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पटना: लड़कियों ने स्कूल और हॉस्टल की बदहाली को लेकर किया सड़क जाम, ऐसे-कैसे पढ़ेंगी बेटियां?

कदमकुआं की राजकीय कन्या आवासीय विद्यालय की छात्राओं का आरोप है कि स्कूल में न तो पढ़ाई ठीक से होती है और न ही हॉस्टल में कोई मूलभूत सुविधाएं मिलती हैं।
Patna
प्रदर्शन करती छात्राएं

देशभर में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा तो ज़ोर-शोर से गूंज रहा है, लेकिन बेटियों को स्कूल में सुविधा कैसी मिल रही है इसकी चिंता किसी को नहीं है। बीते मंगलवार, 21 फरवरी को पटना के कदमकुआं स्थित राजकीय कन्या आवासीय विद्यालय की छात्राओं ने स्कूल और हॉस्टल की बदहाली को लेकर करीब डेढ़ घंटे सड़क जाम किया। ये लड़कियां किसी पॉलिटिकल बैकग्राउंड से नहीं हैं और न ही इनका कोई छात्र संघ है, ये छोटी मासूम लड़किया प्राइमरी से उपर 12 वीं तक की छात्राएं हैं, जो अपने शिक्षा के अधिकार के लिए सड़क पर संघर्ष कर रही हैं।

सैंकड़ों की तादाद में स्कूल यूनिफॉर्म में सड़कों पर उतरी इन छात्राओं का आरोप है कि स्कूल में न तो पढ़ाई ठीक से होती है और न ही कोई मूलभूत सुविधाएं इन्हें मिलती हैं। लड़कियों का यहां तक कहना है कि छात्रावास में करीब 250 लड़कियों के बीच सिर्फ 11 कमरे और दो बाथरूम की सुविधा है, जिसके चलते लड़कियों को रोजाना काफी दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं। इतना ही नहीं स्कूल और हॉस्टल दोनों की बिल्डिंग भी जर्जर अवस्था में है, जिससे छात्राओं के घायल होने की भी संभावना बनी रहती है।

नियमित पढ़ाई नहीं, हॉस्टल में रहने-खाने का बुरा हाल

न्यूज़क्लिक ने इस मुद्दे पर कई छात्राओं और उनके अभिवावकों से बातचीत की, जिन्होंने इस पूरे मामले की गंभीरता को समझाते हुए बताया कि इस स्कूल का संचालन पिछड़ा अति पिछड़ा विभाग की ओर से किया जाता है। ये स्कूल 1999 से चल रहा है और पहले पाटलिपुत्र में था लेकिन साल 2012 में इसे कदमकुआं शिफ्ट किया गया। हालांकि स्कूल की शिफ्टिंग के बाद भी समस्याएं दूर नहीं हुईं। सालों से लड़कियां यहां नियमित पढ़ाई और हॉस्टल में रहने-खाने संबंधी मूलभूत सुविधाओं से जूझ रही हैं।

प्रशासन से इस संबंध में न्यूज़क्लिक ने फोन के माध्यम से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। स्कूल के प्रिंसिपल विजय कुमार के मीडिया में दिए बयान के मुताबिक छात्राओं के प्रदर्शन के बाद अति पिछड़ा विभाग के पदाधिकारियों ने जल्द ही विद्यालय के जर्जर भवन की मरम्मत और लड़कियों की अन्य शिकायतों पर काम शुरू करने का आश्वासन दिया है। प्रिंसिपल ने ये भी बताया कि स्कूल के तमाम शिक्षकों को भी पढ़ाई के संबंध में निर्देश दिए गए हैं।

क्या प्रमुख दिक्कतें हैं लड़कियों की?

कक्षा सात में पढ़ने वाली एक लड़की सुमन का कहना है कि स्कूल में कुल 10-12 टीचर्स हैं, वो समय से कक्षाओं में नहीं आते, और अगर आते भी हैं तो बस फोन पर लगे रहते हैं या अपना कोई और काम करने लगते हैं। पढ़ाई-लिखाई से उन्हें कोई लेना-देना नहीं। कभी कोई सवाल पूछो, तो डांट कर भगा देते हैं।

वहीं कक्षा नौ की छात्रा आशा कहती हैं कि लड़कियों को पढ़ाई के साथ-साथ हॉस्टल की सुविधा तो दी गई है लेकिन न पढ़ाई अच्छी है और न ही हॉस्टल। आशा के मुताबिक एक कमरे में 20 से अधिक लड़कियां रहती हैं और एक बेड पर चार से पांच को सोना पड़ता है, कई नीचे जमीन पर सोने को मज़बूर हैं, तो कोई बिना नहाये रहने को। क्योंकि 250 लड़कियों के बीच बाथरूम भी केवल दो हैं जो नियमित रूप से साफ तक नहीं होते, पीरियड्स में जैसे-तैसे नहाने को मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा खाना भी यहां एक बड़ी दिक्कत है, साफ-सफाई और मेन्यू तो दूर की बात है कई बार सिर्फ बिस्किट-चाय पर ही रहना पड़ता है।

कई शिकायतों के बाद भी कोई एक्शन नहीं

इन लड़कियों का कहना है कि इससे पहले भी इन्होंने कई बार स्कूल प्रशासन से इस बदहाली को लेकर कई शिकायतें की हैं लेकिन प्रशासन ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। मंगलवार को जब इन छात्राओं ने हाथ से हाथ जोड़कर एक चेन बनाते हुए शहर के नाला रोड़ को जाम कर दिया, तब जाकर प्रशासन से लेकर पुलिस सभी एक साथ हरकत में आए और इन छात्राओं को समझाने के लिए प्रदर्शन स्थल पहुंचे। सभी के आश्वासन के बाद छात्राओं ने धरना तो समाप्त कर दिया लेकिन उन्हें अभी भी बदलाव की कोई खास उम्मीद नहीं है।

गौरतलब है कि साल 2021 में जब बिहार की नीतिश सरकार ने राज्य के 35 जिलों में लगभग 114 करोड़ रुपये से स्थायी ओबीसी कन्या आवासीय प्लस टू स्कूल बनाने का ऐलान किया था, तो इसमें एससी-एसटी बालिकाओं की पढ़ाई के साथ ही रहने, खेल-कूद, लाइब्रेरी, कंप्यूटर की सुविधा के मानकों का निर्धारण किया गया था। हालांकि सरकार पहले से चल रहे जर्जर स्कूलों पर अभी तक अपनी आंखें मूंदे बैठी है। यहां बाकी सुविधाएं तो भूल जाइए लड़कियों के रहने के लिए बेसिक सुविधाएं भी नहीं हैं। लड़कियां अपनी पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रही हैं, तो वहीं सरकार नई घोषणाओं में मस्त है।

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