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उदयपुर पहुंचे कांग्रेस के लगभग 70 विधायक, विमान में मास्क न पहनने वालों को ‘नो-फ्लाई’ सूची में डालने का आदेश और अन्य खबरें

दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को हवाईअड्डों और विमान में मास्क लगाने तथा हाथ धोने से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वाले यात्रियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि कोविड-19 महामारी अभी समाप्त नहीं हुई है और रह-रहकर सिर उठा रही है।

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अदालत ने हवाईअड्डों और विमान में मास्क न लगाने वाले यात्रियों पर कड़ी कार्रवाई करने का आदेश दिया

नयी दिल्ली/भाषा: दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को हवाईअड्डों और विमान में मास्क लगाने तथा हाथ धोने से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वाले यात्रियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही अदालत ने कहा कि कोविड-19 महामारी अभी समाप्त नहीं हुई है और रह-रहकर सिर उठा रही है।

अदालत ने कहा कि कोविड-19 से बचाव से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों के खिलाफ न सिर्फ मामला दर्ज होना चाहिए, बल्कि उन पर जुर्माना भी लगाया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा कि ऐसे लोगों को ‘नो-फ्लाई’ (उड़ान निषेध) सूची में डाल देना चाहिए। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त सख्ती जरूरी है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति सचिन दत्ता की पीठ ने कहा कि ऐसा कई बार देखा गया है कि गंभीरता से नियमों का पालन नहीं होता, इसलिए यह आवश्यक है कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) समेत अन्य एजेंसियां नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करें।

पीठ ने कहा, “इसके लिए डीजीसीए को विमानन कंपनियों को अलग से बाध्याकारी निर्देश जारी करना चाहिए, ताकि वे हवाईअड्डों और विमानों में कर्मचारियों, एयर होस्टेस, कप्तान, पायलट व अन्य स्टाफ को उन यात्रियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का अधिकार प्रदान करें, जो मास्क लगाने तथा हाथ धोने से जुड़े नियमों का उल्लंघन करते मिलते हैं।”

अदालत ने डीजीसीए की वकील अंजना गोसाईं की इस दलील का संज्ञान लिया कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 10 मई को एक अन्य आदेश जारी कर कोविड-19 से बचाव के नियमों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करने को कहा था। गोसाईं खुद कोविड-19 से संक्रमित हैं और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये सुनवाई में शामिल हुईं।

उन्होंने कहा कि हवाईअड्डों और विमानों में मास्क से जुड़े नियमों पर कड़ाई से अमल करवाया जा रहा है। पीठ ने कहा, “उक्त आदेश सही दिशा में उठाया गया कदम है, क्योंकि महामारी अभी समाप्त नहीं हुई है और रह-रहकर सिर उठा रही है।”

अदालत ने कहा कि दिशा-निर्देश पहले से हैं और उनका अनुपालन ठीक तरीके से नहीं हो रहा है, जो असल समस्या है। पीठ ने कहा कि दिशा-निर्देशों पर अमल के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं और मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की।

अदालत ने यह आदेश एक जनहित याचिका पर दिया, जो उच्च न्यायालय के एक वर्तमान न्यायाधीश के अनुभव के आधार पर दायर की गई थी। न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने हवाईअड्डे से विमान में जाते यात्रियों को मास्क नहीं लगाए देखा था, जिसके बाद उन्होंने आठ मार्च 2021 को स्थिति का स्वतः संज्ञान लिया था।

उदयपुर पहुंचे कांग्रेस के लगभग 70 विधायक

जयपुर/भाषा: राज्यसभा: चुनाव से पहले कांग्रेस और उसके समर्थक विधायकों के उदयपुर पहुंचने का क्रम जारी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार लगभग 70 विधायक उदयपुर पहुंच चुके हैं।
 
राज्य से राज्यसभा की चार सीटों के लिए अब कुल पांच प्रत्याशी मैदान में हैं जिनमें कांग्रेस के तीन, भाजपा का एक व एक निर्दलीय उम्मीदवार है। मतदान 10 जून को होगा।
 
