Skip to main content
xआप एक स्वतंत्र और सवाल पूछने वाले मीडिया के हक़दार हैं। हमें आप जैसे पाठक चाहिए। स्वतंत्र और बेबाक मीडिया का समर्थन करें।

उत्तर प्रदेश : बृजभूषण पर कार्रवाई की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों को किया गया गिरफ़्तार, कई घंटे बाद रिहा

महिला पहलवानों के यौन शोषन के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह पर कार्रवाई को लेकर उत्तर प्रदेश के लखनऊ में प्रदर्शन कर रहे आंदोलनकारी को पुलिस ने गिरफ़्तार किया और कुछ घंटों बाद उन्हें रिहा कर दिया।
protest
 गिरफ्तारी के बाद ईको गार्डन में प्रदर्शनकारी मार्च निकालते हुए

लखनऊ के परिवर्तन चौक पर 3 जून शनिवार को धीरे धीरे प्रदर्शनकारी जमा हो रहे थे। न केवल लखनऊ बल्कि, सीतापुर, फैजाबाद, बस्ती, बनारस, इलाहाबाद, बलिया, गोरखपुर, लखीमपुर, चंदौली आदि जिलों से प्रदर्शनकारी भी पहुंच रहे थे। महिला संगठन ऐपवा, छात्र संगठन आईसा और इंकलाबी नौजवान सभा (ईनौस) के बैनर तले ये प्रदर्शन यौन शोषण के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की संसद सदयस्ता रद्द करने और गिरफ्तारी की मांग को लेकर था। लेकिन ज़ाहिर सी बात है कि जब मामला सरकार के खिलाफ़ जाता हो और उसके पास जनता को देने के लिए कोई जवाब न हो तो आवाज़ दबाने का सबसे आसान तरीका है कि आंदोलनकारियों पर पुलिसिया सख्ती दिखाते हुए उनकी गिरफ्तारी का फरमान जारी कर दिया जाए और उन्हें ऐसी जगह कैद कर दिया जाए जहां उनकी आवाज़ सुनने वाला कोई न हो।

ऐपवा, आईसा, ईनौस के साथ भी यही हुआ। प्रशासन को जैसे ही इनके आंदोलन की भनक लगी आंदोलनकारियों से पहले ही सैकड़ों की संख्या में पुलिस परिवर्तन चौक पहुंच गई। पुलिस की वे गाड़ियां भी वहां तैनात थी जिसमें गिरफ्तार कर आंदोलनकारियों को ले जाना था। तो यह तय था कि किसी भी कीमत पर प्रदर्शन नहीं होने देना। हाथों में बैनर, पोस्टर लिए जैसे-जैसे प्रदर्शनकारी एकत्रित होने लगे पुलिस ने उनका घेराव करना शुरू कर दिया। अभी प्रदर्शन शुरू भी नहीं हुआ था और प्रदर्शनकारी शांतिपूर्ण तरीके से खड़े अपने अन्य साथियों का इंतज़ार कर ही रहे थे कि पुलिस उनकी गिरफ्तारी के मूड में आ गई। प्रदर्शनकारी पुलिस से बार बार यही कह रहे थे कि हमारे अन्य साथियों को भी आने दीजिये, हम शांतिपूर्ण तरीके से जुलूस निकलेंगे, हमें बस कुछ ही दूर जुलूस निकालने दिया जाए लेकिन पुलिस ने तो जैसे मानों गिरफ्तारी का ठान लिया था।

