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यूपी: “भर्ती नहीं तो डिग्रियों का क्या मतलब”, 5 साल से प्राथमिक शिक्षक भर्ती के इंतज़ार में लाखों छात्र!

“साल 2018 में योगी सरकार ने जूनियर शिक्षक भर्ती का आख़िरी विज्ञापन निकाला था उसके बाद से न भर्तियां हुईं, ना ही विज्ञापन निकला। ऐसे में हर साल बीटीसी और बीएड करने वाले छात्रों के भविष्य का क्या होगा?”
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फाइल फ़ोटो। फ़ोटो साभार : दैनिक भास्कर 

धरना, प्रदर्शन, आंदोलन करते छात्र...भीषण गर्मी, कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे हाथों में बैनर थामें छात्र...सरकार से सवाल पूछते छात्र और अपनी डिग्रियों पर आंसू बहाते छात्र...आख़िर कौन हैं ये छात्र जो सड़क पर उतरने को मजबूर हैं। जिस समय उन्हें नौकरी-रोज़गार में लग जाना चाहिए उस समय वे आंदोलन करने को मजबूर हैं। हम बात कर रहे हैं प्रदेश के उन बेरोज़गार युवाओं की जो शिक्षक बनने के सारे तय मापदंड तो पार कर चुके हैं लेकिन सरकार उनके लिए भर्तियां निकालने के मूड में नहीं। साल 2018 में योगी सरकार ने जूनियर शिक्षक भर्ती का आख़िरी विज्ञापन निकाला था उसके बाद से न भर्तियां हुईं, ना ही विज्ञापन निकला। ऐसे में अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि हर साल बीटीसी और बीएड करने वाले छात्रों के भविष्य का क्या होगा?

विज्ञापन निकल नहीं रहा, भर्तियां बंद पड़ी हैं और हर साल बीटीसी, बीएड करने वाले छात्रों की तादाद बढ़ रही है तो आख़िर उस डिग्री का क्या फायदा जो युवाओं को एक नौकरी तक नहीं दिला पा रही।

लाखों छात्र शिक्षक भर्ती के इंतज़ार में..

भदोही के रहने वाले नीरज (बदला हुआ नाम) की दादी पिछले दो साल से बीमार हैं। अपनी बीमारी के चलते उनकी दिली ख्वाहिश है कि वे अपनी आंख के सामने पोते नीरज का विवाह देख लें लेकिन नीरज अभी शादी के लिए तैयार नहीं। नीरज कहते हैं कि अभी वे बेरोज़गार हैं। एक अदद नौकरी के लिए उनका संघर्ष अभी ख़त्म भी नहीं हुआ तो वे गृहस्थी की ज़िम्मेदारी का निर्वहन कैसे कर पाएंगे।

नीरज बीटीसी पास हैं और दो बार TET (Teacher Eligibility Test) यानी 'शिक्षक पात्रता परीक्षा' भी पास कर चुके हैं। बावजूद इसके उन्हें नौकरी नहीं मिल पा रही। आख़िर मिले भी तो कैसे, साल 2018 के बाद से प्रदेश में प्राथमिक शिक्षक भर्ती निकली ही नहीं। नीरज कहते हैं कि "लाखों छात्र हर साल बीटीसी और बीएड करके निकल रहे हैं लेकिन जब सरकार शिक्षक भर्ती ही नहीं निकालेगी तो डिग्रियों का क्या मतलब।"

बता दें कि साल 2018 में आख़िरी बार भर्ती निकली थी। शिक्षक भर्ती के लिए छात्र पिछले चार सालों से SUPER TET का इंतज़ार कर रहे हैं क्योंकि इस परीक्षा को पास करने वाले अभ्यर्थियों की ही नियुक्ति शिक्षक पद पर होती है। हर साल TET तो हो रहा है लेकिन SUPER TET का इंतज़ार लंबा होता जा रहा है।

फैज़ाबाद में रहकर शिक्षक भर्ती की तैयारी कर रहे बस्ती के रहने वाले विकास बताते हैं कि उनका बीएड पूरा हो चुका है और वो TET भी क्वालीफाई कर चुके हैं लेकिन शिक्षक भर्ती की कोई उम्मीद नहीं देख उन्होंने M.Com में पिछले साल ही दाख़िला ले लिया था क्योंकि उनका कहना है कि खाली बैठकर शिक्षक भर्ती का इंतज़ार करने से कोई फायदा नहीं। वे कहते हैं कि M.Com कर लेने से कम से कम वे किसी प्राइवेट स्कूल या कोचिंग सेंटर में तो पढ़ाने के काबिल हो जाएंगे बाकी सरकारी शिक्षक भर्ती का तो कोई ठिकाना नहीं।

