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बिहार में आम हड़ताल का दिखा असर, किसान-मज़दूर-कर्मचारियों ने दिखाई एकजुटता

देश भर में जारी ट्रेड यूनियनों की दो दिवसीय आम हड़ताल का व्यापक असर बिहार में भी देखने को मिला है। इस हड़ताल का सभी वर्गों ने समर्थन किया और इसमें शामिल हुए।
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विभिन्न मांगों को लेकर सीटू, एक्टू समेत दस ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर दो दिवसीय आम हड़ताल के पहले दिन यानी 28 मार्च को बिहार में इसका व्यापक असर देखने को मिला। राज्य भर से मिली सूचनाओं के अनुसार इसमें बड़ी संख्या किसान, मजदूर, छात्र, युवा और महिलाएं शामिल हुईं। इसको लेकर बैंकों समेत अन्य संस्थानों में कार्य बाधित हुआ और सड़कों को जाम कर दिया गया। कल यानी 29 मार्च को ट्रेड यूनियनों की इस हड़ताल का दूसरा दिन होगा।

ट्रेड यूनियन की प्रमुख मांगों में न्यूनतम मजदूरी21 हजार रुपये करने, श्रम संशोधन कानून रद्द करने, महंगाई पर रोक लगाने, पेट्रोल डीजल की कीमत में कमी करने, बिजली संशोधन बिल 2021 रद्द करने, आयकर न देने वाले परिवारों को 7500 रुपए देने, जरूरतमंद परिवार को छह महीने तक दस किलो अनाज देने, रेलवे, बैंक, बीमा और रक्षा क्षेत्र समेत सभी सार्वजनिक संपत्ति के निजीकरण पर रोक लगाने, मनरेगा के बजट में वृद्धि करने, नई पेशन को रद्द कर पुरानी पेंशन बहाल करने, आशा, आंगनबाड़ी और मिड-डे मिल कर्मचारियों को राज्य कर्मचारी घोषित करने। असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को सुरक्षा देने समेत अन्य मांग शामिल हैं।

मज़दूर, किसान, छात्र और युवा बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे

ट्रेड यूनियनों की दो दिवसीय हड़ताल और उनकी ओर से उठाई गई मांगों पर चर्चा करते हुए सीपीआइएम के केंद्रीय समिति के सदस्य अरुण कुमार ने न्यूजक्लिक से बात करते हुए कहा कि, "बिहार में मजदूर, किसान, छात्र और युवा बड़ी संख्या में सड़कों पर उतरे हैं। सभी जिले में लोग सड़कों पर निकले हैं। इसमें बड़ी संख्या किसान शामिल हुए हैं। बैंक, एलआइसी और अन्य सभी संस्थानें आज बंद हैं। सभी कर्मचारियों और वर्गों ने इस बंद का समर्थन किया है। उन्होंने जगह- जगह रोड जाम कर प्रदर्शन किया है। इसमें किसान मजदूरों की एकता जो पिछले दिनों बनी थी वह इस आंदोलन में फिर से सामने आई है। आज का बंद सफल रहा है। यह कल तक चलेगा। आने वाले समय में इस आंदोलन का बहुत बड़ा प्रभाव होने जा रहा है। जिस तरह से महंगाई बढ़ी है उससे लोगों में बेहद नाराजगी है। भविष्य में आंदोलन और तेज होगा।"

महंगाई मोदी सरकार के एजेंडे में नहीं

एक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार ने डाकबंगला चौराहे पर सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिन्हें सबसे ज्यादा महंगे दर पर आज हिंदुस्तान में खाने पीने की वस्तुएं खरीदनी पड़ रही हैं। रसोई गैस और पैट्रोल डीजल की कीमतों में आग लगी हुई है लेकिन मोदी सरकार के एजेंडे में ये बात शामिल नहीं है। मोदी सरकार को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि देश के गरीब मजदूर भर पेट खाकर सोएंगे कि नहीं सोएंगे। उन्हें इस बात की चिंता है कि देश का नेशनल हाइवे बेचेंगे तो अडाणी को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए। देश का रेल बेचेंगे तो वो अंबानी को मिलना चाहिए या नहीं मिलना चाहिए। अडाणी-अंबानी को ये सब कैसे मिले केवल इस बात को लेकर ये सरकार चिंतित है।

सीपीआइएमएल के विधायक और इनौस के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमरजीत कुशवाहा ने सभा में मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि देश को अडाणी और अंबानी के हाथों निलाम किया जा रहा है। तत्काल इस पर रोक लगाएं नहीं तो मजदूरों के हड़ताल आगे बढ़ेगा और सरकार के चक्का को जाम करने का काम करेगा।

