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कटाक्ष: होरी खेलै ट्रम्पवा व्हाइट हाउस में होरी खेलै ट्रम्पवा!

मोदी जी जब पिछली बार ट्रम्प से मिलने गए थे, तभी ट्रम्प ने कह दिया था कि इस बार मैं जमकर होली खेलूंगा, बुरा तो नहीं मानोगे। मोदी जी क्या कहते?
modi trump
तस्वीर प्रतीकात्मक प्रयोग के लिए।

भाई मोदी जी के साथ तो इस बार बहुतै ज्यादती हो गयी और वह भी होली जैसे बड़े त्योहार के मौके पर। अमरीका वाली ट्रम्प-मस्क जोड़ी ने ऐसे हंसी-ठिठोली के मौके पर जरा सी शरारत क्या कर दी, भाई लोग लट्ठ लेकर मोदी जी के पीछे पड़ गए कि ट्रम्प का जवाब क्यों नहीं देते! मुंह तोड़ न सही, बाजू मरोड़ ही सही, पर जवाब दो, जवाब क्यों नहीं देते। 

शोर मचा दिया कि ट्रम्प ने तो भारत को बहुत ही भला-बुरा कहा है और वह भी सारी दुनिया को सुनाकर। उसने कहा है कि भारत उन देशों में है, जो अमरीका को अब तक ठग रहे थे और उसे लूट-लूट कर अपना घर भर रहे थे। उसने कहा है कि भारत टैरिफ से सबसे ज्यादा लूट करने वाले देशों में है। उसने कहा है कि भारत अमरीकी नौकरियां चुरा रहा था। उसने कहा है कि भारत, अमरीका को बेहिसाब ठगे जा रहा था, न जाने कितने बरसों से। पर अब जब उसने भारत की ठगी को बेनकाब कर दिया है, भारत अपने टैरिफ में कमी करने के लिए मजबूर हो गया है और वह भी बहुत भारी कमी। और भी न जाने क्या-क्या?

और यह भी कि ट्रम्पवा-मस्कवा, भारत के साथ न जाने कब का बदला ले रहा है। कहां तो हमारे मोदी जी माई डियर फ्रेंड, माई डियर फ्रेंड कहते नहीं थकते हैं और कहां इन नाशुक्रों ने मोदी जी को अपनी ताजपोशी के लिए न्यौता तक नहीं दिया। चीनियों को न्यौता दिया। रूसियों को न्यौता दिया। पाकिस्तानियों तक को न्यौता दिया। ज्यादा आए, कुछ नहीं भी आए, पर न्यौता तो दिया। बस मोदी जी को ही न्यौता नहीं दिया। 

विदेश मंत्री जयशंकर ने वाशिंगटन डीसी में धरना दे दिया, तो उनको तो फिर भी न्यौता दे दिया, पर मोदी जी को फिर भी न्यौता नहीं दिया। फिर भी मोदी जी मिलने पहुंच गए, तो बगल में बैठाकर, मुंह पर ही ट्रम्पवा ने क्या-क्या नहीं सुनाया। बीवी-बच्चों समेत मस्क के साथ सरकारी बैठक करवाई सो अलग। और सबसे बुरा यह कि मोदी जी को अमरीका में दूसरी बार, प्रेस के सवालों के सामने सिर्फ उनके टेलीप्रॉम्पटर के सहारे छोड़ दिया। हथकड़ी-बेड़ियां लगाकर, दो-दो जहाज भरकर भारतीयों को हाथ के हाथ वापस भिजवाया, सो ऊपर से। और अब ये भारत को बेनकाब करने के दावे।

और तो और ट्रम्प के यह कहने भर से कि भारत टैरिफ में भारी कमी करने के लिए तैयार हो गया है, देश में मोदी जी के विरोधियों ने सरेंडर-सरेंडर का शोर मचाना शुरू कर दिया। सरेंडर की तुक नरेंदर से जोड़ दी और नाम नरेंदर, काम सरेंडर का नारा चला दिया। 

