Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

तिरछी नज़र : माय फ्रेंड ट्रम्प! तुम तो ऐसे न थे 

हमारे सरकार जी शपथ समारोह में नहीं जा रहे हैं। अरे नहीं, कोई व्यस्तता नहीं है। बात कुछ और है.
trump
फ़ोटो साभार : The Indian Express

आज उन्नीस जनवरी है और कल बीस। इसमें कौन सी बड़ी बात है, उन्नीस के बाद बीस ही आता है। खास बात तो यह है कि सरकार जी आज ही अपने मन की बात सुना डाल रहे हैं और कल ट्रम्प जी अमरीका के राष्ट्रपति पद का कार्यभार सम्हाल रहे हैं। यार, इतना भी मत डरो। ट्रम्प के आने के बाद भी अपने मन की बात सुनाते रहना। ट्रम्प अपने देश में अपने मन की बात सुनाता रहेगा और हमारे सरकार जी हमारे देश में। खैर, वजह जो भी हो, सरकार जी शायद पहली बार अपने मन की बात अंतिम रविवार से पहले रविवार को ही सुना रहे हैं।

लेकिन बात असलियत में उन्नीस जनवरी की नहीं, बीस जनवरी की है। बीस जनवरी को अमरीका में राष्ट्रपति बदलेगा। ट्रम्प जी नए राष्ट्रपति के रूप में दूसरी बार शपथ लेंगे। हमारे सरकार जी का दोस्त, हमारे सरकार जी का बड़ा भाई, ट्रम्प अपना दूसरा टर्म शुरू करेगा। 

लेकिन हमारे सरकार जी उस शपथ समारोह में नहीं जा रहे हैं। अरे नहीं, कोई व्यस्तता नहीं है। देश में कोई चुनाव भी नहीं हैं कि उनमें व्यस्त हों। दिल्ली में हैं पर पंद्रह दिन पड़े हैं। और उद्घाटन वगैरह हैं, उनको तो दो चार दिन टाला भी जा सकता है। पर जा इसलिए नहीं रहे हैं कि क्या करें, ट्रम्प जी ने न्योता ही नहीं भेजा है। नहीं बुलाया कि आजा। छोटे भाई, आजा। चार पांच दिन पहले ही आजा। बहुत बड़ा फंक्शन है। बहुत सारे लोग आ रहे हैं। बहुत काम फैला होगा। तू आ जायेगा तो सहारा हो जायेगा। देख लेगा कि शामियाना, टेंट ठीक लगा है? हलवाई ठीक से काम कर रहा है या नहीं? अपने आदमी के साथ होने की बात ही कुछ और होती है।

सरकार जी ने तो अपना दूत भी वहाँ भेज दिया था अमरीका की राजधानी वाशिंगटन में। कि भाई, जा। जैसे ही निमंत्रण पत्र पर मेरा नाम लिखा जाए, ले आ। वह दूत भी वफादार था। चार पांच दिन वहाँ ऑफिस के बाहर बैठा रहा, हर घंटे, दो घंटे में पता करता रहा कि निमंत्रण पत्र बना है या नहीं? लौट कर सरकार जी को फोन घूमता, सर, आज नहीं बना है, कल जरूर बन जायेगा। ऐसे ही चार पांच दिन बीत गए। पर निमंत्रण पत्र नहीं मिला। 

कई बार होता है। सबके साथ होता है। हमारे साथ भी होता है। किसी कार्यक्रम में जाने का बहुत मन होता है पर वहाँ से निमंत्रण ही नहीं मिलता है। अब हमारा भी बहुत मन था कि अम्बानी के बेटे (बेटा भी अम्बानी ही है) की शादी में जाएं। पर निमंत्रण पत्र नहीं आया। नहीं गए। टीवी पर, सोशल मीडिया पर रील और तस्वीरें देख कर ही मन बहला लिया। अम्बानी से नाराज नहीं हुए। आज भी जिओ का सिम इस्तेमाल करते हैं। रिलायंस के स्टोरों से खरीददारी करते हैं। ट्रम्प ने शपथ ग्रहण समारोह में नहीं बुलाया है तो सरकार जी को नाराज नहीं होना चाहिए।

