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अमेरिका और भारत में दो तस्वीरें लेकिन फसाना एक, नफ़रत के बीच शांति की ‘कोशिश’ 

अमेरिका और भारत की तुलना करें तो अमेरिका में मीडिया सत्ता के खिलाफ अधिक मुखर है। विपक्ष अधिक संगठित है। वहीं, भारत में मीडिया का बड़ा वर्ग सत्ता के साथ खड़ा दिख रहा है। विपक्ष बहुत कमजोर और बिखरा है।
India and USA
image courtesy:www.orfonline.org

दुनिया के फलक पर दो घटनाएं लगभग एक समय में, एक जैसी। कई मायनों में एक-दूसरे से मिलती-जुलती। एक घटना है अमेरिका में नस्लीय हमले के बाद टेक्सास प्रांत के अल-पासो और ओहियो प्रांत के डेटन शहर में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का दौरा। 

दूसरी घटना है भारत में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने के क्रम में स्थानीय राजनीतिक नेताओं की नज़रबंदी-हिरासत-गिरफ्तारी के बीच वायरल हुई एक तस्वीर, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्थानीय लोगों के साथ बिरयानी खाते, बातचीत करते दिख रहे हैं। दोनों घटनाएं ख़ौफ़  और उसके प्रभाव को कम करने की ‘राष्ट्रीय कोशिश’ दिखती है।
 

विपक्ष और मीडिया पर ट्रम्प का गुस्सा

डोनाल्ड ट्रम्प ने अल-पासो और ओहियो का दौरा करने के बाद अपने विरोधियों और मीडिया पर गुस्से का इज़हार किया है। ट्रम्प ने ओ रॉर्के और जोसेफ आर बिडेन जूनियर को ‘शांत रहने’ की चेतावनी दी है। इन दोनों नेताओं ने ट्रम्प पर देश में नस्लवाद बढ़ाने का आरोप लगाया है।

बिडेन जूनियर ने कहा है कि ट्रम्प 'श्वेत अधियानकवाद को हवा दे रहे हैं।' ओ रॉर्के ने भी कहा है कि गोलीबारी की दोनों घटनाएं ट्रम्प के नस्लवादी उन्माद भड़काने के नतीजे हैं। ये दोनों नेता राष्ट्रपति उम्मीदवार की दौड़ में हैं। 

डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिकी मीडिया से इसलिए नाराज़ हैं क्योंकि उन्होंने यह ख़बर दी कि अस्पताल के जिन कर्मचारियों के साथ डोनाल्ड ट्रम्प ने मुलाकात की और उनके समर्थन का दावा किया, उन्हीं में से ‘कई’ डोनाल्ड ट्रम्प की नीतियों से सहमत नहीं हैं। 

ज़ाहिर है राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प विपक्ष और मीडिया की ओर से उठाए जा रहे सवालों में घिरे हैं। जवाब में वे उल्टे उन पर हमलावर हो रहे हैं। ट्रम्प की कोशिश ये है कि यह दर्शाया जाए कि देश में सबकुछ ठीक है मगर कुछ लोग बेवजह स्थिति बिगाड़ने में लगे हैं।

डोभाल की तस्वीर में दिखती ‘शांति’

भारत में उस तस्वीर की चर्चा करें जिसे लेकर भारतीय मीडिया सरकारी ज़ुबान बोलती नज़र आ रही है कि जम्मू-कश्मीर में सब कुछ ठीक है, शांतिपूर्ण है। तस्वीर में एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) अजित डोभाल शोपियां में बीच सड़क पर कुछ लोगों से बात करते दिख रहे हैं, साथ में बिरयानी खाते दिख रहे हैं। वे भरोसा दिला रहे हैं कि जो कुछ हो रहा है वह ‘आप लोगों की भलाई’ के लिए हो रहा है। 

मगर, वही तस्वीर बेजुबान होकर यह भी बयां कर रही हैं कि बाज़ार की एक-एक दुकानें बंद हैं। यह भी साफ नहीं हो रहा है कि खाई जा रही बिरयानी किसी खुली हुई दुकान की हैं या फिर शोपियां के बाहर से मंगायी गयी हैं। भारतीय मीडिया तस्वीर का एक पहलू दिखाकर विपक्ष से ही सवाल पूछ रहा है कि उनके दावे से उलट इस शांति पर उनका क्या कहना है?