मुज़फ़्फ़रपुर में भी निकाला गया जुलूस

इस हड़ताल का असर मुजफ्फरपुर में भी देखने को मिला। मुुजफ्फरपुर जिला के किसान नेता अब्दुल गफ्फार ने बातचीत में कहा कि बैंक, एलआइसी समेत अन्य संस्थानों के कर्मचारियों ने हड़ताल का समर्थन किया और ड्यूटी नहीं किया। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर में सीपीआइएम कार्यालय से जुलूस निकाला गया और पूरे शहर में प्रदर्शन किया गया। इस दौरान एसबीआइ, पोस्ट ऑफिस तथा सभी बैंक की शाखाओं और दफ्तरों के पास पहुंचकर प्रदर्शन भी किया गया। इसमें सीटू के नेता मौजूद रहे और इस जुलूस में बड़ी संख्या में किसान, मजदूर, कर्मचारी और युवा शामिल हुए। दो दिवसीय हड़ताल में आज का प्रदर्शन पूरी तरह सफल रहा। हर वर्ग से आज के बंद को सहयोग मिला है। हम सभी मांग करते हैं कि केंद्र सरकार सार्वजनिक कंपनियों का निजीकरण बंद करे।

अररिया में शामिल हुए सफाईकर्मी और ऑटो चालक

अररिया में भी हड़ताल के पहले दिन खासा असर दिखा। जिला के किसान-मजदूर नेता राम विनय राय ने कहा, "दो दिवसीय हड़ताल का पहला दिन आज सफल रहा। मजदूर, किसान, कर्मचारियों, सफाई कर्मियों, ऑटो चालकों समेत अन्य संगठन के लोग आज के बंद में शामिल हुए। अररिया शहर भर में जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में सीटू, सीपीआइएम, एआइकेएस के नेता शामिल हुए। सभी नेता और कर्मचारी व किसान-मजदूर अररिया बस स्टैंड में सुबह करीब दस बजे इकट्ठा हुए और यहां से सभी लोग जुलूस की शक्ल में पूरे शहर में प्रदर्शन किया।"

उन्होंने आगे कहा कि, "राष्ट्रव्यापी मांगों के साथ हमारी कुछ स्थानीय मांग भी हैं। यहां सफाई कर्मियों की बदतर स्थिति है, उन लोगों से ठेका पर काम कराया जाता है। उन्हें मूलभूत सुविधा नहीं मिलती है। उन्हें मेडिकल किट वगैरह जैसी कोई सुविधा नहीं मिलती है। उनको बोनस की भी सुविधा नहीं है। साप्ताहिक छुट्टी और सरकारी छुट्टियों का कोई लाभ उनको नहीं मिलता है। वे जितना दिन काम करते हैं केवल उतना ही दिन का भुगतान दिया जाता है।"

आंदोलन तेज़ करने का आह्वान

बिहार की राजधानी पटना सीपीआइएम के जिला सचिव और प्रदेश कमेटी के सदस्य मनोज कुमार चंद्रवंशी ने कहा कि, "मोदी सरकार जल्दबाजी में राष्ट्रीय उत्पादक संपत्तियों और खनिज संसाधनों, बैंको, बीमा जैसे संस्थानों, रक्षा उत्पादन तथा सुरक्षा, गैस, रेलवे, हवाई अड्डा, बिजली जैसे अन्य सरकारी संस्थान को निजीकरण के अपने एजेंडे को आगे बढ़ा रही है! पूंजीपति घराने को खुश करने के लिए सरकारी संपत्तियों को बेचा जा रहा है और गरीबों को मूलभूत सुविधाओं से दूर करने की कोशिश हो रही है। जमाल रोड स्थित कार्यालय से जुलूस निकल कर डाक बंगला चौराहा तक पहुंचा जहां नेताओं ने सभा को संबोधित किया। इस मार्च में सीपीआइएम के राज्य सचिव ललन चौधरी, पटना जिला सचिव मनोज कुमार चंद्रवंशी, सीटू के अध्यक्ष दीपक भट्टाचार्य समेत अन्य नेता मौजूद थे। सीपीआइएम के राज्य सचिव ललन चौधरी ने मोदी सरकार के खिलाफ आंदोलन तेज करने का आह्वान किया।"

लोग महंगाई से परेशान

बिहार के सारण में भी हड़ताल के पहले दिन बड़ी संख्या में लोग शामलि हुए। इस दौरान लोग सड़कों पर उतरे और केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध किया। आंदोलनकारियों को संबोधित करते हुए सारण सीपीआइएम के सचिव शिव शंकर प्रसाद ने कहा केंद्र सरकार के गलत नीतियो के कारण देश में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढ़ रही है और लोग महंगाई से परेशान है। आज हालत ऐसी बन गई है कि छात्र अपनी शिक्षण कार्य भी पूरा नहीं कर पा रहें हैँ देश की अर्थव्यवस्था ख़राब होती जा रही हैँ। इस आंदोलन मे सीटू के एमके ओझा समेत अन्य स्थानीय नेता शामिल हुए।

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