लाल झंडे वाले तो लाल झंडे वाले, बाकी रंग के झंडे वाले भी कहने लगे कि यह सरकार तो हर चीज में अमरीका के आगे सरेंडर ही करती जा रही है। हार्ले डेविडसन मोटर साइकिल, सरेंडर। अमरीका के महंगे के तेल की खरीद, सरेंडर। नाभिकीय रिएक्टरों की खरीद, सरेंडर। विमानों की खरीद, सरेंडर। डॉलर के माध्यम से ही व्यापार करने की धमकी, सरेंडर। ब्रिक्स को खत्म करने की धमकी, सरेंडर। मस्क के टैक्सला, स्टारलिंक के लिए दरवाजे खोलने की डिमांड, सरेंडर। सरेंडर, सरेंडर, सरेंडर।

और मोदी जी को इसके उलाहने भी कि चीन से कैसे ट्रम्प को तुर्की ब तुर्की जवाब दिया है। कैसे कनाडा ने उसे शराफत से पेश आने की झिडक़ी दी है। कैसे यूरोप वालों ने ट्रम्प को सिरफिरा कहना शुरू कर दिया है। कैसे छोटे-छोटे देशों ने अमरीकी फौजी जहाजों से हथकड़ी-बेड़ियों में अपने नागरिकों के वापस भेजे जाने को नामंजूर कर दिया है और खुद अपने जहाज भेजकर अपने नागरिकों को सम्मान के साथ वापस बुलवाया है। और तो और कैसे युद्ध के मारे यूक्रेन के वालोदीमीर जेलेंस्की तक ने मुंंह पर ही ट्रम्प और उसके  उपराष्ट्रपति , दोनों को तगड़ा जवाब दे दिया। यहां तक कि उसे बातचीत अधूूरी रह जाना और  राष्ट्रपति के दफ्तर से बाहर किया जाना मंजूर हुआ, पर ट्रम्प की बकवास सुनना मंजूर नहीं हुआ। और अपने विश्व गुरु, अमरीका में तो मुंंह में दही जमाए बैठे ही रहे, देश में वापस आने के बाद भी मुंह में दही ही जमाए बैठे हुए हैं।

पर अब होली आने पर पता चल रहा है कि मोदी जी मुंह में दही किसलिए जमाए बैठे हैं। किसलिए क्या, होली की सनातन परंपरा के सम्मान के लिए मुंह में दही जमाए बैठे हैं! मोदी जी ट्रम्प का जवाब दें भी तो कैसे? ट्रम्प ने होली वाली पुरानी कसम दे दी थी--बुरा न मानो होली है। अब मोदी जी बुरा मानते भी तो किस मुंह से। आखिर होली की परंपरा के मान की रक्षा का सवाल था। मोदी जी जब पिछली बार ट्रम्प से मिलने गए थे, तभी ट्रम्प ने कह दिया था कि इस बार मैं जमकर होली खेलूंगा, बुरा तो नहीं मानोगे। मोदी जी क्या कहते? सनातन परंपरा के सम्मान का सवाल था। दे दिया वचन बल्कि वचन देना पड़ा; हम होली में बुरा मानने वालों में नहीं हैं। उल्टे हम तो होली के रंग-वंग का बुरा मानने वालों को घर पर ही बंद रहने से लेकर, तंबू का बुर्का पहन कर सड़क पर निकलने तक की सलाहें देने वालों में से हैं। और यह सलाह एकदम सेकुलर है, होली पर किसी भी चीज का बुरा मानने वाले सभी के लिए।

सुनने में तो यह भी आया है कि ट्रम्प तो तभी मोदी जी के साथ होली खेलना चाहता था। चाहता क्या था, उसने अपनी तरफ से तो होली खेलना तभी शुरू भी कर दिया था। पर मोदी जी ने किसी तरह से शुभ मुहूरत में टैम होने का बहाना बनाकर अपना पीछा छुड़ाया। असल में ट्रम्प ने किसी से बिहार की कपड़ा फाड़ होली के बारे में कुछ सुन लिया था। मोदी जी को खतरा लगा कि अगला वैसे भी कपड़ा फाड़ने के मूड में था, कहीं सचमुच कपड़ा फाड़ होली खेलने पर उतर आता तो? तस्वीरों में पता नहीं क्या होता? खैर! ट्रम्प ने जेलेंस्की के साथ खेली, कपड़ा फाड़ होली।

ट्रम्प तब से अब तक होली ही खेल रहा है। मोदी जी के कानों में, ह्वाइट हाउस में होरी खेलै ट्रम्पवा बज रहा है। होली में बुरा मानेेंगे भी तो कैसे?            

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लोक लहर के संपादक हैं।

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