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ट्रंप पर राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम पलटने की ‘‘साज़िश’’ रचने का आरोप : ‘हाउस जनवरी 6 समिति’ की रिपोर्ट

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने तीन नवंबर 2020 को हुए राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार नहीं की थी और उन्होंने चुनाव में धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। ट्रंप के इन आरोपों के बीच उनके समर्थकों ने छह जनवरी को संसद भवन परिसर में कथित तौर पर हिंसा की थी।
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फ़ोटो साभार: पीटीआई

अमेरिकी संसद परिसर (कैपिटल हिल) में 2021 में हुए हमले की जांच कर रही ‘हाउस जनवरी 6 समिति’ ने अपनी अंतिम रिपोर्ट में कहा कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आपराधिक रूप से 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के वैध परिणाम पलटने की एक ‘‘व्यापक साजिश’’ रची और वह अपने समर्थकों को कैपिटल पर हमला करने से रोकने में भी विफल रहे।

समिति ने पूर्व राष्ट्रपति की गतिविधियों और क़रीब दो साल पहले हुए हिंसक विद्रोह की 18 महीने तक जांच करने के बाद यह रिपोर्ट पेश की है।

इस 814 पन्नों की रिपोर्ट को बृहस्पतिवार को जारी किया गया। इसके लिए 1,000 से अधिक गवाहों से पूछताछ की गई और लाखों पन्नों के दस्तावेज़ खंगाले गए।

ट्रंप के कई क़रीबी सहयोगियों से लेकर क़ानून प्रवर्तन के कुछ अधिकारी, कुछ दंगाइयों से पूछताछ की गई। इस हिंसक विद्रोह से पहले के कई सप्ताह तक ट्रंप की गतिविधियों पर ग़ौर किया गया और इस बात की भी जांच की गई कि चुनाव में हार को पलटने के उनके दबाव बनाने वाले अभियान ने कैसे उन लोगों को सीधे प्रभावित किया, जिन्होंने 6 जनवरी 2021 को पुलिस के साथ धक्का-मुक्की की और कैपिटल हिल की खिड़कियां व दरवाज़े तोड़े।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘छह जनवरी की घटना की मुख्य वजह केवल एक शख़्स पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप थे, जिनकी बातों का कई लोगों ने अनुसरण किया। उनके बग़ैर छह जनवरी की कोई घटना नहीं होती।’’

नौ सदस्यीय समिति ने कहा, ‘‘विद्रोह ने लोकतंत्र के लिए गंभीर ख़तरा खड़ा किया और अमेरिकी सांसदों के जीवन को भी ख़तरे में डाला।’’

समिति ने सोमवार को न्याय मंत्रालय से पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ख़िलाफ़ आपराधिक आरोप लगाने और उनकी जवाबदेही तय करने का आग्रह किया था। समिति में सात डेमोक्रेटिक पार्टी के और दो रिपब्लिकन पार्टी के सांसद शामिल हैं।

समिति ने जिन चार आरोपों के तहत ट्रंप के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने का आग्रह किया था वे आधिकारिक कार्यवाही में बाधा डालना, अमेरिका को धोखा देने की साज़िश रचना, झूठे बयान देना और किसी विद्रोह को भड़काना या उसमें मदद करना हैं।

ट्रंप ने समिति के आग्रह के बाद कहा था, ‘‘इन लोगों को मेरे पीछे पड़ते समय यह समझ नहीं आता कि जो लोग आज़ादी से प्रेम करते हैं, वे मेरे साथ हैं और मुझे इससे ताक़त मिलती है।’’

हालांकि, समिति के सुझावों को लेकर न्याय मंत्रालय पर क़ानूनी कार्यवाही का कोई दबाव नहीं है, क्योंकि संघीय अभियोजक पहले से ही अपनी जांच कर रहे हैं और वे ही ट्रंप के ख़िलाफ़ मुक़दमा चलाने को लेकर अंतिम फ़ैसला लेंगे।

ग़ौरतलब है कि ट्रंप ने तीन नवंबर 2020 को हुए राष्ट्रपति चुनाव में हार स्वीकार नहीं की थी और उन्होंने चुनाव में धोखाधड़ी के आरोप लगाए थे। ट्रंप के इन आरोपों के बीच उनके समर्थकों ने छह जनवरी को संसद भवन परिसर में कथित तौर पर हिंसा की थी।

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