परन्तु यहाँ तो बड़ा भाई, ट्रम्प ही नाराज है। सरकार जी से नाराज है। नाराजगी की कई वजह हैं। एक तो पिछली बार 'अबकी बार, ट्रम्प सरकार' का नारा लगा कर ट्रम्प को हरवा दिया। ट्रम्प होशियार है, समझदार है। अबकी बार उसने चुनाव हमारे सरकार जी के बिना ही लड़ा। ना वहाँ अमरीका में सरकार जी का कोई चुनाव कार्यक्रम रखा और न ही यहाँ, भारत में 'नमस्ते ट्रम्प' टाइप का कोई कार्यक्रम। और चुनाव जीत भी गया। बिना सरकार जी के चुनाव प्रचार के जीत गया। ट्रम्प समझ गया कि यह जो दोस्त है ना, किसी की भी आड़ में अपने को ही प्रोमोट करता है। अगर शपथ समारोह में भी बुला लिया तो अपने को ही प्रोमोट करेगा। ऐसे दोस्त की दोस्ती अच्छी नहीं।

ट्रम्प जी की नाराजगी की एक और वजह बताई जा रही है। कहते हैं, जब ट्रम्प चुनाव हार गया, राष्ट्रपति नहीं रहा, तब इंतजार करता रहा कि हमारे सरकार जी अमरीका जायेंगे तो उससे भी मिलेंगे। पर इंतजार इंतजार ही रहा गया। जो आदमी पद पर पहुंच कर, नीचे रह गए अपने सगे सम्बन्धियों को भूल जाये, फ़िल्मी कलाकारों और बिजिनेसमैनों की, उनके बच्चों की शादी में जाये और अपने भतीजे-भतीजी की शादी में ना जाये, वह ट्रम्प को हारने के बाद ट्रम्प को क्यों कर याद रखता। ट्रम्प ने भी कह दिया, जब ग़म में साथ नहीं थे तो ख़ुशी में भी क्यों बुलाऊं।

हमारे सरकार जी मेलानिया को भी नहीं भाये। मेलानिया ट्रम्प भी उनसे नाराज है। पहले ख़ुश थी। हमारे सरकार जी अमरीका जाते थे, ट्रम्प से मिलते थे तो मेलानिया के लिए भी कुछ ना कुछ ले जाते थे। मेलानिया ख़ुश रहती थी। पर जब से जिल बाईडेन को आठ दस लाख का हीरा दिया है, मेलानिया की छाती पर सांप सा लोट गया है। अरे, मुझे भी दे देते कोई हीरों का हार। सरकार जी को कौन सा अपनी जेब से देना था। सरकारी ख़ज़ाने से ही तो देना था। वैसे डोनाल्ड ट्रम्प अपनी जेब से भी दिलवा सकते हैं। अमीर आदमी हैं। पर गिफ्ट की बात ही कुछ और होती है। जब प्रथम महिला नाराज तो प्रथम पुरुष को भी नाराज होना ही था।

लेकिन जयशंकर जी को बुलावा आ गया है। उन्हें निमंत्रण पत्र मिल गया है। वे डोनाल्ड ट्रम्प के शपथ समारोह में जा रहे हैं। ट्रम्प जी को वे पसंद आ गए हैं। ऐसा विदेश मंत्री तो किसी भी राष्ट्रपति को, प्रधानमंत्री को पसंद आएगा जो अपना सारा कामकाज छोड़ कर, देश का सारा कामकाज छोड़ कर, मंत्रालय का काम त्याग कर, अपने आका के लिए निमंत्रण पत्र हेतु चार छः दिन दूसरे देश की राजधानी में पड़ा रहे।

अंत में: सुना है, मुकेश और नीता अम्बानी भी जा रहे हैं। उनको भी निमंत्रण पत्र इशू हो गया है या उन्होंने खरीदा है। जो भी हो ट्रम्प को भी पता चल गया है कि भारत को पटाना  है तो अम्बानी अडानी से बना कर रखो। सरकार जी तो अपने आप पट जायेंगे।

(इस व्यंग्य स्तंभ के लेखक पेशे से चिकित्सक हैं।)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest