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बिहार : शौचालय के सवाल पर 'पाकिस्तान' भेजने वाली आईएएस अधिकारी का चौतरफ़ा विरोध

“सशक्त बेटी, सशक्त बिहार” के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों की छात्राओं के लिए आयोजित कार्यशाला में महिला आईएस अधिकारी को छात्राओं ने स्कूलों के शौचालयों की बदहाल स्थिति के बारे में जब बताया तो उन्होंने 'पाकिस्तान चले जाओ' के साथ-साथ कई अन्य आपत्तिजनक जवाब दिया।
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ये अब कोई छुपी हुई बात नहीं रह गयी है कि इन दिनों बात-बात पर “पाकिस्तान चले जाओ” का फ़रमानी जुमला किस ‘नफ़रती सोच-विचारधारा और राजनीतिक दल’ के नेताओं-कार्यकर्ताओं की आम बोलचाल की भाषा बन चुकी है। सरकार और नेताओं से भी जब कोई सवाल किया जाता है तो सवाल करने वालों को ही पाकिस्तान चले जाने की धमकी देना आम बात हो गई है। दूसरे, जब से देश के आला नेता जी ने देश के ख़ज़ाने से यहां के तंगहाल परेशान लोगों को सरकारी मदद दिए जाने को “रेवड़ी” बांटने की बात कही है, तब से ग़रीब जनता को “मुफ़्तख़ोर” बता कर उनकी बेबसी का मज़ाक उड़ाने का एक सिलसिला सा चल पड़ा है। इस तरह की बात आए दिन दिखने लगी है।

बिहार में भी ऐसी नफ़रती सोच वाले राजनीतिक दल के “माननीय केंद्रीय मंत्री” से लेकर कई नेताओं और प्रवक्ताओं की ज़ुबान से “पाकिस्तान चले जाओ” का फ़रमान अक्सर बोला जाता रहा है। लेकिन हद उस समय हो गयी जब प्रदेश की नयी सरकार की वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने सरकारी स्कूलों से बुलाई गईं छात्राओं के दुख भरे सवालों के जवाब में उन्हें पाकिस्तान चले जाने का फ़रमान सुना दिया। साथ ही उनके द्वारा स्कूल में लड़कियों के अलग शौचालय और ग़रीब बच्चियों को मुफ़्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने की मांग को “मुफ्तख़ोरी” क़रार देकर ख़ुद से व्यवस्था करने की नसीहत दे डाली। जिसके ख़िलाफ़ उन्हें उनके पद से तत्काल हटाए जाने की मांग को लेकर पूरे प्रदेश में तीखा प्रतिवाद सड़कों पर होने लगा। इसके बाद ख़ुद मुख्यमंत्री को गंभीरता से संज्ञान लेना पड़ा।

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ये मामला गत मंगलवार का है जब राजधानी में महिला एवं बाल विकास निगम की ओर से यूनिसेफ़, सेव द चिल्ड्रेन और प्लान इंटरनेशनल द्वारा “सशक्त बेटी, सशक्त बिहार” के तहत प्रदेश के सरकारी स्कूलों की छात्राओं के लिए कार्यशाला आयोजित की गयी थी। जिसमें प्रदेश के सरकारी स्कूलों से बुलायी गयी 9 वीं-10वीं की छात्राओं को ‘टूवार्ड्स एन्हांसिंग द वैल्यू ऑफ़ गर्ल’ विषय के तहत लैंगिक असमानता मिटाने वाली सरकारी योजनाओं से अवगत कराया जाना था। जिसकी मुख्य प्रशिक्षक महिला एवं बाल विकास निगम की अध्यक्ष सह प्रबंधक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी हरजोत कौर थीं। अधिकारी को छात्राओं ने स्कूलों के शौचालयों की बदहाल स्थिति के बारे में बताया जिसके चलते उन्हें शर्मसार होना पड़ता है।

छात्राओं ने बताया कि स्कूल में बिना दरवाज़े के और टूटे हुए शौचालय होने के करण उन्हें मजबूर होकर शर्मसार स्थितियों में शौचालय का इस्तेमाल करना पड़ता है। इसके जवाब में अधिकारी ने व्यंग्य करते हुए कहा कि क्या तुम्हारे घरों में सबके लिए अलग अलग शौचालय हैं? कार्यशाला में शामिल कई ग़रीब छात्राओं ने जब आर्थिक लाचारी का हवाला देते हुए सस्ते दर पर सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने की मांग की तो कड़े तेवर दिखाते हुए अधिकारी ने कहा कि फिर तो सरकार से मुफ़्त में जींस पैंट-जूते और एक दिन परिवार नियोजन के लिए कंडोम भी मुफ़्त में मांगोगी। इस पर जवाब में एक छात्रा ने कहा कि हमारे ही वोट से तो सरकार बनती है। इस पर आईएएस अधिकारी ने कहा यह तो मूर्खता की पराकाष्ठा है, सरकार को वोट क्यों देती हो, पाकिस्तान चली जाओ।