हद तो तब हो गई जब एक ही जगह खड़े होकर, हाथों में पोस्टर लिए शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शनकारियों ने प्रदर्शन शुरू ही किया था कि पुलिस ने उन्हें घसीटते हुए गाड़ियों में बैठना शुरू कर दिया। अपने पर हो रहे पुलुसिया दमन के खिलाफ़ जब कुछ प्रदर्शनकारी जमीन पर बैठ गए तो वहां मौजूद पुलिस अधिकारी उन्हें थाने ले जाकर वहां बंद करने का डर दिखाने लगे। इस पर भी जब प्रदर्शनकारी नहीं डरे तो गुस्साए एक पुलिस अधिकारी ने प्रदर्शनकारियों को घसीटते हुए जबरदस्ती बैठना शुरू कर दिया। पुलिस दमन का चरम इतना कि जो प्रदर्शनकारी खड़े होकर प्रदर्शन कर रहे थे उन्हें भी पुलिस जबरदस्ती बैठाने लगी। एक पुलिस अधिकारी को बार बार यह कहते सुना जा सकता था कि बहुत बैठने का शौक है तो बैठो और ले चलते हैं सबको थाने।

सब प्रदर्शनकारियों को गाड़ियों में भरकर इको गार्डन भेज दिया गया। इको गार्डन में ही प्रदर्शनकारियों ने मार्च निकाला और सभा की। मार्च का नेतृत्व ऐपवा प्रदेश अध्यक्ष कृष्ण अधिकारी, प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा, आइसा के प्रदेश अध्यक्ष आयुष श्रीवास्तव, प्रदेश सचिव शिवम चौधरी, ईनौस के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह, सचिव सुनील मौर्य ने किया।

प्रतिरोध मार्च के दौरान प्रदर्शनकारी महिला पहलवानों को न्याय दो, यौन हिंसा के आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को गिरफ्तार करो, बृजभूषण शरण सिंह पर कार्रवाई क्यों नहीं, मोदी सरकार जवाब दो? सभी कार्यस्थलों पर संवेदनशील महिला सेल का गठन करो, महिलाओं पर दमन करने वाले पुलिस अधिकारियों को दंडित करो, महिला विरोधी भाजपा सरकार मुर्दाबाद, महिलाओं पर हिंसा नहीं सहेंगे, इंकलाब जिंदाबाद, छात्र- युवा- महिला एकता जिंदाबाद आदि नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने दिल्ली में हुए पहलवानों पर दिल्ली पुलिस के द्वारा दमन व मारपीट को लेकर काफी आक्रोश व्यक्त किया।

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही ऐपवा की प्रदेश अध्यक्ष कृष्णा अधिकारी ने कहा कि महिला पहलवानों के साथ 28 को जो कुछ हुआ, वह मोदी के अमृत काल में 75 वर्ष के लोकतांत्रिक भारत के इतिहास का सबसे क्रूर अमानवीय कृत्य है। जिस तरह महिला पहलवान को घसीटा गया, पीटा गया अपमानित किया गया। उनके कैंप को हटा दिया गया और उन्हें अलग-अलग थानों में बंद कर मानसिक रूप से उत्पीड़ित किया गया है। यह सेंगोली लोकतंत्र का पहला लक्षण है। हमें सेंगोल नहीं संविधान चाहिए।

ईनौस के प्रदेश सचिव सुनील मौर्या ने जंतर मंतर पर अंतरराष्ट्रीय महिला पहलवानों के साथ दिल्ली पुलिस द्वारा किए गए बर्बरतापूर्ण व्यवहार की घोर निंदा करते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर देश का सम्मान बढ़ाने वाले देश के लिए मेडल लाने वाले खिलाड़ियों को जब सड़क पर घसीटा जा रहा है और पुलुसिया दमन किया जा रहा है तो जरा सोचिये आम जनता के साथ क्या सलूक होगा। उन्होंने कहा, देश के प्रधानमंत्री इतने संगीन अपराधी के साथ संसद का उद्घाटन कर रह हैं जो यह दिखाता है कि देश में लोकतंत्र की हत्या की जा रही है।

