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दार्शनिक परम्पराओं का सर्वोच्च विकास मार्क्सवाद में हुआ है - रवीन्द्र हलिंगली

आज पूरी दुनिया में लेफ्ट को नई परिस्थियों में काम करना पड़ा रहा है। कई बार वाम थोड़ा पीछे की ओर भी गया है। हमें इसके कारणों की पड़ताल करने के नए ढंग देखने पड़ेंगे और विचार करना पड़ेगा।
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पटना की चर्चित संस्था 'अभियान सांस्कृतिक मंच' द्वारा साइंस फोर सोसायटी के संस्थापक रहे प्रो एस। पी वर्मा की स्मृति में कालिदास रंगालय में आयोजन किया गया। इस मौके पर 'इंडियन विलेज़' तथा 'आइडियोलाजी ऑफ कैपिटल' जैसी पुस्तकों के लेखक रवीन्द्र हैंलीगली( कर्नाटक )' पूंजी का वर्तमान वर्चस्व और उसका विचारधारात्मक प्रभाव' विषय पर अपना व्याख्यान दिया।

विषय प्रवेश करते हुए सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार राय ने कहा " रवीन्द्र हलीएंगली का काम भारत के गांवों पर है। ये वामपंथी विचारक रहे हैं। आज पूरी दुनिया में लेफ्ट को नई परिस्थियों में काम करना पड़ा रहा है। कई बार वाम थोड़ा पीछे की ओर भी गया है। हमें इसके कारणों की पड़ताल करने के नए ढंग देखने पड़ेंगे और विचार करना पड़ेगा। पूंजी का प्रभाव कैसा रहता है उसे विश्व बैंक के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मनमोहन सिंह को वित्त मंत्री बनाये जाने की घटना से समझा जा सकता है।"

रवीन्द्र हैंलीगली ने बिहार में बुद्ध के ऐतिहासिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा '' जो बात हम लाेगों को अच्‍छी नहीं लगती हम उसका विरोध करने लगते हैं लेकिन भारतीय संस्कृति में ऐसा नहीं है। दुनिया में जितने धर्म हैं सब भारत में है। बिहार बुद्ध की धरती है। भारत सहित दुनिया में अब तक जो दार्शनिक विकास हुआ है उसका सर्वोच्च रूप मार्क्सवाद में हुआ है, वैज्ञानिक समाज़वाद में हुआ है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी का पटना कांग्रेस बहुत प्रमुख रहा है उसके सूत्रीकरणों को ध्यान से देखना चाहिए। मैंने क्रांति, बदलाव आदि के बारे में भ्रम दूर करने के लिए हमने कई सालों तक, यानी लगभग दो दशकों तक मार्क्स, लेनिन की क्लासिक रचनाओं का अध्ययन शुरू किया। कुछ वर्ष पूर्व वर्तमान परिस्थिति के बारे में फ़्रांस के अर्थशास्त्री थामस पिकेटी की किताब ' कैपिटल इन द फर्स्ट सेंचुरी पढ़ा ' उसके दूसरे खंड कैपिटल एंड आइडियोलाजी को पढ़ा। मार्क्स को छोड़कर हम कैपिटल के बारे में बात नहीं कर सकते। पूंजी का उनका तीनों खंड बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन पिकेटी ने अपनी किताब में मार्क्स का जिक्र नहीं किया है तब मुझे लगा कि इसमें तो विचारधारा है ही नहीं तब मैंने 'आइडियोलॉजी ऑफ कौपिटल' लिखा ताकि लोगों को वर्ग संघर्ष के बारे में भ्रम को साफ किया जा सके। मार्क्स की महानता यह थी कि वे जितने विद्वान थे उतने ही व्यावहारिक भी थे।"

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रवींद्र हलिंगली ने आगे कहा '' आज रिएकशनरी लोग तेज़ी से जनमत के बीच अपने विचार को फैला देते हैं। वर्ग संघर्ष लोगों के बीच कैसे ले जाने का है, उनके दिमाग में वर्गसंघर्ष का कंसेप्ट कैसे ले जाने का है आज यह बड़ा सवाल है। सबसे पहले हमें समझना है कि कैपिटल प्रोडक्शन सिस्टम में कैसे दाखिल होता है? माल उत्पादन के माध्यम से पूंजी ये काम करता है और ठीक यहीँ पर वर्गीय चेतना भी आती है। पेट्टी बुर्जआ यानी छोटी पूंजी वालों के रोल के बारे में सोचना होगा। उत्पादक शक्तियां कैसे वैश्विक हो जाए इसकी कोशिश हो रही है । कम्युनिस्ट मैंनीफेस्टो में मार्क्स ने कहा है पूंजी पूरी दुनिया में अपने विस्तार के लिए जाता है। आज के जमाने में डंकल प्रस्ताव और विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से यह किया गया है। जी. एस.टी. भारतीय संसद का नहीं बल्कि विश्व व्यापार संगठन द्वारा लादा हुआ है। पूंजी ने धन का राष्ट्रीय व वैश्विक दोनों स्तरों पर केंद्रित कर लिया है। अमेरिका और चीन दोनों को मोनोपोली कैपिटल कब्जे में लेना चाहता है। इसे ध्यान में रखकर आंदोलन आगे चलाना है। "

कम्युनिस्ट आंदोलन के बिखराव के संबंध में रवीन्द्र हलीएंगली ने कहा " सिर्फ हैदराबाद में कम्युनिस्टों के 46 ग्रुप्स हैं। भारत में वर्ग संघर्ष छोड़कर सब तरह के संघर्ष हैं। क्लास नहीं कास्ट स्ट्रगल पर ज्यादा जोर लगता है। समुदाय आधारित सेल बने हुए हैं जबकि पहले से ये सेल नहीं थे। यदि अपने हाथ से सुधार का काम नहीं होता है तो हम खुद ही बदल जाते हैं।"

सामाजिक कार्यकर्ता अक्षय जी ने कहा " हमारी संवेदनाएं भौतिक दृव्यों से प्रभावित होता है। सुनने बोलने की स्वाभाविक अंतगरता को समाप्त कर दी गई है। और यह सब पूंजी के निर्देश पर किया गया है।"

व्याख्यान के अध्यक्ष अधिवक्ता मदन प्रसाद सिंह ने कहा " पूंजीवादी व्यवस्था हम सब लोगों को प्रभावित कर रही है। वर्ग और जाति की क्या स्थिति है। वर्ग को छोटी-छोटी जातियों में बांट दिया गया था। उत्पीड़ित जातियों को कम्युनिस्ट पार्टियों के साथ रहना चाहिए लेकिन वे पूंजीवादी दलों के साथ रहती हैं। ऐसा क्यों है क्योंकि हमने वर्ग संघर्ष के बदले दूसरी चीजों पर ध्यान दिया।"

आगत अतिथियों का स्वागत 'अभियान' के युवा रंगकर्मी राजू कुमार ने किया।

 

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