कांग्रेस ने राज्यसभा चुनाव से पहले सभी विधायकों को उदयपुर के एक होटल में ठहराने का फैसला किया है। जयपुर से 40 से ज्यादा विधायकों को लेकर एक बस शुक्रवार तड़के 2.30 बजे उदयपुर पहुंची। मंत्री परसादी लाल मीणा, बीडी कल्ला व ममता भूपेश और सुरेश टाक सहित कई निर्दलीय विधायक होटल पहुंच चुके हैं।
 
पार्टी सूत्रों ने बताया कि पार्टी के बाकी विधायक भी अपनी सुविधानुसार होटल पहुंचेंगे।

उल्लेखनीय है कि राज्यसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने मुकुल वासनिक, प्रमोद तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला को मैदान में उतारा है। जबकि भाजपा ने पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी को उम्मीदवार बनाया है। मीडिया कारोबारी सुभाष चंद्रा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। भाजपा उनका समर्थन कर रही है।

संख्या बल के हिसाब से राजस्थान की 200 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस अपने 108 विधायकों के साथ दो सीटें व भाजपा 71 विधायकों के साथ एक सीट आराम से जीत सकती है। दो सीटों के बाद कांग्रेस के पास 26 अधिशेष व भाजपा के पास 30 अधिशेष वोट होंगे। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 41 वोट चाहिए।

सत्तारूढ़ कांग्रेस के नेताओं को उम्मीद है कि सरकार का समर्थन कर रहे अन्य दलों के विधायकों व निर्दलीय विधायकों के समर्थन से वह तीसरी सीट जीत जाएगी।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में दर्ज की रिकार्ड जीत

देहरादून/भाषा : उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने चंपावत उपचुनाव में रिकार्ड जीत दर्ज करते हुए अपनी निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस की निर्मला गहतोड़ी को 55 हजार से अधिक मतों से पराजित किया ।

चंपावत जिला निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री को 13 चक्रों में हुई मतगणना में कुल 57,268 मत मिले और उनके खिलाफ चुनाव लड़ने वाल़ कांग्रेस समेत सभी प्रत्याशियों की जमानत जब्त हो गयी ।

उपचुनाव में गहतोड़ी को 3147 मत, समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मनोज कुमार को 409 और निर्दलीय उम्मीदवार हिमांशु गरकोटी को 399 वोट मिले । कुल 372 मतदाताओं ने नोटा (उपरोक्त में से कोई नहीं) का बटन दबाया । उपचुनाव के लिए मतदान 31 मई को हुआ था ।

हालांकि, डाक से आए मतपत्रों की गिनती अभी चल रही है जिससे जीत के इन आंकड़ों में कुछ बदलाव हो सकता है ।

धामी ने चंपावत की जनता को जीत के लिए धन्यवाद दिया है । उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा,‘‘' प्रिय चंपावतवासियों, चंपावत उपचुनाव में आपके द्वारा वोटों के माध्यम से बरसाए गए प्रेम व आशीर्वाद से मन अत्यंत भावुक है, निशब्द हूं।'’

उत्तराखंड में 23 मार्च को दूसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले धामी को छह माह के अंदर विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी था जिसके लिए चंपावत उपचुनाव हुआ ।

हाल में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने 70 में से 47 सीटें जीतकर प्रदेश में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने का इतिहास रचा लेकिन जीत की अगुवाई करने वाले धामी स्वयं खटीमा से हार गए थे।

धामी के उपचुनाव लड़ने का रास्ता साफ करने के लिए कैलाश गहतोड़ी ने 21 अप्रैल को अपनी विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया था ।

आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र क़ानूनी मान्य नहीं: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक आदेश पारित करते हुए कहा कि आर्यसमाज की ओर से विवाह प्रमाणपत्र को कानूनी मान्यता नहीं दी जा सकती है। जस्टिस अजय रस्तोगी और बीवी नागरत्ना की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आर्यसमाज का काम और अधिकार क्षेत्र विवाह प्रमाणपत्र जारी करना नहीं हैं और इसलिए उसे ऐसा कोई भी प्रमाणपत्र जारी करने का कोई भी ऐसा अधिकार नहीं है।