ईनौस के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने कहा कि एक तरफ देश के प्रधानमंत्री नई संसद का उद्घाटन कर रहे हैं और बलात्कार के आरोपी बृजभूषण शरण सिंह को संसद में बैठाया गया है और दूसरी तरफ महिला पहलवान जो एक महीने से अधिक दिनों से अपने लिए न्याय पाने के लिए धरने पर बैठी हैं और उनको दिल्ली पुलिस सड़कों पर घसीट रही है इससे शर्मनाक देश के लिए और कुछ भी नही हो सकता।

छात्र संगठन आइसा के प्रदेश अध्यक्ष आयुष श्रीवास्तव ने कहा कि यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है कि ओलंपिक खेलों में भारत के लिए पदक जीतकर लाने वाली महिला पहलवान सत्तारूढ़ दल के सांसद और कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण सिंह के खिलाफ यौन शोषण की शिकायत लेकर जंतर मंतर पर अपने मान सम्मान को बचाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। हम ये मानते हैं कि यौन शोषण बहुत गंभीर अपराध है, ऐसे गंभीर आरोपों के बावजूद गिरफ्तारी नहीं होना शर्मनाक है। एक तरफ बृजभूषण सिंह को बचाया जा रहा है, जबकि दूसरी तरफ न्याय मांगने वाली बेटियों पर लगातार जुल्म किया जा रहा है। तमाम तरह की फब्तियां कस उन्हें ही बदनाम करने के कुत्सित प्रयास किए जा रहे हैं।

तो वहीं आईसा के प्रदेश सचिव शिवम चौधरी कहते हैं, ऐसे हाईप्रोफाइल मामले में गिरफ्तारी नहीं होना दिखाता है कि शासन में दबाव और रसूख की राजनीति का किस कदर दबदबा है। ये मामला शासन व भाजपा के महिला विरोधी चरित्र को भी उजागर करता है। शिवम कहते हैं जंतर मंतर पर घटित हुए पूरे घटनाक्रम का हम पुरजोर विरोध करते हैं और न्याय न मिलने तक हमारी ये लडाई जारी रहेगी।

ऐपवा प्रदेश सचिव कुसुम वर्मा कहती हैं कि हम इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी गठित कराने की मांग के साथ, हम महिला पहलवानों की सभी मांगों के साथ अपनी एकजुटता जाहिर करते हुए आरोपी बृजभूषण शरण सिंह की संसद से सदस्यता तुरंत समाप्त किए जाने, पॉक्सो एक्ट के तहत बृजभूषण पर तुरंत कार्रवाई करते हुए गिरफ्तारी की जाने, महिला पहलवानों पर बर्बरतापूर्ण व्यवहार करने वाले पुलिस अधिकारियों को दंडित करने, एफआईआर करने वाली नाबालिग पहलवान की पहचान उजागर करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई करने, महिला पहलवानों समेत सभी प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमा समाप्त करने की मांग करते हैं।

गिरफ्तारी के बाद सभी को करीब पांच बजे इको गार्डन से रिहा कर दिया गया। इस देरी के कारण कई प्रदर्शनकारियों की ट्रेनें भी छूट गईं। सचमुच यह बेहद पीडा़दायक घटना है कि इस लोकतांत्रिक व्यवस्था में दमन के बल पर न्याय की मांग करती आवाज़ें दबा दी जा रही हैं। शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार भी छीना जा रहा है। लोकतंत्र की ह्त्या का इससे बड़ा उदाहरण और क्या होगा।

(लेखिका स्वतंत्र पत्रकार हैं)

अपने टेलीग्राम ऐप पर जनवादी नज़रिये से ताज़ा ख़बरें, समसामयिक मामलों की चर्चा और विश्लेषण, प्रतिरोध, आंदोलन और अन्य विश्लेषणात्मक वीडियो प्राप्त करें। न्यूज़क्लिक के टेलीग्राम चैनल की सदस्यता लें और हमारी वेबसाइट पर प्रकाशित हर न्यूज़ स्टोरी का रीयल-टाइम अपडेट प्राप्त करें।

टेलीग्राम पर न्यूज़क्लिक को सब्सक्राइब करें

Latest