विकास बताते हैं कि उनके जानने वालों में कई ऐसे छात्र हैं जो दो से तीन बार TET पास कर चुके हैं लेकिन SUPER TET न होने की वजह से बेरोज़गार हैं। किसी ने बेहद मामूली वेतन में प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना शुरू कर दिया है तो कोई अन्य रोज़गार में लग गया है और जिसे कोई रोज़गार नहीं मिला वो गांव वापस लौट गए हैं। वे कहते हैं कि उन्हें यह समझ नहीं आता कि जब सरकार को SUPER TET कराना ही नहीं हैं तो फिर हर साल TET ही क्यों करा रही है। वे आरोप लगाते हुए कहते हैं कि ज़ाहिर सी बात है TET के फॉर्म से करोड़ों रूपए सरकार के खज़ाने में जा रहे हैं।

वे बताते हैं कि प्रदेश में हर साल करीब डेढ़ लाख अभ्यर्थी बीएड की पढ़ाई पूरी करते हैं। यही आंकडा लगभग बीटीसी करने वालों का भी है लेकिन राजकीय माध्यमिक विद्यालयों और परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों में पिछले पांच सालों से कोई नई भर्ती नहीं आई जबकि डिग्रीधारकों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है।

आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में पिछले पांच सालों के दौरान तकरीबन 7.50 लाख अभ्यर्थी बीएड कर चुके हैं और करीब पांच लाख से अधिक अभ्यर्थी बीटीसी-डीएलएड की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं। लेकिन डिग्री होने के बावजूद नौकरी नहीं। विकास चिंता ज़ाहिर करते हुए कहते हैं, "बहुत विकट स्थिति है। बेरोज़गारों की फौज बढ़ती ही जा रही है। शिक्षक भर्ती के नए विज्ञापन की मांग करते हुए छात्र कई बार सड़कों पर भी उतर चुके हैं। पिछले तीन-चार सालों से धरना प्रदर्शन होते जा रहे हैं लेकिन सरकार कुछ सुनने को राज़ी नहीं।"

आंदोलन की राह पर छात्र

छात्र सवाल करते हैं कि सरकार को जब भर्ती निकालनी ही नहीं तो बीएड, बीटीसी कोर्स बंद कर देने चाहिए या हर साल होने वाला TET भी नहीं होना चाहिए। जब ये कोर्स नियमित चल रहे हैं तो सरकार भर्तियां भी नियमित निकाले। योगी सरकार से नई भर्ती निकलवाने के लिए हज़ारों अभ्यर्थी सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक आंदोलन की राह पर है। उनके सब्र का बांध टूटता जा रहा है। वे कई बार ट्विटर पर कैंपेन चला चुके हैं। अक्सर ट्विटर पर नई भर्ती की मांग करते हुए अलग-अलग हैशटैग जैसै #UnemployedWantUPPRT, #Blackday_Release_UPPRT और #UnemployedDayStudentWantUPPRT ट्रेंड करते दिखते हैं। बता दें कि इन हैशटैग के साथ लाखों ट्वीट किए जा चुके हैं।

इतना ही नहीं छात्र कई बार लखनऊ के प्रचलित धरना स्थल इको गार्डन में भी धरना, प्रदर्शन कर चुके हैं। खुले आसमान के नीचे कई कई दिन ये छात्र आंदोलनरत रहे हैं। बीते मार्च में एक बड़ी संख्या में छात्रों ने SCERT (State Council of Educational Research and Training) पहुंचकर प्रदर्शन किया और सरकार के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी भी की।

छात्रों के आक्रोश का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 31 मार्च 2022, को सीएम योगी आदित्यनाथ एक ट्वीट करते हैं, "आपकी सरकार ने सभी सेवा चयन बोर्डों को अगले 100 दिन में 10 हज़ार से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी प्रदान करने के लिए निर्देश दिए हैं।" इस ट्वीट के कमेंट बॉक्स में 3347 रिप्लाई कमेंट आते हैं। इसमें 50% कमेंट ऐसे थे जिनमें इन तीन बातों का ज़िक्र सबसे ज़्यादा था:

1. आरक्षित वर्ग को 6800 नियुक्ति दो।
2. 97,000 नई शिक्षक भर्ती कब?
3. 21 लाख बेरोज़गार TET-CTET पास करके नौकरी के इंतज़ार में बैठे हैं।

इसमें दो राय नहीं कि केंद्र सरकार भी यह मान चुकी है कि पूरे देश में बिहार के बाद उत्तर प्रदेश में सबसे ज़्यादा शिक्षकों के पद खाली हैं।

जून 2021 में उस वक्त के केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सदन में बताया था कि देशभर में 10 लाख 60 हज़ार 139 शिक्षकों के पद खाली हैं। अकेले यूपी में यह संख्या 2,17,481 है। फिर प्रदेश में जून 2021 के बाद 69 हज़ार शिक्षक भर्ती पूरी हुई। ये वो भर्ती थी जिसका विज्ञापन दिसंबर 2018 में निकला था, लेकिन कहीं जाकर 2021 में भर्ती होती है। बस 2018 का यही विज्ञापन शिक्षक भर्ती का आख़िरी विज्ञापन था। इसके बाद से नया विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। अगर कुल खली पदों में से 69,000 को घटाएं तब भी खाली शिक्षकों के पदों की संख्या 1.50 लाख के आसपास होती है।

अभ्यर्थियों का बढ़ता आंकडा और घटती नौकरियां

बीटीसी के साथ अब बीएड करने वाले छात्र भी प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए योग्य माने गए हैं। पहले बीएड वाले प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती में शामिल नहीं थे। वे माध्यमिक शिक्षक होते थे लेकिन अब प्रदेश में बीएड वाले अभ्यर्थी माध्यमिक के साथ-साथ प्राथमिक शिक्षक भी बनने की योग्यता रखते हैं। प्राथमिक शिक्षकों पर कक्षा 1 से कक्षा 5 तक को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी होती है। दरअसल योगी सरकार ने साल 2018 के 69 हज़ार वाली शिक्षक भर्ती में बीएड वालों को भी शामिल किया था। शुरु से ही प्राथमिक शिक्षकों की भर्ती के लिए बीटीसी पास उम्मीदवार आवेदन करते आ रहे हैं लेकिन अब बीटीसी के साथ बीएड वाले भी प्राथमिक शिक्षक की भर्ती के लिए पात्र मान लिए गए हैं।

बीटीसी और बीएड करने वाले उम्मीदवारों को UPTET यानी उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा देनी होती है। इस सर्टिफिकेट को हासिल करने वाले अभ्यर्थी ही सरकार द्वारा निकाली गई शिक्षकों की भर्ती के लिए योग्य होते हैं। सरकार जो भर्ती निकालती है उसकी भी परीक्षा होती है। उस परीक्षा को यूपी में SUPER TET कहा जाता है। SUPER TET को पास करने वाले उम्मीदवारों की काउंसलिंग कर उन्हें प्राइमरी शिक्षक के पद पर नियुक्त किया जाता है। माना जा रहा है कि इन पांच सालों के भीतर करीब 13 लाख छात्र बीटीसी और बीएड कर चुके हैं। इस साल यह आंकडा और बढ़ जायेगा। नियमित भर्तियां न होने की वजह से हर साल होने वाली TET परीक्षा में छात्रों की तादाद बेतहाशा बढ़ती ही जा रही है। आंकडें बताते हैं कि लगभग 21 लाख छात्र TET पास कर चुके है, लेकिन नौकरियां नहीं हैं।

TGT, PGT अभ्यर्थी भी उतरे सड़क पर

टीजीटी (Trained Graduate Teacher) और पीजीटी (Post Graduate Teacher) शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी भी अपनी नियुक्ति को लेकर सरकार से मांग कर रहे हैं। बीती 18 मई को अभ्यर्थियों ने कड़ी धूप में भी शिक्षा निदेशालय पर धरना दिया। टीजीटी (सहायक अध्यापक) एवं पीजीटी (प्रवक्ता) अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल अपर मुख्य सचिव (माध्यमिक शिक्षा) से मिला और उनसे नियुक्ति का आदेश जारी करने की मांग की। उनका कहना है कि TGT, PGT के साल 2016 से 2021 के चयनित लेकिन बचे हुए अभ्यर्थी खाली पदों पर नियुक्ति की मांग को लेकर भटक रहे हैं। अभ्यर्थियों के मुताबिक इस संबंध में हाई कोर्ट ने भी निर्णय दिया है लेकिन फिर भी उनकी नियुक्तियां नहीं हो रहीं, आख़िर क्यों। वहीं शासन ने नियमावली में संशोधन कर माध्यमिक शिक्षा निदेशक को प्रक्रिया पूरी करने का आदेश 28 जनवरी को ही दिया था लेकिन अभ्यर्थी इस बात से बेहद नाराज़ हैं कि चार महीने बीतने को हैं, न तो शिक्षा निदेशक और न ही प्रदेश सरकार इस मामले में गंभीर दिख रहे हैं।

नए आयोग के गठन से और देरी?

शिक्षक भर्ती को लेकर इस साल भी छात्रों को ज़्यादा उम्मीद नहीं है और इसका कारण है प्रदेश में नए शिक्षा सेवा चयन आयोग का गठन होना, जो अभी तक प्रस्तावित है।

इस नए आयोग के माध्यम से प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक शिक्षकों की भर्ती की जाएगी। हालांकि, आयोग का गठन अभी नहीं हो सका है। प्राथमिक विद्यालयों, माध्यमिक विद्यालयों और महाविद्यालयों में भर्ती की प्रक्रिया अभी तक अलग-अलग भर्ती संस्थाएं पूरी करती थीं। नए आयोग का यह फैसला सरकार ने पिछले महीने अप्रैल में लिया।

सरकार के मुताबिक इस आयोग का काम सभी कॉलेज से लेकर स्कूल यहां तक की मदरसों में भी शिक्षक की भर्ती कराना होगा। शिक्षा सेवा चयन आयोग ही शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) की परीक्षा का भी आयोजन कराएगा। 

यह फैसला यूपी शिक्षा सेवा चयन आयोग विधेयक 2023 के संबंध में शिक्षा विभाग की बैठक में लिया गया था। सरकार कहती है कि इसका मकसद है शिक्षा भर्तियों की परीक्षाओं में हो रही धांधली और अनियमितता पर लगाम लगाना। वह मानती है कि पुरानी सरकार में शिक्षक भर्ती की परीक्षा में काफी धांधली हुई थी, तो इस आयोग के गठन का मकसद होगा ऐसी परीक्षाओं और शिक्षकों के चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाना और इसके अलावा शिक्षक भर्ती की प्रक्रिया को समय पर पूरा करवाना।

वहीं छात्र इस बात से परेशान हैं कि पुरानी व्यवस्था को बदलकर नई व्यवस्था लागू करने में न जाने कितना वक्त लग जाए वैसे भी सालों से शिक्षक भर्ती का मामला अधर में ही लटका हुआ है। सरकार के इस फैसले से अब उनकी रही सही उम्मीद भी जाती दिख रही है क्योंकि भर्ती संस्थाएं हों या शासन, कोई भी स्पष्ट करने को तैयार नहीं है कि रुकी हुईं भर्तियां शिक्षा सेवा चयन आयोग के गठन के बाद शुरू होंगी या फिर संबंधित भर्ती अभी मौजूद संस्थाएं ही इन्हें पूरा कराएंगी इसलिए छात्र इसे लेकर बेहद पशोपेश में हैं।

छात्र अब हाई कोर्ट की शरण में

जैसा हमेशा होता आया है कि सारी उम्मीदें ख़त्म हो जाने पर अभ्यर्थी कोर्ट की शरण में चले जाते हैं, इसबार भी वही हुआ। शिक्षक भर्ती मामला अब कोर्ट में है।

परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के सवा लाख से अधिक पद खाली होने और चार साल में कोई शिक्षक भर्ती नहीं आने पर अब बेरोज़गारों ने हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया है। 2015 बैच में बीटीसी करने वाले जौनपुर के इंदु भाल तिवारी व एक अन्य की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार 2009 में स्कूलों में शिक्षकों से दस फीसद से अधिक पद रिक्त नहीं होने की व्यवस्था दी गई है, बावजूद इसके, 2018 के बाद से शिक्षक भर्ती नहीं आने के कारण वर्तमान में कई ज़िलों में 25 फीसद से अधिक पद खाली हैं। याचिकाकर्ताओं ने गोरखपुर ज़िले का भी उदाहरण दिया है, जहां कक्षा एक से आठ तक के स्कूलों में लगभग 33 फ़ीसदी पद खाली हैं।

अगले साल यानी 2024 में देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। अब सबकी उम्मीद इसी पर टिकी है कि चुनाव को देखते हुए शायद योगी सरकार शिक्षक भर्ती निकाल दे। ज़ाहिर सी बात है कि युवाओं का वोट पाने के लिए चुनाव से बेहतर और कोई समय नहीं हो सकता। अब सरकार की मंशा चाहे कुछ भी हो लेकिन लंबे समय से शिक्षक भर्ती न निकलने और बेरोज़गारों की लंबी फौज हो जाने से यह सवाल उठना लाज़िम है कि डिग्री, डिप्लोमा लेकर आख़िर जाएं तो जाएं कहां ?

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।)

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