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रांची में दो प्रदर्शनकारियों की मौत, 20 घायल: क्या फायरिंग को टाल सकती थी पुलिस?

10 जून शुक्रवार को देश के कई हिस्सों में पूर्व बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन किए गए। कई जगहों पर यह प्रदर्शन हिंसक हो गए, इसी सिलसिले में रांची में 2 जवान लड़कों की गोलोबारी में मौत हो गई है।
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आँसू गैस, पानी की बौछारें छोड़ कर रांची पुलिस ने शुक्रवार को हिंसक हो गए प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए बंदूकों का सहारा लिया। पैगंबर मुहम्मद पर आपत्तिजनक टिप्पणी करनी वाले बीजेपी पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा और नवीन जिंदल की गिरफ़्तारी की मांग को लेकर रांची में मुस्लिम समुदाय द्वारा किए गए प्रदर्शन में 2 लोगों की मौत हो गई, 11 पुलिसकर्मी समेत 20 से ज़्यादा लोग घायल हो गए।

यूनाइटेड अगेन्स्ट हेट के नदीम ख़ान के अनुसार एक शख़्स को 6 और 3 को एक-एक गोली लगी है जिनका इलाज चल रहा है।

बता दें कि जुमे की नमाज़ के बाद शांतिपूर्ण रूप से शुरू हुए प्रदर्शन के दौरान इक़रा मस्जिद से क़रीब 150 मीटर दूर बने हनुमान मंदिर के पास प्रदर्शनकारी खड़े थे, जिन्हें हटाने पुलिस आई तो प्रदर्शनकारियों ने पत्थरबाज़ी शुरू कर दी।

अधिकारी ने बताया कि हिंसा में दो लोगों की मौत की खबर से पूरे शहर में तनाव व्याप्त हो गया, जिसके मद्देनजर रांची के 12 थाना क्षेत्रों में निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है और पूरे रांची जिले में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है।

पीटीआई के अनुसार झारखंड पुलिस के प्रवक्ता एवं महानिरीक्षक (कार्रवाई) एवी होमकर ने बताया कि शुक्रवार को हुई हिंसा और उसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई में घायल दो लोगों की देर रात मौत हो गई। 

उन्होंने बताया कि दोनों मृतकों के शव का पोस्टमार्टम कर उनके अंतिम संस्कार की व्यवस्था की जा रही है।

होमकर के मुताबिक, “शुक्रवार रात से राजधानी में स्थिति पूरी तरह से नियंत्रित एवं शांतिपूर्ण है। हालांकि, एहतियाती तौर पर शहर के 12 थाना क्षेत्रों में धारा-144 लागू कर निषेधाज्ञा का पालन कराया जा रहा है, ताकि हिंसा और उपद्रव से बचा जा सके।”

मृत युवकों की पहचान हिंदपीढ़ी इलाके के लेक रोड निवासी मुदस्सिर उर्फ कैफी और लोअर बाजार तर्बला रोड के रहने वाले साहिल के रूप में हुई है। अस्पताल के रिकॉर्ड के तहत मुदस्सिर की उम्र 22 और साहिल की उम्र 24 बताई जा रही है।

हालांकि न्यूज़क्लिक से बात करते हुए साहिल के परिवार ने उनकी उम्र 19 होने का दावा किया।

वीडियो में देखा जा सकता है कि मुदस्सिर ने 'इस्लाम ज़िंदाबाद' का नारा लगाया था तभी पुलिस की गोली उसके सर में लगी जिसके बाद भीड़ में भगदड़ मच गई और सब 'मर गया, ए भाई मर गया' चिल्लाने लगे।

द वायर में छपी रिपोर्ट के अनुसार हिंसा में रांची के एसएसपी सुरेन्द्र कुमार झा को भी गहरी चोटें आई हैं। सभी घायलों का इलाज रिम्स अस्पताल में किया जा रहा है।

पुलिस हिंसा के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल

हिंसा के दौरान पुलिस द्वारा सीधे बंदूक का इस्तेमाल किए जाने पर भी सवाल उठ रहे हैं। पुलिस ने आँसू गैस के गोले या पानी की बौछारों का इस्तेमाल न कर प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई जिसमें कई लोगों को गोली लगी है और माना जा रहा है मृतकों की संख्या और बढ़ सकती है।

द वायर की रिपोर्ट के अनुसार सीपीआई-एमएल रांची के सदस्य नदीम ख़ान ने कहा, "पुलिस गोलीबारी न कर के आँसू गैस के गोलों का भी इस्तेमाल करके भी भीड़ को हटा सकती थी। यह पूरी तरह से प्रशासन की नाकामी है।"

झारखंड मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शुक्रवार की हिंसा पर चिंता जताई। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे किसी साजिश का हिस्सा न बनें और शांति व्यवस्था बनाए रखें।

मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि उपद्रवियों को बख्शा नहीं जाएगा और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

इस बीच, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रांची में हुई हिंसा को राज्य सरकार की विफलता करार दिया। 

उन्होंने ट्वीट किया, “राजधानी रांची के मेन रोड में असामाजिक तत्वों द्वारा की गई तोड़फोड़ की कड़ी भर्त्सना करता हूं। सरकार वोट बैंक की राजनीति छोड़कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे, नहीं तो आने वाले दिनों में इस तरह की घटनाएं और बढ़ेंगी।”

बता दें कि 27 मई को एक टीवी डिबेट में बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने पैगंबर मुहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। ऐसा ही विवादित पोस्ट नवीन कुमार जिंदल ने भी किया था। नूपुर का वीडियो और जिंदल का पोस्ट सोशल मीडिया पर वायरल हुआ मगर सरकार ने क़रीब 1 हफ़्ते तक इसपर कोई कार्रवाई नहीं की। सरकार की प्रतिक्रिया तब आई जब अरब देशों ने इसपर आपत्ति ज़ाहिर करते हुए भारतीय राजदूतों को तलब किया। देखते ही देखते कुल 15 देशों ने इन बयानात पर आपत्ति जताई और अरब देशों में भारतीय उत्पादों के बहिष्कार करने की भी खबरें आने लगी थीं। उसके बाद भारतीय जनता पार्टी ने दोनों प्रवक्ताओं पर कार्रवाई करते हुए नूपुर को 6 साल के लिए निलंबित किया जबकि जिंदल को पार्टी से निकाल दिया। मगर इसके बाद भी मुस्लिम समुदाय लगातार उनकी गिरफ़्तारी की मांग कर रहा है।

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