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बिहार पीयूसीएल: ‘मस्जिद के ऊपर भगवा झंडा फहराने के लिए हिंदुत्व की ताकतें ज़िम्मेदार’

रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदुत्ववादी भीड़ की हरकतों से पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने और उन्हें हिंसक होकर बदला लेने के लिए उकसाने की कोशिश की है।
Hindutva Forces
चित्र साभार: एनडीटीवी 

पटना: बिहार पीयूसील की एक फैक्ट-फाइंडिंग रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हिन्दुत्ववादी ताकतें पिछले महीने बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में एक मस्जिद की दीवार पर चढ़ने और इसके गेट के ऊपर भगवा झंडा लगाने के लिए जिम्मेदार थीं ताकि उनकी (मुसलामानों) धार्मिक भावनाओं को भड़काया जा सके, और उन्हें हिंसा का सहारा लेकर प्रतिशोधात्मक कदम उठाने के लिए भड़काया जा सके। रिपोर्ट में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि यह सब पूर्व-नियोजित था। 

रिपोर्ट के अनुसार, 10 अप्रैल को, जिस दिन राम नवमी का आखिरी दिन था, 500-600 लोगों के एक हुजूम ने मुजफ्फरपुर के काज़ी मोहम्मदपुर गाँव में तलवार, लाठी और कथित तौर पर तीन बंदूकें लेकर, जिसमें एक अर्ध-स्वचालित एके-47 राइफल भी शमिल थी, के साथ जुलूस निकाला था। यह जुलूस एक मस्जिद के पास रुका, जिसमें मिया का…  जायेंगे (मुस्लिम मारे जायेंगे) और मुसलमान पाकिस्तान जाओ जैसे मुस्लिम समुदाय को भयाक्रांत कराने वाले अपमानजनक गीतों को जोर-जोर से बजाय जा रहा था।  पाकिस्तान मुर्दाबाद और पाकिस्तान चले जाओ जैसे गीत इस जुलूस में सुनने को मिले। इस जुलूस में शामिल लोगों ने अपनी तलवारों के साथ मस्जिद में तोड़-फोड़ की, और फिर एक आदमी मस्जिद के बाहरी क्षेत्र में एक मीनार पर चढ़ गया और उसके उपर उसने एक भगवा झंडा लगा दिया।  

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, “हिंदुत्ववादियों की भीड़ की कार्यवाही से [पता चलता है कि उन्होंने मुसलमानों को निस्सहाय महसूस कराने, उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत करने और उन्हें हिंसा का सहारा लेकर बदले की कार्यवाही करने के लिए उकसाने का प्रयास किया। हालाँकि, वहां के निवासियों (अल्पसंख्यक समुदाय) ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और इस उकसावे की कार्यवाई पर अपनी तरफ से कोई जवाबी कार्यवाही नहीं की और शांत बने रहे। 

फैक्ट-फाइंडिंग टीम के हाथ एक वीडियो लगा जो इस बीच काफी वायरल हो गया था। इस वीडियो को इस जुलूस में शामिल किसी व्यक्ति के द्वारा शूट किया गया था, जिसमें साफ़ दिखाया गया है कि मस्जिद के बाहर डीजे संगीत बजाते हुए नाचते हुए जुलूस जश्न मना रहा है और इसी बीच एक व्यक्ति मस्जिद की दीवार पर चढ़ जाता है और मस्जिद की बाहरी मीनार के उपर भगवा झंडा फहरा रहा है। फिर वह आदमी अपने कृत्य का जश्न मनाते हुए हाथ लहराता है और दीवार से नीचे उतर जाता है। वह अपनी बाइक पर सवार हो जाता है जबकि कई अन्य लोग मीनार की बुर्ज पर लगे झंडे का वीडियो शूट करना जारी रखते हैं, जबकि कई अन्य लोग अपने-अपने हाथों में तलवारों के साथ नाच रहे हैं। 

रिपोर्ट में कहा गया है, “प्रथम-दृष्टया, इस घटना के स्वतःस्फूर्त रूप से घटित होने की संभावना बेहद न्यून है, और इस बात की पूरी-पूरी संभावना है कि यह पूर्व-नियोजित था। सबसे पहली बात तो यह है कि, जुलूस में शामिल लोग पूरी तरह से हथियारबंद थे। दूसरा, वे करीब 500-600 की भारी तादाद में आये थे। तीसरा, जुलूस ने पुलिस द्वारा तय किये गये मार्ग का पालन नहीं किया और जुलूस को मस्जिद तक ले जाने का फैसला किया।  चौथा, अपमानजनक संगीत की उपलब्धता का मुद्दा है, जिसे मस्जिद के ठीक सामने जुलूस द्वारा बजाया जा रहा था। फैक्ट-फाइंडिंग टीम ने 14 अप्रैल, 2022 को काज़ी मोहम्मदपुर का दौरा किया। पटना से काज़ी मोहम्मदपुर के रास्ते में, फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पाया कि एक ही प्रकार के भगवा रंग के झंडे करीब-करीब हर पेड़ पर लगाये गये थे। इस प्रकार का काम किसी श्रद्दालु धार्मिक लोगों के द्वारा स्वतःस्फूर्त ढंग से किये जाने के बजाय पूरी तरह योजनाबद्ध लग रहा था। काज़ी मोहम्मदपुर के लोगों का कहना है कि इस काम को अंजाम देने के लिए बड़ी संख्या में बजरंग दल, हिंदू पुत्र और आरएसएस के कार्यकर्ता जुटे थे।” 

