेस को दिये बयान में कहा कि वे प्रदर्शन कर रहे किसानों और उनकी मांगों का पूरा समर्थन कर रहे हैं। कांग्रेस, डीएमके, राजद, माकपा, भाकपा, शिवसेना, आरएसपी, टीएमसी, आईयूएमएल आदि दलों के सांसदों ने अब तक किसान संसद का दौरा किया है। किसान संसद के सभापति ने विपक्षी सांसदों को धन्यवाद दिया, और कहा कि इस तरह की भूमिका में बदलाव जहां निर्वाचित सांसद किसान संसद का दौरा कर रहे हैं, हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा है।

मोर्चे ने बताया की आंदोलन को मजबूत करने के लिए अधिक से अधिक किसान विभिन्न मोर्चों पर पहुंच रहे हैं। गुरुवार को सिंघु मोर्चा में शामिल होने वाले तमिलनाडु के 1000 प्रदर्शनकारियों के अलावा, उसी दिन किसानों का एक बड़ा दल हरियाणा के कैथल से, 1500 से अधिक वाहनों के काफिले के साथ सिंघू मोर्चा में शामिल हुआ। इस काफिले का नेतृत्व बीकेयू चढूनी ने किया। इसी तरह उत्तराखंड के किसानों का एक दल सितारगंज से गाजीपुर मोर्चा पर पहुंचा।

किसानो ने 15 अगस्त को किसान मजदूर आजादी संग्राम दिवस के रूप में मानाने का आह्वान  किया है। एसकेएम ने अपने सभी घटकों को उस दिन तिरंगा मार्च के साथ मनाने का आह्वान किया है। उस दिन किसानों एवं श्रमिकों द्वारा प्रखंड/तहसील/जिला मुख्यालय अथवा नजदीकी किसान मोर्चा तक ट्रैक्टर/मोटरसाइकिल/साइकिल/गाड़ी मार्च निकाला जाएगा। वाहनों को राष्ट्रीय ध्वज के साथ लाया जाएगा।
 
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने शुक्रवार को  कहा कि जब तक सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी, तब तक घर वापसी संभव नहीं है।

राकेश टिकैत ने यह बयान शुक्रवार को दिल्ली से लखनऊ जाते समय यमुना एक्सप्रेस-वे पर बरौली गांव के निकट बीकेयू के पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं द्वारा उनका स्वागत किए जाने पर दिया। यहां जब किसानों को उनके गुजरने की जानकारी मिली तो कई किसानों ने एकत्र होकर उनका स्वागत किया।

राकेश टिकैत ने किसानों से कहा, ‘‘ यह समय कदम से कदम मिला कर किसान हित में चल रही लड़ाई लड़ने का है। इसलिए हम सब एकजुट होकर किसान आंदोलन में सहभागिता करें। जब तक नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे, तब तक यह लड़ाई जारी रहेगी।’’

(समाचार एजेंसी भाषा इनपुट के साथ )

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