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यूपी : किसानों का धरना चौथे दिन भी जारी, तेज़ बारिश भी नही डिगा सकी हौसले!

"समय रहते किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो यूपी ही नहीं हरियाणा और पंजाब का किसान भी मुजफ्फनगर के लिए कूच कर सकता है।"
Kisan

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने एकबार फिर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बीकेयू ने अब गन्ने के बकाया भुगतान समेत कई अन्य लंबित मुद्दों को लेकर मुजफ्फनगर में धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया है। ये धरना मुजफ्फनगर के सिविल लाइंस थाना क्षेत्र स्थित राजकीय इंटर कॉलेज (जीआईसी) के मैदान में शनिवार 28 जनवरी से अनिश्चितकालीन जारी है। इसमें किसान गन्ने के बकाया भुगतान, आवारा पशुओं की समस्या से निजात समेत कई मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इस धरने की अगुवाई बीकेयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता और संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत कर रहे हैं।अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन में शामिल होने के लिए दूर-दराज़ से भी किसान पहुंच रहे हैं और यहां 100 से अधिक पक्के टैंट भी लगाए गए हैं ठीक उसी तरह से जिस प्रकार नए कृषि कानून के खिलाफ दिल्ली-मोर्चे में लगाए गए थे।

इस दौरान किसान के हौसले को ज़ोरदार बारिश और कड़ाके की ठंड भी नहीं डिगा सकी और आज मंगलवार को चौथे दिन भी किसान धरना स्थल पर डटे रहे। यही नहीं रविवार को तेज़ हवाओं से किसानों के तंबू भी उखड़ गए थे लेकिन किसानों ने उन तंबुओं को और अधिक मजबूती के साथ लगाना शुरू कर दिया।

धरनास्थल से राकेश टिकैत ने प्रदेश सरकार पर किसानों के साथ वादाखिलाफी करने का आरोप लगाया और कहा कि, "किसानों को वादे के मुताबिक न तो गन्ने का भुगतान मिल रहा है और न ही एमएसपी पर खरीद हो रही है। ऊपर से अधिकारी बिजली-पानी के अलावा अन्य कई मामलों में फंसाकर मुकदमे दर्ज करने में जुटे हैं। अभी किसान आंदोलन के दौरान ही दर्ज सैकड़ों मुकदमे वापस नहीं लिए गए हैं। इसलिए हम मांग करते हैं कि जो किसानों के वाज़िब हक़ हैं उन्हें सरकार दिलाए। आंदोलन के दौरान शहीद हुए किसानों के परिजनों को बाकी राज्यों की तर्ज पर प्रदेश सरकार मुआवज़ा दे।"

बीकेयू जिलाध्यक्ष कालेंद्र मलिक ने न्यूज़क्लिक से बात करते हुए कहा, "हम कोई गलत मांग नहीं कर रहे हैं। हम वही मांग कर रहे हैं जो बीजेपी सरकार ने हमसे वादा किया था। हम मुफ़्त बिजली और अपने गन्नों के बकाया भुगतान की मांग कर रहे हैं। हमनें तो 13 महीने दिल्ली की सीमाओं पर बैठकर बिता दिए ये तो हमारा जिला है। जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानेगी, हम धरने पर डटे रहेंगें। हमनें पहले भी सरकार को झुकाया था और इस बार भी अपनी मांग मनवाकर ही उठेंगें। हम किसान हैं, अपने खून-पसीने से फसल उगाते हैं, उसका दाम भी हम लेकर रहेंगें।"

दिल्ली-मोर्चे की तरह ही यहां भी अलग-अलग गांवों के किसान अपना खाना बनाते हैं और लंगर भी चला रहे हैं। इसके साथ ही टैंटों मे किसानों ने रहने के सारे इंतज़ाम कर रखे हैं। एकबार फिर ये मोर्चा दिल्ली की सीमाओं पर चले आंदोलन की याद दिलाता है।

टिकैत ने भी यह माना कि आंदोलन चलाने की ये सीख किसानों को दिल्ली-मोर्चे से ही मिली है। उन्होंने कहा कि, "दिल्ली बॉर्डर पर किसानों ने 13 माह तक गर्मी, बारिश और कड़ाके की सर्दी झेली है। किसान अपने हक़ों के लिए आंदोलन की पहली पाठशाला में अव्वल नंबर से उत्तीर्ण हुआ है, इसलिए अब वही तज़ुर्बा किसानों के काम आ रहा है। बारिश को किसानों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया है। इसलिए वे टैंटों को और भी मजबूती के साथ लगाने में जुट गए हैं।" उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि आंदोलन की मजबूती के लिए अब ट्रैक्टर-ट्रॉली पर झोपड़ी बनाकर आंदोलन स्थल की ओर कूच करें। यही किसानों के आंदोलन का असली हथियार होगा।

 

मांगें नहीं मानी तो हरियाणा-पंजाब का किसान भी करेगा मुजफ्फनगर कूच

राकेश टिकैत ने केंद्र और प्रदेश सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि, "समय रहते किसानों की मांगें नहीं मानी गईं तो यूपी ही नहीं हरियाणा और पंजाब का किसान भी मुजफ्फनगर के लिए कूच कर सकता है। उन्होंने कहा कि उनकी एसकेएम के नेताओं से बातचीत भी हुई है और उन्होंने आंदोलन को हर तरह का सहयोग देने का आश्वासन दिया है। पहले हम प्रदेश सरकार की नीयत देख रहे हैं। समय रहते किसानों की मांगें मान ली गईं तो ठीक वरना किसान आर-पार की लड़ाई के लिए मजबूर होगा।"

टिकैत ने कहा कि, "बिजली-बिलों के नाम पर किसानों का शोषण हो रहा है। अधिकारी सुनने को तैयार नहीं। किसानों पर मुकदमे लिखे जा रहे हैं, उन्हें जेलों में भेजा जा रहा है। गन्ने का मूल्य बढ़ाया नहीं गया और पिछले साल का बकाया भी अभी तक नहीं दिया। किसान आत्महत्या के कगार पर जा पहुंचा है। इसलिए वह अपना हक़ मांगने आया है, कोई भीख नहीं।"

उन्होंने कहा, "यूपी से एक दर्जन किसान, आंदोलन में शहीद हुए। बाकी राज्यों ने शहीद किसान परिवारों को आर्थिक सहायता दी। बल्कि किसानों का दर्द तेलंगाना सरकार ने भी महसूस किया और उन्हें आर्थिक मदद दी। वहीं, खुद को किसानों की हितैषी कहने वाली यूपी सरकार ने कोई मदद नहीं की। किसान सब देख रहा है।"

 

आसपास के किसानों को किया अलर्ट

राकेश टिकैत ने आज मुजफ्फरनगर के अलावा पड़ोसी जनपदों के किसानों को अलर्ट-मोड पर रहने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, "सरकार ने किसानों की बातें नही सुनीं तो पड़ोसी जनपदों के कार्यकर्ता भी मुजफ्फरनगर कूच कर सकते हैं। उन्हें तैयार रहने के लिए कहा गया है। सभी जिलाध्यक्षों को इसकी सूचना भेजी जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा ज़रूरत पड़ी तो संयुक्त किसान मोर्चा से भी आंदोलन में भागीदारी करने की अपील की जाएगी ताकि यह आंदोलन एक बार फिर दुनिया के लिए एक नज़ीर बन सके।"

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