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सुप्रीम कोर्ट ने दिया गुजरात दंगों से संबंधित सभी मामले बंद करने का आदेश

साल 2002 में हुए गुजरात दंगों से संबंधित याचिकाओं को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है, और कहा है इन्हें अब आगे सुने जाने की ज़रूरत नहीं है..
supreme court

गुजरात दंगों से जुड़े मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा आदेश दिया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानी एनएचआरसी की ओर से दायर की गईं सभी दस याचिकाओं का निपटारा कर दिया है। आपको बता दें कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की याचिका में 2002 के गुजरात दंगों के दौरान हिंसा के मामलों में उचित जांच की मांग उठाई गई थी।

आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निपटाए गए मामलों में एनएचआरसी द्वारा दायर ट्रांसफर याचिकाएं, दंगा पीड़ितों द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिकाएं, 2003-2004 के दौरान एनजीओ सिटीज़न फॉर जस्टिस एंड पीस द्वारा दायर याचिका और फरवरी 2002 के गोधरा नरसंहार के बाद गुजरात पुलिस से सीबीआई को हिंसा के मामलों में जांच ट्रांसफर करने की मांग शामिल है।

इन सभी मामलों पर सुनवाई करते हुए भारत के चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस एस रवींद्र भट और जस्टिस जेबी पादरीवाला की पीठ ने कहा कि गुजरात दंगा 2002 से जुड़ी याचिकाओं को आगे सुनने की ज़रूरत नहीं हैं। इसलिए हम सभी मामले बंद करने का आदेश दे रहे हैं।

दरअसल 27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे में आग लगा दी गई थी। आग लगने से 59 लोग मारे गए थे। ये सभी कारसेवक थे, जो अयोध्या से लौट रहे थे। गोधरा कांड के बाद पूरे गुजरात में दंगे भड़क उठे। गोधरा में सभी स्कूल-दुकानें बंद कर दी गईं, कर्फ्यू लगा दिया गया। जबकि पुलिस को आदेश दिए गए कि दंगाईयों को देखते ही गोली मार दी जाए।

इधर गोधरा कांड हुआ दूसरी ओर पूरा गुजरात सांप्रदायिक दंगों से भड़क उठा। इन दंगों में 1044 लोगों की मौत हो गई थी। मारे जाने वालों में 790 मुसलमान और 254 हिंदू शामिल थे। उपद्रवियों ने पूर्वी अहमदाबाद में मौजूद अल्पसंख्यक समुदाय की बस्ती गुलबर्ग सोसायटी को निशाना बनाया था। इसमें जाकिया जाफरी के पति पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी समेत 69 लोग मारे गए। इन 69 लोगों में 38 लोगों के शव बरामद हुए थे, जबकि जाफरी समेत 31 लोगों को लापता बताया गया।

साल 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने एसआईटी का गठन किया। कोर्ट ने आदेश दिया कि गुजरात दंगों को लेकर हुई तमाम सुनवाई की रिपोर्ट एसआईटी इकट्ठा करे। बाद में मारे गए एहसान जाफरी की पत्नी जाकिया जाफरी की शिकायत की जांच भी एसआईटी को सौंपी गई।

एसआईटी ने जांच को आगे बढ़ाते हुए नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दे दी, और 2011 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मजिस्ट्रेट को क्लोज़र रिपोर्ट सौंप दी।

इस क्लोज़र रिपोर्ट के खिलाफ़ जाकिया जाफरी ने साल 2013 में मजिस्ट्रेट के सामने याचिका दायर की हालांकि मजिस्ट्रेट ने इसे ख़ारिज कर दिया। इसके बाद जाकिया, गुजरात हाईकोर्ट गईं। साल 2017 में गुजरात हाईकोर्ट ने जाकिया की याचिका पर मजिस्ट्रेट का फैसले को बरकरार रखा, इसके बाद जाकिया ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी।

इसी साल 2022, जून 24 को सुप्रीम कोर्ट ने जाकिया जाफरी की ओर से प्रधानमंत्री मोदी के ख़िलाफ दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया। यह याचिका गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट देने वाली एसआईटी रिपोर्ट के ख़िलाफ दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा था कि जाकिया जाफरी की याचिका में कोई मेरिट नहीं है।

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