रिपोर्ट में एक स्थानीय निवासी, नेयाज़ अहमद के हवाले से इस घटना की जानकारी दी गई है। उनके शब्दों में, “मुझे इस घटना के बारे में रात को पता चला। यह हमें भयभीत करने की एक पूर्व नियोजित कार्यवाही थी, ताकि हम अपनी आँखें उठाकर न चल सकें, हमें अपना गुलाम बनाने के लिए। वे हमें सावधान हो जाने के लिए चेता रहे हैं, यह दिखाने के लिए कि हमारा अस्तित्व उनके अधीन है। पिछले साल से उन्होंने इस रास्ते का इस्तेमाल करना शुरू किया है। हमें उनके जुलूस के मस्जिद के सामने से गुजरने से कोई आपत्ति नहीं है; जब तक कि वे यहाँ से शांतिपूर्वक गुजरते हैं, तब तक हमें इसमें कोई समस्या नजर नहीं आती है।”

एक अन्य स्थानीय 76 वर्षीय कमरुद्दीन ने कहा, “मैं यहाँ मस्जिद में लेटा हुआ था। गेट खुला हुआ था। मैं उन्हें नहीं पहचानता। उनमें से एक उपर चढ़ गया; जबकि दूसरे ने उसे झंडा पकड़ाया। वे यहाँ पर रूककर संगीत पर नाचने लगे और मुसलमानों को गालियाँ बक रहे थे। इस प्रकार के घटिया गीतों का चलन पिछले साल से शुरू हुआ है।”

हालाँकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि इस प्रकार की प्रतिक्रिया को रोकने के लिए ग्राम पंचायत के मुखिया के द्वारा की गई तत्काल कार्यवाई निश्चित रूप से सराहनीय है। उनकी ओर से की गई कार्यवाही सही तरीके से इस बात को प्रदर्शित करती है कि ऐसे मामलों में प्राथमिकता हिंसा को बढ़ने से रोकने की होनी चाहिए, वरना इसका अंजाम लोगों की आजीविका और यहाँ तक कि जिंदगियों के नुकसान में हो सकता है। लेकिन इसके साथ ही, रामनवमी समारोह के दौरान देश के विभिन्न हिस्सों में हुई हिंसक घटनाओं की गहनता से जांच की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृति को रोकने के लिए आवश्यक उपायों की रुपरेखा तय हो सके।   

रिपोर्ट के मुताबिक, पुलिस ने एक प्राथमिकी दर्ज कर और अपराधियों के उपर उपयुक्त धाराओं एवं अन्य अधिनियमों को लगाकर त्वरित कार्यवाई की है। इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि उन्होंने दस व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, लेकिन घटना के दौरान उनकी भूमिका संदिग्ध बनी हुई थी क्योंकि जब इस प्रकार के धार्मिक के दौरान पुलिस की वहां पर कोई उपस्थिति नहीं थी।  

रिपोर्ट में कहा गया है कि, “प्रशासन की भूमिका यहाँ पर संदिग्ध बनी हुई है क्योंकि इसने जुलूस के दौरान समय को लेकर, तयशुदा मार्ग, और किस प्रकार के नारे लगाये जा रहे हैं, इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। यह बात भी पूरी तरह से संदेहास्पद बनी हुई है कि जुलूस में शामिल लोगों को अपने साथ हथियार ले जाने की इजाजत कैसे और क्यों दी गई। यह बेहद गहन एवं निष्पक्ष जांच का विषय है। ऐसा आरोप है कि बजरंग दल और हिंदू सेना जैसे संगठन इस घटना में शामिल थे। इस तरह के आरोपों की निष्पक्षता के साथ जांच होनी चाहिए और यदि यह सत्य पाया जाता है तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।” 

अंग्रेज़ी में प्रकाशित मूल आलेख को पढ़ने के लिए नीचे दिये गये लिंक पर क्लिक करें

‘Hindutva Forces Responsible for Planting Saffron Flag on Top of Mosque’: PUCL Bihar

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