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नौजवानों में बेरोज़गारी को लेकर आक्रोश, मोदी के जन्म दिन पर मनाया "जुमला दिवस"

युवाओं ने अपने विरोध प्रदर्शनों के दौरान भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) सरकार को याद दिलाया की सत्ता में आने से पहले उन्होंने 2 करोड़ नौकरी प्रति वर्ष देने का वादा किया था। जबकि भारत में इस समय बेरोज़गारी दर पिछले 46 वर्षों में सबसे अधिक है।
नौजवानों में बेरोज़गारी को लेकर आक्रोश, मोदी के जन्म दिन पर मनाया "जुमला दिवस"

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्म दिन 17 सितंबर को युवाओं का देश में बढती बेरोज़गारी को लेकर गुस्सा फूटा है। शिक्षित बेरोज़गारों ने सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक बेरोज़गारी के सवाल पर सरकार को घेरा और प्रधानमंत्री के जन्म दिवस को “राष्ट्रीय बेरोज़गारी दिवस” के रूप में मनाया। लखनऊ में विरोध प्रदर्शन करने जा रहे छात्र संगठन की नेता के घर के बाहर सुबह से ही पुलिस का पहरा बैठा दिया गया।

सोशल मीडिया पर छाया बेरोज़गारी का मुद्दा

मोदी का जन्मदिन, लगातार तीसरे वर्ष भी बेरोज़गारी के ज्वलंत मुद्दे को समर्पित रहा। आज सुबह से ही बेरोज़गारी का विरोध सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता नज़र आने लगा था। युवा संगठन बेरोज़गारी से जुड़े आंकड़े और ख़बरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कर रहे थे। बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे युवाओं ने रोटी-रोज़गार के सवाल पर आंदोलनों से जुड़ी ख़बरें न दिखने को लेकर मुख्यधारा के मीडिया की आलोचना भी की।

2 करोड़ नौकरियों पर सवाल

बेरोज़गारी की समस्या का सामना कर रहे युवकों ने सवाल किया कि क्या बीजेपी छात्रों के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं कर रही है।

क्या कहते हैं आंकड़े

बता दें कि सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमिक्स (सीएमआईई) के आंकड़ों के अनुसार 16 सितंबर 2022 में देश बेरोज़गारी दर 7.1 थी। शहरी इलाक़ों में ग्रामीण इलाक़ों के मुक़ाबले ज़्यादा बेरोज़गारी है। जहां ग्रामीण इलाक़ों में यह दर 6.6 हैं वहीँ शहरी इलाक़ों में यह दर 1.5 अधिक यानी 8.1 है।

लखनऊ में नहीं होने दिया प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में समाजवादी छात्र सभा ने लखनऊ विश्विद्यालय के गेट नंबर 1 पर बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की घोषणा की थी। लेकिन छात्र सभा की राष्ट्रीय सचिव कांछी सिंह यादव ने बताया की सुबह 9:30 से उनके घर पर पुलिस तैनात रही, जो उनको बाहर नहीं निकलने नहीं दी।

छात्र नेता कांछी कहती हैं कि “लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय जब व्यक्ति से उसकी बोलने की आज़ादी तक छीन ली जाए। आज बेरोज़गारी दिवस पर विरोध प्रदर्शन करने से पहले ही मुझे पुलिस प्रशासन द्वारा हाउस अरेस्ट कर लिया गया।”

शिक्षा का निजीकरण पर भी चिंता

समाजवादी छात्र सभा की नेता ने बेरोज़गारी के साथ शिक्षा के निजीकरण पर भी चिंता जताई है। कांछी ने कहा की इलाहाबाद विश्वविद्यालय, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जैसे संस्थानों में लगातार फ़ीस चार से दस गुना तक बढ़ाई जा रही है। ऐसे में ग़रीब का बच्चा कैसे शिक्षा ग्रहण करेगा।

उधर किसी भी तरह का प्रदर्शन रोकने के लिए विश्विद्यालय परिसर में भारी पुलिस बल तैनात रखा गया। ऑल इंडिया स्टूडेंट्स यूनियन के उपाध्यक्ष निखिल कुमार को पुलिस ने टैगोर लाइब्रेरी से हिरासत में ले लिया। निखिल के अनुसार उनको दिन भर प्रॉक्टर ऑफिस में बैठा कर रखा गया। निखिल कहते हैं “देश और प्रदेश में बेरोज़गारी बढती जा रही है और सरकार के पास इस समस्या का कोई हल भी नहीं है।” वह आगे कहते हैं, हाल में जो चयन परीक्षा हुई हैं, उन में ज़्यादातर में “पेपर लीक” हो गए। जबकि ज़्यादातर रिक्त पदों पर चयन परीक्षाओं को कराया ही नहीं गया है।

उल्लेखनीय है कि 2020 में पहली बार “युवा हल्ला बोल” आंदोलन की पहल पर प्रधानमंत्री मोदी का जन्मदिन “जुमला दिवस” के रूप में मनाया गया था। तब से लगातार 17 सितंबर को बेरोज़गारी दूर करने के “जुमला दिवस” या “राष्ट्रीय बेरोज़गारी दिवस” को याद किया जाता है।