अदालत ने आरोपी की उन दलीलों को खारिज कर दिया जिसमें उसने प्रार्थना की थी कि पीडिता घटना के वक्त बालिग थी और याचिकाकर्ता और पीड़िता ने पहले ही आर्य समाज में विवाह सम्पन्न कर लिया था।

अदालत ने आरोपी से असली प्रमाण पत्र उसके समक्ष पेश करने का आदेश दिया।

पीडिता के घरवालों ने उस समय लड़की को नाबालिग बताते हुए पुलिस में अपरहण और बलात्कार का मामला दर्ज किया था। आरोपी के खिलाफ लड़की के घरवालों ने भारतीय दंड विधान की  धारा 363, 366, 384, 376(2)(n) के साथ 384 के साथ पॉक्सो एक्ट की धारा 5(L)/6 के तहत मामला दर्ज किया था।

हालांकि, दूसरी ओर युवक की दलील है कि उस समय लड़की बालिग थी और उसने अपनी मर्जी से उससे विवाह का निर्णय लिया था जो कि एक आर्य समाज मंदिर में सम्पन्न हुआ था।

'ई-संजीवनी' टेलीमेडिसिन सेवा को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के साथ जोड़ा गया

नयी दिल्ली/भाषा: राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) ने शुक्रवार को कहा कि सरकार की 'ई-संजीवनी' टेलीमेडिसिन सेवा को आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के साथ जोड़ दिया गया है।

एनएचए ने कहा कि इस कदम से ई-संजीवनी के मौजूदा उपयोगकर्ता आसानी से अपना आयुष्मान भारत स्वास्थ्य कार्ड (एबीएचए) बना सकते हैं और स्वास्थ्य संबंधी अपने मौजूदा रिकॉर्ड से उसे जोड़ सकते हैं।

उपयोक्ता ई-संजीवनी की मदद से अपने स्वास्थ्य से संबंधित रिकॉर्ड को चिकित्सकों के साथ साझा कर सकते हैं जिससे उन्हें काफी लाभ होगा।

दोनों सेवाओं को आपस में जोड़ने से होने वाले लाभ के संबंध में एनएचए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डॉ. आर. एस. शर्मा ने कहा, ‘‘एबीडीएम का लक्ष्य भारत में मौजूदा डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं के बीच की दूरियों को कम करने और संबंधित पक्षों के लिए डिजिटल रास्ते तैयार करना है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ई-संजीवनी का एबीडीएम के साथ जोड़ना ऐसा ही एक उदाहरण है, जहां एबीएचए के 22 करोड़ उपयोक्ता ई-संजीवनी की मदद से बनाए गए अपने स्वास्थ्य रिकॉर्ड को चिकित्सकों के साथ साझा कर सकेंगे और पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो जाएगी।’’

ई-संजीवनी फिलहाल दो संस्करण में उपलब्ध है।

पहला संस्करण है... ई-संजीवनी आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केन्द्र (एबी-एचडब्ल्यूसी)। यह चिकित्सक से चिकित्सक को जोड़ने वाली टेलीमेडिसिन सेवा है जिसके तहत स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र पर चिकित्सक से मिलने आया लाभार्थी ऑनलाइन उन चिकित्सकों के साथ भी अपनी समस्या साझा कर सकता है जो किसी दूसरे स्वास्थ्य केन्द्र, अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में मौजूद हैं।

दूसरा संस्करण, ई-संजीवनी ओपीडी के तहत देशभर में मरीजों का उनके घरों से सीधे चिकित्सकों से संपर्क कराया जाता है।

एनएचए ने एक बयान में कहा कि ई-संजीवनी एबी-एचडब्ल्यूसी और ई-संजीवनी ओपीडी दोनों को एबीडीएम के साथ जोड़ दिया गया है। 

छत्तीसगढ़ से शुक्ला और रंजन राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित

रायपुर/भाषा: छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार राजीव शुक्ला और रंजीत रंजन शुक्रवार को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुन लिए गए। विधानसभा के सचिव दिनेश शर्मा ने यह जानकारी दी।

शर्मा ने बताया, ''उम्मीदवारों द्वारा नामांकन वापस लेने की समय सीमा आज दोपहर समाप्त हो गई, अन्य प्रत्याशी नहीं होने के कारण दोनों उम्मीदवारों को निर्विरोध चुन लिया गया।''

उन्होंने बताया कि कांग्रेस उम्मीदवार रंजीत रंजन ने स्वयं उपस्थित होकर तथा राजीव शुक्ला की ओर से उनके भाई ने उनका निर्वाचन प्रमाण-पत्र प्राप्त किया।

छत्तीसगढ़ के पांच राज्यसभा सदस्यों में से दो छाया वर्मा (कांग्रेस) और रामविचार नेताम (भाजपा) का कार्यकाल इस महीने समाप्त हो रहा है।

राज्य के तीन अन्य राज्यसभा सदस्य कांग्रेस से केटीएस तुलसी और फूलोदेवी नेताम तथा भाजपा से सरोज पांडेय हैं।

उत्तर प्रदेश के रहने वाले व पत्रकारिता से राजनीति में आए 63 वर्षीय शुक्ला इससे पहले तीन बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं। रंजन बिहार से पूर्व लोकसभा सांसद हैं।

रंजन के निर्विरोध चुन लिए जाने बाद अब राज्य से तीन महिला राज्यसभा सदस्य हो गई हैं।

छत्तीसगढ के 90 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 71 विधायक हैं जबकि भाजपा के 14, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) तीन और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दो विधायक हैं।

राज्य के मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने राज्य विधानसभा में अपनी कम ताकत को देखते हुए अपना उम्मीदवार नहीं उतारा था।

कानपुर में जुमे की नमाज़ के बाद हिंसा

कानपुर: कानपुर में शुक्रवार की नमाज के तुरंत बाद परेड, नयी सड़क और यतीमखाना समेत कई इलाकों में हिंसा भड़क गई।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि जुमे की नमाज के बाद दो समुदायों के सदस्य आमने-सामने आ गए और एक-दूसरे पर ईंटों से पथराव किया। उन्होंने कहा कि इस दौरान गोलीबारी भी हुई। 
     
उन्होंने बताया कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोग हाल ही में टीवी पर बहस के दौरान भाजपा प्रवक्ता नुपुर शर्मा द्वारा पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ की गई कथित अपमानजनक टिप्पणी को लेकर नाराज थे और वे इलाके की दुकानें बंद कराने का प्रयास कर रहे थे। 
     
पुलिस ने बताया कि कथित तौर पर दुकानदारों को अपने शटर बंद करने के लिए मजबूर करने वाले लोग पुलिसकर्मियों से भिड़ गए, बाद में भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा।
            
अधिकारी ने कहा बताया कि एमएमए जौहर फैन्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हयात जफर हाशमी सहित कुछ स्थानीय नेताओं ने शुक्रवार को दुकानों को बंद करने का आह्वान किया था। 
     
उन्होंने बताया कि इन नेताओं ने पैगंबर मोहम्मद के कथित अपमान के खिलाफ जुलूस निकाला था और इस दौरान वे अन्य समुदाय के सदस्यों से भिड़ गए जिसकी वजह से झड़पें हुई।
 
उन्होंने बताया कि देखते ही देखते सैकड़ों लोग विरोध में सड़कों पर उतर आए। उन्होंने बताया कि इन झड़पों में कई लोग घायल हुए हैं जिनमें आधा दर्जन से अधिक गंभीर रूप से घायल हैं। 
             
कानपुर की जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, कि स्थिति पर कड़ी निगरानी रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए सख्त निर्देश जारी किए गए हैं कि आगे कोई हिंसा न हो।
        
उन्होंने कहा कि जांच शुरू कर दी गई है और कई लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी तक हिंसा के सही कारणों की पुष्टि नहीं हुई है।

(समाचार एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के आधार पर)

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