इस मामले के सामने आते ही ऐपवा समेत कई अन्य महिला व छात्र संगठनों के साथ-साथ कई सामाजिक संगठनों जैसे भाकपा माले व कई अन्य राजनीतिक दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए व्यापक विरोध का मोर्चा खोल दिया। पिछली भाजपा गठबंधन वाली सरकार के दौरान हुए कई जघन्य घटनाओं पर चुप्पी साधे रहने वाली राष्ट्रीय महिला एवं बाल अधिकार आयोग ने ग़ैर-भाजपा गठबंधन वाली नीतीश कुमार सरकार को घेरते हुए जल्द संज्ञान लिया और सरकार व उक्त महिला आईएएस अधिकारी से ‘जवाब तलब’ कर दिया।

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30 सितंबर को पटना में भाकपा माले-ऐपवा व आइसा की संयुक्त प्रेसवार्ता में माले विधायक दल के नेता महबूब आलम, ऐपवा की राष्ट्रीय महासचिव मीना तिवारी व प्रदेश अध्यक्ष शशि यादव तथा आइसा के राष्ट्रीय महासचिव विधायक संदीप सौरभ व प्रदेश अध्यक्ष ने राज्य महिला एवं बाल विकास निगम की उक्त एमडी हरजोत कौर के आपत्तिजनक बयान की तीखी निंदा की। मीडिया को संबोधित करते हुए इन नेताओं ने कहा कि हरजोत कौर का बयान एक प्रशासनिक अधिकारी के जैसा नहीं बल्कि भाजपा प्रवक्ता की तरह था। भाजपा के लोग हर सवाल उठाने वाले को पाकिस्तान चले जाने की धमकी देते हैं, बिहार का एक प्रशासनिक अधिकारी भी आज उसी भाषा का इस्तेमाल कर रहा है। भाजपा-संघ की तरह ही उन्हें भी लगता है कि ग़रीबों को ‘मुफ़्तख़ोरी की आदत’ है। ऐसे अधिकारियों के भरोसे न तो ‘सशक्त बेटी, समृद्ध बिहार’ बनेगा न ही सभी लड़कियों को स्कूल पहुंचाने का संकल्प पूरा हो सकता है। इसलिए ऐसे अधिकारी के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई ज़रूरी है।

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इसको लेकर 30 सितंबर को ही ऐपवा-आइसा के आह्वान पर पूरे प्रदेश में प्रतिवाद अभियान चला कर आईएएस हरजोत कौर को पद से तत्काल हटाए जाने व स्कूली छात्राओं की कई ज़रूरी मांगों को लेकर राज्य-व्यापी प्रतिवाद आयोजित किया गया। इसके तहत राजधानी पटना में ऐपवा समेत कई अन्य महिला संगठनों ने बुद्धा स्मृति पार्क परिसर में प्रतिवाद के पोस्टरों-बैनरों के साथ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान ‘ग़रीबों के प्रति घृणा भाव रखने वाली तथा लड़कियों को पाकिस्तान चले जाओ कहने वाली महिला एवं बाल विकास निगम की अध्यक्ष को तत्काल उनके पद से बर्ख़ास्त करने की मांग के साथ-साथ बिहार के सभी स्कूलों में छात्राओं के लिए अविलंब नल-जल वाले शौचालय तथा सभी छात्राओं को मुफ़्त सैनिटरी पैड उपलब्ध कराने’ की मांग उठायी गयी।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बिहार के सीएम ने हरजोत कौर की टिप्पणी पर संज्ञान लेते हुए उच्चस्तरीय समीक्षा करवाई। इस पर उन्होंने कहा है कि हरजोत कौर ने जो बातें कार्यशाला में कहीं हैं वह सरकार की नज़र में भी सही नहीं है।

रिपोर्ट के अनुसार अधिकारी के इस बयान को लेकर हुए भारी हंगामे के बाद हरजोत कौर ने अपनी भूल स्वीकारते हुए लिखित तौर पर अपने आचरण के लिए खेद जताया है।

उधर ऐपवा तथा भाकपा माले हरजोत कौर को उनके पद से अविलंब हटाए जाने की मांग पर अड़ा है। इस मामले को लेकर सियासी पारा चढ़ा हुआ है। लेकिन एक सवाल यह है कि भले ही राज्य की सरकार बदल गई है लेकिन राज्य के पूरे प्रशासनिक तंत्र में हावी संघी-भाजपा प्रभावित नौकरशाहों के नजरिये व आचरण में फ़ौरन बदलाव लाए जाने की चुनौती बरक़रार है।

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