राष्ट्रीय बेरोज़गारी दिवस” आक्रोश का नतीजा

युवा हल्ला बोल के नेता अनुपम कहते हैं कि युवाओं में व्याप्त आक्रोश का नतीजा है कि हर साल नरेंद्र मोदी का जन्मदिन “जुमला दिवस” या “राष्ट्रीय बेरोज़गारी दिवस” के रूप में मनाया जा रहा है। बेरोज़गारी के ख़िलाफ़ बिहार में 'हल्ला बोल यात्रा' कर रहे अनुपम ने आगे कहा कि मोदी सरकार रोज़गार संकट की समाधान की दिशा में आगे बढ़े वरना देश के हालात और युवाओं का भविष्य अंधकार में चला जायेगा।

वहीं इस आंदोलन के नेता गोविंद मिश्रा ने कहा कि मोदी सरकार ने रोज़गार के वादे को भी “जुमला” बनाकर रख दिया है। इसी कारण देशभर के बेरोज़गार युवाओं में भारी आक्रोश है, जो मोदी के जन्मदिन पर निकलता है।

2018 के बाद बढ़ी बेरोज़गारी

सोशल मीडिया पर “ट्राइबल आर्मी” नमक यूज़र ने दावा किया की रेलवे के “गैंगमैन” की नौकरी के 1.1 करोड़ आवेदकों में से 6.5 लाख बीटेक इंजीनियर हैं। युवकों ने समचारपत्र में प्रकाशित बेरोज़गारी के आंकड़ों को भी साझा किया और दावा किया की 2017 तक बेरोज़गारी दर 4 प्रतिशत से कम थी, 2018 के बाद से यह हर साल बढती गई। “युवा देश” नाम के एक यूज़र ने लिखा पिछले 6 साल में 14 करोड़ नौकरियां गई हैं।

विपक्ष का समर्थन

इस मौक़ै पर विपक्ष ने भी युवाओं के इस अभियान में हिस्सा लिया। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी की “भारत जोड़ो” यात्रा में भी इसका असर देखने को मिला। यात्रा के दौरान कुछ नौजवान राहुल गांधी के साथ “वी नीड जॉब” (हमें नौकरी चाहिए) की तख़्तियां लिए नज़र आए।

सीतापुर में भारतीय युवा कांग्रेस ने “पकौड़े” तल कर रोटी-रोज़गार के मुद्दे पर विरोध दर्ज कराया।बता दें प्रधानमंत्री मोदी ने एक निजी टीवी चैनल से इंटरव्यू में कहा था, “पकौड़ा तलना” भी रोज़गार है। जिसका शिक्षित बेरोज़गार वर्ग ने विरोध किया था। हरदोई में भी कांग्रेस ने घटती नौकरियों को लेकर प्रदर्शन किया।

रिक्त हैं एक करोड़ पद

सामाजिक संगठन युवा मंच ने एक प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री मोदी से हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, सरकारी व सार्वजनिक विभागों में रिक्त एक करोड़ पदों को समयबद्ध तरीक़े से भरने, संविदा व्यवस्था ख़त्म करने और रोज़गार न मिलने की स्थिति में बेरोज़गारी भत्ता देने जैसे मुद्दों को हल करने की मांग की है।

मंच संयोजक राजेश सचान ने कहा कि आज देश में सर्वाधिक ज्वलंत मुद्दा आजीविका संकट है। लेकिन मोदी सरकार इसे हल करने के लिए न्यूनतम उपाय भी नहीं कर रही है। हालात की गंभीरता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार की नौकरियों के लिए 8 साल में 22 करोड़ आवेदन के सापेक्ष महज 7 लाख युवाओं को नौकरी मिली। यानी प्रति एक हज़ार में महज़ 3 युवाओं को नौकरी दी जा सकी।

कॉरपोरेट्स पर टैक्स”

सचान ने कहा कि अगर सरकार चाहे तो “कॉरपोरेट्स पर टैक्स” लगा कर रोज़गार सृजन के लिए पर्याप्त संसाधनों को जुटाया जा सकता है। जिससे हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देना मुमकिन है। कॉरपोरेट घरानों पर संपत्ति कर, उत्तराधिकार कर, स्टेट ड्यूटी आदि का सुझाव भी देश के नामचीन अर्थशास्त्रियों द्वारा दिया गया है।

उन्होंने यह भी बताया की प्रयागराज में अनिल सिंह, सीतापुर में नागेश कुमार गौतम, सोनभद्र में रूबी सिंह गोंड़, चंदौली में आलोक राय, लखनऊ में आकाश, शामली में कुलदीप कुमार, संतकबीरनगर में वागीश धर राय, वाराणसी में दिव्यांशु राय, आगरा में प्रशांत कुमार आदि के नेतृत्व में बेरोज़गार दिवस का आयोजन किया गया। इन कार्यक्रमों में सैकड़ों युवा शरीक रहे। सोशल मीडिया में भी युवा मंच ने बेरोज़गार दिवस के मौक़े पर अभियान चलाया।

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