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CATS एंबुलेंस : 30 दिन बीत जाने के बाद भी हड़ताल जारी  

कर्मचारियों की एक ही मांग है कि निजीकरण पूरी तरह से बंद किया जाए। सभी कर्मचारियों को दिल्ली सरकार अपने अधीन रखकर काम कराये जैसे पहले करा रही थी।
CATS

आजकल आप दिल्ली में किसी आपात स्थति में एंबुलेंस को कॉल करते है तो उधर से आपकी मदद की जगह यह सुनने को मिलेगा कि वो अभी खुद आपात स्थति में है। दिल्ली में केंद्रीय कर्मचारियों और ट्रॉमा सर्विसेज (CATS कैट्स)  के कर्मचारी लगभग एक महीने से हड़ताल पर हैआज 29 जुलाई को 30वां दिन है। कैट्स दिल्ली में ऐंबुलेंस का संचालन करती है।

इससे अब दिल्ली में लोगों को बड़ी दुर्घटनाओं में भी एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है। हालांकि सरकार और CATS प्रशासन का दावा है कि उनकी आधी एंबुलेंस सड़कों पर हैं। आपको याद होगा अभी हाल में ही दिल्ली के शाहदरा के झिलमिल औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्टरी में लगी आग में 3 लोगों की मौत हो गई। इतनी बड़ी घटना के बाद भी CATS  केवल एक एंबुलेंस ही वहां भेज  सकी थी। ये उनके दावों की पोल खोलता है की उनकी आधी से अधिक गाड़ियां सड़क पर हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर राजधानी में ऐसी और बड़ी दुर्घटनाएं होती हैंतो फिर क्या होगाएक छोटी घटना भी भयावह रूप ले सकती है।

स्थिति कितनी ख़राब है कि दिल्ली पुलिस की पीसीआर वैन को घायल लोगों को अस्पताल पहुंचाना पड़ रहा है क्योंकि एंबुलेंस नहीं मिल रही है। 

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कैट्स एंबुलेंस स्टाफ यूनियन ने बताया कि दिल्ली में अभी वर्तमान में 200 एंबुलेंस है जबकि अभी वर्तमान में केवल 150 स्थायी कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। जबकि इन 200 एंबुलेंस को 24 घंटे चलने के लिए कम से कम 1200 कर्मचारी चाहिए, तो आप बताएं कैसे आधी एंबुलेंस सड़क पर उत्तर सकती है।

आगे उन्होंने कहा कि यह समस्या सरकार और प्रशासन द्वारा जान-बूझकर  खड़ी की गई है। सरकार आज निजीकरण को रोके, हम आधे घंटे में सभी 1200 कर्मचारी काम पर वापस लौट जाएंगे।

कैट्स एंबुलेंस के कर्मचारी कई दिनों से आम आदमी पार्टी (आप) के मुखिया और दिल्ली  के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के निवास स्थान पर अपनी मांगो को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।

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प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का कहना है कि सरकार हमारे सब्र की परीक्षा न ले हम  30 दिनों से शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे है लेकिन उन्होंने हमरी मांगो पर कोई ध्यान नहीं दिया है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम जल्द ही अपना आंदोलन और तेज़ करेंगे।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली में बीते 30 दिनों से एंबुलेंस कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। लेकिन सवाल यह है की प्रदर्शन और हड़ताल की नौबत क्यों आई।

CATS दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में स्वास्थ्य सेवाओं की आपातकालीन व्यवस्था के लिए एंबुलेंस CATS  द्वारा चलाई जाती थी। दिल्ली में यह पहले दिल्ली सरकार और CATS द्वारा चल रही थी लेकिन अचानक 2016 में एक निजी कम्पनी को इसका ठेका दे दिया गया। कर्मचारियों का कहना है निजी कंपनी के आने के बाद से ही समस्याओ ने अपने पांव पसार लिए।

इससे पहले भी ये कर्मचारी संविदा पर ही थे लेकिन वो सीधे CATS  के अंडर में थे। अब इनके बीच एक और बिचौलिया आ गया। कर्मचारियों को जो वेतन मिलता था वो और कम हो गया। इसके बावजूद कर्मचारी काम कर रहे थे। लेकिन एकबार फिर कुछ समय पहले इस कंपनी का भी ठेका खत्म कर नई कंपनी को लाया जा रहा है।

प्रदर्शनकारियों का कहना है इस नई कंपनी के आने से स्थिति और भी खराब हुई है। दिल्ली सरकार और CATS क्या सोचकर इस कंपनी को ठेका दे रही हैक्योंकि ये कम्पनी देश के लगभग 12 राज्यों में ब्लैक लिस्टेड है।

कर्मचारियों की एक ही मांग है कि निजीकरण पूरी तरह से बंद किया जाए। सभी कर्मचारियों को दिल्ली सरकार अपने अधीन रखकर काम कराये जैसे पहले करा रही थी।

इसके अलावा कर्मचारियों को बीते 3 महीने का वेतन भुगतान नहीं किया गया है उसका भुगतान हो और ठेकेदारी प्रथा खत्म की जाए।

सरकार की मंशा को लेकर कई सवाल

कैट्स एंबुलेंस स्टाफ यूनियन ने सरकार की मंशा को लेकर कई सवाल उठाए। क्या कर्मचारियों को अपनी 3 महीने की मेहनत का पैसा मांगना गलत है?

केजरीवाल सरकार ने चुनाव से पहले ठेकेदारी प्रथा को खत्म करने की बात की थी, अब क्या मुख्यमंत्री द्वारा किए गए वादे पूरे करवाना गलत हैक्या अरविंद केजरीवाल ने ठेकेदारी प्रथा खत्म की?

केजरीवाल एंबुलेंस का संचालन ठेकेदार को देने के लिए क्यों उतारू हैं ?

Delhi Contract Labour Advisory Board ने यह फैसला लिया कि एंबुलेंस का संचालन सरकार खुद करे और कैट्स की जनरल बोर्ड मीटिंग में भी यह प्रस्ताव पास हुआ कि कैट्‍स खुद एंबुलेंस सेवा का संचालन करे पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इसे ठेकेदार को देने के लिए उतारू क्यों हैं?

कैट्स एंबुलेंस स्टाफ यूनियन के अध्यक्ष हरेंद्र लकड़ा ने बताया कि आम आदमी पार्टी की सरकार जिसने सभी अस्थायी कर्मचारियों को पक्का करने का वादा किया था। अब वही ठेका प्रथा और आउटसोर्स को बढ़ावा दे रही है। पिछले एक महीने में हमने कई बार सरकार के मंत्री और अफसरों से मुलाकात की लेकिन सभी ने आउटसोर्स को रोकने से साफ इंकार किया। जब तक सरकार इसे नहीं रोकेगी तबतक हम भी प्रदर्शन करते रहेंगे।

आगे वो कहते कि अगर सरकार ने जल्द ही हमारे जायज मांगों को नहीं माना तो हम अपने पूरे परिवार के साथ सड़क पर उतरकर सरकार का विरोध करेंगे।

इस पूरे मामले पर हमने दिल्ली स्वास्थ्य विभाग से उनका पक्ष जानने की कोशिश की लेकिन कई कोशिश के बाद भी उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिल सका, जैसे ही उनकी तरफ से कोई उत्तर मिलेगा तो कॉपी अपडेट की जाएगी।

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