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मनरेगा श्रमिकों के धरने का दूसरा दिन: बजट आवंटन बढ़ाने के साथ मज़दूरी और कार्य दिवस बढ़ाने की मांग

देश भर के 15 से अधिक राज्यों के मनरेगा श्रमिकों ने दिल्ली में प्रदर्शन के दौरान मांग की कि बजट आवंटन को बढ़ाने के साथ साथ मज़दूरी और कार्य दिवस को बढ़ाया जाए।
मनरेगा श्रमिकों के धरने का दूसरा दिन: बजट आवंटन बढ़ाने के साथ मज़दूरी और कार्य दिवस बढ़ाने की मांग

देश भर से बड़ी संख्या में आए मनरेगा मजदूर राजधानी दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। आज, इस धरने-प्रदर्शन का दूसरा दिन है। मनरेगा योजना में फंड बढ़ाने को लेकर तीन दिन का यह आंदोलन मंगलवार को शुरू हुआ। इसमें देश के 15 से ज्यादा राज्यों के श्रमिक शामिल हो रहे हैं। इसका आह्वान नरेगा संघर्ष मोर्चा की ओर से किया गया है।

मोर्चा का कहना है कि कोविड संकट के दौरान ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा स्कीम अहम भूमिका निभा रही है। इसके तहत काम की मांग दो साल बाद भी सबसे ज्यादा है।

नरेगा संघर्ष मोर्चा ने प्रेस को दिए बयान में कहा कि सरकार द्वारा नरेगा पर हमला जारी है। बजट आवंटन में लगातार कमी की जा रही है। भुगतान में भी महीनों की देरी होती है। ये सब मुद्दे देश भर में मौजूद हैं।

ज्ञात हो कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने 2022-23 के लिए मनरेगा में बजट आवंटन कम करके 73 हजार करोड़ कर दिया है जो कि पिछले साल के आवंटन से 25 प्रतिशत कम है।

मनरेगा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए बेहद अहम है लेकिन कई कारणों से यह अपने उद्देश्य को पूरा नहीं कर पा रहा है जिनमें इस योजना के तहत बजट आवंटन में कमी बेहद अहम मुद्दा है।

मनरेगा स्कीम के तहत ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को कम से कम सौ दिनों का रोजगार देने की व्यवस्था है। वहीं महिलाओं को मनरेगा के तहत उपलब्ध काम का एक तिहाई काम देने का प्रावधान है।

पश्चिम बंगा खेत मजदूर समिति की अनुराधा तलवार ने न्यूज़क्लिक को बताया कि मोर्चा मांग कर रहा है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मजदूरी को कानूनी तौर पर संबंधित राज्यों की न्यूनतम कृषि मजदूरी के बराबर किया जाना चाहिए और इसे बढ़ाकर प्रति दिन 800 रुपये करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के तहत काम करने के दिनों को बढ़ाकर 200 करना चाहिए।

प्रदर्शन में शामिल श्रमिकों ने हाल ही में लॉन्च किए गए नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सॉफ्टवेयर (एनएमएमएसऐप के कारण होने वाली परेशानियों पर कहा कि इसे मई 2021 में योजना की निगरानी सुनिश्चित करने और कार्यस्थल पर श्रमिकों की उपस्थिति वास्तविक समय लेने के लिए लॉन्च किया गया था। लेकिन इससे और परेशानी बढ़ी है।

इस ऐप के बारे में बोलते हुए बिहार के वैशाली जिले से आईं प्रमिला देवी ने कहा कि इस ऐप से हमलोगों की परेशानी बढ़ी ही है। उन्होंने कहा कि कई बार तो यह हमारी उपस्थिति को रिकॉर्ड नहीं करता है क्यों कि नेटवर्क नहीं रहता है। इसके चलते श्रमिकों पैसे का भुगतान नहीं होता है।

इस बीच किसान नेता और राजनीतिक नेताओं ने इन श्रमिकों के साथ एकजुटता दिखाई। अखिल भारतीय किसान सभा के नेता हन्नान मोल्लाह और राज्यसभा सदस्य और सीपीआई के नेता बिनोए विश्वान ने मंगलवार को सभा को संबोधित करते हुए सरकार की तरफ से अधिक जवादेही की मांग की। साथ ही उन्होंने संसद के मानसून सत्र में मुद्दे की उठाने की बात कही है।

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