भारत और अमेरिका की तस्वीरों में बड़ा फर्क ये है कि अमेरिका की तस्वीर आधिकारिक हैं, मीडिया की हैं जबकि भारत में अजित डोभाल वाली तस्वीर स्वत:स्फूर्त या प्रायोजित हैं। सोशल मीडिया पर वायरल बताकर तस्वीर दिखा रहा है मुख्य धारा की मीडिया।

भारत में कमज़ोर है विपक्ष

भारत में विपक्ष का आरोप है कि नरेंद्र मोदी-अमित शाह की सरकार जम्मू-कश्मीर के लोगों की आवाज़ दबाने का प्रयास कर रहा है। अनुच्छेद 370 निष्प्रभावी करने और 35ए हटाने के तरीके पर भी विपक्ष सवाल उठा रहा है। मगर, सत्ता पक्ष का कहना है कि किसी की आवाज़ दबाई नहीं गयी है।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने तो यहां तक दावा किया कि फारुख अब्दुल्ला के नज़रबंद होने, हिरासत में होने या गिरफ्तार होने का दावा गलत है। वे जहां भी हैं अपनी मर्जी से हैं और मौजमस्ती कर रहे हैं। वहीं, महबूबा मुफ्ती की बेटी ने भी ऑडियो शेयर कर अपनी मां को एक कमरे में बंद कर देने का आरोप लगाया है।

पाकिस्तानी दखल से भी बदल गईं परिस्थितियां

भारत और अमेरिका की दोनों घटनाओं में एक बड़ा फर्क ये है कि वहां नस्लीय सियासत की घटना में सीधे तौर पर कोई विदेशी पक्ष मौजूद नहीं है। जबकि, भारत के मामले में पाकिस्तान खुलकर विरोध में है। भारत में विरोध की आवाज़ को पाकिस्तान की आवाज़ बताकर राष्ट्रवादी भावनाओं को आसानी से सहलाया जाना सम्भव है और ऐसा करने में सत्तापक्ष कामयाब है।

वहीं, अमेरिका में भी विरोधी डेमोक्रैट के सांसदों को प्रवासी और इस्लाम से संबंध बताकर डोनाल्ड ट्रम्प लगातार भावनाएं भड़काते रहे हैं। वास्तव में हाल की नस्लीय घटनाओं को विपक्ष राष्ट्रपति ट्रम्प की भावनाएं भड़काने की कोशिशों का परिणाम बता रहा है।

मतलब ये कि अमेरिकी घटनाओं में प्रत्यक्ष तौर पर दखल देने वाला कोई देश तो नहीं है लेकिन परोक्ष रूप से इसे साबित करने की कोशिश सियासी हकीकत है।

मीडिया अमेरिका में मुखर, भारत में एकांगी

अमेरिका और भारत की तुलना करें तो अमेरिका में मीडिया सत्ता के खिलाफ अधिक मुखर है। विपक्ष अधिक संगठित है। वहीं, भारत में मीडिया मुखर तो कतई नहीं है। उल्टे मीडिया का बड़ा वर्ग सत्ता के साथ खड़ा दिख रहा है। विपक्ष भारत में बहुत कमजोर और बिखरा है। यहां तक कि अंतर्विरोध का शिकार भी है। खासकर मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के भीतर ही अलग-अलग सुर देखने को मिल रहे हैं। 

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प मीडिया पर हमलावर हैं जबकि भारत में सत्ता पक्ष मीडिया के उस छोटे वर्ग पर हमलावर है जो मुख्य धारा की मीडिया से अलग कुछ बताने या दिखाने की कोशिश कर रहा है। 

भारत में जम्मू-कश्मीर की चर्चा करें जहां के लिए भारतीय संसद ने फैसले लिए हैं तो जम्मू और लद्दाख में इस फैसले का आम तौर पर स्वागत हुआ है। वहीं, कश्मीर की प्रतिक्रिया अब तक जो भी सामने आयी है उसमें निराशा और गुस्सा साफ देखने को मिल रहा है। जम्मू-कश्मीर में धारा 144 लागू है और बड़ी मात्रा में सुरक्षा बल तैनात हैं। बाज़ार बंद हैं। दफ्तरों में उपस्थिति कम है। यानी स्थिति सामान्य नहीं है। 

अमेरिका के अल-पासो और डेटन शहर में नस्लीय हिंसा के साये में गम और गुस्सा तो है मगर जन-जीवन सामान्य है। वजह साफ है कि अमेरिका में घटी घटना महज वारदात हैं जबकि भारत में घटी घटना एक प्रांत की सीमा बदलने की सफल कोशिश है।

एक सिर्फ और सिर्फ नफ़रत की घटना है तो दूसरा कथित तौर पर विकास का रास्ता खोलने, नफ़रत को ख़त्म करने, हिंसा का दौर स्थायी रूप से ख़त्म करने के इरादे से ‘राष्ट्रीय प्रयास’ है।

पाकिस्तान ने भारत के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंध तोड़ने की घोषणा की है। एक और पुलवामा की धमकी भी दे रहा है पाकिस्तान। जाहिर है इसके जवाब में भारत में सत्ता पक्ष और मजबूत होगा। उसे मिल रहे समर्थन में बढ़ोतरी होगी। विरोध कर रहे विपक्ष को अपनी आवाज़ दबानी पड़ेगी। 

पाकिस्तान के साथ संघर्ष की स्थिति में जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन और अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करने या 35ए को हटाने के तरीके पर उठाए जा रहे सवाल दब जाएंगे। संक्षेप में कहें तो अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से अधिक सहज स्थिति में हैं भारत में नरेंद्र मोदी।  

(ये लेखक के निजी विचार हैं)

 

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