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पहलवानों का संघर्ष :"हम आंदोलन के आगे की रणनीति तैयार कर रहे, हम पीछे नहीं हटेंगे"

"ये खबर बिलकुल ग़लत है। इंसाफ़ की लड़ाई में ना हम में से कोई पीछे हटा है, ना हटेगा। सत्याग्रह के साथ साथ रेलवे में अपनी ज़िम्मेदारी को साथ निभा रही हूं। इंसाफ़ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है। कृपया कोई ग़लत खबर ना चलाई जाए।"
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फ़ोटो साभार: PTI

पिछले कुछ दिनों से आंदोलनकारी पहलवानों को और उनके आंदोलन को लेकर कई तरह की चर्चाएं चल रही है। हालांकि इन सबके बीच आज सोमावर को भी देशभर में संयुक्त किसान मोर्चा और सेंट्रल ट्रेड यूनियन विरोध प्रदर्शन कर रहा है। सुबह से ही हिमाचल, हरियाणा और पंजाब तक के किसान संगठन प्रदर्शन की तस्वीरें आ रही हैं।

उधर महिला पहलवानों के आंदोलन से पीछे हटने के तमाम अफवाहों के बीच दिग्गज पहलवान साक्षी मलिक ने ट्वीट करते हुए लिखा, "ये खबर बिलकुल ग़लत है। इंसाफ़ की लड़ाई में ना हम में से कोई पीछे हटा है, ना हटेगा। सत्याग्रह के साथ साथ रेलवे में अपनी ज़िम्मेदारी को साथ निभा रही हूं। इंसाफ़ मिलने तक हमारी लड़ाई जारी है। कृपया कोई ग़लत खबर ना चलाई जाए।"

इस बीच आंदोलन को लेकर जो बातें कही जा रही है उसमें सबसे बड़ी दो बातें कई मीडिया संस्थानों द्वारा प्रमुखता से चलाई जा रही है। एक नाबालिग ने अपना बयान वापस ले लिया और दूसरा आंदोलन खत्म हो गया है। लेकिन बड़ी चालाकी से नीचे ये लिख दिया जाता है की अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है। पिछले दो दिनों से एक खबर जो प्रमुखता से चल रही वो है कि यौन शोषण के आरोपी बृजभूषण पर से पोक्सो हट सकता है क्योंकि नाबालिग पहलवान ने अपने बयान बदल दिया है। कई मीडिया ने तो यह भी लिख दिया की पहलवान ने अपना बयान पुलिस की मौजूदगी में पटियाला हाउस कोर्ट में दिया है, जबकि इन खबरों के बीच पीड़ित के पिता सामने आए और स्पष्ट किया कि उन्होंने कोई बयान नहीं बदला है और वो आज भी अपनी शिकायत और बयान पर कायम हैं।

पिता के इस बयान के बाद ये बात स्पष्ट है कि बृजभूषण से पोक्सो हटाने की खबर एक कोरी अफवाह है और उनके पक्ष में माहौल बनाने के कोशिश से ज्यादा और कुछ नहीं है।

इसी तरह से दूसरी खबर ये चल रही है कि पहलवानों ने अपना आंदोलन वापस ले लिया है। अब क्या ये सही है या ये भी एक अफवाह से अधिक कुछ नहीं है? इस मामले को समझने के लिए 4 जून रविवार को बजरंग पुनिया का जींद की महापंचयत का भाषण सुनना चाहिए जिसमें उन्होंने साफ किया कि अभी वो और उनके साथी आंदोलन की आगे की रणनीति पर विचार कर रहे है कि आगे आंदोलन कैसे चलेगा। उसके लिए वो सभी संगठनों और खापों की पंचायत बुलाएंगे जिसमें आंदोलन के आगे की रणनीति की घोषणा होगी। ये पंचायत पहलवानों के द्वारा बुलाया जाएगा और इसकी जगह भी वो सबको आने वाले समय में बता देंगे।

पुनिया ने रविवार को सोनीपत के गांव मुंडलाना मेंहुई सर्व समाज की महापंचायत में कहा, "मैं अनुरोध करूंगा कि आज कोई फैसला न लें। खिलाड़ियों की तरफ से हम एक पंचायत रखेंगे। उसकी कॉल हम देंगे, जगह हम बताएंगे, सभी को इकट्ठा रखकर हम पंचायत करना चाहते हैं।"

पूनिया ने कहा जितनी भी हमारी खाप पंचायतें हैं, जितने हमारे संगठन हैं, सबको एक मंच पर इकट्ठा करेंगे। तीन से चार दिन में जगह डिसाइड करके बताएंगे। बजरंग पूनिया ने कहा कि 28 मई को दिल्ली में जो भी हुआ है, उसके बाद से विनेश और साक्षी बिल्कुल टूट चुकी हैं। अब परिवार का एक सदस्य हमेशा उनके साथ रहता है, ताकि वे कोई गलत फैसला न ले लें। इस बीच किसान नेता गुरनाम चढूनी ने कहा कि इस महापंचायत में कोई फैसला नहीं लिया गया है।

इससे तो एक बात स्पष्ट है की उन्होंने आंदोलन को खत्म नहीं किया है बल्कि दिल्ली की पुलिस ने 28 मई को जिस तरह का मानसिक आघात विश्वविजेता पहलवानों पर किया है उससे अभी वो निकलने का प्रयास कर रहे है और एकबार फिर मांगें नहीं माने जाने पर आंदोलन करने को तैयार हैं।

आपको बता दें कि 28 मई को जिस तरह से आंदोलन कर रहे पहलवानों को जंतर-मंतर से हटाया गया जिसके बाद इन पहलवानों ने इसका विरोध करने के लिए हरिद्वार जाकर गंगा में अपने ओलंपिक मेडल गंगा नदी में गिराने की भी कोशिश की। हालांकि, कई किसान नेताओं के अनुरोध पर उन्होंने फैसला वापस ले लिया और उन्हें पदक सौंप दिए।

इसके बाद यूपी के सोरम में एक जून को पंचायत हुई जिसमें खाप नेताओं ने राष्ट्रपति और गृह मंत्री से हस्तक्षेप करने की मांग की और किसी भी बड़े निर्णय के लिए 3 जून को कुरुक्षेत्र की महपंचयत की थी। जहां से किसान और खाप नेताओं ने सरकार को 9 जून तक का अल्टिमेटम दिया। उन्होंने स्पष्ट कहा था कि तय समय पर सरकार कार्रवाई करे नहीं तो आंदोलन को वापस दिल्ली लेकर जाएंगे। हालांकि इन दोनों पंचायत में किसी बड़े पहलवान के न पहुंचने से कई सवाल उठने लगे कि क्या वो अब आंदोलन नहीं करेंगे? हालांकि रविवार को बजरंग पुनिया ने पंचायत में शामिल होकर इन सभी सवालों पर विराम लगा दिया।

ये सारी बातें तब से उठी जब देश के गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को रात में आंदोलन कर रहे पहलावनों से मिले। इस मुलाकात को मीडिया का एक बड़ा तबका इसे इसी तरह दिखा रहा है जैसे सरकार ने कोई बहुत बड़ा काम किया। सूत्रों के हवाले से हेडलाइन बनाई जा रही है कि अमित शाह ने कहा कानून को अपना काम करने दें। अब इसमें कौन से नई बात है। सरकार तो लगातार यही कह रही है। सवाल ये है कि अब तक क्या कानून ने अपना काम किया है? क्योंकि अगर किया होता तो बृजभूषण जेल में होते। खैर इस मीटिंग में क्या हुआ? इस पर बात करते हुए पहलवान साक्षी मलिक के पति सत्यव्रत कादियान ने कहा कि पहलवानों की गृह मंत्री अमित शाह के साथ शनिवार को हुई बैठक बेनतीजा रही, क्योंकि गृह मंत्री से उन्हें वो आश्वासन नहीं मिल जिसकी उन्हें उम्मीद थी।

आपको बता दें कि ये बैठक शनिवार को दिल्ली में अमित शाह के आवास पर हुई और देर रात तक चली, क्योंकि पहलवान भारतीय कुश्ती महासंघ के प्रमुख बृजभूषण की गिरफ्तारी की मांग कर रहे है। भूषण पर यौन शोषण के गंभीर आरोप लग रहे है।

कादियान ने कहा, "हमें गृह मंत्री से वह आश्वासन नहीं मिली जो हमें उम्मीद थी। इसलिए हम बैठक से बाहर आ गए थे। हम आंदोलन के आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं। हम पीछे नहीं हटेंगे।"

संयुक्त किसान मोर्चा पोक्सो अधिनियम में संशोधन के लिए भाजपा सांसद बृजभूषणशरण सिंह द्वारा दिए गए बयानों और मोदी सरकार द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपी के संरक्षण की भर्त्सना करते हुए कहा, 40 दिनों से अधिक समय से भारत के कई शीर्ष पहलवान यौन उत्पीड़न के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार निष्पक्ष और पारदर्शी जांच के अपने वादे से मुकर गई। उच्चतम न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद ही, बृजभूषणशरण सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज किए गए — जिसमें POCSO (यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा) अधिनियम की धारा 10 और POSH (यौन उत्पीड़न की रोकथाम) अधिनियम की धारा 354 ए शामिल है। फिर भी, POCSO अधिनियम के तहत मानदंडों के विपरीत, आज तक कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है।

अपने बयान में उन्होंने आगे कहा इसके बजाय, सरकार ने मामले को दबाने और विरोध प्रदर्शनों को अवैद्य घोषित करने की कोशिश की। पहलवानों के साथ मारपीट की गई, और समाचार मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें बदनाम किया गया। जब इन खिलाड़ियों ने अपना विरोध जारी रखा और 28 मई को दिल्ली में एक शांतिपूर्ण मार्च का आयोजन किया, तो दिल्ली पुलिस ने विरोध मार्च पर क्रुर दमन किया। पहलवानों को घसीटा गया और हिरासत में लिया गया, और उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। जंतर-मंतर पर उनके विरोध स्थल, जहां वे 23 अप्रैल से एक शांतिपूर्ण संघर्ष कर रहे थे, को पुलिस द्वारा ध्वस्त कर दिया गया।

इस बीच, आरोपी भाजपा सांसद बृजभूषणशरण सिंह ने अपने समर्थकों के साथ मिलकर दावा किया है कि वे सरकार को पोक्सो अधिनियम को बदलने के लिए मजबूर करेंगे। अधिनियम के खिलाफ समाचार मीडिया और सोशल मीडिया पर एक निरंतर अभियान जारी है। POCSO अधिनियम नाबालिग बच्चों को यौन शोषण से बचाता है। चूंकि नाबालिग बच्चों के यौन शोषण के मामलों में दोषसिद्धि दर बेहद कम है, इसलिए POCSO अधिनियम को संज्ञानात्मक और गैर-जमानती बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत मामलों में गिरफ्तारी अधिमान्य है।

किसान नेताओं ने कहा कि POCSO अधिनियम में संशोधन देश की लाखों बेटियों को बृजभूषणशरण सिंह जैसे दरिंदों द्वारा यौन शोषण के लिए छोड़ देगा। मोदी सरकार द्वारा यौन उत्पीड़न के आरोपी बृजभूषणशरण सिंह के संरक्षण, और पोक्सो अधिनियम के खिलाफ जारी अभियान, सरकार के “बेटी बचाओ” के ढोंग को उजागर करता है। संयुक्त किसान मोर्चा देश की बेटियों के खिलाफ इस जघन्य हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा।

संयुक्त किसान मोर्चा ने बृजभूषणशरण सिंह की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करता है और देश की बेटियों के शोषण और उन्हें बदनाम करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करता है। जैसा कि पूर्व घोषणा की गई थी, संयुक्त किसान मोर्चा — ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मोर्चा, महिलाओं के मंच, युवाओं, छात्रों, सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं, व्यापारियों और आम नागरिकों के साथ मिलकर — बृजभूषणशरण सिंह की गिरफ्तारी की मांग के लिए 5 जून को राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन आयोजित किया है। इसके तहत आज देश के गांव और शहरी केंद्रों पर प्रदर्शन और मोमबत्ती जुलूस आयोजित किया जा रहा है।

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों ने कहा, हम देश के सभी नागरिकों से अपनी बेटियों के साथ एकजुटता में आने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार, जो यौन उत्पीड़न के आरोपी को बचाने की कोशिश कर रही है, की दृढ़ता से निंदा करने की अपील करते हैं। यदि मोदी सरकार कार्रवाई करने में विफल रहती है, तो उसे बड़े और तीव्र आंदोलन का सामना करना पड़ेगा।

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